رضوی

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राष्ट्रपति रईसी की शहादत पर आतंकवादियों के जश्न मनाने का एक कारण, उनके द्वारा एमकेओ के आतंकवादियों को कड़ी सज़ा देना है।

स्वर्गीय राष्ट्रपति रईसी और उनके साथियों की हेलिकॉप्टर में मौत से ईरानी राष्ट्र ग़म में डूब गया, जबकि आतंकवादियों और ईरान के दुशमनों ने इस पर जश्न मनाया।

राष्ट्रपति रईसी उस ज़माने में जज थे, जिन्होंने आतंकवादियों और देशद्रोहियों को सज़ा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से वह हमेशा दुशमनों और आतंकवादियों के निशाने पर रहे।

क्रांति से पहले ईरान में जो संगठन सक्रिय थे, उनमें से एक साज़माने मुजाहेदीने ख़ल्क़ या एमकेओ भी था, जो उन लोगों के लिए जाना पहचाना नाम है, जो ईरान के समकालीन राजनीतिक इतिहास से वाक़िफ़ हैं। यह ऐसा गुट है, जो हत्याओं, बम हमलों और आतंकवादी कार्यवाहियों के लिए मशहूर रहा है। वह भी ऐसे समय में जब ईरानी जनता इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में शाही शासन के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण और अहिंसक आंदोलन चला रही थी। ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद, जब लोगों ने इस गुट के अतिवादी विचारों को ठुकरा दिया, तो इस संगठन ने सत्ता पर क़ब्ज़ा करने के लिए हथियार उठा लिए।

संगठन के प्रमुख मसूद रजवी ने इस्लामी गणतंत्र ईरान से लड़ने के लिए कई चरण की योजना तैयार की।

पहले चरण में इस्लामी व्यवस्था के भविष्य के प्रति निराशा फैलाना थी, जिसके लिए नेताओं और अधिकारियों की हत्याएं की गईं।

यह चरण ईरानी कैलेंडर के मुताबिक़, 1360 से 1360 तक जारी रहा, जब इस्लामी गणतंत्र के अधिकारियों पर सबसे ज़्यादा आतंकवादी हमले हुए। जमहूरी इस्लामी पार्टी के मुख्यालय में एक बड़ा धमाका किया गया, जिसमें शहीद बहिश्ती समेत 70 से ज़्यादा नेता और अधिकारी शहीद हो गई। इस हमले को रजवी ने एक घातक हमला क़रार दिया था।

उसके बाद एमकेओ ने इमाम ख़ुमैनी के घर और दफ़्तर पर हमला करने की योजना बनाई, लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम हो गई। उसके बाद उसने राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को निशाना बनाया और उन्हें शहीद कर दिया।

एमकेओ ने राजनेताओं की हत्याओं के अलावा, धार्मिक हस्तियों को भी निशाना बनाया और नमाज़ की हालत में 5 इमामे जुमा को शहीद किया।

अमरीकी समर्थन प्राप्त इस गुट का विश्लेण यह था कि संप्रभुता के पिरामिड के सिर पर प्रहार किया गया है और दूसरे चरण में ईरान में असुरक्षा और संकट पैदा करना होगा।

इस चरण में मसूद रजवी के आतंकवादी संगठन और उसके सदस्यों ने सड़कों और बाज़ारों में लोगों को बनाया। इसमें किराना विक्रेताओं और बेकरियों से लेकर महिलाओं और बच्चों तक के निशाना बनाया गया, जिसमें 3 साल की एक बच्ची लैला नूरबख़्श भी शामिल थी, जो आग में ज़िंदा जल गई थी।

ईरान की जनता के ख़िलाफ़ इस आतंकवादी संगठन के अपराध यहीं ख़त्म नहीं हुए। जब अमरीका के समर्थन से इराक़ के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया, तो एमकेओ के आतंकवादी सद्दाम के साथ खड़े हो गए और उन्होंने बासी शासन को व्यापक सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने ईरानी सैनिकों की वर्दी में ईरानी सशस्त्र बलों में भी घुसपैठ की और ईरानी सैनिकों की हत्याओं का प्रयास किया। इन आतंकवादियों ने सद्दाम का विरोध करने वाले इराक़ी कुर्दों को भी निशाना बनाया।

