رضوی

رضوی

लेबनान, सीरिया और सऊदी अरब तथा क़तर की यात्रा के बाद अब ईरान के विदेश मंत्री अब्बास इराक़ची मिस्र की यात्रा पर जाएंगे।

"अल-अरबी अल-जदीद" ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा कि ईरान के विदेश मंत्री आने वाले दिनों में आधिकारिक यात्रा पर काहिरा के लिए रवाना होंगे और मिस्र के अधिकारियों के साथ दोनों देशों के साझा मामलों के साथ साथ क्षेत्र के घटनाक्रम पर दोनों देशों के दृष्टिकोण के बारे में विचार विमर्श करेंगे।

"अल-अरबी अल-जदीद" के मुताबिक, इराक़ची अपनी मिस्र यात्रा के दौरान राष्ट्रपति अब्दुल फ़त्ताह अल-सिसी, खुफिया एजेंसी के प्रमुख अब्बास कामेल और मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देल आती से मुलाकात करेंगे।

 अपने प्रियः अध्ययन कर्ताओं के लिए हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम के कुछ मार्ग दर्शक कथन प्रस्तुत किये जारहे हैं।
1- अल्लाह हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अल्लाह वह है कि जब प्राणी विपत्तियों व कठिनाईयों मे फस कर चारो ओर से निराश हो जाता है और प्रजा से उसकी आशा समाप्त होजाती है तो वह फिर उसकी (अल्लाह) शरण लेता है।

2- हक़ को छोड़ना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिस आदरनीय व्यक्ति ने हक़ को छोड़ा वह अपमानित हुआ और जिस नीच ने हक़ पर अमल किया वह आदरनीय हो गया।

3- तक़लीद

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जनता को चाहिए कि अपनी आत्मा की रक्षा करने वाले, धर्म की रक्षा करने वाले, इन्द्रीयो का विरोध करने वाले, तथा अल्लाह की अज्ञा पालन करने वाले फ़कीह (धर्म विद्वान) की तक़लीद(अनुसरन) करें।

4- भविष्य

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि शीघ्र ही मानवता पर एक ऐसा समय आने वाला है जिसमे मनुषय चेहरे से प्रसन्न दिखाई देगें परन्तु उनके हृदय अँधकार मय होंगे। ऐसे समय मे अल्लाह ने जिन कार्यो का आदेश दिया है वह क्रियात्मक रूप प्राप्त नही कर पायेंगे और अल्लाह ने जिन कार्यो से दूर रहने का आदेश दिया है लोग उन कार्यों को करेंगे। ऐसे समय मे इमानदार व्यक्ति को नीच समझा जायेगा तथा अल्लाह के आदेशो का खुले आम उलंघन करने वाले को आदर की दृष्टि से देखा जायेगा।

5- नसीहत (सदुपदेश)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसने अपने मोमिन भाई को छुप कर सदुपदेश दिया उसने उसके साथ भलाई की। तथा जिसने खुले आम उसको सदुपदेश दिया उसने उसके साथ बुराई की।
6- सर्वोत्तम भाई

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुम्हारा सर्वोत्तम भाई वह है जो तुम्हारी बुराईयों को भूल जाये व तुमने जो इस पर ऐहसान किया है उसको याद रखे।

7- मूर्ख व बुद्धिमान

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि मूर्ख का दिल उसकी ज़बान पर होता है। और बुद्धि मान की ज़बान उसके दिल मे होती है।
8- लज्जा का घर

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो व्यक्ति अनुचित कार्य रूपी (घोड़े) पर सवार होगा वह उससे लज्जा के घर मे उतरेगा। अर्थात जो व्यक्ति अनुचित कार्य करेगा वह अपमानित व लज्जित होगा।

9- क्रोध

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि क्रोध समस्त बुराईयों की कुँजी है।

10- व्यर्थ का वाद विवाद

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि व्यर्थ का वाद विवाद न करो वरना तुम्हारा आदर समाप्त हो जायेगा और मज़ाक़ न करो वरना लोगों का (तुम्हारे ऊपर) साहस बढ़ जायेगा।
11- अपमान का कारण

