इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने, पैग़म्बरे इस्लाम की बेटी हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के शुभ जन्म दिवस की बधाई देते हुए पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों से श्रद्धा रखने वाले शायरों, वक्ताओं और लोगों के एक समूह से मुलाक़ात में, ईरान और गुट पांच धन एक के बीच जारी परमाणु वार्ता के विषय की ओर इशारा करते हुए एक बार फिर इस बात पर बल दिया कि परमाणु विषय के संबंध में ईरान का दृष्टिकोण नैतिक व धार्मिक सिद्धांतों पर आधारित है जिसमें परमाणु हथियार का कोई स्थान नहीं है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने अपने बयान के दूसरे भाग में क्षेत्र के हालात का ज़िक्र करते हुए बल दिया कि सऊदी अरब ने यमन पर अतिक्रमण करके बहुत बड़ी ग़लती की है और क्षेत्र में एक बुरी प्रथा का आधार रखा है। वरिष्ठ नेता ने यमन के ख़िलाफ़ सऊदी अरब के अतिक्रमण को जातीय सफ़ाए और ऐसे अपराध की संज्ञा दी जिसके ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्यवाही होनी चाहिए। वरिष्ठ नेता ने कहा कि बच्चों की जान लेना, घरों को तबाह करना और एक राष्ट्र की संपत्ति व आधारभूत संरचना को ध्वस्त करना महाअपराध है। आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने बल दिया कि यमन के मामले में सऊदी अरब को यक़ीनन नुक़सान पहुंचेगा और वे किसी हालत में सफल नहीं होंगे।
यमन के संबंध में वरिष्ठ नेता के बयान की अहमियत को समझने के लिए इस बिन्दु पर ध्यान देना ज़रूरी है कि जब सऊदी अरब से कई गुना ताक़तवर इस्राइली सेना को हमास ने नाको चने चबवा दिए और इस्राईल मिस्र की मध्यस्थता से हमास के साथ संघर्ष विराम के लिए मजबूर हो गया, यमन तो एक शक्तिशाली राष्ट्र है जिसकी आबादी लगभग ढाई करोड़ है। उसके सामने सऊदी अरब कितनी देर तक टिक पाएगा।
पिछले कुछ दिनों में अमरीकी राष्ट्रपति सहित इस देश के कुछ बड़े अधिकारियों के बयान यह दर्शाते हैं कि वे ईरान के ख़िलाफ़ पाबंदियों को तुरंत नहीं हटाना चाहते बल्कि उसे ख़त्म करने के लिए एक समय सीमा चाहते हैं।
गुट पांच धन एक और ख़ास तौर पर अमरीका के इसी व्यवहार के कारण वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि अगर पाबंदियों को ख़त्म करना एक नई प्रक्रिया पर निर्भर कर दिया गया तो फिर परमाणु वार्ता निरर्थक हो जाएगी क्योंकि वार्ता का उद्देश्य पाबंदियों को ख़त्म करना है। आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने ईरान के प्रतिष्ठानों के निरीक्षण के संबंध में बल दिया कि बिल्कुल भी इस बात की इजाज़त न दी जाए कि निरीक्षण के बहाने वे देश की सुरक्षा और रक्षा स्थिति का पता लगाएं और सैन्य अधिकारियों को भी किसी भी स्थिति में इस बात की इजाज़त नहीं है कि वे विदेशियों को, निरीक्षण के बहाने देश की रक्षा और सुरक्षा घेरे में दाख़िल होने दें या देश के रक्षा विकास को रोकें।
हक़ीक़त में जैसा कि वरिष्ठ नेता ने कहा कि परमाणु वार्ता में जो बात अहम है वह सामने वाले पक्ष और ख़ास तौर पर अमरीका पर विश्वास न होने का विषय है क्योंकि अमरीका की मांग ईरान की परमाणु उपलब्धियों पर विशिष्टता लेने पर आधारित है। वरिष्ठ नेता के शब्दों में बुरे समझौते से समझौता न करना बेहतर है क्योंकि ऐसे समझौते को न मानना ही बेहतर है कि जिसका लक्ष्य ईरानी राष्ट्र के हितों को नुक़सान पहुंचाना और ईरानी राष्ट्र के सम्मान को ख़त्म करना है।