ईरानी क़ौम का पैग़ाम ज़ुल्म के मुक़ाबले में डट जाना

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ईरानी क़ौम का पैग़ाम ज़ुल्म के मुक़ाबले में डट जाना

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने करीमे अहलेबैत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों और साहित्यकारों से सोमवार की रात मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में, जिसमें 40 जवान और बुज़ुर्ग शायरों ने अपने शेर पेश किए, आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शेर को मीडिया वॉर के दौर में एक अहम व प्रभावी मीडिया बताते हुए कहा कि इस मैदान में एक ताक़तवर, प्रभावी और ठोस मीडिया की हैसियत से फ़ारसी शेर व साहित्य की मूल्यवान विरासत से बेहतरीन तरीक़े से फ़ायदा उठाया जाना चाहिए।

उन्होंने उचित व लाभदायक संदेश के चयन को शेर के प्रभाव और उसके बाक़ी रहने की शर्त बताते हुए कहा कि शेर के मीडिया को धर्म, अख़लाक़, शिष्टाचार, संस्कृति और ईरानी परंपरा के पैग़ाम को पहुंचाना चाहिए।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने विश्व के मुंहज़ोरों के ज़ुल्म व विस्तारवाद और उसके प्रतीकों यानी अमरीका और ज़ायोनियों के मुक़ाबले में ईरानी क़ौम के बहादुरी से भरे प्रतिरोध के संदेश को बेहतरीन व पहुंचाने के योग्य संदेश बताया।

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस सिलसिले में कहा कि ईरानी क़ौम के प्रतिरोध का संदेश और उसकी ओर से साम्राज्यवादियों के ख़िलाफ़ अपने दो टूक व ठोस नज़रिये का बयान बहुत अहम और दुनिया के लोगों में शौक़ पैदा करने वाला है और इन नज़रियों के स्वागत किए जाने के नमूने ईरानी राष्ट्राध्यक्षों के विदेशी दौरों और अवामी सभाओं में उनकी तक़रीरों के दौरान देखने में आए।

उन्होंने शायरों और फ़ारसी शायरी व साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय लोगों से ख़ेताब करते हुए कहा कि अच्छे शेर से विश्व जनमत को भी फ़ायदा पहुंचना चाहिए और इसके लिए अनुवाद का अभियान शुरू किया जाना चाहिए ताकि शेर को शायराना और प्रभावी गद्य के पैराए में दूसरों के सामने पेश किया जा सके।

इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में इमाम हसन अलैहिस्सलाम और इमाम महदी अलैहिस्सलाम-अल्लाह उन्हें जल्द से जल्द ज़ाहिर करे- की शान सहित ग़ज़ा के अवाम ख़ास तौर पर ग़ज़ा के बच्चों और औरतों की मज़लूमियत, माँ- बाप की प्रशंसा और इसी तरह कुछ राजनैतिक व सामाजिक विषयों पर शेर पढ़े गए।

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