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बांग्लादेश: बाढ़ का पानी घटने से जल-जनित बीमारियों का खतरा
बांग्लादेश में तीन दशकों में सबसे भीषण बाढ़ के कारण जल-जनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। स्वच्छ पेयजल उपलब्ध न होने के कारण लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं, साथ ही भूमि मार्गों के जलमग्न होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल मदद की अपील की है।
बांग्लादेश में पिछले सप्ताह आई बाढ़ के परिणामस्वरूप एक ओर जहां लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर इस बाढ़ से प्रभावित लोग जल जनित बीमारियों से जूझ रहे हैं। बता दें कि तीन दशकों में आई इस भीषण बाढ़ में 54 लोगों की मौत हो गई, जबकि 470,000 लोग विस्थापित हुए, जिन्होंने 11 जिलों में 3,300 अस्थायी शिविरों में शरण ली है. मौसम विभाग के मुताबिक, अगर बारिश जारी रही तो हालात और खराब हो जाएंगे।
विडम्बना देखिए कि एक ओर जहां चारों ओर पानी ही पानी है, वहीं दूसरी ओर पीने के लिए साफ पानी नहीं है, इसके साथ ही आश्रय स्थलों में बाढ़ पीड़ितों को सूखे कपड़े, भोजन, साफ पानी की सख्त जरूरत है। चिकित्सा, लेकिन भूमि मार्ग पर पानी भर जाने से उन तक सहायता पहुंचाना बहुत मुश्किल हो गया है, हालांकि 600 चिकित्सा टीमें इन पीड़ितों को चिकित्सा सहायता प्रदान कर रही हैं, साथ ही सेना, वायु सेना, नौसेना, सीमा बल भी राहत में सहायता कर रहे हैं। आपदा विभाग ने चेतावनी दी है कि बाढ़ की स्थिति कम होने के बाद बड़े पैमाने पर बीमारी फैलने का खतरा है और अगर साफ पानी नहीं मिला तो गंदे पानी से बीमारी का प्रकोप फैल सकता है. अधिकारियों के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में 3,000 लोग प्रभावित हुए हैं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सीवेज से संबंधित बीमारियों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी चेतावनी दी है कि इस बाढ़ से 2 मिलियन बच्चे प्रभावित हो सकते हैं, विश्व बैंक के विश्लेषकों के अनुसार, एजेंसी ने 2015 में हर साल जीवन रक्षक वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए 35 मिलियन डॉलर की सहायता की अपील की है बांग्लादेश में नदियों में बाढ़ से 3.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ रहे हैं। एक्शन एड बांग्लादेश की निदेशक फराह कबीर ने कहा, ''बांग्लादेश जैसे देश, जो वैश्विक प्रदूषण से प्रभावित हैं, तत्काल सहायता के पात्र हैं।'' जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान की भरपाई करना, भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में सक्षम होना और पर्यावरण-अनुकूल विकास पथ अपनाना। "
अरबईन ज़ुल्म व अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष का सर्वोत्तम प्रतीक
एक रूसी पत्रकार ने कहा है कि अरबईन उस मुसलमान की आत्मा का अंश है जो मज़लूम इंसानों की मुक्ति के लिए संघर्ष करता है और साथ ही वह अल्लाह की ओर वापसी का इच्छुक है।
एक रूसी पत्रकार अरबईन में भाग लेने के लिए इराक़ गया था वह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के लाखों श्रद्धालुओं की भव्य उपस्थिति को देखकर कहता है कि अरबईन एक धार्मिक कार्यक्रम व समारोह है और उसमें भाग लेने वाले दो करोड़ से अधिक लोग फ़िलिस्तीनी जनता व लोगों के लिए न्याय के इच्छुक हैं और दुनिया को इस मामले की अनदेखी नहीं करनी चाहिये।
