दिल्ली में मस्जिदे अक़्सा सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें भाषणकर्ताओं ने मुसलमानों के पहले क़िब्ले की रिहाई के लिए मुस्लिम समुदाय की एकता को ज़रूरी बताया।
केन्द्रीय जमइयते उलेमा द्वारा दिल्ली में इंडिया कल्चरल सेन्टर में आयोजित इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों ने मुसलमानों के पहले क़िब्ले बैतुल मुक़द्दस की आज़ादी के संघर्ष को मुस्लिम समुदाय का पहला दायित्व बताया और फ़िलिस्तीन पर ज़ायोनियों के अवैध अतिक्रमण की निंदा की और ज़ायोनियों के षड्यंत्रों को नाकाम बनाने के लिए संयुक्त प्रयास करने की अपील की।
इस सम्मेलन में दिल्ली में फ़िलिस्तीन के चार्ज डी अफ़ेयर्ज़ शैख़ सालेह भी उपस्थित थे। उन्होंने फ़िलिस्तीनी कॉज़ के लिए भारतीय नागरिकों ख़ास तौर पर मुसलमानों का आभार प्रकट किया और कहा कि इज़्राईल मस्जिदे अक़्सा को ध्वस्त कर पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण करना चाहता है।
इस सम्मेलन में नौ सूत्रीय एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें ग़ज़्ज़ा की घेराबंदी समाप्त करने का प्रयास करने, इज़्राईल से व्यापारिक एवं कूटनैतिक संबंध समाप्त करने, मस्जिदे अक़्सा और फ़िलिस्तीन के प्रति अधिक जागरुकता पैदा करने और भारत सरकार से फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीनियों के प्रति गांधियाई नीति पर बरक़रार रहने की मांग की गयी है।