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300 मुसलमान विद्वानों ने इसराइल के साथ संबंधों के सामान्यीकरण को निषेध किया
खबर रूसिया अलयौम द्वारा उद्धृत, 300 मुस्लिम विद्वानों ने, 36 संगठनों, यूनियनों और दुनिया भर के इस्लामी संस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुऐ इस्तांबुल, तुर्की पत्रकार सम्मेलन में, उपस्थित होकर "उम्मते इस्लाम के विद्वानों' मन्शूर में भाग लेकर हस्ताक्षर किए जिसमें ज़ियोनिस्ट शासन के साथ किसी भी तरह के संबंधों के सामान्यीकरण को हराम किया है।
यह प्रेस सम्मेलन ज़िओनीस्ट शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के खतरे का सामना करने और इसके संबंधों का बहिष्कार करने के लिए "इस्लामी उम्मा के विद्वानो" चार्टर को पेश करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
प्रेस ब्रीफिंग ने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल के साथ संबंधों का सामान्यीकरण फिलीस्तीनी मुद्दे और विरोध करने वाली परियोजना के लिए एक गंभीर खतरा है।
यह चार्टर 44 पैराऐ में जमा किया गया है जिन में महत्वपूर्ण मुद्दे जो प्रस्तुत हुऐ उनमें से इन "यहूदी शासन और शरई हुक्म और उनके कानून", "संबंधों को सामान्य बनाना और हाकिम का कार्य" "संबंधों को सामान्य बनाने के मुक़ाब्ले में प्रतिरोध के मूल तत्व" और " इसराइल के साथ सामान्य संबंध बनाने के मफ़ासिद और खतरे" की ओर इशारा किया जा सकता है ।
इस्लामिक उम्मा के पत्र में, यह कहा गया है कि इजरायल के साथ किसी तरह के संबंधों का सामान्यीकरण हराम है, क्योंकि यह विश्वास की आवश्यकताओं और दोस्ती और विश्वासियों के प्रति वफादारी के विरोधाभास में है।
तेहरान के इमामे जुमा ने अमरीका और इस्राईल पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अपील की है
तेहरान के इमामे जुमा ने नमाज़े जुमा का ख़ुतबा देते हुए कहा है कि बैतुल मुक़द्दस की रक्षा केवल बयान जारी करके नहीं की जा सकती।
हुज्जतुल इस्लाम सिद्दीक़ी का कहना था कि अमरीकी राष्ट्रपति डोन्लड ट्रम्प द्वारा बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधान घोषित करने के मुक़ाबले में इस्लामी देशों को चाहिए कि वह अमरीकी दूतावासों को बंद करें और अमरीकी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाएं।
नमाज़े जुमा के भाषण में उन्होंने कहा कि इस्लामी देशों को इस्राईली और अमरीकी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, ताकि अमरीका अपनी मूर्खतापूर्ण नीतियों को त्यागने पर मजबूर हो जाए।
हुज्जतुल इस्लाम सिद्दीक़ी का कहना था कि ट्रम्प का यह फ़ैसला वास्तव में अवैध ज़ायोनी शासन को वैधता प्रदान करने की कोशिश है।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे पहले 2 प्रस्ताव पारित करके बैतुल मुक़द्दस (यरूशलम) पर इस्राईल के क़ब्ज़े की निंदा की थी और इस पर फ़िलिस्तीनियों के अधिकार को स्वीकार किया था।
स्वीडिश समाज में सह्यूनिज़्म दुश्मनी का विकास
स्वीडन में ईरानी सांस्कृतिक परामर्श के अनुसार, "हांक Bahonar" सामाजिक शोधकर्ताओं में से ऐक ने इस बारे में कहा: उच्च विद्यालय के छात्रों के बीच हुऐ सर्वे के अनुसार बताया गया है, कि छात्रों में 18 प्रतिशत लोग यहूदियों के बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं लेकिन मुस्लिम परिवार के छात्रों के बीच यह आंकड़े 55% तक पहुंच जाते हैं।
बेशक, वह अपने सर्वे में कहता है: सफेद जातिवाद समूहों के बीच भी सह्यूनिज़्म दुश्मनी मौजूद है पोलैंड और हंगरी जैसे छोटे मुस्लिम आबादी वाले देशों में भी सह्यूनिज़्म दुश्मनी विचारधारा अधिक है।
पिछले 20 वर्षों में स्वीडिश समाज में सह्यूनिज़्म दुश्मनी एक वर्तमान मुद्दा बन गया है, और अधिकतम मध्य पूर्व के घटनाक्रम और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के विषय से संबंधित है।
ट्रम्प के फ़ैसले को अमान्य करने के लिए यूएनएससी में वोट होने जा रहा है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बैतुल मुक़द्दस के बारे में किसी भी एकपक्षीय फ़ैसले को क़ानूनी तौर पर अवैध क़रार देने के लिए एक प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है।
