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आयतुल्लाह शेख़ मोहम्मद याक़ूबी ने अपने खिताब में नहजुल बलाग़ा के महत्व और इसकी शिक्षाओं को सामाजिक जीवन में व्यवहारिक रूप देने पर जोर देते हुए कहा, अमीरुल मोमिनीन अ.स. की शिक्षाओं को उजागर करने और उनकी शख्सियत को समाज में परिचित कराने की आवश्यकता है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इराक़ के प्रमुख आलिमे दीन आयतुल्लाह याक़ूबी ने अपने दर्से ख़ारिज में कहा,नहजुल बलाग़ा के पुनरुद्धार और इसके बर्कतमंद विषयों को ज़िंदगी के तमाम पहलुओं में व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, इंशाअल्लाह एक दिन नहजुल बलाग़ा को भी हौज़े इल्मिया के औपचारिक दरसों में शामिल किया जाएगा जैसे कि क़ुरआन करीम की तफ़सीर को उपेक्षा से बाहर लाकर हौज़े के बुनियादी दरसों का हिस्सा बनाया गया।

आयतुल्लाह याक़ूबी ने क़ुरआन मजीद की आयत

﴿وَقَالَ الرَّسُولُ یَا رَبِّ إِنَّ قَوْمِی اتَّخَذُوا هَٰذَا الْقُرْآنَ مَهْجُورًا﴾

और रसूल ने कहा, ऐ मेरे पालनहार! मेरी क़ौम ने इस क़ुरआन को छोड़ दिया का हवाला देते हुए कहा,नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को भुलाने के लिए नहीं छोड़ा जाना चाहिए इसलिए नहजुल बलाग़ा की शिक्षाओं को सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में व्यवहारिक रूप देने की आवश्यकता है।

उन्होंने अमीरुल मोमिनीन अ.स. के कथनों, शख्सियत, सीरत और उनके दृष्टिकोण पर शोध के लिए एक विशेष संस्था स्थापित करने का प्रस्ताव दिया। इस कदम का उद्देश्य शिया समुदाय को इमाम अली अ.स. के बारे में बेहतर जानकारी देना और उनकी शख्सियत को दुनिया के सामने पेश करना है, ताकि हज़रत अली अ.स. के कथन उनके लिए हिदायत का ज़रिया बन सकें।

आयतुल्लाह याक़ूबी ने कहा,संयुक्त राष्ट्र ने इमाम अली अ.स. के मलिक अश्तर के नाम लिखे गए पत्र को मानवाधिकारों के प्राचीन और मूल्यवान दस्तावेज़ों में शामिल किया है।

इज़रायली सरकार द्वारा ग़ाज़ा पट्टी में युद्धविराम को मंज़ूरी देने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सहायता में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं से युक्त अस्पतालों की स्थापना करने पर ज़ोर दिया हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,इज़रायली सरकार द्वारा ग़ाज़ा पट्टी में युद्धविराम को मंज़ूरी देने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सहायता में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं से युक्त अस्पतालों की स्थापना करने पर ज़ोर दिया हैं।

फिलिस्तीनी क्षेत्रों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि रिक पेपरकोर्न ने कहा कि युद्ध विराम समझौते की शर्तों के तहत ग़ाज़ा तक सहायता की आपूर्ति को प्रतिदिन लगभग 600 ट्रक तक बढ़ाया जा सकता है।

उन्होंने जिनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन अगले दो महीनों के दौरान ग़ाज़ा में बर्बाद हो चुके स्वास्थ्य क्षेत्र की मदद के लिए तैयार अस्पतालों की एक अज्ञात संख्या पेश करने की योजना बना रहा है उन्होंने यह भी कहा कि हमें उम्मीद है कि ग़ाज़ा में युद्ध-विराम के साथ 12,000 से अधिक मरीजों के चिकित्सा निकासी में वृद्धि होगी।

गौरतलब है कि यह समझौता बुधवार को क़तर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता की कोशिशों के बाद हुआ था समझौता तीन चरणों में पूरा किया जाएगा पहला चरण छह सप्ताह तक चलने की संभावना है, जिसमें 33 इज़रायली क़ैदियों, जिनमें महिलाएं, बच्चे, बुज़ुर्ग और बीमार शामिल हैं, का कई फिलिस्तीनी कैदियों के साथ आदान-प्रदान होगा।

