
رضوی
क़ुरआन सिर्फ पढ़ें नहीं समझें और अमल भी करें
क़ुरआन-ए-करीम के मुताले से ज़ाहिर होता है कि तंगहाल, मुफ़लिसों,मिस्कीनों ,ग़रीबों यतीमों की माली मदद, दीगर मुस्लमानों पर इसी तरह फ़र्ज़ है जिस तरह उन पर नमाज़ फ़र्ज़ है|
अलम ज़ालिक अलकितबु ला रेबा फ़ीहा अलख ,ये वो किताब है जिसमें कोई शक नहीं ये मुत्तक़ियों के लिए हिदायत है जो ग़ैब पर ईमान रखते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं और जो कुछ हमने उन्हें रिज़्क़ दिया है इस में से ख़र्च करते हैं ।
वो जो नमाज़ पढ़ते हैं और जो कुछ हमने दिया है इस में से ख़र्च करते हैं वही दर-हक़ीक़त मोमिन हैं अल्लाह के नज़दीक उन्हीं के दर्जात बुलंद हैं (सूरा इन्फ़ाल आयत नंबर ३)सूरा हश्र की आयत नंबर ७ में इस अनवान को मज़ीद वाज़िह करते हुए इरशाद हो है कि जो कुछ भी अल्लाह ने अता किया है यानी इन्सान ने अपनी मेहनत से कमाया है इस में इन लोगों का भी हिस्सा है जो नादार हैं यतीम हैं ,मिस्कीन हैं यानी ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरीयात से महरूम हैं ।
एक ऐसे मुआशरे का तसव्वुर कीजिए कि जिसमें नमाज़ी इसलिए नमाज़ पढ़ता है कि रात और दिन में पाँच वक़्त की इस रेहृ सिल से इस के दिमाग़ में ख़ुद के ख़ालिक़-ओ-मालिक की निगरानी में होने का ये एहसास क़ायम हो जाये कि इस दुनिया वजहां का बनाने वाला हरवक़त हर घड़ी चाहे दिन का उजाला हो या रात का अंधेरा बंदे को देख रहा है और इस की तमाम हरकात-ओ-सकनात को रिकार्ड कर रहा है और फिर एक दिन एक एक बात का गहराई से हिसाब भी देना होगा ,रसूल अल्लाह ने फ़रमाया कि नमाज़ ऐसे पढ़ो कि तुम अल्लाह को देख रहे हो और अगर ऐसा तसव्वुर क़ायम ना कर सको तो वो तो तुम्हें देख ही रहा है , क़ुरआन-ए-करीम की सूरा क आयत नंबर ८ में कहा गया है कि इन्सान जो कुछ बोलता है उसे ( अल्लाह की जानिब से मुक़र्रर करदा फ़रिश्ते ) फोरा लिख लेते हैं ,सूरा कहफ़ की आयत ४९ में है कि जब (रोज़-ए-क़यामत ) इन्सान के सामने उस का ये दफ़्तर खोला जाएगा तो मुजरिमीन घबरा जाएंगे और कहेंगे कि हाय ख़राबी ये कैसा रिकार्ड है जिसने ना कोई छोटी बात छोड़ी ना बड़ी ।
जब इन्सान अल्लाह की किताब में इंतिहाई अक़ीदत और यक़ीन के साथ ये सब पढ़ता है तो एक सही अलद माग़ इन्सान का बुराईयों से रुक जाना ज़रूरी महसूस होता है,बुराईयों से बच कर ज़िंदगी गुज़ारने वाले ये लोग जब अपने में के कमज़ोरों ग़रीबों और मुफ़लिसों की माली मदद कर के उन्हें ऊपर उठाने की बराबर कोशिश भी करते रहें तो यक़ीनन एक बेहतर समाज की तशकील होगी मगर ये तभी मुम्किन है जब उनमें का हर एक क़ुरआन की तालीमात को तिलावत करने के साथ समझता भी हो लेकिन अगर क़ुरआन को समझने से ही लोगों को रोक दिया जाये और नमाज़ और इस के सज्दों के बारे में ये बात ज़हन नशीन करली जाये कि अल्लाह को ये सज्दे इसी तरह उस को राज़ी करने के लिए हैं जैसे एक बुतपरस्त अपने माबूद को अपनी पूजा से ख़ुश करता है,और इस की किताब (क़ुरआन ) के पढ़ने से भी वो ऐसे ही ख़ुश होता है और एक एक हर्फ़ के पढ़ने पर नेकियों के अंबार लगा देता है तो इस फ़िक्र से कोई नाम निहाद मुस्लमान अपनी दानिस्त में चाहे जन्नत में अपने लिए महलात तामीर कर रहा होवह इस दुनिया जहान में क़ुरआन का मतलूब इन्सान नहीं बन सकता ।
एक अच्छा मुस्लमान वो है जिसकी दुनिया भी बेहतर हो और इस की आख़िरत भी बेहतर हो ,यही मतलब है इस दुआ का जो क़ुरआन की सूरा बक़्र आयत नंबर२०१में है( रुबिना अआतिना फ़ी अलदुना ........या अल्लाह हमें दुनिया भी अच्छी दे और आख़िरत भी अच्छी दे
ख़ुदा से देख, कितना डर, रहा हूँ
तिजोरी जेब दोनों भर रहा हूँ
पड़ोसी भूका है, तीसरा दिन है
मैं चौथी बार, उमरा ,कर रहा हूँ
