अरब देशों में मुहर्रम

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आशूर अर्थात दस मुहर्रम का दिन पूरे विश्व में बड़ी श्रद्धा और धार्मिक भावना के साथ मनाया गया। जहां बहुत से देशों में मुहर्रम के जुलूस शांतिपूर्ण ढंग से निकाले गए वहीं पर कुछ अरब देशों में शोकाकुल श्रद्धालुओं को आक्रमणों और आतंकवादी कार्यवाहियों का लक्ष्य बनाया गया। बहरैन में मुहर्रम के जुलूसों पर सुरक्षा बलों ने आक्रमण किया। बहरैनी सुरक्षा बलों ने राजधानी मनामा के दक्षिण में स्थित “नवीदरात” नामक स्थान पर इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों पर आक्रमण करके उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। बहरैनी सुरक्षा बलों की ओर से यह अमानवीय कार्यवाही एसी स्थिति में की गई कि जब आले ख़लीफ़ा शासन ने मुहर्रम के आरंभ से ही बहरैन के विभिन्न नगरों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी थी। इन दस दिनों के दौरान बहरैन में बहुत से धर्मगुरूओं और प्रवचन देने वालों को या गिरफ़्तार कर लिया गया या उन्हें नज़रबंद कर दिया गया। उनका अपराध मात्र यह था कि वे पैग़म्बरे इस्लाम के परिजतनों के काल में उनपर किये गए अत्याचारों का उल्लेख कर रहे थे। बहरैन के गृह मंत्रालय ने शुक्रवार से इस देश में शीया समुदाय के धार्मिक केन्द्रों और संस्थानों के विरुद्ध कथित सुरक्षा योजना लागू की है। बहरैन में धार्मिक आयोजनों को सीमित करना और इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों पर आक्रमण, इस देश की कथित सुरक्षा योजना का एक भाग था। इस संदर्भ में बहरैन के सरकार विरोधी प्रमुख राजनैतिक गुट, अलवेफ़ाक़ संगठन बहरैन ने कहा है कि शोकाकुल श्रद्धालुओं पर आक्रमण, आले ख़लीफ़ा शासन के अनैतिक कार्यों का परिचायक है। इस राजनैतिक दल ने इसी प्रकार घोषणा की है कि आले ख़लीफ़ा के सुरक्षा बल, बहरैनी राष्ट्र से बदला लेने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएं केवल बहरैन से विशेष नहीं रहीं बल्कि यमन में भी दस मुहर्रम का दिन इस देश के लोगों के लिए रक्तरंजित दिन रहा। यमन की राजधानी सनआ में मुहर्रम के जुलूस पर आक्रमण के दौरान कम से कम तीन लोग शहीद हुए जबकि दस से अधिक लोग घायल हो गए। यमन के एक धर्मगुरू “इस्माईल इब्राहीम अलवज़ीर” का मानना है कि इसमें सरकार का हाथ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस आतंकवादी कार्यवाही का उद्देश्य, यमन के शीयों और सुन्नियों के बीच मतभेद फैलाना है। सऊदी अरब में भी इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों के विरुद्ध इस देश के सुरक्षाबलों ने हिंसक कार्यवाही की। सरकार की ओर से अत्यधिक कड़ाई के बावजूद सऊदी अरब के शीया समुदाय ने इमाम हुसैन की शोक सभाओं में बढ़चढ कर भाग लिया और इमाम हुसैन की शिक्षाओं पर कार्यबद्ध रहने का पुनः प्रण किया। सऊदी अरब में इमाम हुसैन का शोक मनाने वालों ने इस अवसर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हालिया दिनों में शहीद होने वालों की भी याद मनाई। साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि इस वर्ष सऊदी अरब में मुहर्रम, पिछले मुहर्रमों की तुलना में भिन्न था और यह विषय इस बात का परिचायक है कि इस्लामी जागरूकता की लहर, अरब क्षेत्र के सबसे रूढ़ीवादी देश में बहुत तेज़ी से विस्तृत होती जा रही है जो इस देश के निवासियों में भी गहरी होती जा रही है।

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