पहले चरण में ग़ाज़ा पट्टी से इज़रायली सेना की चरणबद्ध वापसी की शर्त भी शामिल है दूसरे चरण में ग़ाज़ा के तबाह हो चुके फिलिस्तीनी क्षेत्रों से इज़रायली सेना की पूर्ण वापसी और सहायता में वृद्धि शामिल होगी। तीसरा चरण ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा

आयतुल्लाह जवादी आमोली ने क़ुरआन को अपनाना और उसकी शिक्षाओं पर अमल करना ही खुशहाल और सफल जीवन की कुंजी बताते हुए दुनिया और आख़िरत दोनो मे सफलता और सुरक्षा प्रदान करने वाला बताया।

हजरत आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने "क़ुरआन से तमस्सुक" की अहमयत पर एक लेख में उन्होंने एक हदीस का जिक्र किया। इस हदीस में मआज़ बिन जबल (र) कहते हैं: "हम पैगंबर (स) के साथ सफ़र में थे। मैंने पैग़म्बर (स) से कहा, 'या रसूलल्लाह, हमें कोई ऐसी बात बताइए जो हमारे लिए फायदेमंद हो।' तो पैग़म्बर (स) ने फ़रमाया: 'अगर तुम खुशहाल जिंदगी, शहीदों जैसी मौत, क़यामत के दिन मुक्ति, गर्मी के दिन छांव और ग़लती के दिन मार्गदर्शन चाहते हो, तो क़ुरआन की तिलावत करो। क़ुरआन, अल्लाह का कलाम हैं, यह शैतान से सुरक्षा और अदल के दिन तुम्हारे अच्छे कर्मों का वजन बढ़ाने का कारण है।'"

इस हदीस में पैगंबर (स) ने क़ुरआन की तिलावत को एक ऐसा साधन बताया, जो हमें दुनिया और आख़िरत दोनों में सफलता और सुरक्षा देती है।

जामे अल अहादीस अल शिया, भाग 15, पेज 9

तसनीम भाग 1, पेज 243

एक वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दर्जनों वरिष्ठ अधिकारी और राजनयिक अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं यह घटनाक्रम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम द्वारा इन अधिकारियों से इस्तीफा मांगे जाने के बाद सामने आया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय में बड़ी हलचल हो रही है, जहां दर्जनों वरिष्ठ अधिकारी और राजनयिक, अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं। यह घटनाक्रम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम द्वारा इन अधिकारियों से इस्तीफा मांगे जाने के बाद सामने आया है।

सरकारी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि यह इस्तीफे ट्रंप प्रशासन और निवर्तमान जो बाइडेन सरकार के बीच राजनीतिक और प्रशासनिक मतभेदों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। इन इस्तीफों के पीछे मुख्य उद्देश्य ट्रंप की नई टीम का प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करना और पुराने अधिकारियों की उपस्थिति को समाप्त करना है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सोमवार दोपहर, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, दर्जनों वरिष्ठ अधिकारी और अनुभवी राजनयिक विदेश मंत्रालय छोड़ देंगे। इनमें कई ऐसे राजनयिक भी शामिल हैं, जिन्होंने विदेश नीति और कूटनीति के क्षेत्र में दशकों का अनुभव हासिल किया है। उदाहरण के लिए, ऊर्जा संसाधनों के मामलों के लिए विदेश मंत्रालय के सहायक जेफरी पायट और राजनीतिक मामलों के लिए सहायक मंत्री जॉन बास जैसे वरिष्ठ अधिकारी इस्तीफा देने को मजबूर किए गए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ट्रंप प्रशासन की ओर से अमेरिकी कूटनीति में बड़े बदलाव की शुरुआत का संकेत है। साथ ही, इससे ट्रंप और बाइडेन प्रशासन के बीच मतभेद और गहराने की संभावना भी जताई जा रही है। इस घटनाक्रम ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है, जहां पुराने अनुभवी अधिकारियों की जगह नई टीम आने की तैयारी कर रही है।

