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लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शनिवार को अपने एक भाषण में लेबनान में आगामी चुनाव से संबंधित मुद्दों पर बात करते हुए कहा कि लेबनानी जनता को चुनाव के बारे में अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए और उसे यह पता होना चाहिए  कि वह किन लोगों को चुन रही है क्या उन लोगों को चुन रही है जो देश को अमरीका और तेल को इस्राईल के हवाले करेंगे, हमारे प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ साजिश करेंगे और हमारी अर्थ व्यवस्था को नहीं सुधरने देंगे?

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि यह सवाल चुनावी स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पूछे जाने चाहिए क्योंकि सऊदी अरब और अमरीका , लेबनान के चुनाव में हिज़्बुल्लाह की स्थिति देखने का इंतेज़ार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम नोट के बदले वोट को धार्मिक रूप से हराम समझते हैं और किसी भी दशा में यह काम नहीं कर सकते।

     लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने अमरीकी विदेशमंत्री रेक्ट टिलरसन की हालिया लेबनान यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब रेक्स टिलरसन बैरुत की यात्रा करते हैं तो यह कहना चाहिए कि उनका मक़सद सिर्फ तेल नहीं होता बल्कि वह यह समझाना चाहते हैं कि लेबनान को हिज़्बुल्लाह और उसके हथियार नामक समस्या है जिसका समाधान होना चाहिए।

सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अगर आज इस्राईल को कोई डर न होता तो वह पाइप लाइन बिछा कर ज़ोन-9 के लेबनानी तेल भंडार का तेल ले जाता।

उन्होंने कहा कि इलाक़े में अमरीका, उसके घटकों और आतंकवादी संगठन दाइश की पराजय के बाद, इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ साज़िश रची जा रही है। 

 

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि समस्त साज़िशों और प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान आधुनिक जिहालत के मुक़ाबले में डटा हुआ है।

सीस्तान व बलूचिस्तान के शहीदों की कांग्रेस में मंगलवार को आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली खामेनई का यह बयान प्रकाशित हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ईरान की जनता ने अपने ईमान और बलिदान की शक्ति से दुश्मनों की समस्त साज़िशों का डटकर मुक़बाला किया है।

वरिष्ठ नेता के बयान के मुताबिक, अधिक प्रतिभाओं के बावजूद, क़ाजारी और पहलवी शासनों के दौरान सीस्तान व बलूचिस्तान के लोगों की उपेक्षा की गई, जिसकी वजह से लोगों की प्रतिभाएं सामने नहीं आ सकीं।

उन्होंने इस प्रांत को कुर्दिस्तान और गुलिस्तान की भांति, इस्लामी एवं शिया सुन्नी एकता का प्रतीक बताया।

वरिष्ठ नेता का कहना था कि इस्लामी क्रांति की रक्षा करते हुए ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान एक सुन्नी युवक या मौलवी की शहादत से पता चलता है कि इस्लामी गणतंत्र में शियों और सुन्नियों ने कठिन परिस्थितियों को मिल-जुलकर सामना किया और इस वास्तविकता एवं सच्ची एकता को उजागकर करने की ज़रूरत है।

 

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ के अवसर पर निकाली गयी रैलियों में भाग लेने वाले करोड़ों लोगों ने अमरीका द्वारा परमाणु समझौते के उल्लंघन पर आक्रोश जताते हुए बल दिया कि अपराधी अमरीका यथावत ईरानी राष्ट्र का पहले नंबर का शत्रु समझा जाता है।

ईरानी जनता ने क्रांति की सफलता की 39वीं वर्षगांठ के अवसर पर निकाली गयी देश व्यापी रैली के घोषणापत्र में कहा कि कुछ यूरोपीय वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ईरान विरोधी अमरीका की विस्तारवादी नीतियों का साथ दिया जाना निंदनीय है।

इस घोषणापत्र में इस्लामी व्यवस्था के अधिकारियों से मांग की गयी है कि वह जनता के अधिकारों और राष्ट्रीय हितों को पूरा करने, प्रतिबंधों से प्रभावी  ढंग से मुक़ाबला करने और वर्चस्ववादी व्यवस्था और उसके समर्थकों की विध्वंसक कार्यवाहियों से मुक़ाबला करने के लिए साहसिक क़दम उठाएं।

रैली में शामिल लोगों ने देश की मीज़ाइल व रक्षा क्षमता और विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में ईरानी युवाओं के भरसक प्रयासों का भरपूर समर्थन किया।

ज्ञात रहे कि रविवार की सुबह 1000 से अधिक शहरों और 4 हज़ार गांवों सहित पूरे ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता की 39वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश व्यापी रैलियां निकाली गयीं।  

