इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने 26 फ़रवरी के आम चुनाव में जनता की व्यापक भागीदारी को राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और सुरक्षा के लिए बहुत अहम तथा राष्ट्रीय विकास की गैरंटी बताया है।
चुनाव विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बुधवार को वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की। ईरान में दसवां आम चुनाव और वरिष्ठ नेता का चयन करने वाली पांचवीं विशेषज्ञ परिषद का चुनाव 26 फ़रवरी को होगा। उन्होंने चुनाव में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को सुनिश्चित बनाने वाले तत्वों की व्याख्या की और ईरानी राष्ट्र व गणतंत्र को चुनावी मंच पर राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के आयोजन का विजेता बताया।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने कहा कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए सबसे अहम बिन्दु यह है कि मताधिकार प्राप्त सभी लोग हिस्सा लें यहां तक कि उन लोगों को भी हिस्सा लेना चाहिए जिन्हें व्यवस्था से समस्या है।
उन्होंने सही व्यक्ति के चयन और सूझबूझ के साथ चुनाव में भागीदारी को स्वस्थ चुनाव का एक अन्य तत्व बताया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को चुनना चाहिए जो कुर्सी पर बैठने के बाद जनता की सेवा करे। उन्होंने बल दिया कि सभी चुनावी तंत्रों द्वारा क़ानून का सम्मान करना, क़ानून का पालन, क़ानूनी तंत्रों का अपमान न करना, जनमत को भ्रमित न करना, चुनावी उम्मीदवारों का एक दूसरे का अपमान न करना यहां तक कि एक दूसरे की बुराई से बचना, खोखले वादे न करना और लोगों के साथ सही व्यवहार, एक स्वस्थ चुनावी प्रतिस्पर्धा के मानदंड व संस्कार हैं।
वरिष्ठ नेता ने परमाणु मामले के संबंध में परमाणु वार्ताकार टीम के सदस्यों, विदेश मंत्री और राष्ट्रपति के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की सभी मांगें पूरी नहीं हुयीं लेकिन यह बात इन्साफ़ की है कि अधिकारियों ने इस मामले में बहुत प्रयास किया।
उन्होंने जेसीपीओए के लागू होने के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दुओं का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीका वही पुराना अमरीका है इसलिए होशियार रहने की ज़रूरत है कि कहीं अमरीका जेसीपीओए के लागू होने के संबंध में धोखा न दे।
वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि परमाणु उपलब्धि, ईरानी वैज्ञानिकों की कोशिश और राष्ट्र की ओर से समर्थन का परिणाम है इसलिए कुछ लोगों का यह कहना सरासर नाइन्साफ़ी है कि यह परिणाम अमरीका की ओर से कृपा है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र की मौजूदा घटनाओं ने, अमरीकियों के कुछ साल पहले नए मध्यपूर्व को वजूद देने की ज़रूरत से संबंधी बयान की वास्तविकता को स्पष्ट कर दिया है। उनकी नज़र में नया मध्यपूर्व ऐसा हो जहां लड़ाई, आतंकवाद, भेदभाव, पिछड़ापन और धार्मिक व सांप्रदायिक झड़पें हों।