
رضوی
ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ मुक़दमे में दक्षिण अफ़्रीका का साथ देगा मिस्र
मिस्र ने ग़ज़्ज़ा के बाद अब रफह में इस्राईल के क़त्ले आम के बाद ज़ायोनी शासन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय का रुख करने का निर्णय किया है जिस पर मिस्र की विश्वविख्यात यूनिवर्सिटी अल अज़हर ने ख़ुशी जताते हुए इसे सार्थक क़दम बताया है।
रफह में ज़ायोनी सेना के क़त्ले आम और रफह क्रासिंग के बंद रहने पर मिस्र ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में दक्षिण अफ्रीका के केस में समर्थन करने का ऐलान किया है।
हालाँकि मिस्र के अधिकारी पहले ही कह चुके हैं कि रफह में ज़ायोनी सेना का बड़ा अभियान ज़ायोनी शासन के साथ उसके दीर्घकालिक समझौतों और सुरक्षा सहयोग की भूमिका पर फिर से विचार करने को मजबूर करेगा।
चाबहार बंदरगाह प्रॉजेक्ट पर अमेरिका को कोई आपत्ति नहीं: जयशंकर
भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह के संचालन को लेकर हुए समझौते पर अमेरिका की ओर से नकारात्मक प्रतिक्रिया पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पहले अमेरिका को इस प्रोजेक्ट पर कोई भी आपत्ति नहीं थी बल्कि उसने खुद इस परियोजना को सराहा था।
भारत और ईरान ने चाबहार बंदरगाह को लेकर दस साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर होते ही अमेरिका ने चेतावनी दी कि कोई भी तेहरान के साथ व्यापारिक सौदे करने के लिए विचार बना रहा है तो, उसे संभावित प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा कि "मैंने देखा कि इस समझौते को लेकर कुछ टिप्पणियां की गई हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह संवाद और लोगों को समझाने का सवाल है। उन्हें यह समझना होगा कि यह समझौता सभी को लाभ देगा। इसके लिए संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं रखना चाहिए।
जयशंकर के अनुसार, अमेरिका ने पहले कभी भी चाबहार को लेकर कोई नकारात्मक दृष्टिकोण नहीं रखा। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका ने कई बार चाबहार की योग्यता की सराहना की है।
ईरान से प्रेम और पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों का अनुसरण, ईरानियों की दो असली पहचान
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी का कहना था कि लगभग पिछले हज़ार साल के इतिहास पर नज़र डालने से पैदा चलता है कि इस ज़मीन से महान लोग पैदा हुए हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और क्षमता से कला और इंसानी सोच के सबसे महत्वपूर्ण नमूनों को पेश किया है।
प्रसिद्ध ईरानी कवि और शाहनामे के लेखक हकीम और फ़्लास्फ़र अबुलक़ासिम फ़िरदौसी की याद में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ जिसके नाम राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने एक संदेश भेजा। राष्ट्रपति के एक संदेश को ईरान के संस्कृति और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्री मुहम्मद महदी इस्माइली ने पढ़ा।
यह सम्मेलन फ़ार्सी भाषा के इतिहास और शानदार ईरानी-इस्लामी सभ्यता के विकास की राह में इस प्रसिद्ध कवि की अनूठी भूमिका को याद करने के लिए रखा गया।
फ़िरदौसी की याद में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति के संदेश को पढ़ा गया जो इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
शुरु करता हूं अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और दयावान है
ज़िदगी और अक़्ल देने वाले ईश्वर नाम से, कि इससे बढ़कर कोई सोच नहीं हो सकती
