
رضوی
धन दौलत और फ़ित्ना
ख़तरनाक फ़िसलन की ओर से सावधान रहें। इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने सहीफ़ए सज्जादिया की एक दुआ में जहाँ इस्लामी सिपाहियों के लिए दुआ की है, वहीं जिन चीज़ों पर ख़ास ताकीद की है उनमें से एक यह भी है कि ऐ अल्लाह! फ़ितना पैदा करने वाले माल की मोहब्बत और याद से उनके दिलों को सुरक्षित कर दे। (सहीफ़ए सज्जादिया, दुआ नंबर-27)
फ़ितना पैदा करने वाले माल की मोहब्बत उनके दिलों से निकाल दे। धन दौलत बहुत ख़तरनाक और फ़ितना फैलाने वाली चीज़ हैं और बहुत से लोग इस मंज़िल पर फिसल जाते हैं।
हमने तारीख़ में बड़े बड़े लोगों को देखा कि जिस वक़्त वह इस मंज़िल पर पहुंचते हैं, फिसल जाते हैं। इसलिए बहुत ख़बरदार रहने की ज़रूरत है। शरीअत में ख़बरदार और सावधान रहने को ही तक़वा कहते हैं। यह जो क़ुरआन मजीद में शुरू से आख़िर तक जगह जगह इतना ज़्यादा तक़वे पर ताकीद की गई है इसका मतलब है अपनी निगरानी, अपनी देखभाल। इंसान का मन ज़्यादा से ज़्यादा की इच्छा रखता है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई
रवीन्द्रनाथ टैगोर और ईरान: ईरानी और हिन्दुस्तानी ख़ूबसूरत तसव्वुर की झलक
रवीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थक थे और प्रेरणा के लिए अन्य एशियाई देशों की ओर देखते थे। उन्होंने ईरानियों के उपनिवेशवाद-विरोधी दृष्टिकोण को देखा था और यह, उनकी पारिवारिक रुचि के साथ, ईरान और भारत के बीच संबंधों में सुंदर घटनाओं का आधार बन गया।
"रवींद्रनाथ टैगोर" (Rabindranath Tagore) एक लेखक और दार्शनिक के रूप में, न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में बहुत प्रभावी रहे। पश्चिम के साथ टैगोर के संबंधों और उन पर इसके प्रभाव के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। लेकिन उनके जीवन का एक पहलू जो बहुत कम लोगों को पता है, वह है ईरान से उनका रिश्ता, एक ऐसा देश जिसका भारत के साथ सांस्कृतिक संबंध 2500 साल से भी अधिक पुराना है। यहाँ हम इस संबंध की एक झलक दिखाएंगे।
रवीन्द्रनाथ टैगोर ईरानी संस्कृति से बहुत प्रभावित थे। उनके दार्शनिक पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर (Debendranath Tagore) की फ़ारसी भाषा पर अच्छी पकड़ थी। उन्हें ईरान से गहरा प्रेम था। अपनी दैनिक प्रार्थनाओं में, उपनिषदों के पाठ के साथ, उन्होंने फ़ारसी भाषा के महान कवि हाफ़िज़ की कविताओं को भी ख़ूब पढ़ा। इसलिए रवींद्रनाथ युवावस्था में ही एक इरानी कवि से परिचित हो गए थे।
ईरानियों के प्राचीन धर्म पारसी धर्म के प्रति भी टैगोर के मन में बहुत सम्मान था। उन्होंने पारसी धर्म के सबसे बड़े धर्मगुरु को भी "सबसे महान प्रेरक दूत" के रूप में सराहा। उन्होंने अनुष्ठानों, प्रार्थना और बलिदान में पारसी और हिंदू धार्मिक नैतिकता के बीच समानताएं बताई हैं। पारसी धर्म आज भी ईरान में मौजूद है और ईरान के पारसी लोग सामाजिक, आर्थिक मामलों की परवाह किए बिना ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी में अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से ईरानी की शासन व्यस्था में भूमिका निभाते हैं।
डॉक्टर. एच. के. शेरवानी की पुस्तक "स्टडीज़ ऑन इंडियाज़ फॉरेन रिलेशंस" (1975) में "रवींद्रनाथ टैगोर" और ईरान शीर्षक अध्याय में, डॉक्टर "मोहम्मद तक़ी मुक़्तदरी" एक दिलचस्प बात लिखते हैं। उन्होंने उल्लेख किया है कि टैगोर के महान परिवार से रवींद्रनाथ के दूर के रिश्तेदारों में से एक "सूमर कुमार टैगोर" (Sumar Kumar Tagore) मुज़फ़्फ़रुद्दीन शाह काजार के शासनकाल के दौरान कलकत्ता, जिसे अब कोलकाता कहा जाता है, में ईरान के मानद वाणिज्य दूत थे। इससे टैगोर परिवार की ईरान से निकटता का पता चलता है।
