इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लाम आर्ट का विरोधी नहीं बल्कि समर्थक है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने 11 जनवरी को आर्ट की फ़िक़ह के शीर्षक के तहत आयोजित सम्मेलन के आयोजनकर्ताओं से मुलाक़ात में कहा कि आर्ट के मामलों में इस्लामी फ़िक़ह की राय निर्धारित करने के लिए धर्मगुरू का आर्ट और उसकी सीमाओं से अवगत होना ज़रूरी है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने आर्ट के महत्व और इस विषय पर धार्मिक शिक्षा केन्द्र की ओर से ध्यान दिए जाने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि आर्ट एक मानवीय व पवित्र विषय है जो इंसानी ज़िंदगी का भाग है और धार्मिक शिक्षा केन्द्रों में हमेशा ही साहित्य और शायरी जैसे आर्ट के क्षेत्रों में बड़े नामवर लोग रहे हैं।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि कला आज के इंसानी समाजों में घुली हुई है और इसके सीधा प्रभाव इंसान की सोच, आत्मा और जीवनशैली पर पड़ता है और अर्ट से संबंधित पुराने फ़तवों की सघन समीक्षा करके नए विचार खोजे जा सकते हैं।