
رضوی
दो सौ परिवार को सौंपी रमज़ान किट
मौलाना अकील अब्बास ज़ैनबी कहां,जो अल्लाह की मोहब्बत में अल्लाह के बन्दों की मदद करता है अल्लाह अपनी मोहब्बत से उसे अता कर देता है।
अंबेडकरनगर।जलालपुर विगत कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी गेटवेल चैरिटेबल क्लीनिक जलालपुर और इमामिया मेडिक्स इंटरनेशनल के द्वारा सैकड़ों परिवारों के बीच रमज़ान किट का वितरण किया गया।
गेट वेल चेरिटेबल क्लीनिक जलालपुर समित के संयोजक मौलाना अकील अब्बास जैनबी , जनाब शफीक हुसैन साहब , जनाब अलमदार हुसैन साहब , जनाब इफ्तेखार हुसैन साहब और तहेरा साहेबा आदि ने बताया कि यह संस्था पिछले कई वर्षों से विभिन्न क्षेत्रों में समाज के निःसहाय गरीब परिवार का सहयोग करती आ रही है।
कहा की आज भी हमारे समाज में कई ऐसे परिवार हैं जिनको सही से इफ्तारी नसीब नही होती उसके बाद भी तरह तरह की परेशानी उठाने के बाद भी रोज़ा रख कर इबादत करते है।
रमज़ान महीने की महत्त्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस्लाम धर्म में रमज़ान महीने का बहुत बड़ा महत्व है इस महीने में लोग अपनी-अपनी हैसियत के हिसाब से ज़कात सदका फितरा आदि के रूप में गरीब निःसहाय परिवार का सहयोग करते है समित में कार्यरत मोहम्मद अली जैनबी ने कहा कि समाज में निवास कर रहे गरीब निःसहाय परिवार के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जरूरतमंदों की जरूरत को पूरा करने के लिए संस्था विगत कई वर्षों से इस प्रकार के विभिन्न कार्य करती आ रही है।
रमज़ान किट में आटा,चावल,तेल, दाल,चीनी,चायपत्ती,खजूर मटर आदि सामान होता है। स्वास्थ्य के विषय पर बात करते हुए कहा कि यह संस्था पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य क्षेत्र मे भी जाति धर्म से ऊपर उठकर कर जरूरतमंदों की सेवा कर रहे है क्यूंकि ऐसे लोगों की सहायता करना ईश्वर की इबादत करने के बराबर है और एक उद्देश्य आपसी भाईचारे के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना भी होता है।
आर्थिक स्थिति से कमजोर लोग इफ्तारी से वंचित ना रह जाये परिणामस्वरूप समित ने यह फैसला लिया कि ऐसे पवित्र महीने मे इस तरह की किट का भी वितरण किया जाए जैसा कि पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है यह अलग बात है कि इतनी बड़ी जनसंख्या में ये सैकड़ों किट काफी नही है अर्थात इस तरह के कार्य और लोगों को भी करने की जरूरत है इस मुबारक महीने में गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करना बहुत ज्यादा सवाब है।
मैं गेट वेल चेरिटेबल क्लीनिक और इमामिया मेडिक्स इंटरनेशनल का बहुत बहुत शुक्र गुजार हु कि वो हर साल की तरह इस साल भी फ्री राशन का इंतेज़ाम किया अल्लाह इन सभी को सेहत व सलामती दे और लंबी उम्र फरमाए और इसी तरह हमेशा लोगों की मदद करते रहे।
दक्षिणी सीरिया के कुछ क्षेत्रों में इस्राइली शासन की आगे बढ़ती कार्रवाई जारी
सीरियाई समाचार ने बताया कि इस्राइली सेना ने दक्षिणी सीरिया के कुछ क्षेत्रों में आगे बढ़ने की कार्रवाई की है।
अलमयादीन नेटवर्क को बताया कि इस्राइली सेना ने दक्षिणी सीरिया के क़ुनैतरा प्रांत में स्थित अइन अलनूरिया' गांव और 'क़ुम मुहैरस' कस्बे के आसपास घुसपैठ की है।
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि इस्राइली बलों ने भारी गोलीबारी के साथ बख्तरबंद वाहनों को लेकर क़ुनैतरा के ग्रामीण इलाकों में प्रवेश किया।