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि मोमिन के लिए यह बात बहुत बुरी है कि वह ऐसी वस्तु या बात की ओर उन्मुख हो जो उसके अपमान का कारण बने।

12- दो सर्व श्रेष्ठ बातें

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि दो विशेषताऐं ऐसी हैं जिनसे श्रेष्ठ कोई विशेषता नही है। (1) अल्लाह पर ईमान रखना व (2) अपने मोमिन भाई को लाभ पहुचाना।
13- बुरा पड़ोसी

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अच्छी बात को छिपाने व बुरी बात का प्रचार करने वाला पड़ोसी कमर तोड़ देने वाली विपत्ति के समान है।

14- इन्केसारी (नम्रता)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि नम्रता एक ऐसा गुण है जिससे ईर्श्या नही की जासकती।

15- ग़मगीन (शोकाकुल)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि शोकाकुल व्यक्तियों के सम्मुख प्रसन्नता प्रकट करना शिष्ठाचार के विऱुद्ध है।
16- द्वेष

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि द्वेष रखने वाले व्यक्ति सबसे अधिक दुखित रहते है।
17- झूट बुराईयों की चाबी (कुँजी)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि समस्त बुराईयों को एक कमरे मे बन्द कर दिया गया है, व इस कमरे की चाबी झूट को बनाया गया है। अर्थात झूट समस्त बुराईयों की जड़ है।
18- नेअमत (अल्लाह से प्राप्त हर प्रकार की सम्पत्ति)

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि नेअमत को धन्यवाद करने वाले के अतिरिक्त कोई नही समझ सकता और आरिफ़ ( ज्ञानी) के अतिरिक्त अन्य नेअमत का धन्यवाद नही कर सकते।
19- अयोग्य की प्रशंसा

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि अयोग्य व्यक्ति की प्रशंसा करना तोहमत(मिथ्यारोप) लगाने के समान है।

20- आदरनीय

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि धूर्तता के आधार पर सबसे निर्बल शत्रु वह है जो अपनी शत्रुता को प्रकट कर दे।
21- आदत का छुड़ाना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि मूर्ख को प्रशिक्षित करना और किसी वस्तु के आदी से उसकी आदत छुड़ाना मौजज़े के समान है। अर्थात यह दोनो कार्य कठिन हैँ।

22- माँगने मे गिड़गिड़ाना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि (किसी व्यक्ति) से कुछ माँगने के लिए गिड़गिड़ाना अपमान व दुख का कारण बनता है।
23- शिष्ठा चारी

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि तुम्हारे शिष्टा चीरी होने के लिए यही पर्याप्त है, कि तुम दूसरों की जिस बात को पसंद नही करते उसे स्वंय भी न करो।

24- दानशीलता व कायरता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि दानशीलता की एक सीमा होती है उससे आगे अपव्यय है। इसी प्रकार दूर दर्शिता व सावधानी की भी एक सीमा है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो यह कायरता है।

25- कंजूसी व वीरता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि कम व्यय की भी एक सीमा होती है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो यह कँजूसी है। इसी प्रकार वीरता की भी एक सीमा होती है अगर इस से आगे बढ़ा जाये तो वह तहव्वुर है। अर्थात अत्यधिक वीरता।

26- मित्रों की अधिकता

हज़रत इमाम अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जिसको अल्लाह से डरने की आदत हो, दानशीलता जिसकी प्रकृति मे हो तथा जो गंभीरता को अपनाये हुए हो ऐसे व्यक्ति के मित्रों की संख्या अधिक होती है।
27- हार्दिक प्रसन्नता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जब हृदय प्रसन्न हो उस समय ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रयास करो। व जिस समय हृदय प्रसन्नता की मुद्रा मे न हो उस समय स्वतन्त्र रहो।
28- रोज़े को अनिवार्य करने का कारण

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अल्लाह ने रोज़े को इस लिए अनिवार्य किया ताकि धनी लोग भूख प्यास की कठिनाईयों समझ कर निर्धनो पर दया करें।

