गूगल ने अपने कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, लेकिन इसके बावजूद, इस कंपनी में इस्राईल-गूगल निंबस प्रोजेक्ट का विरोध कम नहीं हो रहा है।
दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल के कई कर्मचारियों का कहना है कि वह इस प्रोजेक्ट में सहयोगी बनकर फ़िलिस्तीनियों की नस्लकुशी और जनसंहार का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।
क़रीब एक महीने पहले की बात है कि गूगल ने फ़िलिस्तीन का समर्थन करने वाले अपने एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर को बाहर निकाल दिया। इस इंजीनियर का जुर्म सिर्फ़ इतना था कि उसने एक कांफ़्रेंस के बीच में खड़े होकर कहा था कि मैं ऐसे किसी सॉफ़्टवेयर प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बनना चाहता हूं, जो नस्लकुशी को बढ़ावा देता हो।
इस कर्मचारी को निकाले जाने के बारे में गूगल के प्रवक्ता ने असली वजह बयान किए बिना कहाः इस कर्मचारी को एक औपचारिक कार्यक्रम में दख़ल देने की वजह से निकाला गया है।
इसके बाद, न्यूयॉर्क और केलिफ़ोर्निया जैसे अमरीका के कई शहरों में गूगल के दफ़्तरों में कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया। यह कर्मचारी एक अरब बीस करोड़ डॉलर की लागत वाले निंबस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं।
इस्राईल के अपराधों का विरोध करने वाले क़रीब 50 से ज़्यादा कर्मचारियों को गूगल ने नौकरी से निकाल दिया है। निंबस ज़ायोनी शासन और उसकी आर्मी का एक क्लाउड कंप्यूटिंग प्रोजेक्ट ज़ायोनी शासन और उसकी आर्मी को क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस सर्विसिज़ देने के लिए गूगल ने इस प्रोजेक्ट पर 2021 में हस्ताक्षर किए थे।
इस समझौते का एक अहम पहलू यह है कि गूगल दुनिया भर से जुटाए गए डेटा को इस्राईल के हवाले कर सकता है, जिससे ज़ायोनी शासन और ज़ायोनी सेना को लोगों को निशाना बनाने और उनकी जासूसी करने में आसानी होगी।
गूगल ने अपने कर्मचारियों के विरोध की आवाज़ को दबाने का प्रयास किया है, हालांकि इससे पहले तक उसे अपने कर्मचारियों और सहयोगियों को समर्थन करने के लिए जाना जाता था, लेकिन इस्राईल के दबाव में उसने अपने प्रदर्शन करने वाले अपने कर्मचारियों को पुलिस के हवाले तक कर दिया।
आज़ादी की सीमा
ऐसा लगता है कि वर्षों से फ़िलिस्तीनियों की आज़ादी छीनने वाले इस्राईल ने अब अपने समर्थक दूसरे देशों में भी यही रणनीति अपना ली है और वह बोलने की आज़ादी का दावा करने वाले देशों में लोगों से बोलने की आज़ादी छीन लेना चाहता है।
जिस दन फ़्रांस ने 93 मीडर ऊंची लिबर्टी की मूरती अमरीका को सौंपी थी, किसी ने भी नहीं सोचा था कि इस देश में पीड़ित फ़िलिस्तनियों का समर्थन और इस्राईल के युद्ध अपराधों का विरोध करने वालों की आज़ादी को कुचल दिया जाएगा।
हालांकि इससे पहले भी गूगल का इतिहास कोई पाक-साफ़ नहीं रहा है। 2018 में गूगल ने पेंटागन के साथ ड्रोन हमलों को अधिक सटीक बनाने के लिए एआई के इस्तेमाल वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि यह समझौता भी फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इस्राईल सेना के लक्ष्यों को सटीक बनाने के लिए किया गया था।
निंबस प्रोजेक्ट के ज़रिए भी इस्राईल गूगल का इस्तेमाल करना चाहता है, ताकि उसकी पहुंच बेहतरीन सैन्य रसद तक हो सके।
ऐसा भी सुनने में आ रहा है कि अगर गूगल ने इस समझौते पर अड़ियल रवैया जारी रखा तो उसे एक अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ सकता है। इस कंपनी के कर्मचारियों का नारा हैः गूगलर्स एगेंस्ट जेनोसाइड।