एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने थाईलैंड के अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुकद्दमा चलाए जाने की मांग की है जिन पर म्यांमार में जातीय सफ़ाए के डर से भागने वाले मुसलमानों को मानव तस्करों के हाथों बेचने का संदेह है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता माइरा दहगेपा ने शुक्रवार को प्रेस टीवी से विशेष साक्षात्कार में कहा, “यह बहुत गंभीर विषय है। इंसानों को अपने फ़ायदे के लिए दूसरे देश को बेचना, इसलिए इस विषय पर इंसाफ़ होना च़ाहिए। उन लोगों के हक़ में जिन्हें बेचा गया है। ”
माइरा दहगेपा ने कहा कि थाइलैंड के अधिकारियों ने रोहिंग्या मुसलमानों को मलेशिया के हाथों बेच कर यह अपराध किए हैं।
रोयटर्ज़ न्यूज़ एजेंसी ने इस विषय पर तीन देशों में जांच करायी है और उसने गुरुवार को एक रिपोर्ट में कहा है कि रोहिंग्या मुसलमान शरणार्थियों को थाईलैंड के अप्रवासन केन्द्र से हटा कर, समुद्र किनारे इंतेज़ार करने वाले मानव तस्करों के हवाले कर दिया गया।
म्यांमार सरकार आठ लाख मुसलमानों को नागरिकता से वंचित किए हुए है जबकि उनके पूर्वज लगभग आठ शातब्दी पूर्व राख़ीन राज्य में बसे थे। रोहिंग्या मुसलमानों के पूर्वज, ईरानी, तुर्क, बंगाली और पठान थे। पंद्रहवीं शताब्दी के आरंभ में अराकान के बौद्ध राजा नरामेख़ला (Narameikhla) के दरबार में बहुत से मुलमान सलाहकार व दरबारी थे।