29- जीविका

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जिस जीविका का उत्तरदायित्व अल्लाह ने अपने ऊपर लिया है उसकी प्राप्ती को वाजिब कार्यों के मार्ग मे बाधक न बनाओ।

30- इबादत

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि रोज़े नमाज़ की अधिकता इबादत नही है। अपितु अल्लाह के आदेशों के बारे मे (उनको समझने के लिए) चिंतन करना इबादत है।

31- हमारे लिए शोभा बनो

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने अपने अनुयाईयों से कहा कि अल्हा से डरो व हमारे लिए शोभा का कारण बनो हमारे लिए बुराई का कारण न बनो।

32- लालची

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि लालची व्यक्ति अपने मुक़द्दर से अधिक प्राप्त नही कर सकता।
33- व्यर्थ हंसना

आदरनीय इमाम हसन अस्करी ने कहा कि आश्चर्य के बिना हंसना मूर्खता का लक्षण है।

34- पाप से न डरना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि जो लोगों के सामने पाप करने से नही डरता वह अल्लाह से भी नही डरता।
35- प्रसन्नता व लज्जा

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने कहा कि तुमको अल्प आयु प्रदान की गयी है और जीवित रहने के लिए गिनती के कुछ दिन दिये गये हैं मृत्यु किसी भी समय आकस्मिक आसकती है। जो (इस संसार) मे पुण्यों की खेती करेगा वह प्रसन्न व लाभान्वित होगा। व जो पापों की खेती करेगा वह लज्जित होगा। प्रत्येक व्यक्ति को वही फल मिलेगा जिसकी वह खेती करेगा। अर्थात जैसे कार्य इस संसार मे करेगा उसको उन्ही कार्यो के अनुसार बदला दिया जायेगा।

36- बैठने मे शिष्ठा चार

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि जो व्यक्ति किसी सभा मे निम्ण स्थान पर प्रसन्नता पूर्वक बैठ जाये तो उसके वहाँ से उठने के समय तक अल्लाह व फ़रिश्ते उस पर दयावान रहते है।
37- मित्रता व शत्रुता

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि
क-अच्छे व्यक्तियों की अच्छे व्यक्तियों से मित्रता अच्छे व्यक्तियों के लिए पुण्य है।

ख-बुरे लोगों की अच्छे लोगों से मित्रता यह अच्छे लोगों के लिए श्रेष्ठता है।
ग-बुरे लोगों की अच्छे लोगों से शत्रुता यह अच्छे लोगों के लिए शोभनीय है
घ-अच्छे लोगों की बुरे लोगों से शत्रुता यह बुरे लोगों के लिए लज्जा है।
38- सलाम करना

हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलामने कहा कि अपने पास से गुज़रने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सलाम करना शिष्टाचार है।
।।अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंव व आलि मुहम्मद।।

इराक के प्रसिद्ध विद्वान आयतुल्लाह सैय्यद मुहम्मद तकी मुदर्रेसी ने ज़ायोनी सरकार द्वारा आयतुल्लाह सिस्तानी के ख़िलाफ़ मीडिया हमलों की कड़ी निंदा की है।

आयतुल्लाह सय्यद मुहम्मद तकी मुदर्रेसी ने कर्बला में अपने कार्यालय में बोलते हुए, इराक के सर्वोच्च मरजा ए तकलीद आयतुल्लाहिल उज्मा सैय्यद अली सिस्तानी को शारीरिक रूप से निशाना बनाने की ज़ायोनी सरकार की योजना की निंदा की।

आयतुल्लाह मुदर्रेसी ने सभी विश्वासियों और मुसलमानों से विभिन्न स्तरों पर इस अपमान की निंदा करने और हर संभव तरीके से अपनी आवाज उठाने की अपील की।

उन्होंने आगे कहा कि यह अपमान पूरी उम्मत पर हमला है और इसके खिलाफ चुप्पी दुश्मन को और भी बुरे कदम उठाने का मौका देगी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज के युग में, मुस्लिम उम्माह के सदस्यों के लिए यह आवश्यक है कि वे इस्लाम के दुश्मनों से सभी प्रकार के हमलों और अपमान के खिलाफ अपने पवित्र स्थानों, विद्वानों और नेताओं की रक्षा करें।

