फ्घनिस्तान की सत्ता में 2021 में तालिबान की वापसी के बाद भारत ने काबुल स्थित मिशन से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था, जबकि नई दिल्ली में मौजूद अफगान दूतावास के अफगान राजनयिकों ने भारत छोड़ते हुए, अलग-अलग पश्चिमी देशों में शरण ले ली थी। अफगानिस्तान में तालिबान के लौटने के बाद भारत और अफगान के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। भारत में रह रहे अफगानों के हितों की रक्षा करने और भारत से संबंध सुधारने की उम्मीद से तालिबान ने एक ऐसे दूत की नियुक्ति की है, जो पिछले 7 सालों से भारत में रह रहे थे। दूतावास में अधिकारियों की कमी के कारण भारत में रहे अफगान समुदाय को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था। अफगान नागरिकों के हितों को देखते हुए, भारत और तालिबान द्वारा एक ऐसे राजदूत की नियुक्ति की गई है, जिससे भारत अच्छी तरह वाकिफ है।
तालिबान शासन ने मुंबई स्थित अफगान मिशन में इकरामुद्दीन कामिल को अपना कार्यवाहक राजदूत बनाया है। अफगान मीडिया के मुताबिक भारत में किसी अफ़गान मिशन में तालिबान शासन की ओर से की गई ये पहली नियुक्ति है। तालिबान के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकज़ई ने भी एक्स पर पोस्ट कर कामिल की कार्यवाहक मिशन के रूप में नियुक्ति का ऐलान किया।