चूंकि टैगोर साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पूर्व के पहले व्यक्ति थे, इसलिए ईरानी अभिजात वर्ग उनके बारे में जागरूक हो गया। कर्नल मोहम्मद तक़ी ख़ान पेसियान प्रसिद्ध ईरानी राजनीतिक सुधारकों और अधिकारियों में से एक थे, वह जब बर्लिन में रहते थे तब उन्होंने 1918 और 1920 के बीच टैगोर की कविता का फ़ारसी में अनुवाद किया था।
1931 में, ईरानी अख़बारों ने टैगोर के बारे में लेख प्रकाशित करना शुरू किया और इस लोकप्रिय भारतीय शख़्सियत के बारे में जानकारी का दायरा बढ़ाया। टैगोर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थक थे और प्रेरणा के लिए अन्य एशियाई देशों की ओर देखते थे। उन्होंने ईरानियों के उपनिवेशवाद-विरोधी रवैये को देखा था। टैगोर की पहली ईरान यात्रा अप्रैल 1932 में हुई थी। बूशहर में रहने के बाद, टैगोर ने शीराज़ की यात्रा की, जहाँ उन्होंने महान फ़ारसी कवियों "सअदी" और "हाफ़िज़" के मक़बरों का दौरा किया। उन्होंने "तख़्ते जमशेद" (पर्सेपोलिस( के प्राचीन स्थल का भी दौरा किया और इस्फ़हान और तेहरान की भी यात्रा की।
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी ईरान यात्रा के दौरान वह जहां भी गए वहां उन्होंने बुद्धिजीवियों, धार्मिक नेताओं, राजनीतिक हस्तियों और आम लोगों से मुलाक़ात की। स्थानीय अधिकारियों के साथ बातचीत में टैगोर ने लगातार भारत और ईरान के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों पर ज़ोर दिया। टैगोर अपने 70वें जन्मदिन पर तेहरान पहुंचे थे। मलिक अश्शोरा बहार (10 दिसंबर, 1886 - 22 अप्रैल, 1951), एक प्रसिद्ध ईरानी कवि, ने तेहरान में टैगोर के स्वागत के लिए अपनी लिखी एक लंबी कविता पढ़ी और उन्हें समर्पित किया।
इस भारतीय कवि और दार्शनिक को उस समय के कुछ सबसे प्रमुख ईरानी विद्वानों, जैसे अली दश्ती, रशीद यास्मी, अब्बास इक़बाल, सईद नफ़ीसी और नसरुल्लाह फ़लसफ़ी के बारे में भी पता चला। टैगोर ने पहले मस्ऊदिया पैलेस के हॉल में और फिर ईरानी साहित्यिक संघ में भाषण दिया। इसके ठीक दो साल बाद टैगोर ने दूसरी बार ईरान की यात्रा की। इस बार, वह ईरानी कवि फ़िरदौसी की 1000वीं वर्षगांठ थी और तभी फ़िरदौसी के मक़बरे का उद्घाटन भी हुआ था। इस ऐतिहासिक समारोह की वजह से उनकी इस बार की ईरान यात्रा पर मीडिया के ध्यान थोड़ा कम रहा, लेकिन बाद में मीडिया ने उनकी ईरान यात्रा पर फोकस करना शुरु किया।
अपनी ईरान यात्रा के दौरान, टैगोर ने अनुरोध किया कि भारत में फ़ारसी साहित्य पढ़ाने के लिए एक प्रोफेसर भेजा जाए। इब्राहीम पूर दाऊद नामक एक ईरानी विद्वान, को भारत भेजा गया, जहां उन्होंने प्राचीन ईरानी साहित्य का अध्ययन और अध्यापन किया। उन्होंने एक स्थानीय शिक्षक ज़ियाउद्दीन की मदद से टैगोर की कई कविताओं का बंगाली से फ़ारसी में अनुवाद किया और 1935 में कलकत्ता में संग्रह प्रकाशित किया। टैगोर ने ईरानी नौरोज़ को मनाने के लिए एक बड़े समारोह का आयोजन किया। इसमें उन्होंने ईरानी संस्कृति, ईरानी सभ्यता, ईरानी लोगों और उनकी मेहमान नवाज़ी के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की।