 

 

 

 

 

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024 10:56

इज़राइल को हथियार देने का विरोध

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक विश्लेषण में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के इज़राइली शासन को हथियारों की सप्लाई बंद करने के संबंध में बार-बार दिए गए बयानों का ज़िक्र करते हुए इन बयानों को फ़्रांस के एक स्वतंत्र विश्व शक्ति बनने के इरादे की बुनियाद क़रार दिया है।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने हाल ही में तेल अवीव के लिए हथियारों की सप्लाई बंद करने की मांग की थी और यह तर्क दिया था कि इज़राइल को हथियार भेजना, ग़ज़ा और लेबनान में युद्धविराम घोषित करने के देशों की अपील के ख़िलाफ़ है। यह एक ऐसा मुद्दा बन गया जिसने इज़राइली अधिकारियों को नाराज़ कर दिया है।

इस संबंध में "न्यूयॉर्क टाइम्स" ने लिखा: यह पहली बार नहीं है कि मैक्रॉन ने इस तरह का प्रस्ताव रखा है। पिछले महीने मैक्रॉन ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इज़राइल को हथियार प्रदान करने पर रोक लगाने का भी आह्वान किया था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में कहा था कि युद्धविराम स्थापित करने का दबाव हथियारों को सौंपने के विपरीत है।

न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में आया है: पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि मैक्रॉन के बयान उनकी व्यक्तिगत शैली के अनुरूप हैं, एक शैली जिसके आधार पर वह एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय शक्ति बनने के लिए फ्रांस के पारंपरिक आदर्श को बचाने का इरादा रखते हैं।

विश्लेषकों के अनुसार, मैक्रोन की शोहरत, मूल रूप से इस साहसिक और कभी-कभी विघटनकारी विदेश नीति की वजह से है। पश्चिम एशिया के विशेषज्ञ और फ्रांसीसी थिंक टैंक "जीन जौर फाउंडेशन" के सदस्य डेविड खलफ़ा का भी मानना ​​है: ये शब्द, इजराइल के संबंध में फ्रांसीसी कूटनीति की स्पष्टता में एक प्रश्नचिह्न लगाते हैं।

दूसरी ओर, बैरूत में फ्रेंच यूनिवर्सिटी ऑफ़ सेंट जोसेफ़ में पश्चिम एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर करीम एमील बिटर ने कहा: जब आप विदेश नीति में दोनों पक्षों को संतुष्ट रखने की कोशिश करते हैं, तो आप दोनों पक्षों को अलग-थलग कर देते हैं।

फ्रांसीसी विदेश नीति विशेषज्ञ और कार्नेगी पीस फाउंडेशन की सदस्य रीम मुमताज कहती हैं: लेबनान एक ऐसी जगह है जहां फ्रांस अभी भी एक महाशक्ति की तरह काम कर सकता है, भले ही वह अब एक महाशक्ति न हो तब भी।

इस राजनीतिक विशेषज्ञ ने कहा: मैक्रोन भ्रमित नहीं हैं और जानते हैं कि उनके शब्दों से इज़राइल को अमेरिकी सरकार के सैन्य समर्थन पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन ऐसा करके वह बाक़ी दुनिया को स्पष्ट संदेश देते हैं कि फ्रांस और शायद यूरोपीय जनता की स्थिति, अमेरिका से अलग है।''

इस बीच, फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो ने हाल ही में एलान किया था कि इज़राइल की सुरक्षा की गारंटी केवल सैन्य बल द्वारा नहीं दी जा सकती है और इसके लिए राजनयिक समाधान की आवश्यकता होगी।

 

 

ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने कहां, हमको दोनों शहादतों की तारीखों में हज़रत फातिमा ज़हेरा स.स.का ग़म आशूरा की तरह मनाया जाए।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने केंद्रीय कार्यालय नजफ़ अशरफ़ में फरमाया,जनाबे फ़ातिमा ज़हेरा अ.स.की शहादत के मरवी (जिसका रिवायत में ज़िक्र है) मशहूर तीनों दिनों को आशूरा की तरह ही बाक़ी रखा जाए।

उन्होंने आगे फरमाया कि हज़रत रसूल अल्लाह स अ व व  की रेहलत के बाद 8 रबीउस सानी चालीस दिन की रिवायत के हिसाब से और 13 जमादिउल अव्वल पचहत्तर दिन की रिवायत के हिसाब से और 3 जमादियुस सानी पंचानवे  दिन की रिवायत के हिसाब से हैं।

अयातुल्ला सय्यद अबुल हसन महदवी ने कहा है कि इस्लाम में देश लेने या युद्ध शुरू करने की कोई अवधारणा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटेन हमेशा से मुसलमानों के बीच कलह का कारण रहा है और पश्चिमी देशों का विकास मुसलमानों के बीच पैदा हुए इन्हीं कलह के कारण हुआ है।

आयतुल्लाह महदवी ने हज़रत ज़ैनब के हरम में आयोजित "इस्लामिक उम्माह के उलेमा की एकता" की सभा को संबोधित करते हुए कहा, जैसा कि क्रांति के सर्वोच्च नेता ने कहा था , "आज, इस्लामिक उम्माह के लिए, सभी मुख्य मुद्दा एकता है"। अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल ने हमेशा मुस्लिम मतभेदों का फायदा उठाया है और विशेष रूप से इज़राइल ने अपने अस्तित्व के लिए इन मतभेदों का पूरा फायदा उठाया है।

उन्होंने आगे कहा, कुरान में एकता पर जोर दिया गया है और इस्लामी क्रांति के बाद यह विचार दुनिया के विभिन्न देशों में तेजी से फैल रहा है। इजराइल जैसे नकली राज्य के खिलाफ प्रतिरोध ने मुसलमानों के बीच एकता को मजबूत किया है और इस एकता की बदौलत प्रतिरोध निश्चित रूप से सफल होगा।

अयातुल्ला महदवी ने इस बात पर जोर दिया कि इस्लाम में शिया और सुन्नी के बीच कोई अंतर नहीं है। इस्लाम की कोई भौगोलिक सीमा नहीं है, लेकिन जो मायने रखता है वह स्वयं इस्लाम है। इमाम अली (अ) ने मलिक इश्तर को लिखे अपने पत्र में यह भी कहा कि "लोग या तो मुस्लिम हैं जो आपके धार्मिक भाई हैं या गैर-मुस्लिम हैं जिन्हें मानव अधिकार दिए जाने चाहिए।"

उन्होंने कहा कि सद्र इस्लाम में कोई प्रारंभिक युद्ध नहीं था, लेकिन सभी युद्ध रक्षात्मक थे, और उन्होंने इस्लाम, तौहीद और धार्मिक नींव को समझाने के लिए तर्कसंगत तर्क प्रदान किए।

उन्होंने आगे कहा कि अगर इस्लाम को युद्ध के माध्यम से फैलाना होता, तो अल्लाह के रसूल (स) ने मुबलाह की स्थिति में नजरान के ईसाइयों के साथ युद्ध किया होता, लेकिन इस्लाम ने युद्ध के बजाय तर्क के साथ बात की।

 

 

 

 

 

फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि गाजा पट्टी में विस्थापित व्यक्तियों को आश्रय देने वाले एक स्कूल पर गुरुवार दोपहर इजरायली हवाई हमले में कम से कम 28 फिलिस्तीनी मारे गए और 54 से अधिक अन्य घायल हो गए हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार,फिलिस्तीन रेड क्रिसेंट सोसाइटी PRCS ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि इसकी टीमों ने डेर अलबलाह शहर में PRCS मुख्यालय के पास स्थित राफिदा स्कूल को इजरायली सेना द्वारा निशाना बनाए जाने के बाद हताहतों की मदद की है।