 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने एक वरिष्ठ सदस्य मौलाना सलमान हुसैनी नदवी को निष्कासित कर दिया है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य क़ासिम इलियास ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने पिछले रुख़ पर क़ायम है। उन्होंने आगे कहा कि मस्जिद भेंट, बेची या स्थानांतरित नहीं की जा सकती है और चूंकि सलमान नदवी सर्वमत स्टैंड के खिलाफ़ गए हैं इसलिए उन्हें बर्ख़ास्त कर दिया गया है।

ज्ञात रहे कि पिछले दिनों श्री श्री रविशंकर से मुलाक़ात के बाद सलमान हुसैनी नदवी ने कहा था कि इस्लाम में दूसरी जगह पर मस्जिद बनाने का प्रावधान है। श्री नदवी ने कहा था कि हम लोगों ने खास तौर पर राम मंदिर और बाबरी मस्जिद से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक की ताकि कोई समाधान निकाला जा सके। इससे पूरे देश में संदेश भी जाएगा। हमारी प्राथमिकता लोगों के दिलों में बसना है।  

 

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने इस्लामी क्रांति के आयोजनों को शासन की सुदृढता का कारण बताया है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता का कहना है कि इस बार इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ के कार्यक्रम, देखने योग्य होंगे।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ईरान की वायुसेना द्वारा स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की बैअत करने की वर्षगांठ पर गुरूवार को तेहरान में वायुसेना के अधिकारियों के साथ भेंट की।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ अमरीकी और ग़ैर अमरीकी नेताओं की ओर से निराधार दावों के दृष्टिगत जनता यह सोच रही है कि शत्रु घात लगाकर नए हमले की कोशिश में है।  उन्होंने कहा कि यही कारण है कि इस साल 22-बहमन अर्थात इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर जनता की उपस्थिति देखने योग्य होगी।

वरिष्ठ नेता ने इस्लामी क्रांति को वास्तविकता बताते हुए कहा कि इस समय क्रांति की सुदृढ़ता, पहले के वर्षों की तुलना में बहुत अधिक है।  उन्होंने कहा कि वर्तमान समय के क्रांतिकारी, क्रांति के आरंभिक दौर के क्रांतिकारियों की तुलना में अधिक जागरूक और दूरदर्शी हैं।  उनका कहना था कि यही कारण है कि इस्लामी क्रांति अधिक सुदृढ़ हुई है।आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अत्याचार और भ्रष्टाचार का विरोध, हमारी मूल नीति है।  उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में संसार में सर्वाधिक अत्याचारी सरकार, अमरीकी सरकार है जो दाइश जैसे दुष्टों से भी अधिक ख़ूंख़ार है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि आतंकवादी गुट दाइश को अमरीका ने ही अस्तित्व दिया।  उन्होंने कहा कि अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति ने अपने चुनावी अभियान में इस ओर संकेत किया था।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकी, दाइश जैसे ख़ूख़ार गुट का गठन करने के साथ ही उसका समर्थन भी कर रहे हैं।  हालांकि अमरीकी, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के समर्थन का दावा करते रहते हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली खामेनेई ने पिछले 70 वर्षों से फ़िलिस्तीनियों पर किये जाने वाले अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि यमन की जनता का नरसंहार भी अमरीकी अत्याचारों का खुला उदाहरण है।  उन्होंने कहा कि यमन के मूलभूत ढांचे और वहां की निहत्थी जनता पर अमरीकी हथियारों से लगातार हमले किये जा रहे हैं लेकिन अमरीकी सरकार उस ओर से पूरी तरह से निश्चेत है।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि यही अमरीकी सरकार पूरी बेशर्मी के साथ लोहे के कुछ टुकडों को पेश करके ईरान पर यमन में मिसाइल भेजने का निराधार आरोप लगा रही है।

वरिष्ठ नेता ने क्षेत्र में इस्लामी गणतंत्र ईरान के प्रतिरोध के एक उदाहरण की ओर संकेत करते हुए कहा कि पश्चिमी एशिया में जारी प्रतिरोध को तोड़ने के लिए अमरीकियों ने यह प्रयास किया कि उसे जड़े से समाप्त कर दिया जाए किंतु हम डटे रहे और हमने कहा कि इसकी अनुमति नहीं देंगे।  आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि अब पूरे विश्व के लिए यह सिद्ध हो चुका है कि अमरीकी चाहते थे किंतु नहीं कर सके किंतु हम चाहते थे और हमने कर दिखाया। 

देश की सेना और कई संगठनों ने जनता का आह्वान किया है कि वह इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर रैलियों में भरपूर उपस्थिति दर्ज कराए।

