इस्लामी देशों को पश्चिम और अमरीका पर भरोसा करके कुछ मिलने वाला नहीं, वरिष्ठ नेता

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इस्लामी देशों को पश्चिम और अमरीका पर भरोसा करके कुछ मिलने वाला नहीं, वरिष्ठ नेता

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ ने कहा है कि यमन संकट का समाधान, हमले और विदेशी हस्तक्षेप बंद होना है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनई ने मंगलवार को तेहरान में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान से होने वाली भेंट में यमन संकट को इस्लामी जगत की नयी समस्या का एक उदाहरण बताया और कहा कि यमन सहित सभी देशों के संदर्भ में इस्लामी गणतंत्र ईरान का रुख़ विदेशी हस्तक्षेप का विरोध है।

वरिष्ठ नेता ने इस्लामी चेतना और इस्लामी जगत के शुत्रओं की ओर से उसके मुकाबले के लिए की जाने वाली साज़िशों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस इस्लामी चेतना के विरुद्ध शत्रुओं ने बहुत पहले से अपने हमले आरंभ कर रखे हैं और अफसोस की बात है कि कुछ इस्लामी देश भी ग़द्दारी कर रहे हैं और अपना धन और संसाधन, शत्रुओं की सेवा में लगा रहे हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम सदैव इस बात पर बल देते हैं कि इस्लामी देशों को पश्चिम और अमरीका पर भरोसा करके मिलने वाला नहीं है।

वरिष्ठ नेता ने कुछ क्षेत्रीय देशों की घटनाओं और इराक व सीरिया में आतंकवादी गुटों की बर्बरता का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि कोई इन घटनाओं में शत्रु का हाथ न देख पाए तो वह स्वंय को धोखा दे रहा है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली खामेनई ने कहा कि ज़ायोनी और बहुत सी पश्चिमी सरकारें और सब से अधिक अमरीका, इन घटनाओं से खुश हैं और वह किसी भी दशा में यह नहीं चाहती कि आईएसआईएल का मामला ख़त्म हो इस लिए इस्लामी देशों को इस समस्या के समाधान के लिए फैसला करना होगा किंतु खेद है कि उचित और सार्थक सामूहिक निर्णय नहीं किया जा सका है।

वरिष्ठ नेता ने इराक के लिए ईरान की सहायताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि ईरान सैन्य रूप से इराक में उपस्थित नहीं है किंतु ईरान और इराक के मध्य एतिहासिक, प्राचीन और अत्याधिक घनिष्ट संबंध हैं।

वरिष्ठ नेता ने तुर्की के राष्ट्रपति से भेंट में ईरान और तुर्की के संयुक्त हितों पर बल देते हुए कहा कि इस्लामी जगत के किसी भी देश की शक्ति वास्तव में इस्लामी राष्ट्र की शक्ति है और इस्लामी गणतंत्र ईरान की नीति यह है कि इस्लामी देश एक दूसरे को मज़बूत करें और एक दूसरे को कमज़ोर करने से बचें और ईरान व तुर्की के संबंधों में विस्तार इस उद्देश्य में सहायक सिद्ध होगा।

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने भी इस भेंट में तेहरान में अपनी भेंटवार्ताओं का उल्लेख किया और ऊर्जा के क्षेत्र में तेहरान व अन्करा के संबंधों की ओर संकेत करते हुए दोनों देशों के मध्य आर्थिक सहयोग में विस्तार की आशा प्रकट की।

रजब तैयब अर्दोगान ने इस्लामी जगत की समस्याओं को पश्चिम के हस्तक्षेप के बिना हल किये जाने पर बल देते हुए कहा कि वह आईएसआईएल के अपराधों की आलोचना करते हैं और वह इस गुट को मुसलमान नहीं समझते।

इस भेंट के अवसर पर राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी, विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ , विदेशी मामलों में वरिष्ठ नेता के सलाहकार डाक्टर अली अकबर विलायती और तुर्की के विदेशमंत्री मौलूद दाऊद ओगलू भी उपस्थित थे।

तुर्की के राष्ट्रपति मंगलवार प्रातः ईरान की यात्रा पर तेहरान पहुंचे।

 

 

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