थोपे गए युद्ध के दौरान, उन्होंने कई ऑपरेशन किए और सीधे युद्ध क्षेत्र में प्रवेश किया। जैसे कि आफ़ताब या ख़ुरशीदे ताबन ऑपरेशन। इसमें लगभग 3500 लोग शहीद और घायल हुए और 508 ईरानी सैनिकों को क़ैदी बना लिया गया। मेरसाद ऑपरेशन में 977 लोगों को क़ैदी बनाया गया। इन आतंकवादियों ने बड़ी संख्या में ईरानी लोगों को शहीद किया और लोगों को ज़िंदा जलाने से लेकर ज़ख़्मियों के सिर काटने और अस्पतालों में आग लगाने जैसे जघन्य अपराध किए।

इसके अलावा, 1366 में मक्का में ईरानी हाजियों की शहाद में उनकी भूमिका का उल्लेख किया जा सकता है।

ऐसी स्थिति में अयातुल्ला रईसी, ईरान के लोगों की रक्षा करने और तेहरान में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के ख़िलाफ़ एक न्यायिक व्यक्ति के रूप में मैदान में आए।

एक ऐसा व्यक्ति जो न्यायिक संस्थानों में अपनी उपस्थिति के दौरान तेहरान में आतंकवादियों को दंड देने वाला बन गया और दृढ़ता और मज़बूती से खड़ा रहा, ताकि अमरीका द्वारा समर्थित आतंकवादी ईरान और तेहरान के लोगों का इससे अधिक जनसंहार नहीं कर सकें।

अब यहां यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि पश्चिम और उसका मीडिया राष्ट्रपति रईसी के कार्यों की प्रशंसा करने के बजाए, आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर उनकी छवि ख़राब करने और झूठ फैलाने और ऐतिहासिक तथ्यों पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों कर रहा है? इससे पश्चिम को क्या लाभ पहुंच रहा है?

ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट की ओर से संभावित वारंट के खिलाफ प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। रॉयटर्स के अनुसार, हेग में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रियाओं के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है।

व्हाइट हाउस में अपने केन्याई समकक्ष के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में बाइडन ने कहा कि हमने न्यायलय के सामने स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रख दिया है। हम साफ़ कह चुके हैं कि अमेरिका अदालत के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है।

बाइडन ने इस्राईल और नेतन्याहू का बचाव करते हुए कहा कि हमारी राय में, इस्राईल ने जो किया और हमास ने जो किया, उसके बीच कोई समानता नहीं है।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोधी आंदोलन हमास ने गुरुवार को एक बयान जारी करके बताया कि इस्राईली महिला क़ैदियों के बारे में सोशल मीडिया पर जो वीडियो क्लिप वायरल हो रही है, वह डॉक्टर्ड और फ़ेक है।

इस बयान में कहा गया हैः इस वक़्त इस तरह के वीडियो के जारी करने का मक़सद साहसी फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के प्रतिरोध को बदमान करना है, हालांकि इस तरह के झूठे प्रोपैगंडे की पहले भी कई बार पोल खुल चुकी है।

हमास का कहना है कि वीडियो में इस्राईली महिला सैनिकों को एक सैन्य अड्डे में देखा जा सकता है, जहां उन्हें ग़ज़ा के प्रतिरोधी गिरफ़्तार कर लेते हैं, हालांकि वे उस वक़्त वर्दी में नहीं हैं, क्योंकि ग़ज़ा के प्रतिरोधी संगठनों ने 7 अक्तूबर की सुबह ऑप्रेशन किया था, जो इस्राईल में छुट्टी का दिन था।

बयान में कहा गया है कि वीडियो में काफ़ी कांट-छांट की गई है और उसे इस तरह से एडिट किया गया है कि महिला सैनिकों के साथ ज़बरदस्ती के इस्राईल के झूठे दावे को सच्चा साबित किया जा सके।

वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि अंग्रेज़ी में अनुवाद में काफ़ी बदलाव किया गया है और लफ़ज़ों के साथ छेड़-छाड़ की गई है, जबकि ऐसे शब्द प्रतिरोधियों की ज़बान से कभी नहीं सुने जा सकते। अनुवाद में छेड़छाड़ से पता चलता है कि असली वीडियो के साथ क्या हाल किया गया होगा।

अल-मयादीन की रिपोर्ट के मुताबिक़, हमास का कहना है कि एक दो महिला सैनिकों के चेहरे या कपड़ों पर ख़ून के धब्बे, इस तरह के ऑप्रेशन में एक सामान्य सी बात है, जबकि इसमें किसी भी महिला सैनिक के साथ छेड़-छाड़ या उसका रेप नहीं किया गया है।