इसके अलावा बुधवार तड़के इस्राइली सेना ने सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए जबाता अलख़शब' कस्बे में घुसपैठ की जो क़ुनैतरा प्रांत के उपनगरीय इलाके में स्थित है।
सूत्रों के अनुसार इस साल बहमन महीने फरवरी में असद सरकार के पतन के बाद, इस्राइली सेना ने गोलान के कब्जे वाले क्षेत्र की सीमा पार करते हुए सीरिया के मुख्य क्षेत्र में प्रवेश किया और दक्षिणी प्रांतों 'दारा' व 'क़ुनैतरा' में अपनी सैन्य गतिविधियों को तेज़ किया।
तेल अवीव लेबनान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहा है
तेल अवीव की ओर से संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों की सूचना दी है और यह भी कहा है कि लेबनान के राष्ट्रपति का रुख सियोनिस्ट शासन के हित में मजबूत किया जाए।
सियोनिस्ट शासन से जुड़े मीडिया ने लेबनान को लेकर इस्राइली शासन की नई गतिविधियों की खबर दी है इस्राइली चैनल 12 ने इस शासन के एक जिम्मेदार सूत्र के हवाले से बताया कि नेतन्याहू की नीति मध्य पूर्व को बदलने की है।
इस सियोनिस्ट सूत्र ने दावा किया कि नेतन्याहू ने मध्य पूर्व को बदल दिया है।इस्राइली शासन लेबनान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है।
इस स्रोत के अनुसार,लेबनान की अपनी सीमाई मांगें हैं और हमारी भी अपनी मांगें हैं हम इन मुद्दों की समीक्षा कर रहे हैं। लेबनान के साथ वार्ता एक व्यापक और समग्र योजना का हिस्सा है।
दूसरी ओर इस्राइली मीडिया चैनल 'कान' ने भी एक सियोनिस्ट अधिकारी के हवाले से कहा कि हम लेबनान के राष्ट्रपति की स्थिति को इस्राइल के हितों के अनुरूप मजबूत करना चाहता हैं
गाज़ा में युद्ध विराम के बाद से इजरायली हमलों में 137 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हुई
गाज़ा में हमास के साथ संघर्ष विराम समझौते के प्रभावी होने के बाद से इजरायली हमलों में कम से कम 137 फिलिस्तीनियों की मौत हुई है।
गाज़ा में हमास के साथ संघर्ष विराम समझौते के प्रभावी होने के बाद से इजरायली हमलों में कम से कम 137 फिलिस्तीनियों की मौत हुई है। यह जानकारी हमास द्वारा संचालित सरकारी मीडिया कार्यालय के प्रमुख सलामा मारूफ ने मंगलवार को दी।
मारूफ ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा कि कि पिछले 10 दिनों में इजरायली बलों ने संघर्ष विराम का उल्लंघन तेज कर दिया है जिसमें आज गाजा शहर के दक्षिण में पांच लोगों की हत्या भी शामिल है।
इन हत्याओं में ड्रोन द्वारा निशाना बनाए गए दो भाई भी शामिल हैं जिससे 19 जनवरी को शांति समझौते के प्रभावी होने के बाद से अब तक मारे गए फिलिस्तीनियों की कुल संख्या 137 हो गई है, जिनमें राफा शहर में मारे गए 52 लोग भी शामिल हैं।
मारूफ ने इजरायल पर सैन्य कार्रवाई और आर्थिक नाकेबंदी के माध्यम से फिलिस्तीनी आबादी पर दबाव बढ़ाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि इज़रायल घेराबंदी को कड़ा कर रहा है और लोगों को बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच से वंचित कर रहा है, जबकि नागरिकों की निर्मम हत्या जारी है। पीड़ितों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं जो इज़रायली सेना के लिए कोई ख़तरा नहीं थे अधिकांश लोग उस समय मारे गए जब वे कब्ज़ा करने वाले ठिकानों के पास अपने घरों का निरीक्षण कर रहे थे।
मारूफ ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थों से हस्तक्षेप करने और इजरायल को उसके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया।उल्लेखनीय है कि मिस्र, कतर और अमेरिका की मध्यस्थता से गाजा में युद्ध विराम 15 महीने के विनाशकारी युद्ध के बाद 19 जनवरी को शुरू हुआ।
