
رضوی
हज़रत फ़ातिमा मासूमा अ.स. के जन्मदिन के मौके पर संक्षिप्त परिचय
आप की विलादत 1 ज़ीक़ादा सन् 173 हिजरी में मदीना शहर में हुई, आपकी परवरिश ऐसे घराने में हुई जिसका हर शख़्स अख़लाक़ और किरदार के एतबार से बेमिसाल था, आप का घराना इबादत और बंदगी, तक़वा और पाकीज़गी, सच्चाई की महान बुलंदी पर था
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप की विलादत पहली ज़ीक़ादा सन 173 हिजरी में मदीना शहर में हुई, आपकी परवरिश ऐसे घराने में हुई जिसका हर शख़्स अख़लाक़ और किरदार के एतबार से बेमिसाल था, आप का घराना इबादत और बंदगी, तक़वा और पाकीज़गी, सच्चाई और विनम्रता, लोगों की मदद करने और सख़्त हालात में अपने को मज़बूत बनाए रखने और भी बहुत सारी नैतिक अच्छाइयों में मशहूर था, सभी अल्लाह के चुने हुए ख़ास बंदे थे जिनका काम लोगों की हिदायत था, इमामत के नायाब मोती और इंसानियत के क़ाफ़िले को निजात दिलाने वाले आप ही के घराने से थे।
इल्मी माहौल
हज़रत मासूमा (स.अ) ने ऐसे परिवार में परवरिश पाई जो इल्म, तक़वा और नैतिक अच्छाइयों में अपनी मिसाल ख़ुद थे, आप के वालिद हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के बाद आप के भाई इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम ने सभी भाइयों और बहनों की परवरिश की ज़िम्मेदारी संभाली, आप ने तरबियत में अपने वालिद की बिल्कुल भी कमी महसूस नहीं होने दी, यही वजह है कि बहुत कम समय में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के बच्चों के किरदार के चर्चे हर जगह होने लगे।
इब्ने सब्बाग़ मलिकी का कहना है कि इमाम मूसा काज़िम (अ) की औलाद अपनी एक ख़ास फ़ज़ीलत के लिए मशहूर थी, इमाम मूसा काज़िम (अ) की औलाद में इमाम अली रज़ा (अ) के बाद सबसे ज़ियादा इल्म और अख़लाक़ में हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) ही का नाम आता है और यह हक़ीक़त को आप के नाम, अलक़ाब और इमामों द्वारा बताए गए सिफ़ात से ज़ाहिर है।
फ़ज़ाएल का नमूना
हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) सभी अख़लाक़ी फ़ज़ाएल का नसूना हैं, हदीसों में आपकी महानता और अज़मत को इमामों ने बयान फ़रमाया है, इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम इस बारे में फ़रमाते हैं कि जान लो कि अल्लाह का एक हरम है जो मक्का में है, पैग़म्बर (स) का भी एक हरम है जो मदीना में है, इमाम अली (अ) का भी एक हरम है जो कूफ़ा में है, जान लो इसी तरह मेरा और मेरे बाद आने वाले मेरी औलाद का हरम क़ुम है। ध्यान रहे कि जन्नत के 8 दरवाज़े हैं जिनमें से 3 क़ुम की ओर खुलते हैं, हमारी औलाद में से (इमाम मूसा काज़िम अ.स. की बेटी) फ़ातिमा नाम की एक ख़ातून वहां दफ़्न होगी जिसकी शफ़ाअत से सभी जन्नत में दाख़िल हो सकेंगे।
आपका इल्मी मर्तबा
हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) इस्लामी दुनिया की बहुत अज़ीम और महान हस्ती हैं और आप का इल्मी मर्तबा भी बहुत बुलंद है। रिवायत में है कि एक दिन कुछ शिया इमाम मूसा काज़िम (अ) से मुलाक़ात और कुछ सवालों के जवाब के लिए मदीना आए, इमाम काज़िम (अ) किसी सफ़र पर गए थे, उन लोगों ने अपने सवालों को हज़रत मासूमा (स.अ) के हवाले कर दिया उस समय आप बहुत कमसिन थीं (तकरीबन सात साल) अगले दिन वह लोग फिर इमाम के घर हाज़िर हुए लेकिन इमाम अभी तक सफ़र से वापस नहीं आए थे, उन्होंने आप से अपने सवालों को यह कहते हुए वापस मांगा कि अगली बार जब हम लोग आएंगे तब इमाम से पूछ लेंगे, लेकिन जब उन्होंने अपने सवालों की ओर देखा तो सभी सवालों के जवाब लिखे हुए पाए, वह सभी ख़ुशी ख़ुशी मदीने से वापस निकल ही रहे थे कि अचानक रास्ते में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात हो गई, उन्होंने इमाम से पूरा माजरा बताया और सवालों के जवाब दिखाए, इमाम ने 3 बार फ़रमाया: उस पर उसके बाप क़ुर्बान जाएं।
