ऑस्ट्रेलिया में इस्लामोफ़ोबिया पर आधारित घटनाओं के मद्देनजर जहां मुस्लिम औरतें डर की वजह से हिजाब हटाने पर मजबूर हो रही हैं वहीं कुछ मुस्लिम औरतें ऐसी भी हैं जिन्होंने हिजाब को अब गर्व के साथ अपना लिया है और वह जनता में इस्लाम के प्रति गलत फ़हमियों को दूर करना चाहती हैं।
ऐसी ही महिलाओं में से एक ऑस्ट्रेलिया के कोइंज़लैंड में रहने वाली मुस्लिम महिला डॉक्टर गुल रअना हैं। गुल रअना एक साल पहले तक हेजाब में नहीं रहती थीं। उन्होंने एक न्यूज़ पेपर से बातचीत करते हुए कहा कि में हमेशा हेजाब में रहना चाहती थीं लेकिन कुछ करने के लिए आपको भरोसा करने की ज़रूरत होती है। उन्होंने कहा ऑस्ट्रेलिया में मुस्लिम महिलाओं पर हमलों में बढ़ोत्तरी के बाद उनमें बदलाव आया है और आखिरकार हेजाब से रहने का फैसला कर लिया।
डा. गुल रअना ने कहा कि मैंने हिजाब को इस्लाम की ओर से एक सम्मान और गर्व के रूप में अपनाया लेकिन मुझे चिंता थी कि इससे कहीं इस अस्पताल में जहां मैं काम करती हूं किसी तरह की नकारात्मक लहर तो पैदा नहीं होगी। मुझे सबसे अधिक चिंता यह थी कि क्या मरीज़ इस्लामो फ़ोबिया के इस दौर में एक हिजाब वाली औरत पर भरोसा करेंगे। डॉ गुल रअना ने कहा कि मैं हमेशा से मुसलमान दिखना चाहती थी और मुझे इस्लाम से बेहद प्यार है।
मैं इस बात पर चिंतित थीं कि 100 प्रतिशत शांतिपूर्ण धर्म के संबंध से इसलिए भयभीत हो जाते हैं कि वह इस धर्म के अनुयायियों के अपराधों की खबरें पढ़ते और सुनते रहते हैं। मेरी इच्छा है कि वह अपने रवैये से इन गलतफ़हमी को दूर कर सकूं। उन्होंने कहाः जब मीडिया में यही सब (मुसलमानों से जुड़ी अपराधों की घटनाएं) भरी पड़ी होंगे तो आप निश्चित रूप से उनसे डरेंगे। बहेरहाल बतौर मुसलमान हमारे लिए यह कष्टप्रद है क्योंकि कोई भी धर्म अनुयायियों को गलत काम की प्रेरणा नहीं देता।