तेहरान के जुमे के इमाम ने ईरान की इस्लामी व्यवस्था के आध्यात्मिक आधार को, अन्य व्यवस्थाओं से इसके उत्तम होने का कारण बताया है।
तेहरान की जुमे के अस्थायी इमाम आयतुल्लाह मोहम्मद इमामी काशानी ने नमाज़ के ख़ुतबे में इस्लामी व्यवस्था की अहमियत और दुनिया की अन्य व्यवस्थाओं से इसकी भिन्नता की ओर इशारा किया और बल दिया कि इस्लामी गणतंत्र के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की व्यवहारिक शैली बहुत मूल्यवान है जिस पर समाज और युवा नस्ल को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने विदेशियों से व्यवहार, इस्लामी जगत के संबंध में दृष्टिकोण, मुसलमानों के बीच एकता, अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन तथा दुश्मन की पहचान जैसे विषयों पर इमाम ख़ुमैनी के विचारों को उनकी व्यवहारिक शैली का नमूना बताया और कहा कि इमाम ख़ुमैनी की व्यवहारिक शैली में कभी भी फेरबदल नहीं किया जा सकता।
आयतुल्लाह इमामी काशानी ने, इमाम ख़ुमैनी के स्वर्गवास के बाद वरिष्ठ नेता के वजूद को इस्लामी गणतंत्र के लिए अनुकंपा बताया और कहा कि वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व इस्लामी व्यवस्था और इस्लामी समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वरिष्ठ नेता भी इमाम ख़ुमैनी के मार्ग पर चल रहे हैं। उन्होंने इस्लामी व्यवस्था में वरिष्ठ धार्मिक नेतृत्व को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि जो लोग इस विषय पर उंगली उठाते हैं वे इस्लामी व्यवस्था के दुश्मन हैं।
जुमे के इमाम ने परमाणु विषय के हल और इस संदर्भ में ईरानी राष्ट्र के अधिकारों की रक्षा की कामना की और बल दिया कि परमाणु वार्ताकार टीम होशियार रहे ताकि ईरानी राष्ट्र को उसका अधिकार मिल सके।