शहर ए क़ुम में दाख़िल होना
क़ुम शहर को चुनने की वजह हज़रत मासूमा (स.अ) अपने भाई इमाम अली रज़ा (अ) से ख़ुरासान (उस दौर के हाकिम मामून रशीद ने इमाम को ज़बरदस्ती मदीना से बुलाकर ख़ुरासान में रखा था) में मुलाक़ात के लिए जा रहीं थीं और अपने भाई की विलायत के हक़ से लोगों को आशना करा रही थी। रास्ते में सावाह शहर पहुंची, आप पर मामून के जासूसों ने डाकुओं के भेस में हमला किया और ज़हर आलूदा तीर से आप ज़ख़्मी होकर बीमार हों गईं, आप ने देखा आपकी सेहत ख़ुरासान नहीं पहुंचने देगी, इसलिए आप क़ुम आ गईं, एक मशहूर विद्वान ने आप के क़ुम आने की वजह लिखते हुए कहा कि, बेशक आप वह अज़ीम ख़ातून थीं जिनकी आने वाले समय पर निगाह थी, वह समझ रहीं थीं कि आने वाले समय पर क़ुम को एक विशेष जगह हासिल होगी, लोगों के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करेगी यही कुछ चीज़ें वजह बनीं कि आप क़ुम आईं।
आपकी ज़ियारत का सवाब:
आपकी ज़ियारत के सवाब के बारे में बहुत सारी हदीसें मौजूद हैं, जिस समय क़ुम के बहुत बड़े मोहद्दिस साद इब्ने साद इमाम अली रज़ा (अ) से मुलाक़ात के लिए गए, इमाम ने उनसे फ़रमाया: ऐ साद! हमारे घराने में से एक हस्ती की क़ब्र तुम्हारे यहां है, साद ने कहा, आप पर क़ुर्बान जाऊं! क्या आपकी मुराद इमाम मूसा काज़िम (अ) की बेटी हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स.अ) हैं? इमाम ने फ़रमाया: हां! और जो भी उनकी मारेफ़त रखते हुए उनकी ज़ियारत के लिए जाएगा जन्नत उसकी हो जाएगी।
शियों के छठे इमाम हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: जो भी उनकी ज़ियारत करेगा उस पर जन्नत वाजिब होगी।
ध्यान रहे यहां जन्नत के वाजिब होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इंसान इस दुनिया में कुछ भी करता रहे केवल ज़ियारत कर ले जन्नत मिल जाएगी, इसीलिए एक हदीस में शर्त पाई जाती है कि उनकी मारेफ़त रखते हुए ज़ियारत करे और याद रहे गुनाहगार इंसान को कभी अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम की हक़ीक़ी मारेफ़त हासिल नहीं हो सकती। जन्नत के वाजिब होने का मतलब यह है कि हज़रत मासूमा (स.अ) के पास भी शफ़ाअत का हक़ है।
रफह से हमास का खात्मा न मुमकिन
रफह में इस्राईल के क़त्ले आम के बीच व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि रफह में इस्राईल का बड़ा सैन्य अभियान भी तल अवीव और वाशिंगटन के साझा उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक नहीं होगा। हमास का पूरी तरह से खात्मा न मुमकिन है।
उन्होंने कहा कि रफह पर सैन्य हमले से कुछ हासिल नहीं होगा लेकिन फिर भी इस्राईल के साथ हमारी बातचीत जारी है और अमेरिका और इस्राईल के बीच फासले बढ़ेंगे न ही हम एक दुसरे से अलग होंगे। इस अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि रफह में सैन्य अभियान के बदले हम इस्राईल को हमास लीडरों को निशाना बनाने में मदद करने के लिए तैयार हैं।
अमेरिकी अधिकारी का यह बयान उस समय सामने आया है जब ज़ायोनी और अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि कि रफह में सैन्य ऑपरेशन के साथ या उसके बिना हमास को पूरी तरह से नष्ट करने की संभावना नहीं है।