एतेकाफ एक इब्राहीमी और ईलही सुन्नत
केंद्रीय एतेकाफ समिति के प्रमुख, हुज्जतुल इस्लाम सैयद अली रज़ा तकियाई ने कहा है कि इतेकाफ एक पवित्र और बरकत वाली परंपरा है जो हज़रत इब्राहीम अ.स.के समय से चली आ रही है उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान में यह परंपरा एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में स्थापित हो चुकी है और सभी मुस्लिम विद्वान इस पर ज़ोर देते हैं।
क़ज़वीन में केंद्रीय इतेकाफ़ समिति के प्रमुख, हुज्जतुल इस्लाम सैयद अली रज़ा तकियाई ने कहा कि इतेकाफ़ एक पवित्र और बरकत वाली परंपरा है जो हज़रत इब्राहीम अ.स. के समय से चली आ रही है उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान में यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया के रूप में स्थापित हो चुकी है और सभी मुस्लिम विद्वान इस पर ज़ोर देते हैं।
मस्जिदुल नबी क़ज़वीन में इतेकाफ़ में बैठे छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामी क्रांति के नेता ने बयानिया-ए-गाम-ए-दोम-ए-इंक़लाब क्रांति के दूसरे चरण का घोषणापत्र में इतेकाफ़ को इस्लामी व्यवस्था की आध्यात्मिक और नैतिक महानता का एक महत्वपूर्ण तत्व करार दिया है और इसे अरबईन के साथ दो बड़ी धार्मिक आंदोलनों में गिना है।
उन्होंने कहा कि इस्लामी क्रांति ने एतेकाफ़ को सीमितता और गुमनामी से निकालकर वैश्विक स्तर पर जीवित किया और आज यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित हो चुका है। क्रांति से पहले की तुलना में इतेकाफ़ करने वालों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जो इस्लामी गणराज्य ईरान और धार्मिक नेतृत्व की बरकत का परिणाम है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन तकियाई ने कहा कि इतेकाफ़ से शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच एकता मजबूत हुई है, और यह दुश्मनों की साजिशों को नाकाम बनाने का एक प्रभावी माध्यम भी है।
उन्होंने आगे कहा कि रजब और शाबान के महीनों में इतेकाफ़ के जरिए दिल की पवित्रता प्राप्त करने के बाद जब इंसान रमज़ान के पवित्र महीने में प्रवेश करता है, तो वह अल्लाह की निकटता को और अधिक महसूस करता है।
उन्होंने इतेकाफ़ के प्रचार प्रसार के लिए मस्जिदों के सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान की बदौलत विभिन्न सांस्कृतिक, मनोरंजक और खेल सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है।
अंत में उन्होंने कहा कि एतेकाफ़ एक नबवी परंपरा है जिस पर स्वयं हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि व सल्लम दृढ़ता से अमल करते थे और हमेशा इसका विशेष प्रबंध करते थे।
ईरान हमेशा क्षेत्र की सुरक्षा का रक्षक रहा है
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने नार्वे के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफ़ोनी वार्ता में इज़राईल सरकार को पश्चिम एशिया में संकट और तनाव उत्पन्न करने का अस्ली कारण बताया।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने रविवार की शाम को नार्वे के प्रधानमंत्री Jonas Gahr Storre से टेलीफ़ोनी वार्ता में कहा कि ईरान हमेशा क्षेत्र की शांति व सुरक्षा का रक्षक रहा है।
इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति ने ज़ायोनी सरकार को क्षेत्र में संकट और तनाव का अस्ली कारण बताया और कहा कि ज़ायोनी सरकार युद्धोन्माद और जंगी कार्यवाहियों के अलावा फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों का नस्ली सफ़ाया करने के प्रयास में है और साथ ही दुष्प्रचार करके ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों को असुरक्षा का कारण दर्शाने की चेष्टा में है।
इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने बल देकर कहा कि इमाम ख़ामेनेई के फ़त्वे के आधार ईरान कभी भी परमाणु हथियार बनाने के प्रयास में नहीं रहा है और सच्चाई के साथ परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी के साथ सहयोग किया और करेगा। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि हम हर प्रकार के तनाव, अशांति और युद्ध को ख़ुद अपने लिए, क्षेत्र और विश्व के लिए हानिकारक समझते हैं।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने टेलीफ़ोनी वार्ता की समाप्ति पर कहा कि हमारी सिद्धांतिक नीति का आधार तनाव को समाप्त करना और क्षेत्र में एकता उत्पन्न करना है मगर अपने देश की सुरक्षा और हितों के खिलाफ़ हर प्रकार की धमकी का पूरी शक्ति के साथ मुक़ाबला करेंगे।
राष्ट्रसंघ में ईरानी प्रतिनिधित्व ने सोशल प्लेटफ़ार्म पर भी लिखा है कि अगर वार्ता से तात्पर्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में पायी जाने वाली संभावित चिंता को दूर करना है तो उसकी समीक्षा की जा सकती है मगर अगर वार्ता का लक्ष्य ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना है तो ईरान कभी भी वार्ता नहीं करेगा और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना वह कार्य है जिसे बराक ओबामा भी न कर सके।
ईरान के विदेशमंत्री सय्यद अब्बास इराक़ची ने रविवार को सोशल साइट एक्स पर अपने पेज पर इस ओर संकेत किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम हमेशा पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है और मूलतः उसके सैन्यकरण की कोई बात ही नहीं है। उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ ट्रम्प की धमकियों की ओर संकेत करते हुए लिखा कि ईरान दबाव और धौंस में वार्ता की समीक्षा भी नहीं करेगा क्योंकि वार्ता और दादागीरी व आदेश देने में अंतर है।
इराक़ची ने कहा कि अमेरिका ने जब भी ईरान से सम्मानपूर्वक ढंग से वार्ता की उसे भी परस्पर सम्मान का सामना हुआ और जब भी उसने धमकी वाला दृष्टिकोण अपनाया उसे ईरानी मुक़ाबले का सामना हुआ।
उन्होंने लिखा कि इस समय हम तीन यूरोपीय देशों और रूस और चीन से परस्पर सम्मान और बराबरी के आधार पर अलग- अलग वार्ता और विचार- विमर्श कर रहे हैं और समीक्षा का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंधों को समाप्त करने के बदले में भरोसा व विश्वास उत्पन्न करने के मार्गों को पता लगाना
ईरान ने की पाकिस्तान में ट्रेन हमले की निंदा
ईरानी ने गुरुवार को पाकिस्तानी यात्री ट्रेन पर हुए आतंकवादी हमले और बंधक बनाने की घटना की निंदा की है।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकई ने पाकिस्तानी सरकार और जनता के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की है।
उन्होंने सभी प्रकार के आतंकवाद के विरुद्ध ईरान के रुख की पुष्टि करते हुए कहा कि ईरान आतंकवाद को समाप्त करने में पाकिस्तान की सहायता करने के लिए तैयार है।