मिस्र द्वारा इस प्रस्तावित मसौदे को तय्यार किया गया है और इसे शनिवार को सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच बांटा गया जिस पर अगले हफ़्ते के शुरु में संभवतः मतदान होना तय है।
रोयटर्ज़ के अनुसार, इस प्रस्ताव के मसौदे में आया है, "हर उस फ़ैसले व कार्यवाही की कोई क़ानूनी हैसियत नहीं है जिसका लक्ष्य पवित्र बैतुल मुक़द्दस का दर्जा, उसकी जनांकिकी संरचना या उसकी स्थिति को बदलना है और उस फ़ैसले व कार्यवाही को सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों का पालन करते हुए रद्द होना चाहिए।"
इस प्रस्ताव के मसौदे में यह भी आया है, "सभी राष्ट्रों पर बल दिया जाता है कि वह सुरक्षा परिषद के 1980 में पारित हुए प्रस्ताव नंबर 478 का पालन करते हुए बैतुल मुक़द्दस में किसी तरह का कूटनैतिक मिशन क़ायम करने से दूर रहे।"
यह प्रस्तावित मसौदा, अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के 6 दिसंबर 2017 को बैतुल मुक़द्दस को ज़ायोनी शासन की राजधानी के रूप में मान्यता देने और अमरीकी दूतावास को तेल अविव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के एलान के ख़िलाफ़ लाया गया है।
यह मसौदा "सभी राष्ट्रों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बैतुल मुक़द्दस से संबंधित प्रस्तावों का पालन करने और इन प्रस्तावों के ख़िलाफ़ किसी भी कार्यवाही को मान्यता न देने की मांग करता है।"
इन्डोनेशिया, दस दिनों से प्रदर्शन जारी, अमरीकी उत्पादों के बाॅयकाॅट की अपील
इन्डोनेशिया के हज़ारों लोगों प्रदर्शन करके अमरीकी उत्पादों के बाॅयकाॅट की मांग की है।
जकार्ता से एसोशिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया में लगभग 80 हज़ार लोगों ने रविवार को एक बार फिर बैतुल मुक़द्दस के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले की निंदा करते हुए प्रदर्शन किए।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले के बाद से इन्डोनेशिया में दस दिनों से निरंतर प्रदर्शन हो रहे हैं।
जकार्ता पुलिस के प्रवक्ता ने भी कहा है कि प्रदर्शनकारियों के हाथ में एेसे प्ले कार्ड थे जिन पर फ़िलिस्तीन के समर्थन में नारे लिखे हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने नेश्नल म्यूज़ियम के पार्क से अमरीकी दूतावास तक तीन किलोमीटर की यात्रा तय की।
ज्ञात रहे कि बैतुल मुक़द्दस के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति के फ़ैसले के बाद से पूरी दुनिया में प्रदर्शनों का क्रम जारी है।
इस्लामी देश अमरीका से अपने राजदूतों को वापस बुलाएंः तलाल
इस्राईल की संसद में अरब प्रतिनिधि ने मांग की है कि इस्लामी देशों को चाहिए कि अपने राजदूतों को वे अमरीका से वापस बुलाएं।
तसनीम समाचार एजेन्सी के अनुसार इस्राईल की संसद में अरब प्रतिनिधि तलाल अबूअरार ने कहा है कि ट्रम्प के हालिया फैसले पर विरोध स्वरूप इस्लामी देशों को चाहिए कि वे अपने राजदूतों को अमरीका से वापस बुलवा लें।
उन्होंने इस्तांबोल में में बोलते हुए कहा कि इस्लामी देशों को चाहिए कि वे अपने राजदूतों को वापस बुलाकर अमरीका पर दबाव डालें ताकि ट्रम्प के फैसले को वापस करवााय जा सके। उन्होंने कहा कि बैतुल मुक़द्दस के बारे में अरब जगत की प्रतिक्रिया वैसी नहीं थी जैसी होनी चाहिए थी। तलाल अबूअरार ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति के फैसले की जितनी निंदा की जाए वह कम है। तलाल ने कहा कि बैतुल मुक़द्दस, फ़िलिस्तीन की राजधानी है जहां पर अमरीकी दूतावास के लिए कोई स्थान नहीं है।
उल्लेखनीय है कि अमरीकी राष्ट्रपति ने बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में मान्यता की घोषणा की है जिसका व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है।
इस्राईल को हमास की चेतावनी, प्रदर्शनकारियों पर हमले रोक दे
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने प्रदर्शनकारियों पर ज़ायोनी सैनिकों के हमले और तीन फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों की शहादत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ज़ायोनी शासन को सचेत किया है।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार हमास ने शुक्रवार की शाम एक बयान में कहा कि ज़ायोनी सैनिकों के हाथों फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों की शहादत, इस शासन के अपराधी होने का चिन्ह है।
