रमज़ान महीने के आख़िरी जुमे और क़ुद्स विश्व दिवस के अवसर पर हर साल की तरह इस साल भी ईरान के सभी शहरों में फ़िलिस्तीन के समर्थन में विशाल रैलियों का आयोजन किया गया।
ग़ौरतलब है कि ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी ने रमज़ान महीने के आख़िरी जुमे को क़ुद्स विश्व दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी, ताकि विश्व भर के न्याय प्रेमी लोग ज़ायोनी शासन की जातिवादी नीतियों की निंदा कर सकें।
इस साल, क़ुद्स विश्व दिवस ऐसी स्थिति में मनाया गया, जब पिछले 6 महीने से ग़ज़ा के लोगों पर ज़ायोनी शासन ने ज़ुल्म का पहाड़ ढा रखा है। ग़ज़ा पर इस्राईल के बर्बर हमलों ने जहां 33,000 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली है, वहीं पूरा ग़ज़ा तहस-नहस हो गया है और लोग भुखमरी का शिकार हैं। दुनिया भर में इस्राईल के अत्याचारों के ख़िलाफ़ नाराज़गी बढ़ती जा रही है और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में लगातार वृद्धि हो रही है।
पिछले 6 महीनों के दौरान, ग़ज़ा पट्टी में 33,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, जिनमें अधिकांश संख्या बच्चों और महिलाओं की है, वहीं 75 से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं।
ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने एक साज़िश के तहत 1917 में अवैध ज़ायोनी शासन की बुनियाद रखने की साज़िश रची थी। इस साज़िश के तहत विभिन्न देशों से यहूदियों को लाकर फ़िलिस्तीन में बसाया गया और 1948 में ज़ायोनी शासन की स्थापना की घोषणा की गई। उसके बाद से पूरे फ़िलिस्तीन को हड़पने और फ़िलिस्तीनियों के जातीय सफ़ाए की साज़िश पर अमल हो रहा है।