मेडिक्स ने कहा कि एम्बुलेंस क्रू और नागरिक सुरक्षा तंत्र ने बच्चों और महिलाओं सहित शवों को बरामद किया जिनमें से कुछ के शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे समाचार एजेंसी ने बताया हैं।

इस बीच इजरायली सेना ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उसने डेर अलबलाह में राफिदा स्कूल के परिसर में एक कमांड और नियंत्रण केंद्र" के अंदर आतंकवादियों को निशाना बनाकर सटीक हमला  किया है।

सेना ने कहा कि इस केंद्र का इस्तेमाल आईडीएफ (इज़राइल रक्षा बल) सैनिकों और इज़राइल राज्य के खिलाफ़ आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए किया गया था।

सेना ने कहा कि नागरिकों को नुकसान पहुँचाने के जोखिम को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए जिसमें सटीक गोला-बारूद का इस्तेमाल, हवाई निगरानी और अतिरिक्त खुफिया जानकारी शामिल है।

7 अक्टूबर, 2023 को इज़राइल पर हमास के हमले से शुरू हुआ गाजा में संघर्ष जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और लगभग 250 बंधक बनाए गए

अब अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है। जवाब में, गाजा स्थित स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा गुरुवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, गाजा में चल रहे इज़राइली सैन्य अभियानों में 42,065 मौतें और 97,886 घायल हुए हैं।

 

बोलीविया अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इज़राइल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के नरसंहार मुकदमे में शामिल हो गया है। बोलीविया ने कहा कि प्रवर्तन के साधनों की कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश अप्रभावी साबित हुए हैं।

बोलीविया अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इज़राइल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल हो गया। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में दक्षिण अफ्रीका ने इजराइल पर आरोप लगाया था कि गाजा में तेल अवीव का सैन्य अभियान नरसंहार के समान है। बोलीविया का यह फैसला गाजा युद्ध की पहली वर्षगांठ के कुछ दिनों बाद आया है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, दक्षिण अमेरिकी देश बोलीविया, कोलंबिया, लीबिया, स्पेन और मैक्सिको समेत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने इजराइल को मान्यता दी है के खिलाफ मामले का समर्थन किया गया है। बोलीविया ने औपचारिक रूप से मामले में एक याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि गाजा में इज़राइल का "नरसंहार युद्ध" अभी भी जारी है और प्रवर्तन तंत्र की कमी के कारण, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश अप्रभावी रहे हैं।

 हेग, नीदरलैंड में स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र का एक वैधानिक निकाय है। दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इज़राइल के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें इज़राइल पर गाजा में अपने सैन्य कार्यों के माध्यम से नरसंहार कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया। जनवरी में, अदालत ने इज़राइल से गाजा में नरसंहार के कृत्यों को रोकने के लिए उपाय करने और क्षेत्र में मानवीय सहायता की अनुमति देने को कहा। जुलाई में एक अलग फैसले में, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने कहा कि फिलिस्तीनी क्षेत्रों में इज़राइल की निरंतर उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है और इसे जल्द से जल्द समाप्त किया जाना चाहिए।

 

 

 

 

 

संयुक्त राज्य अमेरिका में इस वर्ष सबसे अधिक संख्या में लोगों ने बेरोजगारी लाभ के लिए आवेदन किया है, विशेषज्ञों के अनुसार इसका कारण तूफान हेलेन और बोइंग हड़ताल है।

बेरोजगारी के लिए आवेदन करने वाले अमेरिकियों की दर इस साल अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, विशेषज्ञों ने तूफान हेलेन और बोइंग हड़ताल को इसका कारण बताया है। श्रम विभाग के अनुसार, 3 अक्टूबर के सप्ताह में बेरोजगारी के दावे 33,000 से बढ़कर 258,000 हो गए। यह संख्या अगस्त 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। वहीं, विशेषज्ञों का संभावित अनुमान 2 लाख 29 हजार से ज्यादा है।