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने दोनों देशों और दो सभ्यताओं के बीच आध्यात्मिक संबंधों पर ज़ोर दिया। दोनों देशों के बीच नव स्थापित साहित्यिक संबंध, जिनकी पृष्ठभूमि बेशक कई हज़ार साल पुरानी थी, मज़बूत बनी रहे। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद, ईरान ने भारत के साथ अपने मैत्रीपूर्ण संबंध जारी रखे और इसे उपमहाद्वीप के विभाजन के परिणामस्वरूप बने एक नए पड़ोसी पाकिस्तान के साथ जोड़ दिया। 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद भी भारत ने ईरान के साथ अपने अच्छे संबंध जारी रखे, जब पहलवी राजवंश को उखाड़ फेंका गया और ईरान एक गणतंत्र बन गया। 2011 में, रबींद्रनाथ टैगोर की कविता के फ़ारसी संस्करण का अनावरण किया गया था जब भारतीय संसद की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने ईरान का दौरा किया था।
वियतनाम के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री ने की ईरान के विकास की तारीफ़
वियतनाम के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री ने रक्षा, सैन्य, वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्रों में ईरान की प्रगति की प्रशंसा की और प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ ईरान के प्रतिरोध और स्थिरता जमकर तारीफ़ की।
इस्लामी गणराज्य ईरान के कमांडर-इन-चीफ अहमद रज़ा रादान और वियतनाम के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री जनरल टीओ लैम ने द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से व्यापक पुलिस सहयोग के लिए एक समझौता पर हस्ताक्षर किए। इस समारोह में जनरल "टीओ लैम" ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों, विशेषकर पुलिस सहयोग को और अधिक विकसित करने पर ज़ोर दिया और सहयोग के विस्तार के कारक के रूप में दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण और सम्मानजनक संबंधों का उल्लेख किया।
वियतनाम के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री जनरल टीओ लैम ने रक्षा, सैन्य, वैज्ञानिक और औद्योगिक क्षेत्रों में ईरान की प्रगति की भी प्रशंसा की और प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ ईरान के प्रतिरोध और स्थिरता की जमकर तारीफ़ की।
दोनों देशों के बीच हुए सहयोग समझौते में, संगठित अपराध, आतंकवाद, साइबर अपराध, नशीली दवाओं के उत्पादन और तस्करी, मानव तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, हथियार और गोला-बारूद की तस्करी, जालसाजी से लड़ने के क्षेत्र में सूचना और अनुभवों के आदान-प्रदान सहित क़ानून प्रवर्तन सहयोग को गहरा और मज़बूत करने के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं। दस्तावेज़ों और अवैध आप्रवासन का उल्लेख भी किया गया है।
इस्लामी गणराज्य ईरान के कमांडर-इन-चीफ अहमद रज़ा रादान और इस्लामी गणतंत्र ईरान के उच्च पदस्थ पुलिस प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस सहयोग का विस्तार करने के उद्देश्य से जनरल "टीओ लैम" के आधिकारिक निमंत्रण पर वियतनाम की यात्रा की है।
अपनी इस यात्रा के दौरान ईरान के कमांडर-इन-चीफ ब्रिगेडियर जनरल रादान वियतनाम के प्रधानमंत्री फ़ाम मिन्ह चिन्ह से मुलाक़ात करके कई अहम मुद्दों पर बातचीत करने वाले हैं।
यमन सेना ने अमेरिका के डेस्ट्रॉयर को निशाना बनाया
फिलिस्तीन के समर्थन में अवैध राष्ट्र इस्राईल और अमेरिका ब्रिटेन गठबंधन के हमलों के जवाब में चलाये जा रहे यमन सेना के अभियान के बारे में खबर देते हुए
यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता याहया सरीअ ने कहा है कि मज़लूम और उत्पीड़ित फिलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन और यमन के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका और इंग्लैंड की आक्रामकता के जवाब में, यमनी नौसेना ने अमेरिकी विध्वंसक "मेसन" को निशाना बनाया। यमनी बलों ने इस हमले के लिए कई उपयुक्त मिसाइलों का उपयोग किया जिन्होंने लाल सागर में अपने लक्ष्य पर सटीक प्रहार किया।