यह हमला मंगलवार को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना बनाकर किया गया जो दक्षिण-पश्चिम क्वेटा शहर से उत्तर-पश्चिम पेशावर 450 से अधिक यात्रियों को लेकर जा रहा थी। तभी आतंकवादियों ने बलूचिस्तान प्रांत के कच्ची जिले में उसपर हमला कर दिया।
इस हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने सोशल मीडिया के माध्यम से ली है।
इराकी प्रधानमंत्री ने आयतुल्लाहिल उज़्मा इस्हाक़ फ़य्याज़ की अयादत की
इराकी प्रधानमंत्री ने आयतुल्लाहिल उज़्मा इसहाक फ़य्याज़ से बगदाद के एक अस्पताल मे अयादत की।
इराकी प्रधानमंत्री मुहम्मद शिया अल-सुदानी ने बगदाद के एक अस्पताल में आयतुल्लाहिल उज़्मा इसहाक फ़य्याज़ की अदायत की।
ज्ञात हो कि नजफ़ अशरफ़ के शिया धार्मिक नेता आयतुल्लाह फ़य्याज़ इस्हाक को बिगड़ती तबीयत के कारण बगदाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अगर अमरीका और उसके तत्वों ने कोई मूर्खता की तो हमारी ओर से मुंहतोड़ जवाब निश्चित
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को पूरे मुल्क से हज़ारों की तादाद में आए स्टूडेंट्स और उनके राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को पूरे मुल्क से हज़ारों की तादाद में आए स्टूडेंट्स और उनके राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात की।
उन्होंने इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में स्टूडेंट्स से संबंधित मामलों की समीक्षा और स्टूडेंट्स की पहचान को मज़बूत बनाने के संबंध में कुछ अहम सुझाव दिए और पश्चिम के मुक़ाबले में ईरान की जवान नस्ल के दो अलग अनुभवों के उल्लेख में कहा कि पहला तजुर्बा अपनी पहचान को खोने के रूप में सामने आया जबकि दूसरा अनुभव कि जिसकी ओर स्टूडेंट्स समूह की मौजूदा सरगर्मियां केन्द्रित हैं, वह पश्चिम की अस्लियत की पहचान, स्वाधीनता और पश्चिमी सभ्यता की मूल मुश्किलों से दूरी बनाने के रूप में सामने आया है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अमरीका के साथ वार्ता के संबंध में कुछ बिंदुओं का उल्लेख किया और अमरीकी राष्ट्रपति के ईरान को ख़त भेजने और उसके साथ वार्ता के लिए तैयार होने पर आधारित बयान की ओर इशारा करते हुए, इसे विश्व जनमत को धोखा देने की कोशिश बताया। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि वह ख़त मेरे हाथ में नहीं पहुंचा है लेकिन अमरीका यह झूठ फैलाना चाहता है कि ईरान हमारे विपरीत वार्ता और समझौता करने वाला नहीं है; हालांकि इस तरह की बात करने वाला यह शख़्स वही है जिसने अमरीका के साथ हमारी कई साल की बातचीत के नतीजे में होने वाले समझौते को फाड़ दिया था, तो अब कैसे उसके साथ बातचीत की जी सकती है जबकि हम जानते हैं कि वह नतीजों पर अमल नहीं करेगा?
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने एक अख़बार में प्रकाशित उस बात की ओर इशारा करते हुए कि जिसमें यह कहा गया था कि दो लोगों के बीच जो जंग की हालत में हैं, विश्वास का न होना, वार्ता में रुकावट नहीं बनना चाहिए, कहा कि यह बात ग़लत है; क्योंकि वार्ता करने वाले उन्हीं दो लोगों को अगर सामने वाले पक्ष के अपने वचन पर अमल करने की ओर से भरोसा न हो तो वे वार्ता नहीं करेंगे, क्योंकि ऐसी हालत में वार्ता निरर्थक चीज़ है।