ग्रीको-रोमन कुश्ती में ईरान बना चैंपियन
ईरान की ग्रीको-रोमन कुश्ती की राष्ट्रीय टीम ने तुर्किये में होने वाली प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया है।
ईरान की ग्रीको-रोमन कुश्ती की राष्ट्रीय टीम ने तुर्किये में होने वाली प्रतियोगिता में चार स्वर्ण पदक, पांच रजत पदक और तीन कांस्य पदक जीते।
तुर्किये के अंतालिया में प्रतियोगिता में ईरान के पहलवानों ने कई पदक हासिल किये। इस हिसाब से ईरान पहले पायदान पर पहुंचा।
ईरान की राष्ट्रीय कुश्ती की टीम के पहलवान पूया दादमर्ज़ ने 55 किलो की कैटेगरी में सईद इस्माईली ने 67 किलोग्राम की कैटेगरी में, अमीन कावियानी नेज़ाद ने 70 किलोग्राम कैटेगरी में और मुहम्मद हादी सारवी ने 97 किलोग्राम कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीते।
इसी प्रकार अमीर रज़ाज़ादे बुज़ुर्गी ने 60 किलोग्राम की कैटेगरी में अल स्कू ने 70 किलोग्राम की कैटेगरी में रसूल गर्मसीरी ने 82 किलोग्राम की कैटेगरी में, मेहदी बाली ने 97 किलोग्राम की कैटेगरी में और अमीन मिर्ज़ाज़ादे ने 123 किलोग्राम की कैटेगरी में रजत पदक प्राप्त किये।
इसी तरह से अब्दी ने 70 किलोग्राम की कैटेगरी में, अब्बास मेहदीज़ादे ने 82 किलोग्राम की कैटेगरी में और फ़रदीन हिदायती ने 123 किलोग्राम की कैटेगरी में कांस्य पदक हासिल किये।
याद रहे कि तुर्किये में आयोजित होने वाली ग्रीको रोमन कुश्ती प्रतियोगिता में ईरान, 166 प्वाइंट प्राप्त करके इसका चैंपियन बन गया। इसी प्रतियोगिता में तुर्किये की टीम 107 प्वाइंट हासिल करके दूसरे स्थान पर पहुंची जबकि क़िरग़ीज़िस्तान की टीम 97 प्वाइंट प्राप्त करके तीसरे नंबर पर रही।
आज का ईरान एक उन्नत और आधुनिक देश है, राष्ट्रपति रईसी
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति का कहना है कि आज का ईरान एक उन्नत और आधुनिक देश है
शनिवार प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी ने शुक्रवार को ईरान के दक्षिण-पश्चिम में खुज़ेस्तान स्टील कंपनी के ज़मज़म-3 संयंत्र के उद्घाटन समारोह में कहाः आज इरादों और इच्छाशक्ति की लड़ाई है, दुश्मन नहीं चाहते हैं कि ईरान विकास और प्रगति करे, लेकिन ईरानी लोग मज़बूत इरादों के साथ अपने मार्ग पर डटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि उत्पादन और रोज़गार सृजन के विस्तार में ईरानी नागरिकों ने इच्छाशक्ति की लड़ाई जीत ली है।
राष्ट्रपति रईसी का कहना था आज खुज़ेस्तान प्रांत में हम महत्वपूर्ण आर्थिक परियोजनाओं का योगदान देख रहे हैं, जो ईरान के विशेषज्ञों और घरेलू श्रमिकों के हाथों से संचालित की जा रही हैं।
ईरान के राष्ट्रपति ने बताया कि खुज़ेस्तान स्टील कंपनी का ज़मज़म-3 प्लांट विदेशी विशेषज्ञों की उपस्थिति के बिना 115 ज्ञान-आधारित कंपनियों और 50 से अधिक घरेलू औद्योगिक कंपनियों की भागीदारी के साथ बनाया और लॉन्च किया गया है। उन्होंने कहाः ईरान में 2 मिलियन टन आयरन का उत्पादन होता है और इस क्षेत्र में ईरान दुनिया में दूसरे स्थान पर है और यह एक बड़े सम्मान की बात है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है मेटा से वरिष्ठ नेता का एकाउंट ब्लाक करनाः अब्दुल्लाहियान
हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान कहते हैं कि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म मेटा से इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का एकाउंट ब्लाक करना उचित काम नहीं है।
ईरान के विदेश मंत्री का कहना है कि यह काम जहां पर अभिव्यक्त की स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है वहीं पर आपत्तिजनक, अनैतिक और ग़ैर क़ानूनी है।
