अमरीका के प्रति ईरानी राष्ट्र का अविश्वास

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इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईरान से वार्ता के संबंध में अमरीकी अधिकारियों के हालिया बयानों की ओर संकेत करते हुए कहा है कि अमरीकी अविश्वसनीय, अतार्किक तथा व्यवहार में सच्चे नहीं हैं। आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों के साथ भेंट में कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान अमरीकी अधिकारियों की ओर से अपनाई गई नीति ने पुनः उनके प्रति आशावान न रहने की आवश्यकता की पुष्टि की है। वरिष्ठ नेता इससे पहले भी अमरीकी की ओर से ईरान के साथ सीधी वार्ता का विषय प्रस्तुत किए जाने के लक्ष्यों का वर्णन करते हुए इस तथ्य का उल्लेख कर चुके हैं कि शत्रु जिस प्रकार से प्रकट करने का प्रयास कर रहा है उसके विपरीत वह ईरानी राष्ट्र के मुक़ाबले में सक्रिय नहीं अपितु निष्क्रिय स्थिति में है और इसी कारण अमरीकी अधिकारी तर्कहीन व्यवहार दिखा रहे हैं। अमरीकी अधिकारियों के व्यवहार में महत्वपूर्ण बिंदु जिसकी ओर वरिष्ठ नेता ने भी संकेत किया है, उनकी कथनी व करनी में विरोधाभास है कि जो तर्कहीनता का चिन्ह है। इसी तर्कहीनता के आधार पर अमरीका, वार्ता को तुरुप के पत्ते के रूप में देखता है और मुस्लिम राष्ट्रों के समक्ष यह दर्शाना चाहता है कि ईरान अपने भरपूर प्रतिरोध के बावजूद अमरीका के साथ समझौता करने पर विवश हो गया है। अतः वार्ता से अमरीका का वांछित परिणाम, ईरान की तर्कसंगत बातों को सुनना, प्रतिबंधों को समाप्त करना या राजनैतिक व सामरिक हस्तक्षेप पर विराम लगाना नहीं बल्कि ईरान को यूरेनियम का संवर्धन व परमाणु ऊर्जा तैयार न करने के लिए बाध्य करना है। जैसा कि इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा ईरान सदैव संसार के साथ सहयोग करने में विश्वास रखता है किंतु इस संबंध में महत्वपूर्ण बिंदु दूसरे पक्ष की सही पहचान और उसके लक्ष्यों को समझना है। हालिया और पिछली वास्तविकताओं से भी ईरानी राष्ट्र ने यह अनुभव प्राप्त किया है कि संसार के साथ सहयोग के संबंध में दूसरे पक्ष और उसके लक्ष्यों को सही ढंग से पहचानना चाहिए। अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने पहले कार्यकाल में ईरान पर एकपक्षीय और अपने योरोपीय घटकों के साथ मिल कर बहुपक्षीय प्रतिबंध लगा कर ईरान के परमाणु कार्यक्रम में बाधाएं उत्पन्न करने का बहुत प्रयास किया और हालिया वर्षों में भी उन्होंने ईरान पर व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में भी ओबामा अपनी पिछली नीतियों को भी जारी रखे हुए हैं केवल इस अंतर के साथ कि अपने तर्कहीन व्यवहार में उन्होंने ईरान से सीधी वार्ता का विषय भी प्रस्तुत किया है। प्रत्येक दशा में ईरान ने बारंबार बल देकर कहा है कि वह वार्ता को सकारात्मक दृष्टि से देखता है किंतु स्पष्ट सी बात है कि वार्ता का सफल होना कई बातों पर निर्भर होता है। अमरीका को ईरान के साथ वार्ता आरंभ करने से पूर्व अपनी सच्चाई को सिद्ध करना और ईरान के अधिकारों को स्वीकार करना चाहिए जिसका पहला चरण ईरानी राष्ट्र की प्रगति के मार्ग में डाली जाने वाली बाधाओं को दूर करना है-

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