सऊदी अरब की Armed Forces के Chief of Staff General फ़य्याज़ बिन हामिद अर्रूवैली ने अपने ईरानी समकक्ष से तेहरान में भेंटवार्ता की।
ईरान और सऊदी अरब के संबंध मार्च 2023 से नये चरण में दाख़िल हो गये हैं और दोनों देशों ने सात वर्ष के तनाव के बाद द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार की दिशा में क़दम उठाया है।
तेहरान और रियाज़ के संबंधों में विस्तार का एक चिन्ह दोनों देशों के अधिकारियों की एक दूसरे के देशों की डिप्लोमेटिक यात्रा है जो होती रहती है और ईरान और सऊदी अरब के अधिकारी क्षेत्रीय परिवर्तनों और द्विपक्षीय संबंधों के बारे में विचारों का आदान- प्रदान करते हैं।
दो महीने से कम की अवधि में दोनों देशों के अधिकारियों ने कई बार एक दूसरे के देशों की यात्रा की है।
ईरान के विदेशमंत्री सैयद अब्बास इराक़ची अभी पिछले महीने अक्तूबर के आरंभ में सऊदी अरब की यात्रा पर गये थे जहां उन्होंने इस देश के विदेशमंत्री के अलावा सऊदी क्राउंन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी भेंटवार्ता की थी।
अंतरराष्ट्रीय मामलों में ईरानी विदेशमंत्री के सहायक काज़िम ग़रीबाबादी भी अभी हाल ही में सऊदी अरब की यात्रा पर गये थे। इसी प्रकार ईरान के उपराष्ट्रपति मोहम्मद रज़ा आरिफ़ और विदेशमंत्री सैय्यद अब्बास इराक़ची भी अभी हाल ही में सऊदी अरब की यात्रा पर गये थे।
इसी बीच इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान से टेलीफ़ोनी वार्ता की और इस वार्ता में उन्होंने सऊदी अरब के साथ द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार और क्षेत्रीय सहकारिता को अधिक व विस्तृत किये जाने पर बल दिया। सऊदी युवराज ने भी इस वार्ता में कहा कि ईरान और सऊदी अरब के संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं और हमें उम्मीद है कि दोनों देशों के संबंध समस्त क्षेत्रों में प्रगति करें और विस्तृत हों।
महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि इस समय सऊदी अरब की आर्मड फ़ोर्सेज़ के चीफ़ की तेहरान यात्रा कई गुना अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है। क्योंकि दोनों देशों के राजनीतिक और डिप्लोमेटिक अधिकारियों के अलावा सैन्य अधिकारियों की एक दूसरे के देशों के यात्रा कम होती है। यह विषय इस बात का सूचक है कि ईरान और सऊदी अरब के संबंध महत्वपूर्ण दिशा में अग्रसर हैं और वे दूसरे देशों में घटने वाली घटनाओं या पश्चिम एशिया में जारी असुरक्षा की घटनाओं से प्रभावित नहीं हैं।
यह भेंटवार्ता ऐसे समय में हुई है जब डोनाल्ड ट्रंप एक बार फ़िर अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिये गये हैं। उल्लेखनीय है कि जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तो उस समय ईरान और सऊदी अरब के संबंध तनावपूर्ण थे।
संचार माध्यमों में इस बात का व्योरा प्रकाशित नहीं किया गया कि दोनों देशों की आर्मड फ़ोर्सेज़ के चीफ़ों के मध्य क्या वार्ता हुई परंतु कुछ संचार माध्यमों ने रिपोर्ट दी है कि ईरान की आर्डम फ़ोर्सज़ के चीफ़ मेजर मोहम्मद बाक़िरी ने इस भेंटवार्ता में एलान किया है कि ईरान चाहता है कि अगले साल फ़ार्स की खाड़ी में जो नौसैनिक सैन्य अभ्यास होने वाला है सऊदी अरब उसमें भाग ले यह भागीदारी चाहे भाग लेने वाले देश व पक्ष के रूप में हो या पर्यवेक्षक देश के रूप में।
इस संबंध में अंतिम बिन्दु यह है कि ईरान और सऊदी अरब के अधिकारियों की एक दूसरे के देशों की यात्रा और इसी प्रकार दोनों देशों के अधिकारियों के बयान इस बात के सूचक हैं कि दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार को पहली प्राथमिकता दे रखा है।
स्पष्ट है कि ईरान और सऊदी अरब के संबंधों में विस्तार और उसमें प्रगाढ़ता फ़िलिस्तीन संकट सहित क्षेत्र के दूसरे संकटों के समाधान में बहुत महत्वपूर्ण हैं।