उन्होंने कहा कि हमारी नौसेना की मिसाइल और ड्रोन यूनिट ने भी एक संयुक्त अभियान में लाल सागर में "डेस्टिनी" जहाज को सफल हमलों का निशाना बनाया।
यमन से शांति समझौते के लिए सऊदी अरब को अमेरिका की हरी झंडी
अमेरिका ने सऊदी अरब को लोकप्रिय जनांदोलन अंसारुल्लाह और यमन सरकार से शांति समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए हरी झंडी दे दी है। अंग्रेजी अखबार "गार्जियन" ने खुलासा किया कि अमेरिका ने अनौपचारिक रूप से सऊदी अरब को यमन के अंसारुल्लाह के साथ शांति समझौते को पुनर्जीवित करने की कोशिश करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
"गार्जियन ने सऊदी -इस्राईल संबंधों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया को जारी रखने और इसे जल्दी से जल्दी औपचारिक रूप से लागू करने की इच्छा में सऊदी अरब को यमन के साथ संबंध सुधारने की कोशिश करने का आदेश दिया है।
अमेरिका चाहता है कि यमन और सऊदी अरब के बीच जितनी जल्दी संभव हो समझौता हो जाए ताकि वह सऊदी की मदद से ग़ज़्ज़ा संकट को कम कर सके और वाशिंगटन के साथ एक रक्षा समझौते के बदले रियाज़ को तल अवीव के साथ रिश्ते सार्वजनिक करने के लिए मना सके।
भारत की ईरान से मांग, 40 भारतीय नाविकों को रिहा करे
भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक समझौते के साथ जब दोनों देशों के रिश्ते नए आयाम छू रहे हैं तभी भारत सरकार ने ईरान से अपने यहाँ मौजूद 40 भारतीय नाविकों को जल्दी से जल्दी रिहा करने की अपील की है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ईरान में बीते आठ महीने से हिरासत में लिए गए 40 भारतीय नाविकों की रिहाई हो सकती है। भारत ने ईरान से 40 भारतीय नाविकों को रिहा करने की अपील की है।
बता दें कि बीते आठ महीनों में इन नाविकों को फारस की खाड़ी से चार अलग-अलग व्यापारिक जहाजों से हिरासत में लिया गया था। भारत के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियान से तेहरान में एक मुलाकात के दौरान नाविकों को रिहा करने का अनुरोध किया।
भारत के अनुरोध के जवाब में अब्दुल्लाहियान ने कहा कि ईरान द्वारा भारतीय नाविकों की रिहाई पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कानूनी मामलों की वजह से रिहाई में देरी हुई है।
ओवैसी की मोदी को खरी खरी, मुस्लिम विरोधी पॉलिटिक्स पर बना सियासी करियर
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री मोदी के मुस्लिम विरोधी बयानों पर उन्हें जमकर खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि उनका राजनैतिक कैरियर मुस्लिम विरोध और धर्म की राजनीति पर टिका हुआ है।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम नरेंद्र मोदी की मुस्लिम समुदाय पर की गई हालिया टिप्पणियों को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने पीएम मोदी पर मुस्लिम विरोधी राजनीति का आरोप लगाया है।
आम चुनाव के शुरू होने के बाद से ही अब तक कई मुस्लिम विरोधी और धार्मिक उन्माद बढ़ाने वाले भाषण दे चुके मोदी ने हालाँकि अपने हालिया इंटरव्यू में दावा किया था कि वह न तो धर्म की राजनीति करते हैं और न ही हिन्दू मुस्लिम करते हैं वह जिस दिन ऐसा करेंगे सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहेंगे।
एआईएमआईएम चीफ ने मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मोदी ने अपने चुनावी भाषणों में मुसलमानों को घुसपैठिया और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला कहा। अब कह रहे हैं कि वो मुसलमानों की बात नहीं करते थे, उन्होंने आज तक हिंदू-मुस्लिम नहीं किया।' ओवैसी ने पूछा कि ये झूठी सफाई देने में आखिर पीएम को इतना वक्त क्यों लग गया?
