पार्स टुडे- ज़ायोनी शासन ने हालिया महीनों में झूठ और अफ़वाहें फैलाकर यह कोशिश की कि काल्पनिक उपलब्धियां हासिल करे और ग़ज़ा में अपनी दरिंदगी का तर्क पेश करे मगर अब तक उसे बदनामी के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ।
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हम ज़ायोनी शासन के सात बड़े झूठ पर एक नज़र डालें इस्राईल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने एक बड़ झूठ यह बोला कि फ़िलिस्तीन के रेज़िस्टेंस संगठन हमास ने तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन करके संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है।
यह झूठ बड़ी ठिढाई के साथ तब फैलाया गया जब 7 अक्तूबर 2023 के तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन से पहले इस्राईली सेना ने अनेक बार ग़ज़ा पट्टी पर हमले किए थे और वेस्ट बैंक में 230 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को क़त्ल कर चुकी थी। इस तरह साबित है कि तूफ़ान अलअक़सा से पहले ही संघर्ष विराम का उल्लंघन इस्राईल ने किया।
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इस्राईल का दूसरा झूठ यह है कि उसकी पहली प्राथमिकता ग़ज़ा में मौजूद इस्राईली क़ैदियों की रिहाई है।
जाने माने पत्रकार महदी हसन के बक़ौल सच्चाई यह है कि इस्राईली क़ैदियों की रिहाई ज़ायोनी अधिकारियों की प्राथमिकताओ में है ही नहीं। ग़ज़ा में बड़ी संख्या में इस्राईली क़ैदी ख़ुद इस्राईली सेना के हमलों में मारे गए हैं
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तीसरा बड़ा झूठ बच्चों के क़त्ल के बारे में है। इस्राईल ने झूठ बोला कि हमास ने हमास के लड़ाकों ने 40 नवजात शिशुओं के सिर काटे। यह इतना बड़ा झूठ था कि इसे प्रसारित करने के बाद सीएनएन को माफ़ी मांगनी पड़ी थी।
इस्राईल ने यह झूठ पूरी दुनिया में बहुत बड़े पैमाने पर फैलाया। मगर बाद में साबित हुआ कि यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद और झूठ था।
सीएनएन की पत्रकार सारा सिडनर ने इस झूठ के बारे में अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि इस्राईल ने खुद कहा है कि नेतनयाहू के कार्यालय से फैलाए गए झूठ की पुष्टि नहीं की जा सकती। मुझे अपनी बातों पर और अधिक ध्यान रखने की ज़रूरत है और मैं इस बारे में माफ़ी मांगती हूं।
सीएनएन की पत्रकार सारा सैंडर्ज़ का ट्वीट
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चौथा झूठ यह कि हमास का हेडक्वार्टर शिफ़ा हास्पिटल के बेसमेंट में है।
अस्पतालों पर हमलों की वजह से ज़ायोनी शासन की सारी दुनिया में थू थू हत रही है। इसलिए इस्राईल ने अपने इस अमानवीय अपराध को सही ठहराने के लिए यह झूठ बोला कि हमास की सैनिक शाखा का कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम ग़ज़ा पट्टी में शिफ़ा अस्पताल के बेसमेंट में है।
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इस्राईल के इस झूठ को बेनक़ाब कर दिया।
जिस समय ज़ायोनी सैनिकों ने शिफ़ा अस्पताल पर हमला किया और उसके बेसमेंट तक पहुंचे उसम समय अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि भी वहां पहुंचे तो देखा कि वहां कमांड एंड कंट्रोल सेंटर जैसी कोई चीज़ नहीं है।
वैसे इस्राईल के पूर्व प्रधानमंत्री एहूद बाराक ने सीएनएन को दिए गए इंटरव्यू में भी माना कि यह दावा झूठा है।
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पांचवां झूठ फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों ग़लत बताना
जब इस्राईली सेना के हमलों में भारी संख्या में फ़िलिस्तीनी आम नागरिक, महिलाएं और बच्चे शहीद होने लगे तो दुनिया भर में ज़ायोनी शासन की आलोचना होने लगी। इस पर इस्राईली सेना के प्रवक्ता ने यह शिगोफ़ा छोड़ा की ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों पर भरोसा नहीं करना चाहिए लेकिन व्यवहारिक रूप से यह हुआ कि ख़ुद इस्राईली पत्रकारों और टीकाकारों ने देखा कि ग़ज़ा की घटनाओं के मामले में सबसे विश्वस्त जानकारी का स्रो ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ही है। इस्राईली अख़बारों ने अपनी ख़बरों में ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय को भी सोर्स के रूप में इस्तेमाल किया।
ताज़ा आंकड़ों के अनुसार ज़ायोनी सेना के हमलों में अब तक 31 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और घायलों की संख्या 72 हज़ार से ज़्यादा है।
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छठा झूठ ग़ज़ा में खाने पीने की चीज़ों सहित ज़रूरी वस्तुओं की क़िल्लत न होने का दावा है। इस्राईल ने यह दावा किया लेकिन इस दावे को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने ख़ारिज कर दिया।
युनिसेफ़ के जेम्ज़ एल्डर ने कहा कि ग़ज़ा में मानवीय त्रास्दी के हालात हैं इस दुर्दशा को बयान करने के लिए कोई उपयुक्त शब्द मौजूद नहीं है।
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सातवां झूठ फ़िलिस्तीनियों की बड़ी संख्या मं शहादतों की वजह हमास है।
इस्राईल का कहना है कि ग़ज़ा के लोग बड़ी संख्या में इसलिए शहीद हुए और हो रहे हैं कि उन्होंने हमास को वोट दिया। जबकि ग़ज़ा में आख़िरी बार चुनाव 20 साल पहले हुए थे और हज़ारों की संख्या में शहीद वो हैं जिनकी उम्र बीस साल से कम है यानी वो मतदान के समय पैदा भी नहीं हुए थे।