बयान में कहा गया है कि महिला सैनिकों के साथ प्रतिरोध के नैतिक सिद्धांतों के मुताबिक़ बर्ताव किया गया था और उनके साथ किसी तरह की हिंसा या उनका अपमान नहीं किया गया, जबकि वह ग़ज़ा की सीमा पर सैकड़ों शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की मौत का कारण बनीं।

आख़िर में उल्लेख किया गया कि क़ैदियों के आदान-प्रदान के वक़्त जितने भी वीडियो और फ़ोटो जारी किए गए हैं, उनमें देखा जा सकता है कि ग़ज़ा में क़ैदियों के साथ सम्मानजक बर्ताव किया गया, जबकि इस्राईल की जेलों में फ़िलिस्तीनी महिलाओं और पुरुषों को बर्बरता और अमानवीय यातनाओं का सामना करना पड़ता है।

इन दिनों इस्राईली मीडिया में एक वीडियो ख़ूब वायरल किया जा रहा है, जिसमें देखा जा सकता है कि फ़िलिस्तीनी लड़ाके पांच महिला सैनिकों को पकड़ ले जा रहे हैं। बुधवार को एक अमरीकी न्यूज़ एजेंसी ने भी 7 अक्तूबर को इस्राईली महिलाओं के साथ रेप के आरोपों को निराधार बताया था।

इस बारे में एसोशिएटेड प्रेस ने लिखाः जैसा कि इस्राईल ने सात अक्तूबर के ऑप्रेशन के दौरान महिलाओं के साथ रेप के आरोप लगाए थे और उसका जमकर प्रचार किया था, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में इस्लामी गणतंत्र ईरान की प्रभावी और रचनात्मक भूमिका में कोई कमी नहीं आएगी।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने सोशल मीडिया एक्स पर शहीद राष्ट्रपति रायसी को ले जा रहे हेलीकॉप्टर दुर्घटना के शहीदों के ऐतिहासिक अंतिम संस्कार और ईरान की क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भूमिका का उल्लेख किया है.

उन्होंने कहा कि हालिया कड़वी दुर्घटना में ईरान ने अपने प्रिय और योग्य राष्ट्रपति और सक्रिय और जुझारू विदेश मंत्री को खो दिया है, लेकिन इस्लामी गणतंत्र ईरान की प्रगति और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एक बुद्धिमान और साधन संपन्न नेतृत्व और एक महान व्यक्ति द्वारा हासिल किया गया है। और प्रशंसनीय एवं जागृत राष्ट्र व्यवहार में अपनी प्रभावी एवं रचनात्मक भूमिका में रत्ती भर भी व्यवधान नहीं आने देगा।

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अली बाक़ेरी ने अल जज़ीरा टीवी चैनल के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि प्रतिरोध समूहों को ईरान का समर्थन जारी रहेगा और यह हमारे देश की रणनीति का हिस्सा है।

हौजा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अली बाकेरी ने अल जजीरा टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया और कहा कि प्रतिरोधी समूहों को ईरान का समर्थन जारी रहेगा और यह हमारे देश की रणनीति का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि अल-अक्सा ऑपरेशन के बाद ज़ायोनी शासन को फ़िलिस्तीन और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारी हार का सामना करना पड़ा है।

ईरान के कार्यवाहक विदेश मंत्री ने कहा: हम पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने की नीतियों को जारी रख रहे हैं और सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार और विविधता लाने के लिए पड़ोसी देशों के साथ चर्चा कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

संयुक्त राष्ट्र में इस्लामी गणतंत्र ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद एरवानी ने सत्र में हेलीकॉप्टर त्रासदी में ईरानी अधिकारियों की शहादत के प्रति सहानुभूति के लिए ईरान सरकार और इन देशों के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया है। सामान्य सम्मेलन।

संयुक्त राष्ट्र में इस्लामिक गणराज्य ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद एरवानी ने हेलीकॉप्टर त्रासदी में मदद करने वाले सभी देशों को राष्ट्रपति अयातुल्ला सैयद इब्राहिम रायसी, विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियां और अन्य हस्तियों को धन्यवाद दिया की शहादत पर ईरानी सरकार और जनता को

संयुक्त राष्ट्र में ईरान इस्लामी गणराज्य के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद एरवानी ने महासभा सत्र को अपने संबोधन में कहा कि मैं दुनिया के सभी प्रतिनिधिमंडलों और प्रतिनिधियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों का बहुत आभारी हूं जिन्होंने संवेदना व्यक्त की है। हमारे देश के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की शहादत पर ईरान की सरकार और जनता के प्रति संवेदना व्यक्त की.