रूसी पत्रकार अब्बास जुमा ने, जो कर्बला में मौजूद हैं, रविवार को एक साक्षात्कार में कहा कि अरबईन मुसलमानों की ज़िन्दगी की सबसे महत्वपूर्ण घटना है, अरबईन शिया मुसलमानों के तीसरे इमाम के पावन लहू को याद करने और उनके प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करने का दिन और ज़ुल्म व अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष का प्रतीक है।
उन्होंने इराक़ में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर उनके श्रद्धालुओं के मध्य अपनी उपस्थिति की ओर संकेत करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अलै. के श्रद्धालुओं का संदेश स्पष्ट है, वे चाहते हैं कि जिन लोगों ने क़ुर्बानी दी है उन्हें भुलाया न जाये और अपने इमाम की भांति प्रतिरोध व संघर्ष के मार्ग को जारी रखें।
अरबईन, मुसलमानों की एकता व समरसता की भूमि प्रशस्त करता है
यह रूसी पत्रकार आगे कहता हैः अरबईन में शामिल होकर न केवल शिया बल्कि समस्त मुसलमान एक राष्ट्र व समुदाय बन सकते हैं और कर्बला तक जाने वाले रास्ते के दौरान कुछ श्रद्धालुओं के हाथों में फ़िलिस्तीन के झंडे को भी देखा जा सकता है।
उसने कहा कि ईरान, इराक़, यमन, सीरिया, लेबनान और दूसरे देशों द्वारा फ़िलिस्तीन का समर्थन इस बात का सूचक है कि सच्चा और वास्तविक़ ईमान हमेशा कामयाब व विजयी है और हर लड़ाई व विवाद की पहचान अस्थाई है परंतु अरबईन का अर्थ और उसकी पहचान बहुत गहरी और विस्तृत है।
रूसी पत्रकार अब्बास जुमा आगे कहते हैं कि अरबईन हर उस मुसलमान की आत्मा का अंश है जो दूसरे मज़लूम इंसानों की मुक्ति व उद्धार के लिए कोशिश करता है और साथ ही वह अल्लाह की ओर वापसी का इच्छुक भी है।
पश्चिम कभी भी अरबईन को नहीं समझ सकता
इस्लाम धर्म ग्रहण कर चुका रूसी पत्रकार कहता है कि पश्चिम कभी भी अरबईन को नहीं समझ सकता और जब हम अपने अमेरिकी और यूरोपीय सहयोगियों से कहते हैं कि कर्बला के रास्ते में हम और सभी लोग फ्री में खाते और पीते हैं और फ़्री में उपचार भी होता है तो वे विश्वास नहीं करते हैं।
वह कहता है कि पश्चिम में लोग हमेशा डर की हालत में रहते हैं क्योंकि वे इस बात को भूल गये हैं कि आत्मा हमेशा- हमेशा रहने वाली चीज़ है और उन्होंने स्वयं को भौतिक चीज़ों से घेर लिया है और पूरी ताक़त के साथ उन्हें पकड़ लिया है क्योंकि उनके पास कुछ और नहीं है। मकान, गाड़ी, बैंक- बैलेंस और दूसरी चीज़ें उनके पास हैं केवल यह दिखाने के लिए कि हम हैं और हमारे पास ये चीज़ें हैं। इस आधार पर वे हमें नहीं समझ सकते। इस प्रकार कि हम किसी और दुनिया के इंसान हैं।
शोहद ए गाज़ा की संख्या 40 हज़ार 691 पहुंच गई
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि गाज़ा पट्टी पर इज़राइली शासन के हमलों के परिणामस्वरूप दर्जनों और फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक , गाज़ा में युद्ध को 330 दिन बीत चुके हैं इस मौके पर गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज शनिवार दोपहर अपनी रिपोर्ट में घोषणा की हैं।
इजरायली सेना ने गाजा में 89 फिलिस्तीनियों को मार डाला 24 घंटे के दरमियान 89 लोगो को शहीद और 205 घायल हुए मलबे के नीचे अभी भी कई फिलिस्तीनी दबे हुए हैं।