ईरान की इस्लामी सभ्यता और संस्कृति, प्रतिभाशाली इस्लामी सभ्यता के जिस्म के बीच में एक बड़ी हक़ीक़त है, एक सभ्यता जिसने पश्चिमी मध्य युग के अंधेरे के चरम पर, ईश्वर की तलाश में फिरने वाले इंसानों की प्रवृत्ति में इस विचार को ज़िंदा रखा और अंतिम और सबसे परिपूर्ण ईश्वरीय दूत के संदेश से प्रभावित आध्यात्मिकता की भावना से ओतप्रोत, इंसानों के भविष्य को एकेश्वरवादी शिक्षाओं की छत्रछाया में ज़िंदा रखा।
इस प्राचीन पूर्वी सभ्यता के दिल में, ईरानी संस्कृति ने, उदारता के स्रोत के रूप में, न केवल इस्लामी जगत को महानता और भव्यता प्रदान की, बल्कि एक केंद्रीय कड़ी के रूप में, यह पूरब और पश्चिम की जागरूता की ज़ंजीर को जोड़ने वाली वह कड़ी भी बन गई जहां संसार के भौतिकवाद का उदय होता है, आज ईरान हक़ीक़ी ज्ञान का प्रचारक और न्याय एवं बुद्धि का ध्वजवाहक बना है।
इस लंबी यात्रा में, इस्लामी दुनिया की दूसरी भाषा के रूप में फ़ारसी भाषा, ईश्वरीय बातचीत के साथ, हमेशा पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के ज्ञान और पवित्रता के प्रति समर्पण की भाषा रही है। लगभग पिछले हज़ार साल के इतिहास पर नज़र डालने से पैदा चलता है कि इस ज़मीन से महान लोग पैदा हुए हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और क्षमता से कला और इंसानी सोच के सबसे महत्वपूर्ण नमूनों को पेश किया है। फ़िरदौरसी ने इस्लाम धर्म की छत्रछाया में ईरानी इतिहास में नई जान फूंक दी।
इस भाषा के इतिहास में और शानदार ईरानी-इस्लामी सभ्यता के विकास की राह में एक अद्वतीय और अतुलनीय नाम है और बेशक वह महान ईरानी शायर फ़िरदौसी हैं।
महान ईरानी शायर फ़िरदौसी का शाहनामा इस धरती के लोगों की गौरवपूर्ण शासन व्यवस्था स्वतंत्रता, न्याय प्रेम, वीरता, दृढ़ता और ज्ञान का प्रतीक है। ईरानी जनता हमेशा सच्चाई के साथ खड़ी नज़र आई, कभी भी हितों के पीछे नहीं भागी, यह वही लोग हैं जिन्होंने किसी भी कीमत पर अपनी भूमि पर हमला करने वालों के हाथ काट दिए और पूरी बहादुरी के साथ ईश्वर के "सच्चे वादे" पर विश्वास रखते हुए शैतान के दिल पर निशाना साधते हैं।
फ़िरदौसी न केवल एक कवि थे जिन्हें इस्लामी ईरानी संस्कृति का जीवन और सार माना लिया जाए, जिन्होंने ईरानी पहचान को ईरान-दोस्ती और पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों की शिक्षाओं जैसे दो पंखों से उड़ाया और परिपूर्णता के रास्ते पर ले गये।
हकीम फ़िरदौसी ने शाहनामे में एक ऊंचे व्यवस्थित महल और महाकाव्य का एक महान क़िला बनाया जिसकी नींव फ़ारसी भाषा से तैयार की गयी और इसकी मीनारें और दीवारें हज़रत अली अलैहिस्सलाम की कृपा और दया से बनाई गयीं।
अब समय आ गया है कि सहृदयता और सहानुभूति की राह पर क्रांति के दूसरे चरण की दहलीज़ पर, आज के समाज और विशेष रूप से इस्लामी ईरान की भविष्य-निर्माता युवा पीढ़ी के लिए, इस महान हकीम के विचार और कला को सम्मानित करने और मान्यता देने का प्रयास, राष्ट्रीय-इस्लामी पहचान और क्षेत्र और दुनिया में इस्लामी गणतंत्र ईरान के सभ्यतागत मॉडल का उत्थान, एक केंद्रीय बिंदु समझा जाता है।
इसी लिए जनता की सरकार अपनी पूरी ताक़त से हकीम अबुल क़ासिम फ़िरदौसी जैसे महान व्यक्ति को श्रद्धांजलि पेश करती है और इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करने वालों का समर्थन करती है इस कार्रवाई के वैश्विक दायरे के विकास के लिए उसके पास एक व्यापक योजना है और भविष्य में भी रहेगी।
अंत में, इस सम्मेलन के आयोजनकर्तकाओं को धन्यवाद देते हुए, मैं ईरान के संस्कृति और कला प्रेमियों और सभी फ़ारसी-भाषी देशों और इस प्रसिद्ध कवि और शायद के चाहने वालों को, फ़ारसी भाषा की रक्षा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस और महान फ़िरदौसी की याद मनाए जाने पर बधाई देता हूं और ईश्वर से दुआ है कि ईश्वर इस काम को आगे बढ़ाने की शक्ति प्रदान करे।