अमीर सईद इरवानी ने महासभा की बैठक को अपने संबोधन में कहा कि शहीद अयातुल्ला सैयद इब्राहिम रायसी और शहीद अमीर अब्दुल्लाहियां ईरानी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय थे और लोगों की नजर में बहुत सम्मानित और प्रिय थे। उन्होंने कहा कि लोगों के लिए उनके अथक प्रयास और प्रयास राष्ट्र के लिए उनके त्याग और बलिदान का प्रतिबिंब हैं।

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि शहीद राष्ट्रपति अयातुल्ला सैयद इब्राहिम रायसी और शहीद विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने मानवीय गरिमा और प्रतिष्ठा को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि शांति और सुरक्षा को मजबूत करने तथा वैश्विक और क्षेत्रीय मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने में इन दोनों नेताओं द्वारा निभाई गई भूमिका हमेशा बनी रहेगी।

यह याद रखना चाहिए कि 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधि ईरानी राष्ट्रपति, विदेश मंत्री और उनके साथियों की शहादत का विरोध करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिनिधि कार्यालय गए थे। उन्होंने हेलीकाप्टर त्रासदी में शहीद हुए जवानों के शोक संवेदना रजिस्टर पर अपनी टिप्पणियाँ लिखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

ज़ायोनी सेना ने गुरुवार और शुक्रवार की रात के बीच गाजा के विभिन्न क्षेत्रों पर अपने हमले जारी रखे। गाजा से मिली ताजा खबर के मुताबिक, गुरुवार और शुक्रवार की रात के बीच ज़ायोनी आतंकियों ने छोटे से घिरे शाबिया इलाके के एक अपार्टमेंट पर बमबारी की, जिसमें कम से कम दस लोगों के मारे जाने की खबर है. इससे पहले ज़ायोनी युद्धक विमानों ने जबालिया कैंप में कुछ जगहों को निशाना बनाया था, जिसके बाद वहां बड़े पैमाने पर आग लग गई थी.

दूसरी ओर, ज़ायोनी समूह के युद्धपोत भी गाजा तट की ओर गोलाबारी में लगे हुए हैं। कल गाजा के विभिन्न इलाकों में ज़ायोनी समूह के हमलों में 22 लोग शहीद हो गये।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय की घोषणा के अनुसार, कई शहीदों के शव मलबे के नीचे दबे हुए हैं, जबकि कई शव सड़कों पर बिखरे हुए हैं, जिन्हें ज़ायोनी सेना की लगातार आक्रामकता के कारण बचाव दल हटा नहीं पा रहे हैं। केंद्र में अल-दुर्ज क्षेत्र में बमबारी में पांच बच्चों सहित कम से कम सोलह फिलिस्तीनी और दर्जनों अन्य घायल हो गए, जहां विस्थापित लोगों ने एक मस्जिद और एक स्कूल में शरण ली है।

दूसरी ओर, गाजा शहर के केंद्र में अल-दर्ज क्षेत्र में स्थित हज़रत फातिमा अल-ज़हरा (पीबीयूएच) मस्जिद को इजरायली कब्जे वाली सेना ने अपने ड्रोन हमले से निशाना बनाया - यह मस्जिद सैकड़ों बेघर लोगों के लिए आश्रय है अपने घर खो दिए हैं.۔

अंसारुल्लाह यमन के के नेता सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अलहौसी ने अपनी हालिया स्पीच में ग़ज़ा में ज़ायोनिस्ट रेजीम के उन युद्ध अपराधों की बात की जो अमरीका के भरपूर समर्थन से जारी हैं और साथ ही अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बेहद बेतुके बयान की कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने बढ़ी ढिठाई से कहा था कि ग़ज़ा में ज़ायोनिस्ट रेजीम जो मौत का तांडव कर रही है वो नस्लीय सफ़ाया नहीं है।

अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि सड़कों पर फ़िलिस्तीनियों का क़त्लेआम, उन्हें भीड़भाड़ वाली जगहों पर निशाना बनाना और लाखों लोगों को भुखमरी में ढकेलना जो बाइडन की नज़र में नस्लीय सफ़ाया नहीं है।