उन्होंने आगे कहा कि वार्ता के आग़ाज़ से हमारा एक मक़सद पाबंदियों को हटवाना था और सौभाग्य की बात है कि पाबंदियों का असर उनके लंबे समय तक जारी रहने की स्थिति में कम हो जाता है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि कुछ अमरीकियों का भी कहना है कि पाबंदियों का लंबा खिंचना उसके असर के कम होने का सबब बनता है, इसके अलावा प्रतिबंध का सामना करने वाला मुल्क उससे बचने का रास्ता निकाल लेता है और हमने भी अनेक रास्ते ढूंढ लिए हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अमरीकियों के उन बयानों की ओर इशारा किया कि जिसमें वे कह रहे हैं कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने नहीं देंगे, उन्होंने कहा कि अगर हम परमाणु हथियार बनाना चाहते तो अमरीका हमें रोक न पाता; जिस वजह से परमाणु हथियार हमारे पास नहीं है और हम उसकी कोशिश नहीं करते यह है कि हम कुछ कारणों से कि जिनका ज़िक्र हम पहले चुके हैं, इस तरह के हथियार नहीं चाहते।
उन्होंने अमरीका की ईरान पर हमले की धमकी को समझदारी से परे बताते हुए बल दिया कि हमला करने की धमकी और जंग छेड़ना एकपक्षीय मामला नहीं है और ईरान जवाबी हमला करने की ताक़त रखता है और निश्चित तौर पर ऐसा करेगा।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि अगर अमरीका और उसके तत्वों ने ऐसी कोई भी मूर्खता की तो वे ज़्यादा नुक़सान उठाएंगे, अलबत्ता हम जंग नहीं चाहते क्योंकि जंग अच्छी चीज़ नहीं है लेकिन अगर कोई ऐसा करता है तो उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे।
उन्होंने अमरीका को दिन ब दिन कमज़ोर होता देश बताते हुए कहा कि आर्थिक, विदेश नीति, आंतरिक नीति, सामाजिक मामलों सहित दूसरे क्षेत्रों में अमरीका कमज़ोर हो रहा है और अब वह 20-30 साल पहले वाली ताक़त तक नहीं पहुंच सकता।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि अमरीका की मौजूदा सरकार से वार्ता से न सिर्फ़ यह कि पाबंदियां ख़त्म नहीं होंगी बल्कि पाबंदियों की गिरह और जटिल होगी; दबाव बढ़ जाएगा; और नए मुतालबे की संभावना पैदा होगी।
उन्होंने अपने बयान के दूसरे भाग में फ़िलिस्तीन और लेबनान के रेज़िस्टेंस को ज़्यादा ताक़तवर और ज़्यादा उमंगों से भरा हुआ बताते हुए कहा कि दुश्मन की अपेक्षा के बरख़िलाफ़, न सिर्फ़ यह कि फ़िलिस्तीन और लेबनान का रेज़िस्टेंस ख़त्म नहीं हुआ बल्कि ज़्यादा ताक़तवर और ज़्यादा उमंगों से भरा हुआ है। इन शहादतों से उसे मानवीय लेहाज़ से नुक़सान हुआ है लेकिन उमंग के लेहाज़ से वे ज़्यादा मज़बूत हुए हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस संदर्भ में कहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह जैसी हस्ती अगर इन लोगों के दरमियान से चली जाए तो उसकी जगह भर नहीं पाती लेकिन उनकी शहादत के बाद के दिनों में हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ जो कार्यवाही की वह उसकी पहले वाली कार्यवाही से ज़्यादा प्रभावी है।
उन्होंने फ़िलिस्तीन के रेज़िस्टेंस के संबंध में भी इस बिंदु को याद दिलाया कि फ़िलिस्त ीन के रेज़िस्टेंस से हनीया, सिनवार और मोहम्मद ज़ैफ़ जैसे शहीद चले जाते हैं लेकिन इसके बावजूद फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस उस वार्ता में जिसमें ज़ायोनी शासन, उसके समर्थक और अमरीका अपनी मांग थोपना चाहते थे, सामने वाले पक्ष से अपनी शर्तों को मनवाने में कामयाब हो जाता है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने रेज़िस्टेंस के मोर्चे का इस्लामी गणराज्य की ओर से सपोर्ट जारी रहने पर बल देते हुए कहा कि सरकार और राष्ट्रपति सहित ईरानी अधिकारियों की इस संबंध में एक राय है कि पूरी ताक़त से फ़िलिस्तीन और लेबनान के रेज़िस्टेंस का हमें सपोर्ट करना चाहिए और इंशाअल्लाह ईरानी क़ौम विगत की तरह भविष्य में भी धौंस धमकियों के मुक़ाबले में रेज़िस्टेंस का पर्चम उठाए रहेगी।