सैयद इब्राहीम रईसी
राष्ट्रपति
ईरान के शहीद बहिश्ती बंदरगाह का संचालन करेगा भारत
भारत और ईरान ने एक ऐतिहासिक समझौते पर दस्तखत करते हुए अपने रिश्तों को नया आयाम देने का काम किया है। चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए भारत के इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और ईरान के पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (पीएमओ) के बीच द्विपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए। इससे दस वर्षों की अवधि के लिए चाबहार विकास परियोजना में शहीद बहिश्ती बंदरगाह का संचालन हो पाएगा। दस साल की अवधि में दोनों पक्ष चाबहार में अपने सहयोग को आगे बढ़ाएंगे। आईपीजीएल बंदरगाह को लैस करने के लिे करीब 120 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा।
भारत ने चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर की क्रेडिट विंडो का भी ऑफर दिया है। वर्तमान में चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के साथ एकीकृत करने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे ईरान के जरिए रूस के साथ भारत की कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी।
दस वर्षों का दीर्घकालिक समझौता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजतबूत करेगा। चाबहार बंदरगाह विकास और संचाल में भारत एक प्रमुख भागीदार है। यह परियोजना लैंडलॉक अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम है।
इस्लामी देशों में रोयान इनफर्टिलिटी रिसर्च सेंटर की लोकप्रियता
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के क्षेत्र में ईरान अब पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन चुका है।एक वैश्विक अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि रोयान इनफर्टिलिटी रिसर्च सेंटर, पुरूषों के बांझपन के इलाज करने वाले दुनिया के दस केन्द्रों में शामिल है।
रोयान रिसर्च सेंटर, ईरान और क्षेत्र में बांझपन के उपचार के क्षेत्र में सक्रिय केन्द्रों में एक है। इनफर्टिलिटी के उपचार के संबन्ध में हालिया वर्षों के दौरान इसने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां अर्जित की हैं।
रोयान रिसर्च सेंटर के साइंटिफिक बोर्ड के एक सदस्य डाक्टर अहमद वुसूक़ ने बांझपन और मां तथा नवजात की देखभाल के संबन्ध में इस केन्द्र की कुछ विशेषताओं के बारे में संक्षेप में बताया है जिसका सारांश पेश कर रहे हैं।
बांझपन के उपचार में ईरान की आत्मनिर्भर्ता
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के क्षेत्र में ईरान अब आत्मनिर्भर हो चुका है। इस केन्द्र में किये जाने वाले कामों में इसी जैसे विश्व के अन्य केन्द्रों के काम में कोई अंतर नहीं है। अब यह दुनिया विशेषकर अमरीका और यूरोपीय देशों के विश्वसनीय इनफर्टिलिटी सेंटरों की पक्ति में पहुंच चुका है।
दुनिया में पुरूषों के इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के 10 सेन्टरों में रोयान भी है
वैश्विक अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि ईरान का रोयान इनफर्टिलिटी रिसर्च सेंटर, पुरूषों के बांझपन के इलाज करने वाले दुनिया के दस केन्द्रों में शामिल हो चुका है।
मेडिकल एथिक्स के क्षेत्र में रोयान बहुत उच्च स्थान पर और मुसलमानों में इसका हार्दिक स्वागत
