इस्लामी निज़ाम की स्थिरता का असली सरमाया शहीदों का ख़ून है।

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इस्लामी निज़ाम की स्थिरता का असली सरमाया शहीदों का ख़ून है।

खुरासान रिज़वी में नुमाइंदे वली ए फ़क़ीह ने कहा: इस्लामी इंक़लाब आइम्मा ए अतहार अ.स.के इंक़ेलाब का सिलसिला है शहीदों के परिवार इस निज़ाम और इस्लामी इंक़लाब की नेमतों का सबब हैं और हक़ीक़त में वही इस इंक़लाब के असली मालिक हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार,ईरान के ख़ुरासान रिज़वी प्रांत में वली-ए-फ़क़ीह के प्रतिनिधि आयतुल्लाह सैयद अहमद अलमुलहुदा ने मशहद में शहीदों की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, शहीदों के परिवार इस निज़ाम और इस्लामी इंक़लाब की नेमतों का कारण हैं और वास्तव में आप ही इस इंक़लाब के असली मालिक हैं।

उन्होंने कहा,शहीदों के परिवारों की भूमिका इंक़ेलाब की सफलता में तमाम राजनीतिक गुटों और समाज के विभिन्न वर्गों के मुक़ाबले में अधिक प्रभावशाली रही है।

इस्लामी इंक़ेलाब के दरख़्त को शहीदों के खून ने सींचा है जो इस दरख़्त की मज़बूती और स्थायित्व का कारण बना है।

 

ख़ुरासान रिज़वी में वली-ए-फ़क़ीह ने कहा, इंक़ेलाब और इस्लामी निज़ाम की स्थिरता और अस्तित्व का असली पूंजी शहीदों का खून है। इस्लामी गणराज्य की पवित्र हुकूमत का निज़ाम उसी ताक़तवर इंक़लाबी दरख़्त पर निर्भर है जो तब तक मज़बूत रहेगा जब तक शहीदों का खून इसकी बुनियाद में मौजूद है।

उन्होंने आगे कहा,जब किसी परिवार का सदस्य शहीद होता है तो उनके जाने से परिवार ग़मज़दा होता है लेकिन सबसे गहरा असर उसके बच्चों पर पड़ता है जो अपने पिता को खो देते हैं इसके बाद, शहीद की पत्नी अपने माता-पिता के मुक़ाबले में अधिक तकलीफ़ और ग़म झेलती है।

आयतुल्लाह अलमुलहुदा ने यह भी कहा,बेटे की शहादत का ग़म माता-पिता के लिए भी एक अटूट और दिल दहला देने वाला अनुभव होता है लेकिन इन लोगों के सब्र का जो इनाम अल्लाह के पास है, वह इन तमाम दुखों का मुआवज़ा और सबसे बेहतरीन सिला है।

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