अमरीका ने ईरान की ईमेज ख़राब करने की अपनी पॉलीसी के अंतर्गत ईरान के एटमी प्रोग्राम के बारे में निराधार दावों के साथ ही, मानवाधिकार के हनन, आतंकवाद के समर्थन और मीज़ाइलों के संबंध में ईरान की ताक़त को ख़तरा बताने संबंधी अपने कुप्रचारों में बढ़ोत्तरी कर दी है। अमरीकी विदेश मंत्रालय की नई रिपोर्ट में ईरान का नाम आतंकवाद के समर्थक देशों की लिस्ट में शामिल किया जाना, ईरान के विरुद्ध अमरीका की दुश्मनी का एक उदाहरण है। अमरीका आतंकवाद के विरुद्ध वार्षिक रिपोर्ट में अपने घिसे-पिटे और निराधार दावों को दोहराते हुए आतंकवाद के संबंध में अपने दोमुखी रवैये की ओर से जनमत का ध्यान हटाने का प्रयास कर रहा है। ईरानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मर्ज़िया अफ़ख़म के शब्दों में आतंकवाद के विरुद्ध अमरीकी अधिकारियों द्वारा एक दशक से अधिक समय से नारे लगाए जाने के बाद अब विश्व समुदाय और आम जनमत इस संबंध में अमरीका की कथनी और करनी में पाए जाने वाले विरोधाभास को भली भांति समझ सकता है।
अमरीका ऐसी स्थिति में आतंकवाद से संघर्ष का दावेदार है कि जब वह खुल कर आतंकवादी गुटों का समर्थन करता है और इन गुटों को हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करता है। अमरीका न केवल यह है कि आतंकवाद का समर्थक है बल्कि वह ज़ायोनी शासन की आतंकवादी कार्यवाहियों को भी उचित बता कर उनका समर्थन करता है जैसा कि वह आतंकवाद से संघर्ष के नाम पर चालक रहित विमानों से आम लोगों की हत्या का औचित्य दर्शा रहा है। अमरीका की ओर से इस प्रकार का दोहरा व्यवहार इस वास्तविकता की पुष्टि करता है कि वाइट हाउस की दृष्टि में आतंकवाद का कुछ और ही अर्थ है और यह केवल अमरीका की हस्तक्षेप नीतियों को जारी रखने का एक बहाना है जिसे नाइन इलेवन की घटना के बाद अधिक व्यापक आयाम मिल गए हैं।
इस्लामी रिपब्लिक ईरान अमरीका के इस प्रकार के रवैये को न केवल यह कि आतंकवाद से संघर्ष नहीं मानता बल्कि इसकी कड़ी निंदा भी करता है क्योंकि इस प्रकार की दोहरी नीतियां स्वयं ही विश्व शांति व सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं। अमरीका की ओर से ईरान पर आतंकवाद के समर्थन का आरोप, वास्तविकताओं से लोगों का ध्यान हटाने का एक विफल प्रयास है।