बहुत से देशों के लोग इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए रोयान सेंटर में आते हैं। अध्ययनों से उनको यह बात पता चल चुकी है कि वैश्विक दृष्टि से ईरान का रोयान इनफर्टिलिटी रिसर्च सेंटर बहुत ऊंचा स्थान रखता है। बहुत से ग़ैर ईरानी जोड़े भी इसलिए रोयान आते हैं क्योंकि उनको विश्वास है कि यहां पर मेडिकल एथिक्स का पूरा ध्यान रखा जाता है। इस रिसर्च सेंटर में धार्मिक शिक्षाओं का पूरा ध्यान रखते हुए उपचार किया जाता है। यही वजह है कि वे इस केन्द्र का चयन करते हैं।
प्रतिबंधों के बावजूद आत्मनिर्भर्ता
हालांकि प्रतिबंध कई बार इस केन्द्र के लिए चुनौती बने किंतु उसने उनको अवसर में बदल दिया।
डाक्टर वुसूक़ कहते हैं कि बांझपन के मरीज़ों के इलाज के लिए हमें ज़रूरत के उपकरणों की कमी का सामना करना पड़ा लेकिन हमने अनी ज़रूरत के सारे उपकरण ख़ुद तैयार कर लिए। हमारे शोधकर्ता लगातार अथक प्रयासों से स्टैंडर्ट उपकरणों को बनाने में कामयाब रहे। हमने बांझपन के उपचार के लिए अब कुछ उपकरण तैयार कर लिए हैं जैसे भ्रूण कैथेटर ट्रांसफर सेट, फ्रीज़ क्रियोट्यूब और पकचर नीडल आदि। दवाओं पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद अपने पास मौजूद दवाओं के माध्यम से हमने बांझपन का उचित ढंग से इलाज किया है। इस समय हम दुनिया के अन्य उपचार केन्द्रों के साथ प्रतिस्पर्धा में सक्षम हैं।
बांझपन के इलाज के लिए स्टेम कोशिकाओं के प्रयोग में रोयान का बड़ा क़दम
बांझपन के उपचार में स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल करना एक नया विषय है जिसपर रोयान सेंटर ने बहुत ध्यान दिया है। इस सेंटर ने बांझपर के इलाज के साथ ही स्टेम सेल और रिजेनिरेटिव मेडिसिन के क्षेत्र में बड़े क़दम उठाए हैं।
गर्भावस्था की बहाली और शीघ्र रजोनिवृत्ति के लिए स्टेम कोशिकाओं का प्रयोग
आरंभिक रजोनिवृत्ति के उपचार में स्टेम सेल के प्रयोग और गर्भावस्था की बहाली के उपचार को रोयान रिसर्च सेंटर की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में गिना जाता है।
महिलाओं और पुरूषों के बांझपन के उपचार में नई प्रगति
रोयान रिसर्च सेंटर में स्टेम सेल के माध्यम से पुरूषों के बांझपन के उपचार पर शोध कार्य शुरू हो चुका है। इसके अतिरिक्त स्टेम कोशिकाओं से ज़रिए महिलाओं के बांझपन का उपचार, पहले और दूसरे चरण को सफलता पूर्वक पार कर चुका है। अब यह अपने तीसरे चरण में दाख़िल हो चुका है।
वैज्ञानिक और अनुसंधान क्षमता को बढ़ाने के प्रयास
रोयान रिसर्च सेंटर, वैज्ञानिक और अनुसंधान क्षमता को बढ़ाने पर विशेष रूप में ध्यान देता है। यह अनुसंधान केन्द्र मूल रूप से विज्ञान और उपचार दोनों ही क्षेत्र में आवश्यक क्षमता रखता है। इसी के साथ वह वैज्ञानिक अनुसंधान भी जारी रखे हुए है।
इसना समाचार एजेन्सी को दिये गए रोयान रिसर्च सेंटर के डाक्टर अहमद वुसूक़ के इंटरव्यू पर आधारित।
अमेरिकी विश्वविद्यालय छात्र आंदोलन 1960 के दशक के बाद से सबसे बड़ा और सबसे व्यापक आंदोलन
गाजा पर ज़ायोनी आक्रमण के ख़िलाफ़ विश्वव्यापी छात्र आंदोलन गति पकड़ रहा है, और पश्चिमी मीडिया और पर्यवेक्षक फ़िलिस्तीन के समर्थन में अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों के आंदोलन को 1960 के दशक के बाद से सबसे बड़ा और सबसे व्यापक आंदोलन बता रहे हैं।
पश्चिमी मीडिया और पर्यवेक्षकों का कहना है कि गाजा युद्ध के लंबा खिंचने और इज़रायली हमले के जारी रहने से न केवल ज़ायोनी लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिली है, बल्कि फिलिस्तीनियों और हमास के साथ अंतर्राष्ट्रीय जनमत की एकजुटता ने भी मदद की है। लोकप्रियता में वृद्धि हुई।
