इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने एकता पर बल दिया

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इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने एकता पर बल दिया

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईदे फित्र की नमाज़ से पहले दिये दिये अपने भाषण में एकता पर बल दिया है। वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने तेहरान में इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों, इस्लामी देशों के राजदूतों और जनता के विभिन्न वर्गों से भेंट में कहा कि इस्लामी राष्ट्रों के मध्य एकता इस्लामी जगत के शत्रुओं के षडयंत्रों के मुक़ाबले का महत्वपूर्ण कारक है। वरिष्ठ नेता ने इस्लामी देशों के हालिया परिवर्तनों और मुसलमानों के मध्य फूट डालने हेतु शत्रुओं के षडयंत्रों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईश्वर पर ईमान और एकता, फूट से बचने के दो महत्वपूर्ण कारक हैं। इसी प्रकार वरिष्ठ नेता ने बल देकर कहा कि यही दोनों चीज़ें, राष्ट्रों के प्रतिरोध की भी शक्ति हैं। वरिष्ठ नेता ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जितना हो सके ईश्वर पर ईमान और एकता पर भरोसा करें। उन्होंने कहा कि काश इस्लामी देशों के अधिकारी भी इन बिन्दुओं पर ध्यान देते। टयूनीशिया, मिस्र और यमन जैसे देशों में इस्लामी जगत के शत्रुओं के फूट डालने हेतु षडयंत्रों को भली -भांति देखा जा सकता है। जनवरी वर्ष २०११ में मिस्र की जनक्रांति सफल हुई और मिस्र के पूर्व तानाशाह हुस्नी मुबारक की कठपुतली सरकार का भी अंत हो गया जिससे अमेरिका और जायोनी शासन बौखला गये और वे मिस्र की जनक्रांति को उसके सही मार्ग से हटाने के लिए नाना प्रकार के षडयंत्र आरंभ कर दिये। उनका सबसे महत्वपूर्ण हथकंडा फूट डालना रहा है। यह वह षडयंत्र है जिसका प्रयोग वे हर उस देश व स्थान पर करते हैं जहां उनके हित ख़तरे में पड़ जाते हैं। इस समय, जबकि मिस्र में हिंसात्मक झड़पें जारी हैं, मिस्री जनता के मध्य फूट डालना आग में घी डालने के समान है। यही नहीं कुछ देशों एवं शासनों ने मिस्र के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करके मिस्र को गृहयुद्ध की कगार पर पहुंचा दिया है। इस प्रकार की स्थिति में ईश्वर पर ईमान और एकता वे कारक हैं जिनसे न केवल शत्रुओं के षडयंत्रों पर पानी फिर सकता है बल्कि इस्लामी जगत की बहुत सी समस्याओं का समाधान भी हो सकता है और ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के बयान को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।

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