हेल्थ केयर सिस्टम को ध्वस्त करना, दवाओं की सप्लपाई रोक देना, बीमारों को क़त्ल करना, उनमें बहुतों को ज़िंदा ही दफ़्न कर देना, विक्लांगों को गाड़ी से रौंद देना बाइडन की नज़र में क़त्लेआम नहीं है।

हज़ारों और लाखों की संख्या में लोगों को बेघर कर देना और फिर उनका पीछा करके शरण स्थलों पर उन्हें क़त्ल करना, रोटी की दुकानों पर हमला, पानी के कुओं पर हमला यह सब जो बाइडन को अपराध नज़र नहीं आता।

अलहौसी ने कहाः ताज्जुब की बात नहीं है कि ग़ज़ा में जो कुछ हो रहा है उसे बाइडन नस्लीय सफ़ाया नहीं मानते क्योंकि वाशिंग्टन दरअस्ल अपराधों का मास्टर है और इस मैदान में उसका बहुत लम्बा रिकार्ड है।

अमरीका के ज़रिए ग़ज़ा के क़रीब जेटी बनाए जाने और उसके बारे में अमरीकी अधिकारियों के दावों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ग़ज़ा पट्टी के इलाक़े में अमरीका की फ़्लोटिंग बंदरगाह दरअस्ल अमरीका की सैनिक छावनी है। जिस समय अमरीका इस इलाक़े में बक्तरबंद गाड़ियां और एयर डिफ़ेंस सिस्टम लाया उसी समय वो बेनक़ाब हो गया था।

अलहौसी ने कहाः अमरीका चाहता है कि ग़ज़ा पट्टी को जेल में बदल दे जहां प्रवेश का एक समुद्री रास्ता रहे और अमरीकी सैनिक उस पर नज़र रखें।हलहौसी ने आयरलैंड, नार्वे और स्पेन की ओर से फ़िलिस्तीन की स्वाधीनता को मान्यता दिए जाने के बारे में कहा कि तीन यूरोपीय देशों की ओर से फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दिया जाना वैसे तो अधूरा क़दम है लेकिन यह अपने आप में बहुत अहम राजनैतिक डेवलपमेंट है।

उन्होंने कहाः वेस्ट जो बिल्लियों और दूसरे जानवरों के अधिकारों के लिए गला फाड़ता रहता है मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और नस्लीय सफ़ाए में शामिल होने के बाद पूरी तरह बेनक़ाब हो गया है।

अब्दुल मलिक अलहौसी ने कहा कि आईसीसी के एटर्नी जनरल का बयान जिसमें उन्होंने जल्लाद और पीड़ित को एक समान क़रार दे दिया, अन्यायपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि एटार्नी जनरल कैसे ज़ायोनिस्ट रेजीम के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू और युद्ध मंत्री युआफ़ गालांट को फ़िलिस्तीनी नेताओं के समान क़रार दे सकते हैं जो फ़िलिस्तीन के न्यायपूर्ण लक्ष्यों के लिए लड़ रहे हैं।

उन्होंने अपनी स्पीच में कहा कि राष्ट्रपति रईसी की शहादत के गहरे दुख में हम पूरी तरह शरीक हैं। राष्ट्रपति रईसी दूसरे नेताओं से अलग थे, एक ओहेदादार के रूप में और अपनी जनता से गहरे संबंध के मामले में वो एक आदर्श हैं और यह अन्य नेताओं के लिए बहुत अहम नमूना है। राष्ट्रपति रईसी का शोक मनाने और उनके अंतिम संस्कार के लिए मिलियनों की संख्या में लोगों का बाहर आना अपने अवाम से उनके दिल के रिश्ते की निशानी है और यह चीज़ पूरी दुनिया के नेताओं से काफ़ी अलग है।

अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि विश्व स्तर पर इस्राईल के आइसोलेशन का दायरा तेज़ी से बढ़ता जा रहा है जबकि इस्राईल के ख़ौफ़नाक अपराधों पर कुछ देशों की ख़ामोशी पूरी मानवता का खुला अपमान है।

