इज़राइल शासन के अत्याचारों पर चुप रहना हराम

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इज़राइल शासन के अत्याचारों पर चुप रहना हराम

मजलिस ए ख़बरगाने रहबरी के सदस्य और नायब सदर मुदरिसीन ए हौज़े इल्मिया कुम, आयतुल्लाह अब्बास काबी ने इज़राइल शासन के अपराधों के खिलाफ तमाशाई बने रहने को हराम करार देते हुए मजाहमती मोर्चे की समर्थन को धार्मिक फर्ज़ बताया और कहा कि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार प्रतिरोध का समर्थन करे।

एक रिपोर्ट के अनुसार,मजलिस ए ख़बरगाने रहबरी के सदस्य और नायब सदर मुदरिसीन ए हौज़े इल्मिया कुम, आयतुल्लाह अब्बास काबी ने इज़राइल शासन के अपराधों के खिलाफ तमाशाई बने रहने को हराम करार देते हुए मजाहमती मोर्चे की समर्थन को धार्मिक फर्ज़ बताया और कहा कि हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार प्रतिरोध का समर्थन करे।

आयतुल्लाह काबी ने कहा कि इस्लाम की वास्तविक प्रगति और उन्नति के लिए मजाहमत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसकी नींव इस्लामी क्रांति और नबी-ए-करीम स.ल. की क्रांति में मौजूद है।

उन्होंने आगे कहा कि नबी-ए-अकरम (स.) ने शुरुआती दिनों में प्रतिरोध की बुनियाद पर एक मजबूत इस्लामी समाज का निर्माण किया यही प्रतिरोध की भावना इस्लामी क्रांति-ए-ईरान के माध्यम से फिर से उभरी और आज यह सिय्योनिस्ट शासन के खिलाफ प्रतिरोध के रूप में जारी है।

आयतुल्लाह काबी ने नबी ए करीम स.ल. के संघर्ष को तीन चरणों में विभाजित किया:

  1. पहला चरण: शुरुआती गुप्त दावत और इस्लाम की तब्लीग़।
  2. दूसरा चरण: मदीना में इस्लामी सरकार की स्थापना और उसका बचाव।
  3. तीसरा चरण: इस्लाम की वैश्विक विजय और धर्म का प्रचार।

 उन्होंने कहा कि अगर प्रतिरोध न होता तो इस्लाम अपने दुश्मनों के सामने सफल नहीं होता आज इस्लामी क्रांति के बाद, प्रतिरोध का सबसे बड़ा मोर्चा ग़ज़ा और लेबनान हैं जहां इस्लामी मूल्यों के संरक्षण के लिए प्रतिरोध सक्रिय है।

आयतुल्लाह काबी ने कहा कि अत्याचारियों के खिलाफ संघर्ष के लिए शक्ति प्राप्त करना एक धार्मिक कर्तव्य है। यह शक्ति केवल सैन्य क्षेत्र में नहीं बल्कि आर्थिक, राजनीतिक और बौद्धिक क्षेत्रों में भी हासिल की जानी चाहिए, ताकि उम्मत-ए-मुस्लिम को एक मजबूत रक्षा प्रदान किया जा सके।

उन्होंने दाइश (ISIS) को इज़राइल की सुरक्षा के लिए एक योजना करार देते हुए कहा कि "तूफ़ान अल-अक़्सा" ने सभी अत्याचारी योजनाओं को विफल कर दिया है। इज़राईल शासन आज सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहा है और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।

आयतुल्लाह काबी ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में सिय्योनिस्ट अत्याचारों के खिलाफ चुप रहना शरई तौर पर हराम है। हर मुसलमान को अपनी क्षमता के अनुसार प्रतिरोध के मोर्चे की मदद करनी चाहिए, चाहे वह आर्थिक सहायता हो, वैचारिक मार्गदर्शन हो, या दुश्मन के प्रचार का खंडन हो।

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