नुकसान के बोझ तले दबीं इजराइली बीमा कंपनियां!

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नुकसान के बोझ तले दबीं इजराइली बीमा कंपनियां!

ज़ायोनी शासन के सेन्टर इन्शोरेंस ने एलान किया है कि ग़ज़ा में युद्ध से इस कंपनी को 600 मिलियन डॉलर से अधिक का नुक़सान हुआ है।

ज़ायोनी शासन के केंद्रीय बीमा ने एक रिपोर्ट में एलान किया है कि ग़ज़ा के ख़िलाफ युद्ध से इस बीमा कंपनी द्वारा लगाई गई कुल लागत, मुआवजा और पेंशन 2.4 बिलियन शेकेल बराबर (640 मिलियन अमेरिकी डॉलर) थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 70 हज़ार  ज़ायोनियों ने इज़राइल की केंद्रीय बीमा एजेंसी को आवेदन दिया है और दावा किया है कि वे युद्ध में घायल हुए हैं।

इस दौरान, ज़ायोनी शासन के केंद्रीय बीमा की घोषणा के अनुसार, अब तक 12 हज़ार 500 से अधिक ज़ायोनियों ने बीमा विभाग में आवेदन किया है और युद्ध में अपनी स्थायी विकलांगता को क़बूल करने का अनुरोध किया है, जिनमें से 11 हज़ार 760 लोग मानसिक बीमारियों की वजह से, 527 लोग विकलांगता के कारण जबकि शारीरिक चोटों के कारण 441 लोगों को मानसिक और शारीरिक चोटें आईं।

ज़ायोनी शासन के केंद्रीय बीमा का अनुमान है कि आने वाले महीनों में, हज़ारों लोगों को विकलांग लोगों की सूची में जोड़ा जाएगा जिन्हें मनोवैज्ञानिक और भौतिक सहायता की ज़रूरत होगी।

7 अक्टूबर से, पश्चिमी देशों के पूर्ण समर्थन से, ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीन के मज़लूम और अत्याचारग्रस्त लोगों के खिलाफ ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में बड़े पैमाने पर नरसंहार शुरू कर दिया है।

दूसरी ओर, ग़ज़ा में फिलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक, यमन और सीरिया में अन्य प्रतिरोधकर्ता गुटों ने एलान किया है कि अतिग्रहणकारी शासन अपने अपराधों की क़ीमत चुकाएगा।

प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 41 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 95 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।

 इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।

 

 

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