ईरान की सेना ने जनता से अपील की है कि वह विगत के वर्षों की ही भांति इस वर्ष भी इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रमों में बढ़ चढकर भाग ले। इस बयान में कहा गया है कि ग्यारह फ़रवरी को इस्लमी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ पर जनता को पुनः वैभवशाली रैलियों में भाग लेना चाहिए।  ईरान के कई संगठनों और संस्थाओं ने अलग-अलग बयान जारी करके जनता से 11 ग्यारह फ़रवरी की रैलियों में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है।

उल्लेखनीय है कि 11 फरवरी सन 1979 को स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हुई थी।  उसकी वर्षगांठ पर प्रतिवर्ष ईरान में राष्ट्रव्यापी रैलियां निकाली जाती हैं।

 

इंस्टाग्राम दुनिया भर में 70 करोड़ से अधिक लोग प्रयोग करते हैं जिस पर रोज़ाना ही करोड़ों तसवीरें पोस्ट की जाती हैं।

अगर आप फ़ेसबुक की इस फ़ोटो शेयरिंग एप को प्रयोग करते हैं तो आपको दूसरे लोगों की तसवीरों पर हज़ारों लाइक्स देखकर आश्चर्य होता होगा मगर आज तक कोई भी तसवीर डेढ़ करोड़ लाइक्स का आंकड़ा नहीं छू सकी थी मगर अब यह कीर्तिमान एक तसवीर के नाम हो गया है। यह तसवीर पिछले दिनों बच्ची को जन्म देने वाली रियलिटी टीवी स्टार और विख्यात माडल केली जीनर ने इंस्टाग्राम पर डाली जिसने नया इतिहास रच दिया।

टीवी स्टार ने अपनी बच्ची की तसवीर और उसका नाम शेयर किया और लोगों का दिल जीत लिया।

पहली फ़रवरी को जन्म लेने वाली बच्ची का नमा स्ट्रोमी वेब्सटर रखा गया है जो तसवीर में अपनी मां के अंगूठे को थामे हुए दिखाई दे रही है।

बीस वर्षीय केली ने नौ महीने तक बच्ची के बारे कें कोई सूचना नहीं दी पिछले हफ़्ते उन्होंने बच्ची के जन्म की पुष्टि की और उसकी तसवीर शेयर की।

इससे पहले सबसे अधिक लाइक बटोरने वाली तसवीर एक फ़ुटबालर क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बच्चे की पैदाइश के बाद की है।

 

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि पिछले वर्षों में अमरीका को ईरान से बार बार तमाचे खाने पड़े हैं।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान को नुक़सान पहुंचाने के लिए अमरीका ने हमेशा साज़िश रची लेकिन अमरीका तथा उसके घटकों को बार बार ईरान से तमाचा खाना पड़ा है।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि अमरीका, सऊदी अरब और उनके घटकों को यह ग़लतफ़हमी है कि दाइश का गठन करके, इराक़ी कुर्दिस्तान का संकट खड़ा करके, लेबनान में समस्या पैदा करके, इस्राईल से  लड़ने वाले प्रतिरोधक मोर्चे को कमज़ोर करके और इराक़ पर क़ब्ज़ा करके वह ईरान को अलग थलग कर ले जाएंगे लेकिन इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता की दूरदर्शिता और सूझबूझ की मदद से ईरान ने उनके मुंह पर तमाचा मारा है।

हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दीक़ी ने इस्लामी क्रान्ति की सफलता की वर्षगांठ की बधाई दी और क्रान्ति की सफलता को एक चमत्कार बताते हुए कहा कि परमाणु, चिकित्सा, नैनो तकनीक सहित अनेक क्षेत्र में ईरान की आत्म निर्भरता इस्लामी क्रान्ति की बड़ी उपलब्धियां हैं।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि इस्लामी क्रान्ति की सफलता से ईरान की जनता को खोया हुआ गौरव वापस मिला और विदेशियों के हाथों ईरान को लूटे जाने की प्रक्रिया पर अंकुश लगा।

ज्ञात रहे कि 11 फ़रवरी सन 1979 को इस्लामी क्रान्ति को विजय मिली थी जिसकी वर्षगांठ हर साल हर्षोउल्लास से मनाई जाती है।

 

 

तेहरान में इस्लामी प्रचार समन्वय परिषद के प्रमुख ने इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ के आरंभ के दिन अर्थात पहली फरवरी के कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए बताया है कि तेहरान की क्रांतिकारी जनता, इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक इमाम खुमैनी के मज़ार पर उपस्थित होकर आज्ञापालन की प्रतिज्ञा दोहराएगी।

