जापान के रक्षा मंत्रालय ने सैन्य कर्मियों की कमी की भरपाई के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करने के अपने देश के इरादे की सूचना दी है।
जापान के रक्षामंत्रालय ने जनशक्ति की कमी की भरपाई के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल तथा सैन्य संचालन और सेना की स्थितियों में सुधार करने में निवेश करने की योजना बनाई है।
रॉयटर्स का हवाला देते हुए, जापान के रक्षा मंत्रालय ने यह निर्णय, देश की (सेना) के "आत्मरक्षा बलों" (एसडीएफ) द्वारा सबसे खराब वार्षिक भर्ती के आंकड़ों की सूचना के बाद लिया गया।
एसडीएफ़ ने 31 मार्च को समाप्त होने वाले वर्ष में 10,000 से भी कम कैप्टन, सैनिकों और वायुसैनिकों की भर्ती की, जो भर्ती लक्ष्य से 50 प्रतिशत से भी कम है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, जापान के प्रधानमंत्री फ़ुमियो किशिदा ने, जिन्हें डर है कि चीन, ताइवान पर हावी होने के लिए अपने सैन्य बलों का इस्तेमाल करेगा और इस तरह उनके देश को युद्ध के मैदान में खींच ले जाएगा, मिसाइलों और हथियारों के भंडार की खरीद के लिए 2022 में रक्षा बजट को दोगुना कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने आधुनिक लड़ाकू विमानों की खरीद और एक साइबर रक्षा शाखा के निर्माण की भी घोषणा की थी।
जापान, जो घटती जन्म दर का भी सामना कर रहा है, अपने सैन्य बलों की संख्या को 2 लाख 50 हज़ार तक पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रकार की चुनौतियों से जूझ रहा है।
इसी आधार पर जापान का रक्षा मंत्रालय भर्ती में कमी से निपटने के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंसतकनीक का उपयोग करने की योजना बना रहा है।
अगले साल, रक्षामंत्रालय, सैन्य ठिकानों की सुरक्षा के लिए आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस निगरानी सिस्टम्ज़ के लिए 18 बिलियन येन विशेष करेगा।
जापानी रक्षा मंत्रालय की योजना ऐसे समय आई है जब इस साल डॉलर के मुकाबले येन की क़ीमत चार दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गयी है, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के इतिहास में सबसे बड़े सैन्य बदलाव की देश की योजना और भी कमज़ोर हो गई है।
वर्तमान समय में, डॉलर के मुकाबले येन की क़ीमतों में कमी की वजह से जापान के लिए हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी और टैंक सहित सैन्य उपकरणों के आयात की लागत बहुत ज़्यादा हो गई है जिनमें से अधिकांश अमेरिकी हैं।
जापान सैन्य रूप से अमेरिका पर बहुत अधिक निर्भर है और यह प्रश्न देश के सैन्य विकास के संदर्भ में उठाया जाता है विशेष रूप से आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अमेरिका टोक्यो को किस हद तक खुला छोड़ता है?