मिस्र में राजनैतिक संकट यथावत जारी है और इस देश के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद मुरसी ने हिरासत में भूख हड़ताल आरंभ कर दी है। रूसी टीवी ने इख़वानुल मुसलेमीन के अधिकारियों के हवाले से सूचना दी है कि अपदस्थ किए गए राष्ट्रपति मुरसी ने इस भय से भूख हड़ताल आरंभ कर दी है कि कहीं उन्हें खाने में ज़हर न दे दिया जाए। इख़वानुल मुसलेमीन का कहना है कि मुरसी यथावत सेना के मुक़ाबले में डटे हुए हैं और उसके विद्रोह का विरोध कर रहे हैं, इस लिए इस बात की आशंका है कि कहीं सेना उन्हें रास्ते से न हटा दे। ज्ञात रहे कि मिस्री सेना ने मुरसी को राष्ट्रपति के पद से हटाने के बाद उन्हें और इख़वानुल मुसलेमीन के कई बड़े नेताओं को हिरासत में लेकर किसी अज्ञात स्थान पर पहुंचा दिया है। मुरसी की स्थिति के बारे में विश्व समुदाय ने भी चिंता प्रकट की है। दसूरी ओर मिस्र की सेना ने इस बात का खंडन किया है कि मुरसी को जासूसी के आरोप में हिरासत में लिया गया है। लेबनान के अलमयादीन टीवी चैनल के अनुसार मिस्री सेना के उच्चाधिकारियों ने सोमवार को इस समाचार का खंडन किया कि मुरसी को इस आरोप में हिरासत में रखा गया है कि वे दूसरे देशों के लिए जासूसी कर रहे थे। मिस्री सेना का कहना है कि इस प्रकार की अफ़वाहें जनता की भावनाओं को भड़काने के लिए फैलाई जा रही हैं। इस बीच कुछ समाचारिक सूत्रों ने रहस्योद्घाटन किया है कि मुरसी को अपदस्थ करने में अमरीका ने उनके विरोधियों की आर्थिक सहायता की थी। एक अरब वेब साइट ने सूचना दी है कि अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के इस दावे के विपरीत कि, मिस्र की घटनाओं, मुरसी को अपदस्थ किए जाने और मिस्र में नई अंतरिम सरकार बनने के मामले में अमरीका निष्पक्ष रहा है, इस प्रकार के प्रमाण सामने आ गए हैं जिनसे स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अमरीकी सरकार ने मुरसी के विरोधियों की भरपूर सहायता की थी ताकि उनकी सरकार को गिराया जा सके। वेब साइट के अनुसार अमरीकी विदेशमंत्रालय ने मुरसी को उनके पद से हटाने के लिए उन मिस्री नेताओं व गुटों की आर्थिक सहायता की थी जिन्होंने पूर्व तानाशाह हुसनी मुबारक के विरुद्ध आंदोलन चलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मिस्र में जारी इस तनावपूर्ण एवं संकटमयी स्थिति के बीच इख़वानुल मुसलेमीन ने देश को संकट से निकालने के लिए एक तीन सूत्रीय फ़ार्मूला पेश किया है। इस फ़ार्मूले में कहा गया है कि संविधान की परिधि में रहते हुए जनता की इच्छाओं का सम्मान किया जाए और विद्रोह करने वाले सैनिकों की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जाए। इख़वानुल मुसलेमीन ने कहा है कि मुहम्मद मुरसी को राष्ट्रपति के पद पर बहाल किया जाए और इसी प्रकार देश के संविधान एंव संसद को भी बहाल किया जाए। प्रत्येक दशा में इस समय मिस्र की स्थिति अत्यंत संवेदनशील हो चुकी है और जनता एवं राजनितिज्ञों का दायित्व है कि वे बाहरी देशों को अपने मामलों में हस्तक्षेप करके स्थिति को अधिक जटिल बनाने की अनुमति न दें।