मेटा ने 8 फरवरी को एक ग़ैर क़ानूनी काम करते हुए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई के एकाउंट को ईंस्टाग्राम और फेसबुक पर ब्लाॅक कर दिया था।
हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने शुक्रवार की रात मिडिल ईसट आई से बात करते हुए कहा कि यह काम मेटा के नैतिक पतन और दिवालियेपन को दर्शाता है। ईरान के विदेशमंत्री के अनुसार मेटा की ओर किया जाने वाला यह काम उन लाखों लोगों का भी अपमान है जो इसपर वरिष्ठ नेता को फालो करते हैं।
इससे पता चलता है कि पश्चिम में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा करने वाले इससे केवल अपने राजनीतिक हितों को साधते हैं। अब्दुल्लाहियान का कहना था कि मेटा का यह काम, अमरीकी सोशल नेटवर्क द्वारा फ़िलिस्तीन के समर्थकों की आवाज़ को व्यापक स्तर पर सेंसर करने के अभियान का भाग है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विश्व में ग़ज़्ज़ा के अत्याचारग्रस्त फ़िलिस्तीनियों के सबसे बड़े समर्थक, आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई हैं। विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियान के अनुसार सेलीकोन वैली का साम्राज्य, इस आवाज़ को विश्व के आम जनमत तक पहुंचाने में बाधा नहीं बन सकता।
आसिफ़ अली ज़रदारी पाकिस्तान के बने 14वें राष्ट्रपति
ज़रदारी अब फिर पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालेंगे।
आसिफ़ अली ज़रदारी दूसरी बार पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुन लिए गए। नवाज शरीफ की पार्टी PML-N और बिलावल भुट्टो की पार्टी PPP के संयुक्त प्रत्याशी आसिफ अली जरदारी, ने राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है।
शनिवार 9 मार्च 2024 को पाकिस्तान की संसद और वहां की चार प्रांतीय विधानसभाओं में आज इस देश के 14वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान हुआ था। इस मतदान में आसिफ़ अली ज़रदारी को 255 वोट पड़े जबकि इस पद पर उनके प्रतिद्ददवी महमूद ख़ान अचकज़ई को 119 मतों पर ही संतोष करना पड़ा।
इसी बीच आसिफ़ अली ज़रदारी की जीत पर पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र जारी रहेगा। उनका कहना था कि ज़रदारी का चयन, पाकिस्तान में लोकतांत्रित व्यवस्था के जारी रहने की निशानी है।
हालांकि पाकिस्तान के विपक्षी नेता उमर अय्यबू ने कहा है कि देश में राष्ट्रपति पद का चुनाव केवल एक दिखावा है। सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के प्रमुख और विपक्ष के नेता कहते हैं कि हम पाकिस्तान में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव को अस्वीकार करते हैं।68 वर्षीय ज़रदारी, पाकिस्तान की भूतपूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो के पति और इस देश के पूर्व विदेशमंत्री बिलावल भुट्टो के पिता हैं। इससे पहले वे सन 2008 में भी पाकिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं।
दिल्ली में नमाज़ियों को लात से मारने वाला पुलिस अधिकारी निलंबित
दिल्ली के इंद्रलोक इलाक़े में नमाज़ पढ़ते लोगों को गालियां देने और लात मारने वाले पुलिस सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है।
सड़क पर नमाज़ अदा करने वाले नमाज़ियों के साथ हिंसा और बदतमीज़ी करने वाले पुलिस अधिकारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों इस इलाक़े में लोगों का ग़ुस्सा भड़क उठा और उन्होंने मैट्रो स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया।
वीडियो में देखा जा सकता है कि सड़क पर कई लोग एक साथ नमाज़ पढ़ रहे हैं, तभी एक पुलिसकर्मी उन्हें लात मारकर वहां से उठाने लगता है।
