इमाम सादिक़ और रसूले इस्लाम सअ की विलादत के मौके पर कुछ उलमा और छात्रों के सरों पर अमामा रखते हुए प्रसिद्ध धर्मगुरु और मरजए तक़लीद हज़रत आयतुल्लाह जवादी आमुली ने कहा कि मदरसे और यूनिवर्सिटी समाज को भटकने से बचाते हैं वह समाज को नई ज़िन्दगी देते हैं और इमाम मासूम और अंबिया की राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
उन्होंने कहा कि इंसान अमर होना चाहता है और अमृत की तलाश में है और यह गलत नहीं अच्छी बात है लेकिन उसे पता होना चाहिए कि यह अमृत न बारिश की तरह बरसता है न किसी झरने की शक्ल में है बल्कि क़ुरआन के मुताबिक़ अल्लाह और उसके रसूल की आवाज़ पर लब्बैक कहो ताकि हमेशा ज़िंदा रहो और अमर हो जाओ।
उन्होंने कहा कि हमारे अइम्मा ए अतहार मासूम थे उनके मानने वालों को भी गुनाह से दूर रहने की कोशिश करना चाहिए।