हिज़्बुल्लाह ने आधिकारिक रूप से जो बयान दिया है उसके अनुसार बदला लेने वाली कार्यवाही का यह पहला चरण था।
ज़ायोनी सरकार ने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर फ़ोवाद शुक्र को शहीद कर दिया था जिसके जवाब में रविवार को लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध हिज़्बुल्लाह ने सैकड़ों राकेटों, मिसाइलों और ड्रोनों से ज़ायोनी सेना के ठिकानों को लक्ष्य बनाया।
हिज़्बुल्लाह ने जो जवाबी और बदला लेने की कार्यवाही अंजाम दी उसमें कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु व संदेश मौजूद हैं।
पहलाः हिज़्बुल्लाह की कार्यवाही ज़ायोनी सरकार की ख़ुफ़िया जानकारियों की विफ़लता की सूचक है। इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के जवाबी हमले से पहले ही हमला कर दिया और कहा कि हमने हिज़्बुल्लाह के राकेट लांचर और दूसरे महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट कर दिया जबकि हिज़्बुल्लाह ने इस्राईली हमलों के बाद 300 से अधिक राकेटों को फ़ायर किया और ड्रोनों को उड़ाकर इस्राईली सेना के ठिकानों को लक्ष्य बनाया।
अगर इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया था तो उन राकेटों और मिसाइलों को कहां से फ़ायर किया गया? इसी प्रकार हिज़्बुल्लाह ने अपने ड्रोनों को कहां से उड़ाया?
रोचक बात यह है कि हिज़्बुल्लाह ने यह जवाबी हमला उस समय किया कि जब इस्राईल में पूरी तरह चौकसी बरती जा रही थी और ज़ायोनी अधिकारियों ने इससे पहले दावा किया था कि वे हिज़्बुल्लाह की जवाबी कार्यवाही को रोकने का प्रयास करेंगे।
दूसराः हिज़्बुल्लाह ने जो जवाबी हमला अंजाम दिया उसमें दूसरा बिन्दु यह है कि इसमें इस्राईली सेना के 10 से अधिक ठिकानों को लक्ष्य बनाया गया जिसमें मोसाद, शाबाक और तेअलीव में ज़ायोनी सेना की जानकारियों के ठिकाने थे। दूसरे शब्दों में हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के ख़िलाफ़ अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही अंजाम दी है। साथ ही हिज़्बुल्लाह ने अपने वादे के अनुसार फ़ोवाद शुक्र के बदले की कार्यवाही अकेले दम पर और स्वतंत्र ढंग से अंजाम दी।
तीसराः हिज़्बुल्लाह ने जो आधिकारिक बयान दिया है उसके अनुसार यह बदले की कार्यवाही का पहला चरण था। इस आधारिक बयान का एक अर्थ यह है कि हिज़्बुल्लाह चाहता है कि बदले की भावना अब भी इस्राइलियों में बाक़ी रहे। अलबत्ता इसका दूसरा अर्थ भी यह हो सकता है कि बदले की दूसरे चरण की कार्यवाही की प्रतीक्षा में रहना चाहिये और यह ज्ञात नहीं है कि दूसरे चरण की कार्यवाही पहले चरण से भिन्न होगी या उससे अधिक सख़्त व कड़ी होगी।
ज़ायोनियों के लिए सबसे बुरी परिस्थिति यह है कि इस कार्यवाही व हमले के बाद दूसरे हमले की प्रतीक्षा में रहें जो इससे भी अधिक पीड़ादायक या अधिक स्ट्रैटेजिक वाली होगी।