सकारात्मक और प्रभावी संदेश की पहुँच बुद्धिमानी के साथ होनी चाहिए।

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सकारात्मक और प्रभावी संदेश की पहुँच बुद्धिमानी के साथ होनी चाहिए।

हौज़ा इल्मिया के प्रमुख ने कहा, विभिन्न पहलुओं में जिहादी और सेवामूलक गतिविधियों की जड़ें आध्यात्मिकता और हौज़ा के इतिहास और पहचान में गहराई से जुड़ी हुई हैं।

हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने मदरसा इल्मिया मअसूमिया में "सामान ए जिहादग़राने हौज़वी" यानी "हौज़ा इल्मिया के वॉलंटियर्स छात्रों की सेवामूलक प्रणाली" के नाम से आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में पूरे देश के जिहादी छात्रों को आध्यात्मिकता और हौज़ा इल्मिया का गौरव करार दिया और कहा जिहादी गतिविधियों का क्षेत्र एक नया और रचनात्मक मैदान समझा जाता है।

उन्होंने कहा, इतिहास में हमारे नेक पूर्वजों, बुजुर्गों और विद्वानों की एक बड़ी संख्या विशेष रूप से वे जो सामाजिक गतिविधियों में संलग्न थे, हमेशा लोगों की सेवा से जुड़े रहे हैं और यह आध्यात्मिकता के लिए बेहद गर्व की बात है।सकारात्मक और प्रभावी संदेश का संप्रेषण समझदारी और उचित सलीके के साथ होना चाहिए।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा, हौज़ा इल्मिया ने विभिन्न स्तरों पर अपने वरिष्ठ विद्वानों की जिहादी और सेवामूलक कार्यों में प्रमुख भूमिका देखी है। हाल के वर्षों में विशेष रूप से कोरोना काल बाढ़ और भूकंप के दौरान आध्यात्मिकता की ओर से जिहादी और सेवामूलक कार्यों में अनुशासन का बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला जिसने मानो इस क्षेत्र में एक नया अध्याय खोला हैं।

उन्होंने आगे कहा, असली धन्यवाद उन जिहादी छात्रों का किया जाना चाहिए जो किसी भी स्तर पर कार्यक्षेत्र में मौजूद रहते हैं।

हौज़ा इल्मिया के संरक्षक ने कहा, हमारी कोशिश होनी चाहिए कि इन समूहों और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय लोगों से जिहादी और सेवा आधारित जन गतिविधियों का उत्साह कभी खत्म न हो।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने कहा ,सकारात्मक और प्रभावी संदेश का संप्रेषण आवश्यक है लेकिन यह समझदारी और उचित सलीके के साथ होना चाहिए।

उन्होंने कहा हमने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के दौरे के दौरान देखा कि विद्वान एक तरफ जुझारू भावना के साथ लोगों की सेवा के लिए मैदान में मौजूद थे और दूसरी ओर धार्मिक और नैतिक संदेशों को भी बड़ी समझदारी और उपयुक्त अंदाज़ में श्रोताओं तक पहुँचा रहे थे जो कि सराहनीय है।

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