मथुरा काशी के बाद अब फतेहपुर सीकरी दरगाह पर दावा
उत्तर प्रदेश में आगरा के एक वकील ने फतेहपुर सीकरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध दरगाह सलीम चिश्ती के परिसर के भीतर एक हिंदू मंदिर की मौजूदगी का दावा करते हुए एक अदालती मामला दायर किया है। वकील अजय प्रताप सिंह के मुताबिक आगरा की एक सिविल कोर्ट ने उनका दावा स्वीकार कर लिया है। उन्होंने फ़तेहपुर सीकरी में सलीम चिश्ती की दरगाह की पहचान देवी कामाख्या के मंदिर के रूप में की है, जिसके बगल में स्थित मस्जिद मंदिर परिसर का एक हिस्सा है।
वकील ने कहा कि विवादित संपत्ति, जो वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दायरे में है, मूल रूप से देवी कामाख्या का गर्भगृह था। उन्होंने इस धारणा को भी चुनौती दी कि फ़तेहपुर सीकरी की स्थापना अकबर ने की थी, उन्होंने दावा किया कि सीकरी, जिसे विजयपुर सीकरी भी कहा जाता है, का संदर्भ बाबरनामा में मिलता है, जो इसके पहले के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने दावा किया कि इसके अलावा, ऐतिहासिक संदर्भों से पता चलता है कि खानवा युद्ध के दौरान, सीकरी के राजा राव धामदेव ने माता कामाख्या की प्रतिष्ठित मूर्ति को गाज़ीपुर में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया, जिससे मंदिर की प्राचीन जड़ें मजबूत हुईं।
भारत को ईरान का तोहफा, पांच क्रू मेंबर्स को किया रिहा
ईरान ने भारत के साथ अपने रिश्तों और भारत सरकार के प्रयासों के बाद इस्राईल के ज़ब्त जहाज़ के क्रू मेंबर्स में शामिल पांच भारतीय लोगों को रिहा करने का फैसला किया है। क्रू मेंबर्स की रिहाई को भारत को एक बड़ी कूटनीतिक कामयाबी बताया जा रहा है। दरअसल ईरान ने बीते दिनों मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन से संबंधित जो जहाज जब्त किया था, उसके क्रू के सदस्यों में शामिल पांच भारतीय नाविकों को रिहा कर दिया है। पांचों भारतीय नाविक ईरान से आज शाम को रवाना भी हो जाएंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने रिहा किए गए भारतीय नाविकों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और साथ ही ईरान की सरकार को नाविकों की रिहाई के लिए धन्यवाद भी दिया।
ईरान ने बीती 13 अप्रैल को ज़ायोनी शासन से संबंधित एक कार्गो जहाज को जब्त किया था। उस जहाज के क्रू में 17 भारतीय नागरिक शामिल थे। ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य के नजदीक एमएसएसी एरीज को जब्त किया। यह जहाज होर्मुज जलडमरूमध्य से दुबई की तरफ जा रहा था। ईरान का आरोप था कि जहाज उनके इलाके से बिना इजाजत गुजर रहा था। जहाज पर सवार भारतीय दल में केरल की एक महिला नाविक एन टेसा जोसेफ भी थी, जिसे ईरान पहले ही रिहा कर चुका है।
पांच यूरोपीय देश फिलीस्तीन को मान्यता देने को तैयार
आयरलैंड के रेडियो और टेलीविजन चैनल ने बुधवार को खबर देते हुए कहा कि आयरलैंड, स्पेन, स्लोवेनिया और माल्टा फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए तैय्यर हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,फिलिस्तीन में अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों के समर्थन से ज़ायोनी सेना की ओर से किये जा रहे जनसंहार के बीच यूरोपीय यूनियन के कम से कम 5 देश फिलिस्तीन को मान्यता देने का विचार कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोपीय संघ के कुछ देश 21 मई को फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के मुद्दे पर विचार कर करेंगे।
