इमाम रज़ा (अ) की शहादत दिवास पर लखनऊ में हरम के परचम की ज़ियारत

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इमाम रज़ा (अ) की शहादत दिवास पर लखनऊ में हरम के परचम की ज़ियारत

हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) की शहादत दिवस पर, बुधवार, 4 सितंबर, 2024 को लखनऊ (करबलाई अज़ीमुल्लाह खान) में इमाम रज़ा (अ) की दरगाह पर लगे उनके गुंबद के परचमम की ज़ियारत कराई गई।

हज़रत इमाम अली रज़ा (अ) की शहादत दिवस पर, बुधवार, 4 सितंबर, 2024 को लखनऊ (करबलाई अज़ीमुल्लाह खान) में इमाम रज़ा (अ) की दरगाह पर लगे उनके गुंबद के परचमम की ज़ियारत कराई गई।

यह वह परचम है जो इमाम रज़ा (अ) की असली दरगाह से उतरकर लखनऊ में इमाम रज़ा (अ) की प्रतिकृति दरगाह में फहराया गया और मोमिनों को इसके दर्शन करने का सम्मान मिला। इस कार्यक्रम में शोक संतप्त संघों, धार्मिक विद्वानों एवं आस्थावानों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत इस प्रकार हुई: मगरबैन की नमाज हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन मौलाना सैयद मुहम्मद मूसा रिज़वी साहब के इमामत में अदा की गई।

क्रमबद्ध क्रम के बाद भाषणों का सिलसिला शुरू हुआ: पहला भाषण हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आलीजनाब मौलाना सैयद मुहम्मद मूसा रिज़वी साहब का था और उनके बाद महामहिम यावर अली शाह साहब का आईएआर फाउंडेशन का प्रदर्शन और समस्याओं का समाधान इमाम के दरवाजे पर लोगों और मरीजों के उपचार पर प्रकाश डाला गया।

आख़िर में मौलाना सैयद रदी हैदर ज़ैदी साहब क़िबला (दिल्ली) ने मजलिस को ख़िताब किया, जिसमें उन्होंने दिलों को अल्लाह और इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम से जोड़ने की ओर इशारा किया और कहा कि अभी वह वक़्त नहीं आया है कि हम दिल खोल दें अल्लाह और इमाम के लिए नरम बनें और इमाम के गुणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमें हमेशा अल्लाह को याद करना चाहिए और इमाम के दरबार में उपस्थित होना चाहिए, न जाने कब हमारे दिलों की खिड़कियाँ खुलेंगी और हमें मार्गदर्शन मिलेगा

मजलिस के बाद हजरत मासूमा की दरगाह से परचम कर्बला अजीमुल्लाह खान लाया गया और इसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए।

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