समाजवादी पार्टी ने कहा कि मुसलमानों और दलितों को निशाना बनाने के लिए एक आदेश जारी किया गया है, हिमाचल सरकार भी यूपी के नक्शेकदम पर चली है, राज्य मंत्री विक्रम आदित्य सिंह ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश में खाने-पीने की दुकानों, ढाबों और होटलों पर मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य करने के फरमान पर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है। सरकार का तर्क है कि खाने-पीने की चीजों में आपत्तिजनक चीजें मिलाना और लोगों के स्वास्थ्य और साफ-सफाई से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन इस निर्देश पर विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है। सामाजिक स्तर पर भी इस फरमान के खिलाफ गहरी नाराजगी और चिंता है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे प्रमुख विपक्षी दलों ने इस फरमान पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह मुसलमानों के रोजगार को खत्म करने की कोशिश है। गौरतलब है कि कावड यात्रा के दौरान ढाबों और होटलों समेत सभी खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मामला सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है बल्कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी आश्चर्यजनक रूप से योगी सरकार के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यहां भी ऐसे ही आदेश जारी किए हैं।
इससे पहले यूपी की योगी सरकार ने भोजन में लार और मूत्र जैसे गंदे और अशुद्ध पदार्थों की कथित मिलावट को बेकार और अपमानजनक बताते हुए दिशानिर्देश जारी करने का दावा किया था और कहा था कि ऐसे निंदनीय आंदोलनों को रोकने के लिए ही यह सख्ती दिखाई जा रही है। समाजवादी पार्टी ने सरकार के इस कदम पर बेहद आक्रोश व्यक्त किया और सवाल उठाया कि मिलावट को खत्म करने और भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने के प्रयास समाज की भलाई के लिए जरूरी हैं, लेकिन ढाबों और रेस्तरां के नाम उजागर करने का क्या मतलब है मालिकों का विवरण? इसके द्वारा कौन से लक्ष्य और हित पूरे किये जाने हैं? समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि अगर खाद्य पदार्थों की पवित्रता और गुणवत्ता का मामला है, तो मिलावट को रोकने के लिए प्रत्यक्ष और स्पष्ट रूप से प्रासंगिक उपाय किए जाने चाहिए। लेकिन अगर ढाबा और रेस्तरां मालिकों की सांप्रदायिकता को उजागर करने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है, तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे। योगी सरकार के इस आदेश का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रवि दास मेहरोत्रा ने कहा कि अब पुलिस पूरे प्रदेश के सभी दुकानदारों से वसूली करेगी और फर्जी मुकदमे दर्ज करेगी भाजपा दलितों और पिछड़ों की दुकानें बंद करना चाहती है और मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ही ऐसे फरमान जारी कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरशद आजमी ने मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर एक महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाला और कहा कि 'नाम बोर्ड' लगाने का निर्देश एक अनावश्यक कदम है क्योंकि हर दुकान का पहले से ही एक पंजीकरण होता है जिसमें सभी जानकारी दर्ज होती है। उन्होंने आगे कहा कि अगर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत है तो बीफ फैक्ट्री संचालकों के नाम भी उजागर करने चाहिए ताकि समान मानक बनाए रखा जा सके।
ये मामला सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है बल्कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार भी योगी के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रही है। नगर विकास राज्य मंत्री विक्रम आदित्य सिंह ने भी ऐसा ही फरमान जारी किया है। उन्होंने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।