आयरलैंड के रेडियो और टेलीविजन चैनल ने बुधवार को खबर देते हुए कहा कि आयरलैंड, स्पेन, स्लोवेनिया और माल्टा फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।
इस चैनल ने खबर देते हुए दावा किया कि आयरलैंड और स्पेन सहित यूरोपीय संघ के कुछ देश 21 मई को फिलिस्तीन को मान्यता देंगे।
जानकार लोग इस कार्रवाई को फिलिस्तीन के प्रति यूरोप के रुख में बदलाव मान रहे हैं। आयरलैंड, स्लोवेनिया, माल्टा और नॉर्वे फ़िलिस्तीन राज्य को मान्यता देने की स्पेन के नेतृत्व वाली पहल का समर्थन कर रहे हैं।
तिलावत के साथ क़ुरआन फहमी बहुत ज़रूरी
इस्लाम की सबसे सुंदर और शानदार आध्यात्मिकता में से एक मदीना मस्जिद में क़ुरआन की तिलावत करना है। मस्जिद और क़ुरआन, काबा और कुरान को एक साथ जमा करना, यह सबसे खूबसूरत कॉम्बिनेशन में से एक है। यह वह स्थान हैं जहां क़ुरआन नाज़िल हुआ, यह वह स्थान है जहां यह आयात पहली बार पैगंबर के पाकीज़ा दिल पर नाज़िल हुई थी और उन्होंने काबा की फ़िज़ा में और आस पास इन आयात की तिलावत की। उन्होंने कष्ट सहे, मार खाई, यातनाएं झेलीं, फिर भली बुरी बातें सुनी, इन आयात को पढ़ा और इनकी मदद से इतिहास को पूरी तरह से बदलने में कामयाब रहे।
तिलावते क़ुरआन इसकी इलाही तालीम को दिलों में बसाने का वसीला और एक माध्यम है। इस्लामी समाज के विकास और तरक़्क़ी का यह पहला ज़ीना है। कितना अच्छा हो जिस क़ुरआनी बज़्म में आप दस मिनट या एक चौथाई क़ुरआन की तिलावत करते हैं तो वहीँ कुछ देर, या पांच मिनट्स इन्ही आयात का मफ़हूम और पैग़ाम भी मौजूद लोगों को बताएं और कहें कि मैंने जो आयात पढ़ीं हैं उनका मतलब और पैग़ाम यह था। यह बहुत अच्छी चीज़ है जिस से हाज़िरीन, सामेईन और मजलिस का स्तर और स्टेटस बढ़ेगा।
याह्या सिनवार की हत्या करने में नाकाम रही ज़ायोनी सेना
हमास के सैन्य कमांडर याह्या सिनवार के मुक़ाबले ज़ायोनी सेना को मिलने वाली हार को स्वीकारते हुए ज़ायोनी सेना के पूर्व चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ अवीव कोखावी ने कहा कि ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा में हमास प्रमुख याह्या सिनवार और क़स्साम ब्रिगेड के प्रमुख मोहम्मद ज़ैफ़ को मारने का निरंतर प्रयास किया लेकिन कभी भी अपने मिशन में कामयाब नहीं हो सकी।
ज़ायोनी टीवी चैनल 12 की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने स्वीकार किया कि तल अवीव ईरान से मुकाबला करने के लिए सैन्य तैयारियों में जुटा था और हमारा मानना था कि ग़ज़्ज़ा और हमास ज़ायोनी शासन के लिए ख़तरा नहीं बन सकते।
कोखावी ने आगे कहा कि ज़ायोनी शासन ने 2021 में हमास में बदलाव होते देखा, इसलिए उसने सिनवार और ज़ैफ़ की हत्या करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि हम पिछले कई महीनों से सफाई अभियान में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक ऐसा नहीं कर पाए हैं क्योंकि मामला बहुत जटिल है।
कोखावी ने कहा कि युद्ध को रोके बिना ज़ायोनी कैदियों को जीवित वापस लाने का कोई रास्ता नहीं है, कोखावी ने कहा कि उत्तरी मोर्चे पर युद्ध तभी रुक सकता है जब ग़ज़्ज़ा में भी युद्धविराम हो।
इस्राईल ने दिखाया अमेरिका को ठेंगा अकेले लड़ने को तैयार
इस्राईल ने अमेरिका की मनाग को ठुकराते हुए साफ़ कर दिया है कि हमे रफह में अपने सैन्य अभियान को चलाने के लिए अमेरिका की ज़रूरत नहीं है और रफह के लिए हमे जितने हथियारों की ज़रूरत है वह हमारे पास हैं।