हुज्तुलइस्लाम वल मुसलेमीन " मोहसिन महमूदी " ने बुधवार को तेहरान में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस्लामी क्रांति की सफलता की 40वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम गुरुवार की सुबह 9 बजे आरंभ होंगे और इस्लामी इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक इमाम खुमैनी के पौत्र, हुज्तुलइस्लाम वल मुसलेमीन सैयद  हसन खुमैनी उदघाटन कार्यक्रम में भाषण देंगे। 

उन्होंने कहा कि फरवरी सन 1979 में " बहिश्ते ज़हरा " क़ब्रिस्तान में इमाम खुमैनी का भाषण, इस्लामी क्रांति के इतिहास का एक अहम मोड़ है इसी लिए इमाम खुमैनी ने जिस जगह बैठ कर भाषण दिया था उस जगह पर फूलों की बारिश की जाएगी। 

हुज्तुलइस्लाम वल मुसलेमीन " मोहसिन महमूदी " ने बताया कि शहीदों के मज़ार के पास परेड की जाएगी, मेहराबाद हवाई अड्डे से बहिश्ते ज़हरा क़ब्रिस्तान तक कि जहां इमाम खुमैनी ने एतिहासिक भाषण दिया था , पूरे रास्ते पर फूल बरसाए जाएंगे, गिरिजाघरों के घंटे बजाए जाएंगे, स्कूलों में निर्धारित समय पर घंटा बजाया जाएगा और इसी तरह विभिन्न क्षेत्रों के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। 

उन्होंने बताया कि इस्लामी क्रांति की सफलता की 40 वीं वर्षगांठ के कार्यक्रमों की रिपोर्टिंग 450 रिपोर्टर और फोटोग्राफर करेंगे। 

इमाम खुमैनी पहली फरवरी सन 1979 को ईरान आए थे और उनके आने के दस दिनों के भीतर ईरान में इस्लामी क्रांति सफल हो गयी। 

ईरान में पहली फरवरी से लेकर 11 फरवरी तक क्रांति की सफलता का जश्न बनाया जाता है।  

 

 

विश्व भर में मुस्लिम महिलाओं के साथ एकजुटता जताने के लिए अमरीका की एक एनजीओ प्रति वर्ष पहली फ़रवरी को वर्ल्ड हिजाब डे मनाती है।

इस्लाम के अनुसार, मुस्लिम महिलाओं के लिए ज़रूरी है कि वे घर से बाहर निकलते वक़्त अपना शरीर और सिर ढांप कर रखें। इस प्रक्रिया को हिजाब कहा जाता है।

वर्ल्ड हिजाब डे के अवसर पर विभिन्न धर्मों की अनुयायी महिलाएं हिजाब पहनकर मुस्लिम महिलाओं के साथ हमदर्दी जताती हैं।

2013 में वर्ल्ड हिजाब डे की शुरूआत के बाद से, 190 देशों की महिलाएं और 45 देशों की 70 वैश्विक राजदूत इस वार्षिक कार्यक्रम में भाग लेती हैं।

2013 में वर्ल्ड हिजाब डे की शुरूआत कुछ इस तरह से हुई कि न्यूयॉर्क में सड़क के किनारे चल रही 11 वर्षीय मुस्लिम लड़की पर सिर्फ़ इसिलए हमला किया गया, क्योंकि वह हिजाब पहने हुए थी।

2001 में नाइन इलेवट की घटना के बाद अमरीका और विश्व भर में मुसलमानों विशेष रूप से हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ हमलों में अभूतपूर्व तेज़ी हो गई और उन्हें नफ़रत का निशाना बनाया जाने लगा।

इस कार्यक्रम की सूत्रधार बांग्लादेश मूल की अमरीकी महिला नाज़मा ख़ान हैं, जिनका कहना है कि मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनकर जब बाहर निकलती हैं तो उन्हें हमेशा विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

अल-जज़ीरा से अपने अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने कहा, मुझे डराया गया, मेरा पीछा गया, मुझ पर थूका गया, पुरुषों ने मुझे चारो ओर से घेरा, आतंकवादी और ओसामा बिन लादेन जैसे जुमले कसे।

सिर पर हिजाब पहनने के लिए ऐसी ही चुनौतियों का सामना कर रही और अनुभवों से गुज़र रही महिलाओं को आपस में जोड़ने के लिए नाज़मा ख़ान ने उनसे कहा कि वे अपने अनुभव सोशली मीडिया पर साझा करें।

इसी उद्देश्य ने उन्होंने वर्ल्ड हिजाब डे की घोषणा की और इसके लिए ग़ैर मुस्लिम महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर उनका साथ दिया।