सैयद अलहौसी ने अपनी स्पीच के आख़िर में ग़ज़ा के समर्थन में इस्राईली जहाज़ों पर हमलों का सिलसिला जारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसी हफ़्ते 15 मिसाइलों और ड्रोन विमानों की मदद से लाल सागर, अरब सागर, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर में आठ हमले किए गए। उन्होंने आगे कहा कि इसी हफ़्ते हमारा एक सैनिक आप्रेशन मेडीटेरियन सागर में अंजाम पाया। अब्दुल मलिक हौसी ने कहा कि अब तक हमारे हमलों में कुल 119 इस्राईली, अमरीकी और ब्रिटिश जहाज़ निशाना बन चुके हैं।अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि इसी हफ़्ते अमरीका के दो एमक्यू-9 ड्रोन यमन के मारिब और अलबैज़ा के इलाक़ों में मार गिराए गए।

उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन का समर्थन हम जारी रखेंगे और यमनी राष्ट्र के तौर पर हमारा ज़िम्मेदारी का एहसास हरगिज़ फीका नहीं पड़ने वाला है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने स्वर्गीय राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के घर पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने दिवंगत राष्ट्रपति को इस्लामी क्रांति के नारों का प्रतीक बताया और उनके प्रति लोगों की मोहब्बत को दुनिया के लिए एक संदेश बताया, जो इस्लामी गणतंत्र के हित में है।

इस मुलाक़ात में धर्मगुरु अलम अल-हुदा, शहीद रईसी की पत्नी डा. अलम अल-हुदा और उनके बच्चे और दूसरे रिश्तेदार भी मौजूद थे।

सुप्रीम लीडर ने राष्ट्रपति रईसी की मौत को देश के लिए ऐसा भारी नुक़सान बताया, जिसकी भरपाई मुमकिन नहीं है।

राष्ट्रपति रईसी और उनके साथियों की शव यात्रा में भारी संख्या में लोगों की उपस्थिति और विदेशी हस्तियों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना का उल्लेख करते हुए सुप्रीम लीडर ने कहा, इससे लोगों के बीच इस्लामी गणतंत्र की जड़ों और मज़बूती का पता चलता है।

इस मुलाक़ात के आख़िर में सुप्रीम लीडर ने स्वर्गीय राष्ट्रपति रईसी के लिए दुआ की और उनके परिजनों को सांत्वना दी।

शहीद राष्ट्रपति रायसी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना की जांच कर रही समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है और कहा है कि अब तक तोड़फोड़ का कोई सबूत नहीं मिला है.

रिपोर्ट के मुताबिक शहीद राष्ट्रपति रायसी के हेलीकॉप्टर से हुए हादसे की जांच के लिए बनी कमेटी ने गुरुवार को प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रासदी के संभावित कारणों के बारे में बहुत सारी जानकारी एकत्र की गई है, जिसमें तकनीकी खराबी सहित अन्य मुद्दे शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मुद्दों पर निश्चित रूप से कुछ कहने के लिए अधिक समय की जरूरत है, जबकि शुरुआती जांच के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, वे इस प्रकार हैं.

  1. हेलीकॉप्टर पूर्व निर्धारित मार्ग पर यात्रा कर रहा था और अपने मार्ग से विचलित नहीं हुआ-
  2. हादसे से करीब एक मिनट तीस सेकेंड पहले हादसे में शामिल हेलीकॉप्टर के पायलट ने अन्य दो हेलीकॉप्टरों के पायलटों से संपर्क किया.
  3. हेलीकॉप्टर के अवशेषों और मलबे में गोलाबारी या तोड़फोड़ का कोई सबूत नहीं मिला।
  4. हादसे के बाद हेलीकॉप्टर में आग लग गई.

5- दुर्गम इलाके और कोहरे के कारण तलाश का काम रात तक बढ़ाया गया और पूरी रात जारी रहा. सोमवार सुबह पांच बजे ईरानी ड्रोन को दुर्घटनास्थल का पता चला और बचावकर्मी दुर्घटनास्थल पर पहुंच गये.

  1. नियंत्रण टॉवर और हेलीकॉप्टर चालक दल के बीच बातचीत और संवाद से कोई संदिग्ध सामग्री सामने नहीं आई। सशस्त्र बलों की देखरेख में गठित जांच समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि त्रासदी के बारे में बहुत सारी जानकारी और सबूत एकत्र किए गए हैं, जिनमें से कुछ की जांच में समय लगेगा। विशेषज्ञों द्वारा जांच पूरी होने के बाद नतीजों से देश को अवगत कराया जाएगा.