गाजा के समर्थन में छात्रों का यह आंदोलन अमेरिकी विश्वविद्यालयों में शुरू हुआ और इसने यूरोप के विश्वविद्यालयों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। वे मानवाधिकारों की रक्षा के उनके स्पष्ट दावों को भी आसानी से नजरअंदाज कर रहे हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में 50 से अधिक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में 2,000 से अधिक छात्रों को गिरफ्तार किया गया है, और कुछ विश्वविद्यालयों में वार्षिक स्नातक समारोह भी रद्द कर दिया गया है।
हिज़्बुल्लाह के मुक़ाबले में इस्राईली सेना क्यों बौनी लगने लगी
ग़ज़ा युद्ध को शुरू हुए 7 महीने से ज़्यादा हो गए हैं। ऐसा युद्ध जिसकी शुरूआत से ही हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के ख़िलाफ़ कई बड़े ऑप्रेशन करके ज़ायोनी सेना की नाक में नकेल डाल रखी है।
हिज़्बुल्लाह के जवाबी हमलों की वजह से इस्राईली सेना ने कई बटालियनों को लेबनान की सीमा पर तैनात कर रखा है। यह सैनिक ग़ज़ा के मोर्चे पर नहीं जा सकते हैं, जिसकी वजह से ग़ज़ा पर किसी हद तक दबाव कम रहा है।
ज़ायोनी सूत्रों का कहना है कि हिज़्बुल्लाह ने अब तक 4,000 मिसाइल और रॉकेट इस्राईली सैन्य ठिकानों पर फ़ायर किए हैं। हिज़्बुल्लाह के हमलों ने 2 लाख से ज़्यादा इस्राईलियों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर दिया है।
हिज़्बुल्लाह की कार्यवाहियों से इस्राईल को भारी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक नुक़सान और कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस्राईल ने भी दक्षिणी लेबनान के कई इलाक़ों पर बमबारी की है और हिज़्हुल्लाह के कमांडरों की टारगेट किलिंग की है। लेकिन हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के हर अपराध का मुनासिब जवाब दिया है और क़ब्ज़े वाले इलाक़ों में काफ़ी गहराई तक लक्ष्यों को निशाना बनाया है।
इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के हमलों को रोकने के लिए पूरा दम-ख़म लगा दिया, लेकिन उसे इसमें रत्ती बराबर भी कामयाबी नहीं मिली है।
इस्राईल के पूर्व पीएम एहूद ओलमर्ट का कहना हैः उत्तरी सीमा पर इस्राईल अब पूरी तरह से बैकफ़ुट पर है और हिज़्बुल्लाह अब अपनी रणनीति के तहत तेल-अवीव को प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर कर रहा है।
तनाव बढ़ने के साथ ही हिज़्बुल्लाह ने हथियारों और सैन्य रणनीति की दृष्टि से सभी को हैरान कर दिया है, जिससे ज़ायोनी शासन के सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
हाल ही में हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के एक सैन्य ठिकाने पर ड्रोन हमला किया था, जिसमें 20 से ज़्यादा इस्राईली सैनिक हताहत और घायल हो गए थे। जिसके बाद, सैन्य मामलों के एक्सपर्ट्स का कहना था, इस तरह के सटीक हमलों से साबित होता है कि हिज़्बुल्लाह के पास इस्राईली सैन्य ठिकानों और सैनिकों के जमावड़े के बारे में काफ़ी जानकारी है।
हिज़्बुल्लाह को लेकर इस्राईल की सबसे बड़ी चिंता यह है कि 7 महीने बीत जाने के बाद भी ज़ायोनी सेना ग़ज़ा में अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकी है, दूसरी तरफ़ हिज़्बुल्लाह के हमलों के मुक़ाबले में वह पूरी तरह से मजबूर दिखाई दे रही है, जिससे अवैध बस्तियों में बसने वाले ज़ायोनियों को सुरक्षा की चिंता सताने लगी है और न जाने कितने ही लोग उन इलाक़ों से फ़रार कर चुके हैं।
नए समीकरणों से इस्राईल की सैन्य ताक़त की कमज़ोरी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है
हिज़्बुल्लाह के हथियारों के भंडार में डेढ़ लाख से ज़्यादा मिसाइल और ड्रोन विमान हैं। उसके पास रज़वान ब्रिगेड जैसी स्पेशल सैन्य टुकड़ियां हैं। हाल ही में हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल की हवाई रक्षा प्रणालियों और हथियारों के डिपोज़ को भी निशाना बनाया है। इन समीकरणों से पता चलता है कि अगर इस्राईल, हिज़्बुल्लाह से सीधे युद्ध का इरादा करता है, तो उसे इस संभावित युद्ध में कितनी निराशा हाथ लगने वाली है।
