शहीद नसरुल्लाह ने दुश्मन का मुकाबला करने में जुर्रत को बढ़ावा दिया।

Rate this item
(0 votes)
शहीद नसरुल्लाह ने दुश्मन का मुकाबला करने में जुर्रत को बढ़ावा दिया।

बैरूत यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा, बेशक सैय्यद हसन नसरुल्लाह का निधन एक महान और अपूरणीय क्षति है लेकिन उन्होंने ज़ुल्म के खिलाफ एक मकतब और रवश की बुनियाद रखी।

एक रिपोर्टर के अनुसार, बैरूत यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तलाल अतरीसी ने दफ्तर-ए-तब्लिगात-ए-इस्लामी हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की सहायक सांस्कृतिक प्रचार इकाई द्वारा आयोजित (हिज़्बुल्लाह जिंदा है) कांफ्रेंस में भाषण देते हुए कहा,शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने उम्मत ए इस्लामी में एक नई हक़ीक़त को उजागर किया हैं।

उन्होंने लेबनान की आंतरिक स्थिति के सुधार राष्ट्रीय एकता और अमन की हिफाज़त और दुश्मन का मुकाबला करने में हिकमत और जुर्रत को बढ़ावा दिया हैं।

उन्होंने आगे कहा, ज़ुहद, विनम्रता, सादा जीवन शैली, मआरिफ़त अल्लाह पर पक्का यक़ीन, फिक्री और अक़ीदी हमआहंगी और राजनीतिक सोच की पारदर्शिता उनकी प्रमुख विशेषताओं में से हैं।

बेरूत यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा,शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह की शख्सियत की एक अहम ख़ासियत यह थी कि उन्होंने यहूदी दुश्मन के खिलाफ संघर्ष के महत्वपूर्ण चरण की क़ियादत की और क्षेत्र में साम्राज्यवादी योजनाओं को नाकाम कर दिया।

उन्होंने कहा, शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने यहूदी हुकूमत को बड़ा नुकसान पहुँचाया उन्होंने न सिर्फ लेबनानियों बल्कि पूरे उम्मत ए इस्लामी में फतह की सोच को ज़िंदा किया हैं।

उन्होंने इस्राइल को मकड़ी के जाले से भी कमजोर करार दिया और फतह की संस्कृति और एक नई खुद-आगाही पैदा की हैं।

तलाल अतरीसी ने आगे कहा, जब हम उनके बयानों को देखते हैं और उनके विचारों का जायज़ा लेते हैं तो हमें मालूम होता है कि उनकी संस्कृति वास्तव में फतह की संस्कृति थी वह वास्तव में यक़ीन रखते थे कि यह संस्कृति इस्लामी सभ्यता की योजना का हिस्सा है।

Read 68 times