इस बदलाव को ट्रंप प्रशासन का एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है, जिससे अमेरिका की विदेश नीति की दिशा में बड़े बदलाव हो सकते हैं। हालांकि, इन इस्तीफों ने विदेश मंत्रालय में गहरे आंतरिक तनाव और राजनीतिक विभाजन को उजागर किया है।

उस्ताद हुसैनी क़ज़्वीनी ने जोर देते हुए कहा कि हम अंग्रेजी शिया और अमेरिकी इस्लाम के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते। इस्लामी क्रांति की शुरुआत से ही दुश्मनों ने सारे प्रयास किए ताकि ईरान में धार्मिक और संप्रदायिक युद्ध शुरू कर सकें, लेकिन इमाम ख़ुमैनी (रह) और सर्वोच्च नेता की समझदारी से उनके सभी षड्यंत्र विफल हो गए।

हज़रत वली अस्र अनुसंधान संस्था के प्रमुख सय्यद मुहम्मद हुसैनी क़ज़्वीनी ने अपने बयान में कहा कि आज जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा शिया और सुन्नी का मुद्दा नहीं, बल्कि इस्लाम है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश, जिनकी अगुवाई अमेरिका और इस्राईल कर रहे हैं, इस प्रयास में हैं कि इस्लाम को मुसलमानों से छीन लिया जाए।

सय्यद हुसैनी क़ज़्वीनी ने यह भी बताया कि पश्चिमी देशों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि जब तक क़ुरआन मुसलमानों के हाथ में है, वे पश्चिमी एशिया पर हावी नहीं हो सकते।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस्लामी क्रांति के बाद, पिछले 46 वर्षों में, जो कुछ भी दुश्मनों से बन पड़ा, उन्होंने इसे इस्लामी व्यवस्था के खिलाफ इस्तेमाल किया, लेकिन अल्लाह की इच्छा थी कि यह पवित्र व्यवस्था चार दशकों तक अपना अस्तित्व बनाए रखे।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन हुसैनी क़ज़्वीनी ने यह भी कहा कि उनकी अधिकतर बातचीत और मेलजोल सुन्नी उलेमाओं के साथ है, और उन्होंने यह बताया कि इस्लामी गणराज्य का एक बेहतरीन कार्य और बरकत यह है कि इसने शिया और सुन्नी समुदायों के बीच दोस्ती, समझ और शांतिपूर्ण जीवन की भावना को बढ़ावा दिया है।

उन्होंने यह भी बताया कि दुश्मन इस्लामी क्रांति के शुरुआत से ही यह प्रयास कर रहे थे कि इरान में धार्मिक और संप्रदायिक युद्ध शुरू करें, लेकिन इमाम ख़ुमैनी (रह) और सर्वोच्च नेता की समझदारी के कारण उनके सभी षड्यंत्र विफल हो गए और वे अपनी मंशा में सफल नहीं हो पाए।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जो लोग अहले सुन्नत के पवित्र स्थानो का अपमान करते हैं, वे अहले बैत (अ) के अपमान का माहौल तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि उलमा के बयान ही धर्म का बयान होते हैं। यह उलमा ही हैं जो आजकल की घटनाओं पर राय दे सकते हैं, जो अली (अ) और उनके बाद के इमामों के समय में नहीं थीं, और यह तय कर सकते हैं कि हमें किस तरह से व्यवहार करना चाहिए।

उस्ताद हुसैनी क़ज़्वीनी ने कुछ उलमा के बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि अहले सुन्नत के पवित्र स्थानो का अपमान करना पाप है, और इस बात का कारण यह बताया कि इस तरह के अपमान से फितना पैदा होता है, और कुरआन की आयतों के अनुसार फितना कत्ल से भी बदतर है।

कुम के हौज़ा इल्मीया के उस्ताद ने यह भी कहा कि उलमा को अपने इलाकों के लोगों तक उलमा के संदेश को पहुँचाना चाहिए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जो लोग मरजियत का दावा करते हैं लेकिन अंग्रेजी शिया या अमेरिकी इस्लाम को फैलाते हैं, वे मंजूर नहीं हैं। हम अंग्रेजी शिया और अमेरिकी इस्लाम के साथ कोई समझौता नहीं करते और मानते हैं कि हमें इन दोनों के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए, इन में से किसी एक को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं है।

