पश्चिम पूरी ताक़त के साथ इस्राईल का समर्थन कर रहा है और इस्राईल व ज़ायोनी फ़िलिस्तीन के निहत्थे लोगों के ख़िलाफ़ जघन्य से जघन्य अपराध अंजाम देने में किसी प्रकार के संकोच से काम नहीं ले रहे हैं ऐसी हालत में प्रतिरोध का अंतरराष्ट्रीय मोर्चा पश्चिम और इस्राईरल के अत्याचार के ख़िलाफ़ दिन- प्रतिदिन फैलता जा रहा है।
ग़ज़्ज़ा युद्ध को आरंभ हुए लगभग 240 दिन बीत रहे हैं और इस्राईल के पाश्विक हमलों में अब तक 36 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 82 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल हो चुके हैं परंतु ज़ायोनी व इस्राईल न केवल अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सके हैं बल्कि क्षेत्र से बाहर अत्याचार विरोधी प्रतिरोध मज़बूत और विस्तृत होता जा रहा है।
ईरान की इस्लामी क्रांति के नेता इमाम ख़ामेनेई ने अमेरिकी छात्रों के नाम अपने हालिया पत्र में बहुत महत्वपूर्ण बिन्दु पर ध्यान दिया। इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने अपने पत्र में लिखा था कि दुनिया के बहुत से ज़िन्दा ज़मीर बेदार हो गये हैं और हक़ीक़त व वास्तविकता स्पष्ट हो रही है। प्रतिरोध का मोर्चा मज़बूत हो गया है और अधिक मज़बूत होगा और इतिहास भी करवट ले रहा है।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नस्रुल्लाह ने अपने हालिया वक्तव्य में जो यह कहा था कि आज प्रतिरोध पहले से अधिक बड़ा, विस्तृत और मज़बूत हो गया है उसे इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।
सैयद हसन नस्रुल्लाह ने जायोनियों के अपराधों के खिलाफ अमेरिकी और पश्चिमी विश्व विद्यालयों में छात्रों के प्रदर्शनों की ओर संकेत किया और कहा कि प्रतिरोध का भविष्य निश्चित रूप से उज्वल और विजयी है और इसका संबंध केवल समय से है।
प्रतिरोध का मोर्चा मज़बूती की दिशा में
आज इस्राईल और ज़ायोनियों के अपराधों की सुरक्षा परिषद में भर्त्सना नहीं की जा रही है और पश्चिम इस्राईल के ख़िलाफ़ प्रस्ताव को वीटो कर देता है ऐसे हालात में अमेरिकी और यूरोपीय छात्र अतंरराष्ट्रीय संगठनों और देशों के दृष्टिकोणों से निराश होकर ख़ुद मैदान में और सड़कों पर आ गये हैं और ग़ज़्ज़ा व फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं।
पूरी दुनिया में मानवीय दबाव इस बात का कारण बना है कि बहुत से देशों ने फ़िलिस्तीनी देश की हक्क़ानियत को मान्यता देना आरंभ कर दिया है और अतिग्रहकारी जायोनियों का अस्ली चेहरा दुनिया के सामने स्पष्ट होता जा रहा है और कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के इस बयान को कोई महत्व नहीं दे रहा है जिसमें उन्होंने कहा है कि फ़िलिस्तीनी देश के गठन के मामले का समाधान वार्ता द्वारा होना चाहिये न कि एक तरफ़ा मान्यता देने के ज़रिये।
आयरलैंड और स्पेन द्वारा फ़िलिस्तीनी देश को मान्यता देने के बाद शीघ्र ही दूसरे यूरोपीय देश भी फ़िलिस्तीन को मान्यता देंगे।
वर्षों से अमेरिका और यूरोपीय देशों जैसी पश्चिमी शक्तियां अवैध जायोनी सरकार को मान्यता दिलाने का पूरा प्रयास कर रही हैं और राष्ट्रसंघ में इस्राईल की भर्त्सना में पारित होने वाले प्रस्ताव को अमेरिका वीटो करता है।
हालीवुड भी वर्षों से जायोनी सरकार की छवी को अच्छी बनाकर पेश करने का प्रयास कर रहा है और इस चीज़ को उसने अपनी कार्यसूची में शामिल कर रखा है। अवैध जायोनी सरकार का वित्तीय और हथियारों से समर्थन अमेरिका और बहुत से पश्चिमी व ग़ैर पश्चिमी देशों की विदेश नीति का अटल सिद्धांत बन गया है।
साथ ही साम्राज्यवादी शक्तियां फ़िलिस्तीन के संबंध में विश्व जनमत को नियंत्रित करने के लिए जो प्रयास रही हैं और वे जो चाह रही हैं उस तरह से हालात व कार्यक्रम आगे नहीं बढ़ रहे हैं।
वर्षों से इस्लामी प्रतिरोध ने साम्राज्यवादी, पश्चिमी और अवैध ज़ायोनी सरकार के हितों को पश्चिम एशिया में गम्भीर चुनौती में डाल दिया है। विश्व जनमत के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करने की आवश्यक क्षमता प्रतिरोध के पास मौजूद है। जैसे वर्चस्ववाद का विरोध, न्याय प्रेम, शांति प्रेम, प्रतिष्ठा प्रेम और आध्यात्मिकता की ओर रुझान आदि।
प्राप्त रिपोर्टें इस बात की सूचक हैं कि बहुत से देशों में लोगों ने इस्राईली कंपनियों, कारखानों और संगठनों के साथ सहयोग का बहिष्कार कर रखा है और उनके देश की कंपनियों ने इस्राईल के साथ सहयोग को रोक दिया है।
हमास नाम का फिलिस्तीनी और साम्राज्यवाद विरोधी आंदोलन, मध्यपूर्व के हालिया कुछ दशकों के परिवर्तनों में प्रभावी रहा है और ईरान की इस्लामी क्रांति से प्रेरणा लेकर विस्तृत पैमाने पर रचनात्मक भूमिका निभा रहा है। साथ ही इस्लामी प्रतिरोध अपनी शक्ति में वृद्धि के साथ इराक़, सीरिया, लेबनान, फिलिस्तीन और यमन में वर्चस्ववादी शक्तियों के लिए चुनौती बन गया है।
प्रतिरोध की सोच के वैश्विक हो जाने से अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया मज़लूमों के हित में और साम्राज्यवादियों के अहित में परिवर्तित हो रही है। कितने ज़िन्दा व जागरुक ज़मीर व अंतरआत्मा के लोग प्रतिरोध का भाग बन जायेंगे और वे इतिहास की सही दिशा में खड़े होंगे।
दुनिया में दिन— प्रतिदिन बढ़ती आगाही व बेदारी और दुनिया के राष्ट्रों का बड़ी साम्राज्यवादी शक्तियों के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाना, फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध हमास के अदम्य साहस का परिणाम है कि उसने साम्राज्यवादियों के समीकरणों पर पानी फेर दिया है और विश्व में नई व ग़ैर साम्राज्यवादी विश्व व्यवस्था उत्पन्न करने में बड़ी मदद की है।