इस्राईली लेखक एलन पापे ने स्पेन के एक समाचार पत्र "अलपाइस" के साथ वार्ता में कहा कि ज़ायोनी सरकार द्वारा ग़ज़्ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार व नस्ली सफ़ाया जारी है और मेरा मानना है कि फ़िलिस्तीन को ख़त्म करने के लिए इस्राईल के हाथ एक एतिहासिक अवसर लग गया है।
साथ ही एलन पापे ने बल देकर कहा कि तेलअवीव के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने का इस समय बेहतरीन मौक़ा है।
एलन पापे एक इस्राईली इतिहासकार और लेखक है। इस समय जो कुछ ग़ज़ा पट्टी में हो रहा है उसने शुक्रवार को इसे बयान करते हुए कहा कि ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल की नीति केवल नस्ली सफ़ाया है, न केवल इस वजह से कि इस्राईली हमलों की भेंट चढ़ने वाले अधिकांश बच्चे और महिलायें हैं बल्कि उसकी वजह यह है कि इस्राईली हमलों के पीछे एक विचारधारा व धारणा है जिसके अनुसार ग़ज़ा पट्टी के सारे लोगों और फ़िलिस्तीनियों का अंत कर दिया जाना चाहिये।
स्पेनिश समाचार पत्र "अलपाइस" के पत्रकार ने जब इस्राईली लेखक व इतिहासकार एलन पापे से पूछा कि आपने कुछ महीने पहले इस बात का प्रमाण पेश किया था कि ज़ायोनिज़्म की विचारधारा का अंत हो रहा है तो क्या आपका अब भी यही मानना है? इस सवाल के जवाब में उसने कहा कि जी बिल्कुल अभी भी मेरा वही मानना है। हां मैंने कई चीज़ों का उल्लेख किया है और वे एक साथ मिलकर ज़ायोनिज़्म विचारधारा का अंत कर सकती हैं और जब मैंने लेख लिखा था उस समय से लेकर अब तक उसमें वृद्धि हो गयी है।
7 अक्तूबर 2023 से इस्राईली सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से ग़ज़ा पट्टी में और जार्डन नदी के पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के निहत्थे और मज़लूम लोगों का बड़े व व्यापक पैमाने पर नरसंहार आरंभ कर रखा है।
अंतिम आंकड़ों के अनुसार ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी सरकार के हमलों में अब तक 43 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और एक लाख सात हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल हो चुके हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।