ऑपरेशन सादिक इस्लामिक दुनिया की ताकत का प्रतीक है: कमांडर जनरल इस्माइल क़ानी
ईरान की कुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल इस्माइल क़ानी ने इज़रायल के ख़िलाफ़ ऑपरेशन को इस्लामिक दुनिया की ताक़त का प्रतीक बताया है.
ज़ायोनी मिसाइल हमले में शहीद हुए जनरल मोहम्मद हादी हाजी रहीमी के अंतिम संस्कार में बोलते हुए जनरल क़ानी ने कहा कि न केवल इज़राइल, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका और पूरे नाटो ने खुद को सादिक के खिलाफ एकजुट कर लिया है।
उन्होंने कहा कि तमाम गठबंधनों के बावजूद इस्लामी क्रांति की मिसाइलें और ड्रोन ईरान से छोड़े गए और पूरी दुनिया ने इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा।
कुद्स ब्रिगेड के कमांडर ने कहा कि ऑपरेशन प्रॉमिस राइटियस फ्रंट की ताकत थी जो ग्रह पर सभी मुसलमानों से संबंधित है।
इस्राईल ने की कर्नल वैभव अनिल काले की हत्या, UN ने दिए जाँच के आदेश
ग़ज़्ज़ा के बाद रफह में क़त्ले आम कर रही ज़ायोनी सेना के हमले में संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी भारतीय सेना के पूर्व कर्नल वैभव अनिल काले की मौत के बाद संयुक्त राष्ट्र ने इस हत्याकांड की जांच के आदेश दिए हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने कर्नल वैभव अनिल काले की मौत पर शोक व्यक्त किया और भारत से खेद जताया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा कि भारत ने जो योगदान दिया है हम उसकी सराहना करते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने घातक हमले की जांच के लिए एक तथ्य-खोज पैनल की स्थापना की है।
संयुक्त राष्ट्र ने उनकी मौत पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि उसके यहां कार्यरत भारतीय अधिकारी सेवानिवृत्त कर्नल वैभव अनिल काले की दक्षिण ग़ज़्ज़ा के संकटग्रस्त रफह ज़ायोनी सेना के हमले में हुई मौत की जांच के आदेश दिए हैं।
काले की मौत पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पूर्व कर्नल काले की मौत पर सरकार उनके परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है। यूएन में भारतीय स्थायी मिशन उनके शव को भारत वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं।
अमित शाह बनेंगे नरेंद्र मोदी के वारिस, योगी की रुखसती तय : केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भाजपा में जारी आंतरिक कलह और शाह मोदी की जोड़ी के प्रभाव को लेकर एक और चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ही मोदी के वारिस हैं और वह भविष्य में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद संभालेंगे जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को केंद्र की सत्ता में वापसी के साथ ही रुखसत किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सपा प्रमुख के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने अमित शाह को अपना वारिस बनाया है। नरेंद्र मोदी जैसे ही 75 साल के होंगे तो इस्तीफा देकर अमित शाह को प्रधानमंत्री बना देंगे।
नरेंद्र मोदी इसके लिए दो-तीन साल से लगे हुए है। किस तरह बड़े नेताओं को अलग-थलग कर दिया गया। केजरीवाल ने कहा, तीन दिन पहले मैंने यही बात कही थी, तो भाजपा के विभिन्न नेताओं की सफाई आई, लेकिन नरेंद्र मोदी ने कुछ नहीं कहा। वहीं, योगी आदित्यनाथ को दो महीने में सीएम पद से हटाए जाने पर भी पार्टी की ओर से कोई सफाई नहींं आई है।
केजरीवाल ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि
अगर बीजेपी सत्ता में आई, तो सीएम योगी आदित्यनाथ को 2-3 महीने के भीतर उनके पद से हटा दिया जाएगा। साथ ही भाजपा संविधान बदलने जा रही है इसीलिए 400 पार की बात हो रही है। अगर भाजपा सत्ता में आती है एससी, एसटी का आरक्षण भी 4 जून को हटा दिया जाएगा।