अमेरिकी डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन को झूठ में यह आरोप लगाने की क्यों ज़रूरत पड़ गयी है कि

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अमेरिकी डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन को झूठ में यह आरोप लगाने की क्यों ज़रूरत पड़ गयी है कि

अमेरिकी अधिकारियों के दावों के बावजूद इस्लामी गणतंत्र ईरान ने बारमबार दावा किया है कि कोई कारण नहीं है कि तेहरान अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करे क्योंकि अमेरिका में चुनाव इस देश का आंतरिक मामला है।

ट्रंप के चुनावी प्रवक्ता ने ईरान के ख़िलाफ़ दावा किया कि ईरान से संबंधित हैकरों ने जून महीने में एक वरिष्ठ अधिकारी के एकाउंट से अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनावों में घुसपैठ करने की कोशिश की।

ईरानी समाचार पत्र क़ुद्स ने लिखा कि steven chong ने किसी प्रकार के प्रमाण के बिना दावा किया परंतु अमेरिका की फ़ेडरल जांच एजेन्सी एफ़बीआई ने एलान किया है कि अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप के संबंध में डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी कंपेन ने जो दावा किया है उसके बारे में जांच की जा रही है।

इसी संबंध में राष्ट्रसंघ में इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत ने अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप पर आधारित डोनाल्ड ट्रंप के दावों को रद्द कर दिया और बल देकर कहा है कि कोई लक्ष्य व कारण नहीं है कि ईरानी सरकार अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति के चुनावों में हस्तक्षेप करे।

इससे पहले अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी की ओर से चलाये जा रहे कंपेन्स की ओर से यह दावा किया गया था कि तेहरान अमेरिका में राष्ट्रपति के लिए होने वाले चुनावों में नकारात्मक प्रभाव डालने की कोशिश कर रहा है। इसी प्रकार ट्रंप के चुनावी आयोग की ओर से ईरान पर हैक करने और कुछ पेपरों की चोरी का आरोप लगाया था।

चुनाव में जीत हासिल करने के लिए ट्रंप का पुराना हथकंडा 

अमेरिकी मामलों के जानकार व विशेषज्ञ अमीर अली अबूल फ़त्ह ने समाचार पत्र क़ुद्स से वार्ता में अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप पर आधारित ट्रंप के चुनावी आयोग के दावे की ओर संकेत करते हुए कहा कि अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव का समय निकट है और इस देश में संचार माध्यमों की सरगर्मियों को ध्यान में रखते हुए ट्रंप की कोशिश है कि वह चुनावी दावं व चाल का प्रयोग करके अमेरिकी समाज को ऐसी तरफ़ ले जाना चाहते हैं कि दुनिया की सतह पर अपने को पेश करने के अलावा बाइडेन सरकार के सुरक्षा तंत्रों विशेषकर अमेरिका की फ़ेडरल पुलिस एफ़बीआई की क्षमताओं पर प्रश्न चिन्ह लगा सकें।

अबूल फ़त्ह कहते हैं कि यह वही चाल है जिसका प्रयोग ट्रंप ने वर्ष 2016 में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनावों में इस्तेमाल किया था और दावा किया था कि रूस ने अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप किया है। वास्तव में वह इंटरनेश्नल पैमाने पर चर्चित ईरान, रूस और चीन जैसे देशों का नाम लेकर अधिक से अधिक मत हासिल करने की चेष्टा में हैं। ट्रंप के चुनावी आयोग ने पेपरों को हैक करने के संबंध में जो दावा किया है वह ट्रंप का जाना पहचाना दावं है और उसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिये।

उन्होंने कहा कि ट्रंप के चुनावी प्रवक्ता steven chong के दावे के साथ राष्ट्रसंघ में ईरानी राजदूत ने एलान किया है कि यह दावा निराधार आरोप के सिवा कुछ और नहीं है बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में तेहरान के हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है कि वह किसी उम्मीदवार के हित में या उसके ख़िलाफ़ हस्तक्षेप करे। साथ ही ईरानी राजदूत ने अमेरिका की फ़ेडरल पुलिस से मांग की है कि वह तेहरान के हस्तक्षेप पर आधारित सुबूतों को पेश करे ताकि उसका उचित जवाब दिया जा सके। यह ऐसी स्थिति में है जब अभी तक अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप पर आधारित ट्रंप के चुनावी आयोग की ओर की ओर से कोई प्रमाण पेश नहीं किया गया है।

अमेरिकी मामलों के विशेषज्ञ बल देकर कहते हैं कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के पास दुनिया में साइबर क्षमता व ताक़त है और अमेरिका के सुरक्षा तंत्रों की घोषणा के आधार पर इंटरनेश्नल पैमाने पर ईरान को साइबर शक्ति समझा जाता है। इसी प्रकार अमेरिकी मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं कि साइबर क्षेत्र में ईरान के पास ताक़त होने के बावजूद वह अमेरिका में होने वाले चुनाव में किसी प्रकार का हस्तेक्षप नहीं कर रहा है जबकि अमेरिका ने दुनिया के 80 से अधिक स्वतंत्र व स्वाधीन देशों में विद्रोह कराने और वहां की सरकारों को गिराने में परोक्ष और अपरोक्ष भूमिका निभाई है और आज अमेरिका पर विश्व के विभिन्न देशों में होने वाले चुनावों में हस्तक्षेप का भी आरोप है और इस्लामी गणतंत्र ईरान जैसे देशों पर अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप पर आधारित आरोप निराधार आरोप से अधिक कुछ और नहीं है।

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