उन्होंने अपने बयान के एक दूसरे भाग में पिछले साल के मुख़्तलिफ़ वाक़यों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले साल इन्हीं दिनों रईसी, सैयद हसन नसरुल्लाह, हनीया, सफ़ीउद्दीन, सिनवार जैसे शहीद और कुछ अहम इंक़ेलाबी हस्तियां हमारे दरमियान थीं लेकिन अब नहीं हैं जिसकी वजह से दुश्मन यह सोचता है कि हम कमज़ोर हो गए हैं।
उन्होंने इस संबंध में आगे कहा कि मैं पूरे विश्वास कहता हूं कि इन मूल्यवान भाइयों का न होना हमारे लिए नुक़सान तो है लेकिन पिछले साल की तुलना में बहुत से मामलों में हम ज़्यादा ताक़तवर हुए हैं और कुछ मामलों में हम पर कोई असर नहीं हुआ है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अमरीका के ख़िलाफ़ स्टूडेंट्स के अभियानों के आग़ाज़ और निक्सन के दौरे के ख़िलाफ़ तेहरान यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के 7 दिसंबर 1953 के आंदोलन और 3 स्टूडेंट्स के तत्कालीन सरकार के क़त्ल कर दिए जाने के वाक़ए को पश्चिम की अस्लियत के सामने आने का चिन्ह बताया।
इसी संदर्भ में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्लामी इंक़ेलाब से पहले तक पश्चिम की ओर झुकाव कमज़ोर हो जाने के बावजूद जारी रहने की ओर इशारा किया और कहा कि 1979 में इंक़ेलाब न आता तो मुल्क ऐसे रास्ते की ओर बढ़ रहा था कि विदेश पर निर्भरता बढ़ने के नतीजे में अपनी आध्यात्मिक संपत्ति से ख़ाली हो जाता।
उन्होंने इस्लामी इंक़ेलाब के ख़िलाफ़ दुनिया के बदमाशों के साज़िशों से बाज़ न आने की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे कहते हैं कि "पहले हम", यानी पूरी दुनिया हमारे हितों को अपने हितों पर तरजीह दे और आज यह स्थिति सभी देख रहे हैं और ईरान अकेला मुल्क है जिसने पूरी दृढ़ता से कहा है कि किसी भी हालत में दूसरे के हितों को अपने हितों पर प्राथमिकता नहीं देगा।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने दुश्मन की संपर्क की नई शैलियों के प्रयोग का लक्ष्य ईरान पर पश्चिम के प्रभाव और वर्चस्व को फिर से थोपने और ईरान के नौजवान स्टूडेंट्स में इंक़ेलाब से पहले की रक्षात्मकता, अनुसरण और निर्भरता की भावना को पैदा करने की कोशिश
!इत्रे क़ुरआन (7) रसूलुल्लाह को अल्लाह से किताब, हिकमत, ज्ञान और महान अनुग्रह प्राप्त हुआ है
यह आयत हमें बताती है कि रसूलुल्लाह को अल्लाह से किताब, हिकमत, ज्ञान और महान अनुग्रह प्राप्त हुआ है। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में बाधा डालते हैं, वे केवल अपने आप को हानि पहुँचाते हैं। क़ुरआन और बुद्धि मार्गदर्शन का सर्वोत्तम साधन हैं, और अल्लाह की कृपा हर कठिनाई में सहायक है।
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
وَلَوْلَا فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكَ وَرَحْمَتُهُ لَهَمَّتْ طَائِفَةٌ مِنْهُمْ أَنْ يُضِلُّوكَ وَمَا يُضِلُّونَ إِلَّا أَنْفُسَهُمْ ۖ وَمَا يَضُرُّونَكَ مِنْ شَيْءٍ ۚ وَأَنْزَلَ اللَّهُ عَلَيْكَ الْكِتَابَ وَالْحِكْمَةَ وَعَلَّمَكَ مَا لَمْ تَكُنْ تَعْلَمُ ۚ وَكَانَ فَضْلُ اللَّهِ عَلَيْكَ عَظِيمًا वलौला फ़ज़्लुल्लाहे अलैका व रहमतोहू लहम्मत ताऐफ़तुम मिन्हुम अन योज़िल्लूका वमा योज़िल्लूना इल्ला अन्फ़ोसहुम वमा यज़ुर्रूनका मिन शैइन व अनज़लल्लाहो अलैकल किताबा वल हिकमता व अल्लमका मालम तकुन तअलम व काना फ़ज़लुल्लाहे अलैका अज़ीमा (नेसा 113)