 

हमास आंदोलन के वरिष्ठ नेता सुहैल अलहिंदी ने फिलिस्तीनी मजलूम जनता के समर्थन के लिए इस्लामी गणराज्य ईरान और प्रतिरोधी मोर्चे की सराहना की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , सुहैल अलहिंदी ने कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान और प्रतिरोधी मोर्चे ने ग़ासिब ज़ायोनी सरकार की आक्रामकता के खिलाफ फिलिस्तीनी जनता का हर स्तर पर समर्थन किया है हम इस समर्थन के लिए ईरान और प्रतिरोधी ताकतों का आभार व्यक्त करते हैं।

ज्ञात हो कि ग़ासिब ज़ायोनी सरकार ने पिछले 15 महीनों के दौरान गाजा पर बड़े पैमाने पर हमले किए लेकिन इस्लामी गणराज्य ईरान ने हर मोर्चे पर फिलिस्तीन और गाजा के लोगों का समर्थन किया फिलिस्तीनी जनता और प्रतिरोधी संगठनों ने इस समर्थन की सराहना की है।

सुहैल अलहिंदी ने यह भी कहा कि हम हिज़्बुल्लाह लेबनान का धन्यवाद करते हैं, जिसने अपने नेता तक को फिलिस्तीनी जनता के समर्थन के लिए समर्पित कर दिया।

हामास के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अंसारुल्लाह यमन के गंभीर हमलों के कारण ग़ासिब ज़ायोनी सरकार की समुद्री व्यापार व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई है हम यमनी जनता और उनके प्रतिरोध का भी आभार व्यक्त करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि युद्धविराम के पहले दिन तीन ज़ायोनी महिला बंधकों को रिहा किया गया। जब तक ज़ायोनी सरकार युद्धविराम समझौते का पालन करेगी हम भी इसका सम्मान करेंगे।

यमन के लोग सना में बड़े पैमाने पर जमा होकर ग़ज़्ज़ा में फिलिस्तीनी लोगों की बड़ी जीत का जश्न मना रहे हैं।

पिछली रात, यमन के हजारों लोग देश की राजधानी सना में एकत्रित हुए, ताकि ग़ज़ा में फिलिस्तीनी लोगों की बड़ी जीत का जश्न मनाया जा सके। भाग लेने वाले लोग फिलिस्तीनी ध्वज हाथ में लिए हुए थे और नारे लगाते हुए फिलिस्तीनी लोगों और उनकी साहसी प्रतिरोध का समर्थन करने की अपनी स्थिर और लगातार प्रतिबद्धता पर जोर दे रहे थे।

हाज़िर लोग नारे लगाते हुए जैसे "सना से लेकर ग़ज़ा तक, हम सब विजय और सम्मान हैं" और "ग़ज़ा, हम तुम्हारे साथ हैं... तुम अकेले नहीं हो" अपनी खुशी व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने फिलिस्तीनी लोगों और प्रतिरोध संगठनों को बधाई दी और उनकी संघर्ष और बलिदान की सराहना की।

पश्चिमी तट के उत्तरी क्षेत्र तूबास के क़स्बे में ग़ासिब ज़ायोनी सेना के रास्ते में देसी बम विस्फोट हुआ जिससे कम से कम चार ज़ायोनी सैनिक घायल हो गए।

एक रिपोर्ट के अनुसार , पश्चिमी तट के उत्तरी क्षेत्र तूबास के क़स्बे में ग़ासिब ज़ायोनी सेना के रास्ते में देसी बम विस्फोट हुआ जिससे कम से कम चार ज़ायोनी सैनिक घायल हो गए।

घायल सैनिकों को सैन्य हेलीकॉप्टर के माध्यम से कब्ज़े वाले क्षेत्रों के एक अस्पताल में ले जाया गया अस्पताल के सूत्रों के अनुसार घायलों में से एक की हालत गंभीर है।

