मानवाधिकार संगठनों ने 2002 में अवैध लड़ाके कानून के तहत फिलिस्तीन में हजारों कैदियों की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया। उन्होंने इज़रायली जेलों में बच्चों और महिलाओं सहित गाजा के कैदियों की संख्या के बारे में स्पष्ट जानकारी की कमी की समस्या पर भी प्रकाश डाला। गाजा युद्ध के दौरान कई फिलिस्तीनियों का जबरन अपहरण कर लिया गया है।
फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों की मांग है कि फ़िलिस्तीनी नागरिकों के लापता होने के लिए इज़राइल को ज़िम्मेदार ठहराया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि इजरायली न्यायिक प्रणाली गाजा से फिलिस्तीनी कैदियों के जबरन गायब होने के अपराध को रोकने के बजाय सुविधा प्रदान करती है। फ़िलिस्तीनी प्रिज़नर सोसाइटी, प्रिज़नर अफेयर्स कमीशन और एडमीर प्रिज़नर सपोर्ट एंड ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन ने यह बयान दिया है, जिसे 30 अगस्त को जबरन गायब किए गए पीड़ितों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर फ़िलिस्तीनी आधिकारिक समाचार एजेंसी वफ़ा द्वारा जारी किया गया था।
बयान में कहा गया है कि 2002 में इजरायली नेसेट द्वारा अधिनियमित अवैध लड़ाकू कानून के तहत हजारों कैदियों को रखा जा रहा है। संगठनों के मुताबिक यह कानून कैदियों के संबंध में तय प्रक्रिया का उल्लंघन है। संगठनों ने अपने बयान में इज़रायली जेलों में बच्चों और महिलाओं सहित गाजा के कैदियों की संख्या के बारे में स्पष्ट जानकारी की कमी का मुद्दा उठाया। फ़िलिस्तीनी संगठनों ने इज़रायली हाई कोर्ट की आलोचना की है और कहा है कि हाई कोर्ट फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अपराधों को बढ़ावा दे रहा है। गाजा में हिरासत में लिए गए फ़िलिस्तीनियों की पहचान उजागर करने की कई अपीलों के बावजूद, अदालत ने कोई जवाब नहीं दिया।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, जबरन गायब करना तब होता है जब व्यक्तियों को किसी राज्य या उसके एजेंटों द्वारा गुप्त रूप से हिरासत में लिया जाता है और उनके ठिकाने को गुप्त रखा जाता है। इस प्रकार कैदी पीड़ित होते हैं और कानूनी सुरक्षा तथा अपने राजनीतिक और कानूनी अधिकारों से वंचित हो जाते हैं। गौरतलब है कि गाजा में इजरायली आक्रामकता पिछले साल अक्टूबर से जारी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल युद्धविराम प्रस्ताव पारित होने के बावजूद इजराइल अपनी जिद से बाज नहीं आ रहा है। 10 महीने से अधिक समय से चल रहे युद्ध के दौरान 40,600 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। इस युद्ध में 94,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल हुए हैं। इज़रायल द्वारा पूर्ण नाकेबंदी से गाजा पट्टी में भोजन, स्वच्छ पानी और बुनियादी दवाओं की गंभीर कमी पैदा हो गई है, जिससे फिलिस्तीनियों को गंभीर मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। याद रहे कि इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में फिलिस्तीनियों के नरसंहार का आरोप लग रहा है।