मुल्तान में भी छात्रों ने इजरायल के ज़ुल्म के खिलाफ निकाली रैली
रैली को संबोधित करते हुए छात्र नेताओं ने कहा कि आज यूरोप उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के समर्थन में सामने आया है, दुनिया भर के छात्र यूरोपीय छात्रों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं अफसोस की बात है कि हम खामोश बैठे हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, इमामिया स्टूडेंट ऑर्गेनाइज पाकिस्तान,
मुल्तान के तत्वावधान में शिक्षा विश्वविद्यालय इकाई द्वारा फिलिस्तीनी मुसलमानों के समर्थन, अमेरिकी विश्वविद्यालय के छात्रों के समर्थन और इजरायली आक्रामकता के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और एक रैली भी आयोजित की।
इस रैली में भाग लेने वालों ने फिलिस्तीनी बच्चों की तस्वीरें और उन पर हुए अत्याचारों की तस्वीरें लीं, छात्रों ने अमेरिका और इज़राइल के खिलाफ नारे लगाए।
रैली को संबोधित करते हुए छात्र नेताओं ने कहा कि आज यूरोप उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के समर्थन में सामने आया है, दुनिया भर के छात्र यूरोपीय छात्रों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं अफसोस की बात है कि हम खामोश बैठे हैं।
मणिपुर में हिंसा जारी, चार पुलिसकर्मियों का अपहरण
साल भर से हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। हिंसाग्रस्त मणिपुर में चार पुलिसकर्मियों को मैतई संगठन से जुड़े लोगों ने उस समय किडनैप कर लिया जब वह इंफाल से कांगपोकपी जा रहे थे। अपहृत पुलिसकर्मियों की पहचान राम बहादुर कार्की, रमेश बुधाथोकी, मनोज खातीवोडा और मोहम्मद ताज खान के रूप में की गई है।
मणिपुर पुलिस ने कांगपोकपी पुलिस स्टेशन में तैनात चार पुलिसकर्मियों के अपहरण और उन पर हमला करने के आरोप में मैतयी संगठन अरामबाई तेंगगोल से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि चार पुलिसकर्मियों का शनिवार रात इंफाल पूर्वी जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर अपहरण कर लिया गया।
अपहृत पुलिसकर्मियों को बचाने और घटना में शामिल अन्य आरोपितों को गिरफ्तार करने के लिए तलाशी अभियान जारी है। आदिवासी संगठन कमेटी आन ट्राइबल यूनिटी ने चार पुलिसकर्मियों के अपहरण का विरोध जताने के लिए कांगपोकपी जिले में 24 घंटे का बंद रखा।
पुतिन ने किया कैबिनेट में बदलाव, रक्षा मंत्री बदला, शोइगू नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल का चीफ बनाया
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने नए कार्यकाल की शुरुआत में ही भरी फेरबदल करते हुए रक्षा मंत्री शोइगु को पदमुक्त करते हुए उन्हें नेशनल सिक्योरिटी कौंसिल का चीफ बनाया है।
पुतिन ने मौजूदा रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु की जगह एंड्री बेलौसोव को रक्षा मंत्री नियुक्त किया है। समाचार एजेंसी सीएनएन ने रिपोर्ट देते हुए कहा है सर्गेई शोइगु को रूसी संघ की सुरक्षा परिषद का सचिव बनाया गया है। इसके साथ ही वह रूसी संघ के सैन्य-औद्योगिक आयोग में पुतिन के डिप्टी भी होंगे।
रूस की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन चाहते हैं कि 2012 से रक्षा मंत्री और लंबे समय से पुतिन के सहयोगी रहे सर्गेई शोइगु निवर्तमान निकोलाई पेत्रुशेव की जगह रूस की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के सचिव बनें और मिलिट्री-इंडस्ट्रीयल कॉम्प्लेक्स की जिम्मेदारी भी संभालें।