जनाबे मुख्तार की शहादत पर मजलिस मुनअक़िद

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जनाबे मुख्तार की शहादत पर  मजलिस मुनअक़िद

लखनऊ, 13 माहे रमज़ान अल मुबारक को एलिया कालोनी पीर बुख़ारा चौक में जनाब सैयद मज़हर अब्बास साहब के घर पर मग़रिब बाद रात 8 बजे दौरा ए क़ुरआन हुआ जिसमें मोमनीन के अलावा उल्मा व तुल्लाब ने क़ुरआन ख़्वानी की।

उसके बाद मजलिस ए अज़ा मुनअक़िद हुई जिसे मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी इमाम जमाअत मस्जिद काला इमामबाड़ा ने ख़ेताब किया।

मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने फ़रमाया: माहे रमजान खुद को नेक बनाने का महीना है, कुरान की तालीमात और अहलेबैत अ०स० की हदीसों और सीरत सीखने और उस पर चलने का महीना हैं।

मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने जनाबे मुख्तार की शहादत का हवाला देते हुए बयान किया कि हमारी जिंदगी का एक अहम मक़सद यह होना चाहिए की इमामे वक़्त हमसे राज़ी हो जाएं और हमारे अमल से खुश हो जाएं जो सबसे बड़ी सआदत और कामयाबी हैं।

जनाबे मुख्तार ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कातिलों को क़त्ल किया और जब आपने इब्ने ज़ेयाद मलऊन और उमर बिन साद का सर अपने इमाम ज़माना यानी इमाम ज़ैनुलआब्दीन अ०स० को भेजा तो इमाम ज़ैनुलआब्दीन अ०स० ख़ुश हुए, क्या कोई दावा कर सकता है कि उसके फलां अमल से इमाम ज़माना अ०स० ख़ुश हुए? मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने बयान किया कि इमामे वक़्त को हज़रत मुख्तार ने खुश करने का सलीक़ा सिखाया

मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने बयान किया कि रिवायत में है इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जनाबे मुस्लिम अ०स० को कूफा भेजते हुए फरमाया कि तुम्हें जिस पर भरोसा हो वहां उसके घर रुकना और जनाब मुस्लिम अ०स० कूफे में जनाबे मुख्तार के घर मेहमान हुए।

जिससे ज़ाहिर होता है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के सफीर जनाबे मुस्लिम अ०स० को जनाबे मुख्तार पर भरोसा था।

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