हिन्दुस्तान की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित एक इस्लामी काँफ़्रेस की घोषणा में इस्लामी दुनिया से माँग की गई है कि वह मस्जिदे अक़्सा को यहूदियों की तरफ़ से होने वाले ख़तरों से बचाने के लिये फ़ौरन और उपयुक्त क़दम उठाएं। इस घोषणा पत्र में कहा गया है कि इस्लामी दुनिया नें दुनिया के तीसरे सबसे पवित्र स्थान को भुला दिया है जिसके नतीजे में ययहूदियों नें मुसलमानों के पहले क़िब्ले के ख़िलाफ़ अपनी घिनौनी साज़िशें तेज़ कर दी हैं। मुसलमानों नें जागरुकता और ज़िम्मेदारी न दिखाई तो चरमपंथी यहूदी मुसलमानों के पहले क़िब्ले को बहुत नुक़सान पहुँचा सकते हैं जिसकी भरपाई होना सम्भव नहीं होगा।
न्यूज़ नूर नें ख़बर दी है कि नई दिल्ली में इस्लामी उम्मा आर्गेनाईज़ेशन के बैनर तले एक विशाल काँफ़्रेस का आयोजन किया गया। काँफ़्रेस में मस्जिदे अक़्सा को होने वाले सम्भावित ख़तरों पर विचार विमर्श किया गया। काँफ़्रेस में उत्तरी हिन्दोस्तान से कम से कम 300 विश्वसनीय मुसलमानों और लीडरों समेत बहुत से उल्मा नें भाग लिया।
काँफ़्रेस के घोषणा पत्र में कहा गया है कि दुनिया में कहीं भी अगर किसी मस्जिद को चरमपंथी तत्वों के हाथों नुक़सान पहुँचाता है तो पूरी इस्लामी दुनिया को उसके बचाव के लिये आगे बढ़ना चाहिये। मस्जिदे अक़्सा का तो मामला ही अलग है। यह मुसलमानों का पहला क़िब्ला है और मुसलमानों के लिये दुनिया में तीसरा सबसे पवित्र स्थान है।