मेहर न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने आज फ़ार्स प्रांत के शहीदों की कांग्रेस के आयोजकों के साथ एक बैठक में क्षेत्र की घटनाओं और प्रतिरोध के संघर्ष पर चर्चा की। उन्होंने प्रतिरोध को क्षेत्र की नियति और इतिहास में बदलाव का कारक बताया।
उन्होंने ज़ायोनी शासन द्वारा 50,000 से अधिक निर्दोष लोगों के नरसंहार के बावजूद प्रतिरोध को नष्ट करने में ज़ायोनी शासन की शर्मनाक विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि अवैध राष्ट्र इस्राईल से शर्मनाक हार पश्चिमी देशों के शासकों, उनकी संस्कृति और सभ्यता की हुई है। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि प्रतिरोधी मोर्चे और बुराई के खिलाफ जारी इस टकराव में जीत प्रतिरोधी मोर्चे की ही होगी।
उन्होंने कहा कि अगर इस इलाक़े में शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह और अंतिम सांस तक मोर्चा संभाल कर मैदान में लड़ने वाले शहीद सिनवार जैसे ज्याले न होते तो आज क्षेत्र की हालत कुछ अलग ही होती।