7 अक्टूबर 2023 में गाजा युद्ध की शुरुआत से अब तक पश्चिमी तट में ग़ासिब ज़ायोनी सेना और बसने वालों द्वारा 700 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक शहीद किए जा चुके हैं।

अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक ग़ासिब ज़ायोनी प्रशासन ट्रंप के दौर से पश्चिमी तट पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है इस समय इस क्षेत्र में 250 अवैध बस्तियों में 7 लाख से अधिक ज़ायोनी बसने वाले रह रहे हैं तेल अवीव ने इनकी सुरक्षा के लिए पश्चिमी तट में सुरक्षा उपाय कड़े कर दिए हैं।

पोप फ्रांसिस ने उन मध्यस्थों का धन्यवाद किया जिन्होंने गाजा पट्टी में युद्धविराम समझौता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं उन्होंने इस समझौते का सम्मान करने और इसे बनाए रखने की अपील की हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , पोप फ्रांसिस ने रविवार को वेटिकन में सेंट पीटर्स स्क्वायर में अपने साप्ताहिक प्रवचन के अंत में कहा,पिछले दिनों घोषणा की गई थी कि गाजा पट्टी में युद्धविराम आज से शुरू होगा।

मैं सभी मध्यस्थों का धन्यवाद करता हूं यह एक अच्छा कार्य है मध्यस्थता का उद्देश्य शांति प्राप्त करना है मैं मध्यस्थों का धन्यवाद करता हूं! साथ ही, मैं उन सभी पक्षों का भी धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस महत्वपूर्ण सफलता में योगदान दिया।

पोप फ्रांसिस ने अपने अनुयायियों से भी कहा, मुझे उम्मीद है कि जो समझौते किए गए हैं उनका सभी पक्षों द्वारा तुरंत सम्मान किया जाएगा और सभी कैदी आखिरकार अपने घरों को लौट सकेंगे और अपने प्रियजनों को गले लगा सकेंगे।

उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि गाजा के निवासियों को मदद तेज़ी से और अधिक मात्रा में उपलब्ध कराई जाए क्योंकि यह सहायता उनके लिए अत्यंत आवश्यक है।

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के उप महासचिव टॉम फ्लेचर ने रविवार को ग़ाज़ा में मानवीय सहायता ट्रकों के पहुंचने की पुष्टि की हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के उप महासचिव टॉम फ्लेचर ने रविवार को ग़ाज़ा में मानवीय सहायता ट्रकों के पहुंचने की पुष्टि की हैं।

एक्स पर अपने संदेश में उन्होंने बताया कि कुल 630 ट्रकों में से कम से कम 300 ट्रकों ने सहायता सामग्री पहुंचाई यह वह इलाका है जो हाल के हवाई हमलों और गोलाबारी से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।

फ्लेचर ने स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डालते हुए कहा,समय बर्बाद करने की कोई गुंजाइश नहीं है 15 महीने की लगातार और विनाशकारी लड़ाई के बाद मानवीय आवश्यकताएं अत्यधिक बढ़ गई हैं। प्रभावित परिवारों को तत्काल भोजन पानी, दवाइयां और सुरक्षित रहने की जगह की जरूरत है।

इससे पहले शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने संघर्ष-विराम को समर्थन देने और युद्धग्रस्त फिलिस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई गुटेरेस ने यह भी कहा कि संघर्ष-विराम को उन सुरक्षा और राजनीतिक बाधाओं को दूर करना चाहिए जो मानवीय सहायता पहुंचाने में बाधा बनती हैं।

स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इज़रायली हमलों में अब तक लगभग 47,000 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है और मानवीय संकट गंभीर हो चुका है।

उत्तरी ग़ाज़ा में विनाश का स्तर अभूतपूर्व है क्षेत्र के कई मोहल्ले पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो गए हैं। हजारों घर नष्ट हो गए हैं, और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं बचाव और पुनर्निर्माण कार्यों में भीषण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कहना है कि संघर्ष विराम के साथ मानवीय सहायता को लगातार गाजा पहुंचाना प्राथमिकता है। सहायता का उद्देश्य न केवल तत्काल जरूरतों को पूरा करना है, बल्कि युद्ध के बाद पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को भी आरंभ करना है।