हालांकि वहां मौजूद कुछ लोगों ने पुलिसकर्मी की इस हरकत का विरोध भी किया, लेकिन पुलिस अधिकारी ने किसी की एक नहीं सुनी और लोगों के साथ अभद्र व्यवहार किया।
दिल्ली पुलिस ने इस घटना के ज़िम्मेदार सब-इंस्पेक्टर मनोज तोमर को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना से संबंधित पुलिसकर्मी के ख़िलाफ़ विभागीय जांच शुरू हो गई है। उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
ग़ज़ा में भोजन की प्रतीक्षा कर रहे लोगों पर सहायता पैकेट मिसाइल बनकर गिरे, 5 की मौत
ग़ज़ा में भोजन की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की भीड़ पर अमरीकी सेना द्वारा पैराशूट के ज़रिए गिराए जाने वाले कुछ पैलेट मिसाइल बनकर गिर पड़े, जिसमें कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
शुक्रवार को सरकारी मीडिया कार्यालय ने इस घटना में मरने वालों की संख्या की पुष्टि करते हुए एयरड्रॉप सहायता को युद्ध ग्रस्त भूखे लोगों की सेवा के बजाय एक प्रचार का हथकंडा बताया और ज़मीनी रास्ते से सहायता पहुंचने की अनुमति देने का आह्वान किया।
एक बयान में कहा गया है कि हमने पहले ही चेतावनी दी थी कि इस तरीक़े से सहायता पहुंचाने से ग़ज़ा में नागरिकों के जीवन को ख़तरा हो सकता है और यही हुआ जब पार्सल नागरिकों के सिर पर गिरे।
ग़ज़ा में इस्राईली युद्ध अपराधों की वजह से लोगों को न केवल भोजन और चिकित्सा आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि जब वे भोजन के पैकेटों की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, तो उन्हें या तो इस्राईली सेना द्वारा निशाना बनाया जाता है, या अमरीकी पैराशूट फ़ेल होने से पैलेट उनके सिरों पर गिरते हैं।
इस घटना ने ज़ायोनी शासन के प्रतिबंधों के बीच, ग़ज़ा में बेहद ज़रूरी मानवीय राहत पहुंचाने की समस्या पर प्रकाश डाला है
यमनियों ने किया 37 ड्रोन से अमरीकी जहाज़ पर हमला
अमरीका तथा पश्चिम के धमकी भरे बयानों और हिंसक कार्यवाहियों के बावजूद यमनी, ग़ज़्ज़ावासियों के समर्थन से हाथ पीछे नहीं खींच रहे हैं।
अब उन्होंने एक नया हमला किया है। यमन की सेना ने अदन की खाड़ी में लाल सागर के भीतर अमरीका के विध्वंसक पोत और जहाज़ पर हमला किया है।
तसनीम समाचार एजेन्सी के अनुसार यमन की सेना के प्रवक्ता यहया सरी ने एक बयान जारी करके बताया है कि देश की सशस्त्र सेना ने दो अलग-अलग आपरेशन में लाल सागर में 37 ड्रोन से एक अमरीकी डेस्ट्रायर और एक अन्य जहाज़ पर हमला किया।
उन्होंने बताया कि अदन की खाड़ी में PROPEL FORTUNE नामक अमरीकी जहाज़ पर मिसाइलों से हमला किया गया। यमन की सेना के बयान में आया है कि दूसरे आपरेशन में दुश्मन को अधिक नुक़सान पहुंचा। यहया सरी का कहना था कि वैसे अमरीका के दोनो जहाज़ों पर हमले कामयाब रहे।
यमन की सेना के प्रवक्ता ने इस बात को बलूपर्वक कहा कि जबतक ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनी शासन की कार्यवाही रुक नहीं जाती उस समय तक लाल सागर में हमारे हमले जारी रहेंगे। याद रहे कि इससे पहले भी यमन की सेना लाल सागर में ज़ायोनी शासन की ओर जाने वाले जहाज़ों को लक्ष्य बनाती रही है।
संयुक्त राष्ट्र महिला कमीशन से इस्राईल को बाहर निकाला जाए, ईरान
ईरान के शीर्ष मानवाधिकार अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र महिला कमीशन से इस्राईल को हटाने का आह्वान किया है।
ईरान का कहना है कि ग़ज़ा युद्ध में हज़ारों फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों का नरसंहार करने और बचे हुए लोगों को भूखा मारने की साज़िश करने वाले ज़ायनी शासन को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ईरान की मानवाधिकार उच्च परिषद के सचिव काज़िम ग़रीबाबादी ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के नाम पत्रों में यह मांग रखी है।