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि फिलिस्तीनी शहीदों की कुल संख्या 40,691 और घायलों की संख्या 94,600 तक पहुंच गई है।
गौरतलब है कि गाजा पर ज़ायोनी सरकार के हमले पिछले ग्यारह महीनों से जारी हैं इज़रायली सेना ने गाजा में चिकित्सा केंद्रों सहित कई महत्वपूर्ण सुविधाओं को नष्ट कर दिया है।
गाज़ा इज़रायली सेना की घेराबंदी में है और इस दमनकारी सरकार ने सीमित मानवीय सहायता गाजा में प्रवेश की अनुमति नही दे रहा हैं।
शेख ज़कज़ाकी की हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी के साथ मुलाक़ात
आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने तहरीक-ए-इस्लामी-ए-नाइजीरिया के प्रमुख शेख इब्राहिम ज़कज़ाकी का उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ नजफ अशरफ में उनके प्रधान कार्यालय में गर्मजोशी से स्वागत किया।
मरजा तकलीद आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने तहरीक-ए-इस्लामी-ए-नाइजीरिया के प्रमुख शेख इब्राहिम ज़कज़की का उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ नजफ अशरफ में अपने प्रधान कार्यालय में गर्मजोशी से स्वागत किया।
हाफ़िज़ शेख बशीर नजफ़ी ने अतिथि प्रतिनिधिमंडल को वर्तमान स्थिति और सामान्य रूप से शियाओं और विशेष रूप से पूरे अफ्रीकी देशों और नाइजीरिया में सामना किए जाने वाले मुद्दों के बारे में सुना और वहां के विश्वासियों के लिए कुछ पिता जैसी सलाह और आवश्यक निर्देश दिए।
उन्होंने वास्तविक मुहम्मदी इस्लाम की सेवा के उद्देश्य से किए गए सभी प्रयासों की सराहना की, इसी तरह अतिथि प्रतिनिधिमंडल ने ग्रैंड अयातुल्ला बशीर नजफ़ी को अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद दिया
रूसी विदेशमंत्री ने दी पश्चिम को चेतावनी, तीसरा विश्वयुद्ध यूरोप तक सीमित नहीं रहेगा।
रूसी विदेशमंत्री ने इसे आग से खेलना बताया है। रूसी सरकार ने वाशिंग्टन और उसके घटकों की युद्धोन्मादी कार्यवाहियों की आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि तीसरा विश्वयुद्ध यूरोप तक सीमित नहीं रहेगा।
यूक्रेन रूस के अंदर हमला करने के लिए Storm Shadow मिसाइल का इस्तेमाल कर सकता है या नहीं इसके बारे में ब्रितानी अधिकारियों ने हालिया सप्ताहों में विरोधाभासी बयान दिये हैं। पश्चिमी मिडिया के अनुसार ब्रितानी अधिकारियों ने Storm Shadow मिसाइल से रूस के अंदर हमला करने के लिए अनुमति दी है या नहीं इसके बारे में वे जानबूझकर विरोधाभासी बातें कर रहे हैं ताकि वास्तविकता संदिग्ध बनी रहे और लोग उसके बारे में असमंजस का शिकार रहें।
इस संबंध में रूस के विदेशमंत्री सरगेई लावरोफ़ ने बल देकर कहा है कि पश्चिम द्वारा कीव को रूस के ख़िलाफ़ Storm Shadow मिसाइल का इस्तेमाल करने की अनुमति देना आग से खेलना है। मॉस्को ने इससे पहले बारमबार पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को हथियारों से लैस किये जाने और तनाव में वृद्धि के संबंध में चेतावनी दी थी।
अमेरिकी पत्रकार Seymour M. Hersh ने इसी संबंध में सोशल मिडिया पर लिखा है कि क्या अमेरिका की उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हेरिस चुनाव में जीत जाने और अमेरिका की राष्ट्रपति बन जाने की स्थिति में जो बाइडेन जो यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं उसे वह जारी रखेंगी या नहीं?