विश्लेषकों के अनुसार, फ्लोरिडा, उत्तरी कैरोलिना, दक्षिण कैरोलिना और टेनेसी में तूफान हेलेन के पीड़ितों द्वारा दायर बेरोजगारी लाभ की संख्या तूफान प्रभावित क्षेत्रों में और बढ़ने की उम्मीद है "हमें लगता है कि यह प्रवृत्ति अस्थायी है, और हम उम्मीद करते हैं नवंबर तक यह कम हो जाएगा," प्रमुख नैन्सी वैंडेनहुटेन के अनुसार। नैन्सी ने कहा कि बोइंग हमले से वाशिंगटन राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। 28 सितंबर के सप्ताह में बेरोजगारी लाभ प्राप्त करने वाले अमेरिकियों की कुल संख्या 4,200,000 से बढ़कर 1.86 मिलियन हो गई, जो जुलाई के अंत के बाद से सबसे अधिक संख्या है।

यह इस बात का प्रमाण है कि नौकरियाँ तेजी से घट रही हैं। जिसने फेडरल को ब्याज दर कम करने के लिए मजबूर किया। इस बीच, बाजार में मंदी के बीच श्रमिक अमेरिकी नियोक्ताओं ने सितंबर में आश्चर्यजनक रूप से 254,000 नई नौकरियाँ पैदा कीं। बाजार अपेक्षाकृत मंद है।

 

 

 

 

 

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024 10:48

सेव वक्फ इंडिया मिशन की अपील

अन्य प्रदेशों के वक्फ बोर्ड भी कर्नाटक वक्फ बोर्ड की तरह आगे आकर नेक कार्य करें और वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करें यह अपील सभी वक्फ बोर्डों के लिए है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अन्य प्रदेशों के वक्फ बोर्ड भी कर्नाटक वक्फ बोर्ड की तरह आगे आकर नेक कार्य करें और वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करें। यह अपील सभी वक्फ बोर्डों के लिए है

वे निम्नलिखित कदम उठाएं:

  1. वक्फ संपत्तियों की पहचान और सुरक्षा: सभी वक्फ बोर्ड अपने राज्य की वक्फ संपत्तियों की पहचान करके उनका पूरा रिकॉर्ड तैयार करें। अवैध कब्जों और अतिक्रमण को हटाने के लिए सख्त कानूनी कार्यवाही करें ताकि वक्फ संपत्तियों को संरक्षित किया जा सके।
  2. शैक्षिक और सामाजिक विकास: वक्फ संपत्तियों का उपयोग करके शिक्षा और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम चलाए जाएं। वक्फ बोर्ड गरीब बच्चों के लिए स्कूल, कॉलेज, छात्रवृत्ति योजनाएं, और तकनीकी शिक्षा के केंद्र स्थापित करें ताकि समाज के कमजोर वर्गों को अवसर मिले।
  3. धार्मिक स्थलों का संरक्षण और पुनर्निर्माण: धार्मिक स्थलों की मरम्मत और पुनर्निर्माण कार्य में वक्फ बोर्ड सक्रिय रूप से भाग लें धार्मिक स्थलों पर बेहतर सुविधाएं और सेवा प्रदान की जाए ताकि श्रद्धालु और समुदाय के लोग सुरक्षित और साफ सुथरे वातावरण में इबादत कर सकें।
  4. स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार: वक्फ संपत्तियों का उपयोग करके स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करें। क्लीनिक, अस्पताल और मुफ्त चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाए ताकि गरीब और जरूरतमंद लोगों को इलाज मिल सके।
  5. आर्थिक विकास और रोजगार सृजन: वक्फ संपत्तियों का व्यावसायिक और रिहायशी प्रोजेक्ट्स के लिए सही उपयोग करें। इससे वक्फ संपत्तियों की आय में वृद्धि होगी और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे, जिससे समाज का आर्थिक विकास होगा।

सेव वक्फ इंडिया का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का सही और न्यायपूर्ण प्रबंधन सुनिश्चित करना है ताकि उनका सही उपयोग हो सके और समाज के पिछड़े वर्गों को लाभ मिले। अन्य प्रदेशों के वक्फ बोर्डों को इस नेक काम में आगे आकर इस मिशन का हिस्सा बनना चाहिए।