ईरान की वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग है जैसी पश्चिमी संचार माध्यम दिखाते हैं।
आयरलैण्ड के एक फिल्म निर्माता जान मुरे ने हाल में एक इंटरव्यू में कहा है कि पश्चिमी संचार माध्यम हमेशा ही ईरान को चित्रों के माध्यम से बुरा दिखाने में लगे रहे हैं। शुरू से मैं यह सोचता आया हूं कि घटने वाली घटनाओं को लेकर ईरान, बहुत धैर्यवान रहा है।
उन्होंने ईरान की मेहर न्यूज़ एजेन्सी को दिये अपने साक्षात्कार में बताय कि मैं संचार माध्यमों विशेषकर प्रेस टीवी के माध्यम से ईरान से परिचित हुआ। अपनी हालिया ईरान की यात्रा में मैं वहां के कुछ संचार माध्यमों से अवगत हुआ।
मैं हमेशा ही ईरान की संस्कृति और ईरान की इस्लामी क्रांति के साथ ही उपनिवेशवाद और वर्चस्ववाद के विरुद्ध ईरान के संघर्ष से प्रभावित रहा हूं। उन्होंने सुब्ह नामक दूसरे इंटरनैशनल मीडिया फेस्टिवल के आयोजन और इसमें पश्चिमी संचार माध्यमों की उपस्थिति के बारे में कहा कि इस प्रकार के आयोजनों में पश्चिम के स्वतंत्र मीडिया संस्थानों की उपस्थति उपयोगी हो सकती है।
ईरान की वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग है जैसी पश्चिमी संचार माध्यम दिखाते हैं।
जान मुरे ने कहा कि पश्चिमी संचार माध्यम ईरान को तीसरी दुनिया के देश में रूप में पेश करते हैं। जिसने भी ईरान की यात्रा की है उसको यह वास्तविकता पता है कि जो पश्चिमी संचार माध्यम दिखाते हैं, ईरान उससे बहुत भिन्न है। ईरान पहुंचकर मैंने पाया कि यह बहुत ही सुन्दर देश है।
यह मेरे लिए बहुत ही विचित्र था। मैंने लंबे समय तक ईरान की संस्कृति विशेषकर सासानी काल की संस्कृति और उसके इस्लामी संस्कृति में बदलने की शैली का अध्ययन किया। यह विषय मेरे लिए बहुत ही रोचक था। हालांकि पश्चिमी संचार माध्यम ईरान को एक कमज़ोर देश दिखाना चाहते हैं। इस तरह से वे अपने देश के लोगों को ईरान जैसे देश की जानकारियों से दूर रखते हैं।
आयरलैण्ड के इस फिल्म निर्माता ने अपने इंटरव्यू में कहाः
इस विचार को दूर करने के लिए और पश्चिमी जनमत से संपर्क के लिए बेहतरीन रास्ता यह है कि संपर्क चैनेल स्थापित किये जाएं और पश्चिम के स्वतंत्र संचार माध्यमों से संपर्क को विस्तृत किया जाए। स्वतंत्र मीडिया के माध्यम से अब हम एक नए चरण में दाख़िल हुए हैं। सोशल मीडिया और डिजीटल मीडिया का दायरा बढ़ रहा है। ईरान जैसे देश के साथ संपर्क बनाने की बेहतरीन भूमिका मौजूद है।
जान मूरे कहते हैं कि इस समय हम देख रहे हैं कि फ़िलिस्तीनियों के साथ खुलकर अन्याय किया जा रहा है। अफ़सोस की बात है कि फ़िलिस्तीनियों के साथ बहुत नाइंसाफ़ी की जा रही है। इस बारे में पश्चिम के स्वतंत्र संचार माध्यम, ईरानी संचार माध्यमों के विचारों से एकमत हैं। एसे में परस्पर सहयोग की भूमिका उपलब्ध कराई जा सकती है।
पश्चिमी संचार माध्यम हमेशा की ईरान की बुरी छवि पेश करते आए हैं
मूरे के अनुसार मीडिया के क्षेत्र में पश्चिमी, ईरान जैसे देशों से वर्षों आगे हैं लेकिन वे हमेशा ही ईरान की बुरी तस्वीर पेश करने में लगे रहते हैं। मैं पहले से यह सोचता आया हूं कि घटने वाली घटनाओं को लेकर ईरान ने बहुत धैर्य से काम लिया है।
यह फिल्म निर्माता कहता हैः
ग़ज़्ज़ा में इस्राईल की ओर से किये जा रहे जातीय सफाए और आयरलैण्ड में ब्रिटिश उपनिवेशवाद द्वारा किये गए अत्याचारों में बहुत समानता है। इसपर अमरीकी और ब्रिटेन की नई पीढ़ी की प्रतिक्रियाएं आई हैं। यह बात इस्राईल की तबाही और ज़ायोनी विचारधारा के समाप्त होने की उम्मीद को बढ़ाती है। मैं सोचता हूं कि इस्राईल से 11 अक्तूबर के बाद से जो कुछ किया है उससे उसने वापस न लौटने के रास्ते का चुनाव किया है।
याद रहे कि 19 मई से 21 मई 2024 तक सुब्ह नामक दूसरे इंटरनैशनल मीडिया फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा। इस फेस्टिवल में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के फिल्म निर्माताओं तथा कार्यक्रम बनाने वालों से भाग लेने का आह्वान किया गया है।