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि यूक्रेन जंग में बाइडेन की नीति विरोधाभास का शिकार हो गयी है। वाशिंग्टन एक ओर यह जानने के बावजूद कि यूक्रेन इस युद्ध में जीतेगा या नहीं, यूक्रेन को हथियारों से लैस कर रहा है और दूसरी ओर वह उस वार्ता में भाग लेने से कतरा रहा है जिसके नतीजे में यह युद्ध समाप्त हो सकता है।
यमनी लोगों ने इज़राईली आक्रमण की निंदा की फ़िलिस्तीनियों के समर्थन मैं रैली निकाली
यमन की राजधानी सना और दूसरे अन्य शहरों में शुक्रवार को गाज़ा पर बर्बर इज़राईली बमबारी के ख़िलाफ़ लाखों लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली
यमनी लोगों ने ज़ायोनी आक्रामकता की निंदा करने और फ़िलिस्तीनियों के लिए अपने मजबूत समर्थन की घोषणा करने के लिए एक बार फिर बड़े पैमाने पर इज़राईल के खिलाफ विरोधी प्रदर्शन किए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, यमन के 330 केंद्रीय क्षेत्रों में इज़राईल सरकार के खिलाफ और उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में प्रदर्शन हुए, जिनमें यमनी राजधानी सना और सादा, वारिमा, मआरिब, इमरान, आइब, ताइज़ सहित अन्य शहर भी शामिल हैं।
प्रदर्शनकारियों ने गाज़ा और अलअक्सा मस्जिद के समर्थन में ज़ायोनी विरोधी बैनर और तख्तियां ले रखी थीं जिनमें हम आपके साथ हैं जैसे नारे और ज़ायोनी शासन द्वारा क्रूर हमलों की कड़ी निंदा शामिल थी।
फ़िलिस्तीनी मज़लूम जनता को जारी रहेगा ईरान का समर्थन।
ईरान के विदेशमंत्री ने ख़लील अलहय्या के साथ टेलीफ़ोनी वार्ता में ग़ज़्ज़ा पट्टी के लोगों के 11 महीनों के प्रतिरोध और ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में प्रतिरोध के संघर्षकर्ताओं की सराहना की और कहा कि अंतिम विजय फ़िलिस्तीनी जनता की होगी और इस्लामी गणतंत्र ईरान आख़िर तक फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ रहेगा।
ईरान के विदेशमंत्री ने बल देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान हर उस समझौते का समर्थन करेगा जिसमें युद्ध विराम और ग़ज़्ज़ा जंग की समाप्ति की बात कही गयी हो और उस समझौते को फ़िलिस्तीनी लोग और प्रतिरोधक गुट और हमास क़बूल करते हों।
इसी प्रकार इस टेलीफ़ोनी वार्ता में हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य ख़लील अलहय्या ने भी ईरान का विदेशमंत्री बनने पर अब्बास एराक़ची को मुबारकबाद दी और ग़ज़ा में युद्ध विराम के संबंध में वार्ता की ताज़ा स्थिति और अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में ज़ायोनी सरकार के अपराधों और मस्जिदुल अक़्सा की स्थिति को परिवर्तित करने हेतु ज़ायोनी सरकार के प्रयासों से अवगत कराया।
अलहय्या ने इसी प्रकार फ़िलिस्तीनी जनता के समर्थन में ईरान के पूर्व विदेशमंत्री शहीद हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के प्रयासों की प्रशंसा की और बल देकर कहा कि फ़िलिस्तीनी लोग ज़ायोनी सरकार के अपराधों के मुक़ाबले में प्रतिरोध और फ़िलिस्तीनी आकांक्षाओं के प्रति ईरान के समर्थन के सदैव आभारी रहेंगे।
जापान में भारी तबाही;बारिश और तूफान के कारण कई लोगों की मौत
जापान,तूफ़ान 'शानशान' से जापान में हुई तबाही 50 लाख लोगों को घर छोड़ने का मिला निर्देश
दक्षिणी जापान में बृहस्पतिवार को भारी बारिश और तेज हवाओं के साथ आए तूफान के कारण कम से कम तीन सौ लोगों की मौत हो गई।
तूफान के और विकराल होने के चलते बाढ़ भूस्खलन तथा बड़े स्तर पर नुकसान की आशंका व्यक्त की गई है।
जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि तूफान ‘शानशान’ ने सुबह दक्षिणी क्यूशू के सतसुमासेंदाई के पास दस्तक दी, जहां 24 घंटे में 60 सेमी (23.6 इंच) तक बारिश होने के आसार हैं।
इसने यह भी बताया कि तूफान के कारण देश के अधिकतर भागों विशेषकर क्यूशू के दक्षिणी प्रान्तों में तेज हवाएं चलने, ऊंची लहरें उठने और भारी वर्षा की संभावना है और उच्चतम स्तर की चेतावनी जारी की गई है।
जिन क्षेत्रों के लिए चेतावनी जारी की गई, वहां के लोगों से सामुदायिक केंद्रों और अन्य जन सुविधाओं में शरण लेने की अपील की गई है।