हमास के बयान में आया है कि अतिग्रहणकारियों के मुक़ाबले में फ़िलिस्तीनी जनता का इंतेफ़ाज़ा जो अमरीकी राष्ट्रपति की कार्यवाहियों से मुक़ाबले के लिए, इस बात पर बल है कि फ़िलिस्तीनी कभी भी इस कार्यवाही को स्वीकार नहीं करेंगे और अपने अधिकारों की प्राप्ति तक इंतेफ़ाज़ा जारी रखेंगे।
शुक्रवार को ग़ज़्जा पट्टी और पश्चिमी तट में फ़िलिस्तीनियों के विरोध प्रदर्शनों पर ज़ायोनी सैनिकों के हमले में कम से कम 4 फ़िलिस्तीनी शहीद जबकि 367 घायल हो गये।
बैतुल मुक़द्दस को ज़ायोनी शासन की राजधानी के रूप में स्वीकार करने के अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले के ़ख़िलाफ़ इस हफ़्ते के आरंभ से अब तक फ़िलिस्तीनियों के प्रदर्शनों पर ज़ायोनी सैनिकों की हमलों में कम से कम दो हज़ार लोग घायल हो चुके हैं।
इंडोनेशियाई मछुआरों द्वारा ताइवान में एक मस्जिद की स्थापना
atimes समाचार साइट के मुताबिक, 2014 में, यिलान सिटी के कुछ स्वदेशी मछुआरों को यह इरादा हुआ कि एक मस्जिद बनाने की जगह ढूंढी जाऐ।
उन्हों ने इस शहर में नैनान रोड पर एक पुरानी इमारत खरीदकर उसकी मरम्मत और पुनर्निर्मित किया फिर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया।
नेनफांगगांव के मछली पकड़ने की बंदरगाह में येलान शहर में 1,300 इंडोनेशियाई मछुआरे जो काम कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर मुसलमान हैं।
आर्या, मुस्लिम मछुआरों में से एक ने कहा: मुसलमान रोज़ाना पांच प्रार्थनाओं को पढ़ने के लिए बाध्य होते हैं, और जब वे समुद्र में नहीं होते हैं, तो वे मस्जिद में प्रार्थना और कुरान पढ़ना पसंद करते हैं।
मस्जिद,इसी तरह मुस्लिम मछुआरों को इकट्ठा व संवाद करने का एक स्थान है और उसकी सफाई स्वयंसेवक सदस्यों द्वारा की जाती है।
हज़ारों संघर्षकर्ता इस्राईल से आरपार की लड़ाई का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहे हैं: क़स्साम ब्रिगेड
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास की इज़्ज़ुद्दीन क़साम ब्रिगेड ने अपने बयान में इस्राईनल के विनाश तक क़ुद्स इंतेफ़ाज़ा के जारी रहने पर बल दिया है।
लेबनान की अलअहद वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम ब्रिगेड ने रविवार को एक बयान जारी करके बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में स्वीकार किए जाने के अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले की निंदा करते हुए कहा कि यह कल्पना ही ग़लत हे कि ज़ायोनी फ़िलिस्तीन और बैतुल मुक़द्दस पर क़ब्ज़ा जमा लेंगे।
क़स्साम ब्रिगेड ने अपने बयान में बल दिया कि क़ुद्स इंतेफ़ाज़ा को पूरी शक्ति के साथ अपने रास्ते को जारी रखना होगा और अतिग्रहणकारियों से मुक़ाबले के लिए प्रतिरोध के सारे रास्तों को खुलना चाहिए।
क़स्साम ब्रिगेड के बयान में आया है कि बैतुल मुक़द्दस, पश्चिमी तट और ग़ज़्ज़ा पट्टी में इंतेफ़ाज़ा से नये परिवर्तन सामने आ रहेे हैं।
आयतुल्ला सिस्तानी ने कुद्स को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की निंदा किया
अल-आलम ने अपने तत्काल समाचार में एलान किया कि अयातुल्ला सिस्तानी ने अमेरिकी सरकार के निर्णय कुद्स को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के लिए निंदा किया।
अयातुल्ला सिस्तानी के बयान में कहा गया है: कि कुद्स को इज़राइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के ट्रम्प के फैसले से सैकड़ों अरब और मुसलमानों की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। इस निर्णय को ख़त्म कर कुद्स को फिलीस्तीनियों को वापस करना होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार 6 सितंबर को व्हाइट हाउस के भाषण में कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने कुद्स को आधिकारिक तौर पर इज़राइल (जियोनिस्ट शासन) की राजधानी के रूप में मान्यता दी है, और तेल अवीव से शहर के दूतावासों की सेवाओं का स्थानांतरण तुरंत शुरू हुआ।
यह कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और पश्चिम एशियाई क्षेत्र के नेताओं द्वारा फैसले निंदा की गई है