इस्राईली सुरक्षा बल (आईडीएफ) के प्रवक्ता डैनियल हगारी से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सवाल किया गया कि क्या सेना अमेरिकी हथियारों के बिना अभियान चला सकती है। इस पर हगारी ने कहा, सेना के पास उन अभियानों के लिए सभी हथियार हैं, जिनकी वह योजना बना रहा है। रफाह में अभियान के लिए भी हमारे पास वह सभी हथियार हैं, जो हमें चाहिए।
बाइडन की ओर से रफह पर ज़ायोनी सेना के हमले के बाद अमेरिका की ओर से इस्राईल को हथियार आपूर्ति बंद करने की बयानबाजी पर बात करते हुए आईडीएफ के प्रवक्ता ने कहा, अमेरिका के साथ करीबी संबंध बने हुए हैं। असहमतियों को बंद दरवाजों के पीछे हल किया जाना चाहिए।
वहीं, ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बाइडन पर पलटवार करते हुए कहा कि, अगर हमें अकेले खड़ा होना पड़े, तो हम अकेले खड़े होंगे। हमारे पास काफी ज्यादा हथियार हैं।
इमरान खान का झुकने से इंकार, सेना से नहीं मांगेंगे माफ़ी
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सेना के सामने झुकने से साफ़ इंकार करते हुए कहा कि वह जेल में रहना पसंद करेंगे लेकिन सेना ने माफ़ी नहीं मांगेंगे। पाकिस्तान की अडियाला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 9 मई को सैन्य प्रतिष्ठानों में हुई हिंसा के मामले में माफी मांगने से इंकार कर दिया। इसके बाद सेना ने कहा कि जब तक पूर्व पीएम सार्वजनिक माफी नहीं मांगते तब तक सेना उनकी पार्टी से बात नहीं करेगी।
इमरान खान ने कहा कि वह अपनी पाकिस्तान तहरीक-इंसाफ पार्टी द्वारा किए गए धरने की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 9 मई के हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए माफी मांगेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब दिया नहीं।
इमरान ने कहा, "मैंने (पूर्व) मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के सामने 9 मई की घटनाओं की निंदा की थी।" उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध प्रदर्शनों के बारे में तब पता चला जब वह पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश हुए थे।
इमरान खान का झुकने से इंकार, सेना से नहीं मांगेंगे माफ़ी
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सेना के सामने झुकने से साफ़ इंकार करते हुए कहा कि वह जेल में रहना पसंद करेंगे लेकिन सेना ने माफ़ी नहीं मांगेंगे। पाकिस्तान की अडियाला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 9 मई को सैन्य प्रतिष्ठानों में हुई हिंसा के मामले में माफी मांगने से इंकार कर दिया। इसके बाद सेना ने कहा कि जब तक पूर्व पीएम सार्वजनिक माफी नहीं मांगते तब तक सेना उनकी पार्टी से बात नहीं करेगी।
इमरान खान ने कहा कि वह अपनी पाकिस्तान तहरीक-इंसाफ पार्टी द्वारा किए गए धरने की जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 9 मई के हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए माफी मांगेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब दिया नहीं।
इमरान ने कहा, "मैंने (पूर्व) मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के सामने 9 मई की घटनाओं की निंदा की थी।" उन्होंने कहा कि उन्हें विरोध प्रदर्शनों के बारे में तब पता चला जब वह पाकिस्तान के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश हुए थे।