एजेंसी ने बताया कि सुबह तक ‘शानशान’ क्यूशू के दक्षिणी द्वीप के आसपास सक्रिय रहा, जो 15 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उत्तर की ओर बढ़ रहा है तथा 144 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार हवा चल रही है।
शहर के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, तूफान की दस्तक से पहले भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटना हुई, जिसके कारण गामागोरी में एक मकान ढह गया। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए।
मौसम विभाग और प्रशासनिक अधिकारी बड़े स्तर पर नुकसान को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि तूफान अगले कुछ दिनों में धीरे-धीरे जापानी द्वीपसमूह को अपनी चपेट में ले लेगा। इसके कारण बाढ़ और भूस्खलन का भी खतरा है।
इसराइल जंग की आड़ में फिलिस्तीनियों की ज़मीन पर कब्ज़ा कर रहा है
युद्ध की आड़ में फ़लस्तीनियों की ज़मीन पर इसराइल कब्जा करते जा रहा है,इसराइल ने इस इलाके़ में नई यहूदी बस्तियों को मान्यता दी है लेकिन इसराइल की अनुमति के बिना यहां नई यहूदी बस्तियों के लिए फ़लस्तीनियों के लोगों की निजी स्वामित्व वाली ज़मीन को छीन लिया गया है और वहां सैन्य चौकियां बना दी गई हैं।
युद्ध की आड़ में फ़लस्तीनियों की ज़मीन पर इसराइल कब्जा करते जा रहा है,इसराइल ने इस इलाके़ में नई यहूदी बस्तियों को मान्यता दी है लेकिन इसराइल की अनुमति के बिना यहां नई यहूदी बस्तियों के लिए फ़लस्तीनियों के लोगों की निजी स्वामित्व वाली ज़मीन को छीन लिया गया है और वहां सैन्य चौकियां बना दी गई हैं।
प्राकृतिक झरनों के पानी से सिंचाई करने वाले पुराने फ़लस्तीनी गांव बतिर में आम ज़िदगी सैंकड़ों सालों से शांत ही रही है।
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल बतिर गांव को जैतून के बाग़ों और अंगूर के खेतों लिए जाना जाता है. लेकिन मौजूदा वक्त में यह कब्ज़ा किए गए वेस्ट बैंक वाले इलाके़ में बस्तियों को लेकर चर्चा में है।
इसराइल ने इस इलाके़ में नई यहूदी बस्तियों को मान्यता दी है. लेकिन इसराइल की अनुमति के बिना यहां नई यहूदी बस्तियों के लिए फ़लस्तीनियों के लोगों की निजी स्वामित्व वाली ज़मीन को छीन लिया गया है और वहां सैन्य चौकियां बना दी गई हैं.
घासन ओल्यान उन लोगों में से हैं जिनकी ज़मीन पर कब्ज़ा किया गया है ओल्यान कहते हैं हमारी त्रासदी पर अपने सपने बनाने के लिए वो हमसे हमारी ज़मीनें छीन रहे हैं।
यूनेस्को का कहना है कि बतिर के आसपास नई बस्ती और लोगों को लेकर वो चिंतित है. सभी बस्तियां अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के हिसाब से अवैध हैं, हालांकि इसराइल इस बात से सहमत नहीं है।
आतंकवाद पर ब्रिटेन के दोहरे मापदंड की आलोचना।
लंदन में इस्लामी गणतंत्र ईरान के दूतावास ने अपने एक्स-हैंडल पर जारी एक संदेश में कहा है, ''30 अगस्त, 1981 को ईरानी राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को मुजाहिदीन ख़ल्क़ नामक समूह ने शहीद कर दिया था, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय वर्षों से इस समूह की निंदा करते हुए इसे आतंकवादी समूह माना जाने लगा है।'' संदेश में कहा गया है कि हालांकि इस आतंकवादी समूह की प्रकृति नहीं बदली है, लेकिन ईरान पर दबाव बनाने के लिए इस समूह का नाम (आतंकवादी संगठनों) सूची से हटा दिया गया है। इस संदर्भ में, कुछ ब्रिटिश सांसदों ने आश्चर्यजनक रूप से इस समूह के नेता की मेजबानी की, जबकि कुछ कुख्यात रूढ़िवादी समाचार पत्रों ने इस समूह को अपने पृष्ठ दिए हैं।
ब्रिटिश अधिकारियों के दोहरे मापदंडों का जिक्र करते हुए ईरानी दूतावास ने लिखा कि ब्रिटेन के लिए आतंकवाद तब सहनीय है जब वह ईरानियों को निशाना बनाता है और अन्य जगहों पर निंदनीय है। उल्लेखनीय है कि ईरान के राष्ट्रपति मोहम्मद अली रजाई और प्रधान मंत्री मोहम्मद जवाद बाहुनर को उपरोक्त आतंकवादी समूह (एमकेओ) ने 30 अगस्त, 1981 को प्रधान मंत्री आवास को उड़ाकर शहीद कर दिया था।