अनुवाद: अगर अल्लाह की फ़ज़ल और तुम्हारे रब की रहमत न होती तो उनमें से एक गिरोह तुम्हें गुमराह करने की नीयत रखता और वे अपने सिवा किसी को गुमराह नहीं कर सकते और न वे तुम्हें कुछ नुकसान पहुँचा सकते और अल्लाह ने तुम्हें गुमराह करने की नीयत कर दी है। और उसने तुम्हें किताब दी है और उसने तत्वदर्शिता अवतरित की और तुम्हें वह सब सिखाया जो तुम नहीं जानते थे और अल्लाह ने तुमपर बड़ा उपकार किया है।
विषय:
रसूलुल्लाह (स) को अल्लाह की ओर से किताब, हिकमत, ज्ञान और महान अनुग्रह प्राप्त हुआ है।
पृष्ठभूमि:
यह आयत मदनी काल के दौरान उतरी, जब मुनाफ़िक़ों और कुछ यहूदी समूहों ने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) को नुकसान पहुँचाने का प्रयास किया। अल्लाह तआला ने उनकी साजिशों को नाकाम कर दिया और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को किताब और हिकमत से नवाजा।
तफ़सीर:
- [और यदि अल्लाह की कृपा न होती] यदि लोग तुम (अ.स.) को अपनी इच्छाओं के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य करें और तुम गलत निर्णय ले लो, तो भी उनके प्रयास सफल नहीं होंगे और वे तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेंगे। इस आयत में अल्लाह तआला ने इसके दो कारण बताये हैं:
मैं। अल्लाह ने उनकी ओर किताब और तत्वदर्शिता अवतरित की।
द्वितीय. उसने उन्हें ज्ञान दिया।
- [और अल्लाह ने तुम पर किताब उतारी है:] यह आयत दर्शाती है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास किताब और अल्लाह की ओर से ज्ञान के अतिरिक्त शिक्षा के विशेष साधन भी थे।
- [और उसने तुम्हें वह सिखाया जो तुम नहीं जानते थे:] जिसके कारण अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को ज्ञान, समझ और सत्यों के अवतरण का ऐसा स्तर प्राप्त हुआ कि अचूकता के विपरीत कोई गलती करने की कोई संभावना नहीं है। इसलिए, ज्ञान और विश्वास का परिणाम अचूकता है। हालाँकि, ज्ञान और निश्चितता प्राप्त करने के बाद, व्यक्ति को पवित्रता बनाए रखने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है; बल्कि, दृढ़ संकल्प, आत्मा की पवित्रता और ईश्वर के प्रति प्रेम के कारण व्यक्ति अपनी स्वतंत्र इच्छा से पवित्र रहता है। इस कारण, निर्दोष की निर्दोषता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
- [और यह अल्लाह की कृपा थी:] इस वाक्य से पता चलता है कि उपरोक्त बातों के अलावा, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर एक कृपा भी थी।
महत्पूर्ण बिंदु:
- अल्लाह की कृपा और दया हमें हर प्रलोभन से बचाती है।
- जो लोग अल्लाह के मार्ग में बाधा उत्पन्न करते हैं, वे केवल अपना ही नुकसान करते हैं।
- क़ुरआन और ज्ञान मार्गदर्शन के सर्वोत्तम स्रोत हैं।
- अल्लाह तआला ने अपने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को विशेष ज्ञान प्रदान किया।
परिणाम:
यह आयत हमें बताती है कि रसूलुल्लाह (स) को अल्लाह से किताब, हिकमत, ज्ञान और महान अनुग्रह प्राप्त हुआ है। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में बाधा डालते हैं, वे केवल अपने आप को हानि पहुँचाते हैं। क़ुरआन और बुद्धि मार्गदर्शन का सर्वोत्तम साधन हैं, और अल्लाह की कृपा हर कठिनाई में सहायक है।
सूर ए नेसा की तफसीर