ग़ज़ा में ज़ायोनी सेना के अपराधों का ज़िक्र करते हुए ग़रीबाबादी ने कहा है कि इस युद्ध में सबसे ज़्यादा दयनीय स्थिति महिलाओं और लड़कियों की है।
उन्होंने कहा कि नाकाबंदी का शिकार ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल ने 31,000 से ज़्यादा लोगों को शहीद कर दिया है, जिसमें 70 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
हमास ने युद्ध विराम वार्ता का बहिष्कार कर दिया
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने ज़ायोनी शासन के व्यवधानों और उल्लंघनों के जवाब में काहिरा में युद्धविराम वार्ता छोड़ दी है।
हमास आंदोलन के बयान में कहा गया है कि हमास का प्रतिनिधिमंडल अपने नेताओं से परामर्श करने के लिए मिस्र की राजधानी क़ाहिरा से रवाना हो गया है जबकि ग़ज़्ज़ा के ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन के हमलों को रोकने, विस्थापितों को लौटाने और ग़ज़्ज़ा के निवासियों को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए बातचीत और प्रयास जारी रहेंगे।
हमास के राजनीतिक कार्यालय के सदस्य ग़ाजी हमद ने यह भी कहा कि ज़ायोनी शासन, ग़ज्ज़ा में युद्धविराम और क़ैदियों के आदान-प्रदान के लिए बातचीत में गंभीर नहीं रहा है और किसी भी युद्धविराम की स्थापना, पूर्णरूप से और व्यापक होनी चाहिए तथा फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की मांगों को पूरा किया जाना चाहिए।
हमास के राजनीतिक कार्यालय के इस सदस्य ने कहा कि हम एक सम्मानजनक समझौते तक पहुंचने के लिए अपनी बातचीत जारी रखे हुए हैं जो युद्ध की समाप्ति, अतिग्रहणकारी सेनाओं की वापसी, ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण और शरणार्थियों की वापसी की गैरेंटी देता है।
3 मार्च से काहिरा में मिस्र, अमेरिका, कतर और हमास की मौजूदगी में ग़ज़्ज़ा में युद्धविराम की समीक्षा के लिए बातचीत शुरू हो गई है।
हालांकि हमास और फ़िलिस्तीनी गुटों ने पहले युद्धविराम स्थापित करने के लिए अपनी मुख्य शर्तों की घोषणा की थी लेकिन अमेरिका और ज़ायोनी शासन वार्ता में बाधा डालना जारी रखे हुए है।
हमास के नेताओं ने कहा कि ग़ज़्ज़ा से ज़ायोनी शासन की अतिग्रहणकारी सेनाओं की पूर्ण वापसी युद्धविराम को स्वीकार करने के लिए उनकी मुख्य शर्त थी।
ज़ायोनी शासन के हमलों के परिणामस्वरूप अपने घरों से विस्थापित हुए ग़ज़्ज़ा के निवासियों की वापसी भी युद्धविराम स्वीकार करने के लिए हमास की शर्तों में से एक थी।
एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा, ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण के लिए शर्तों का प्रावधान है जो युद्ध जारी रहने और अस्पतालों, शैक्षिक केंद्रों और आर्थिक बुनियादी ढांचे पर ज़ायोनी शासन के हमलों से गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है।ज़ायोनी शासन, ग़ज़्ज़ा में जारी युद्ध के परिणामस्वरूप आंतरिक संकट और आंतरिक विरोध में वृद्धि के बावजूद, युद्धविराम वार्ता को बाधित कर रहा है।
7 अक्टूबर, 2023 को तूफ़ान अल-अक्सा ऑपरेशन की शुरुआत के साथ ही फिलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ता गुटों ने ज़ायोनी शासन पर अपूरणीय प्रहार किया और इस शासन के प्रधानमंत्री नेतन्याहू की कैबिनेट ने अमरीका के चौतरफा समर्थन के बावजूद फिलिस्तीनी गुटों के खिलाफ हार स्वीकार कर ली है।
ग़ज़्ज़ा में राजनीतिक घटनाक्रम में हमास और अन्य फिलिस्तीनी गुट युद्धविराम को तभी स्वीकार करने को तैयार हैं जब युद्धविराम उनकी शर्तों पर लागू हो।