
رضوی
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम, हज़रत अली अलैहिस्सलाम और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा जैसी हस्तियों के साथ रहने से हज़रत ज़ैनब के व्यक्तित्व पर इन हस्तियों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। हज़रत ज़ैनब ने प्रेम व स्नेह से भरे परिवार में प्रशिक्षण पाया। इस परिवार के वातावरण में, दानशीलता, बलिदान, उपासना और सज्जनता जैसी विशेषताएं अपने सही रूप में चरितार्थ थीं। इसलिए इस परिवार के बच्चों का इतने अच्छे वातावरण में पालन - पोषण हुआ। हज़रत अली अलैहिस्सलाम व फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह के बच्चों में नैतिकता, ज्ञान, तत्वदर्शिता और दूर्दर्शिता जैसे गुण समाए हुए थे, क्योंकि मानवता के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षकों से उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
हज़रत ज़ैनब में बचपन से ही ज्ञान की प्राप्ति की जिज्ञासा थी। अथाह ज्ञान से संपन्न परिवार में जीवन ने उनके सामने ज्ञान के द्वार खोल दिए थे। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के परिजनों के कथनों के हवाले से इस्लामी इतिहास में आया है कि हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा को ईश्वर की ओर से कुछ ज्ञान प्राप्त था। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के पौत्र हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने अपने एक भाषण में हज़रत ज़ैनब को संबोधित करते हुए कहा थाः आप ईश्वर की कृपा से ऐसी विद्वान है जिसका कोई शिक्षक नहीं है। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा क़ुरआन की आयतों की व्याख्याकार थीं। जिस समय उनके महान पिता हज़रत अली अलैहिस्सलाम कूफ़े में ख़लीफ़ा थे यह महान महिला अपने घर में क्लास का आयोजन करती तथा पवित्र क़ुरआन की आयतों की बहुत ही रोचक ढंग से व्याख्या किया करती थीं। हज़रत ज़ैनब द्वारा शाम और कूफ़े के बाज़ारों में दिए गए भाषण उनके व्यापक ज्ञान के साक्षी हैं। शोधकर्ताओं ने इन भाषणों का अनुवाद तथा इनकी व्याख्या की है। ये भाषण इस्लामी ज्ञान विशेष रूप से पवित्र क़ुरआन पर उस महान हस्ती के व्यापक ज्ञान के सूचक हैं।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के आध्यात्मिक स्थान की बहुत प्रशंसा की गई है। जैसा कि इतिहास में आया है कि इस महान महिला ने अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अनिवार्य उपासना के साथ साथ ग़ैर अनिवार्य उपासना करने में भी तनिक पीछे नहीं रहीं। हज़रत ज़ैनब को उपासना से इतना लगाव था कि उनकी गणना रात भर उपासना करने वालों में होती थी और किसी भी प्रकार की स्थिति ईश्वर की उपासना से उन्हें रोक नहीं पाती थी। इमाम ज़ैनुलआबेदीन अलैहिस्सलाम बंदी के दिनों में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के आध्यात्मिक लगाव की प्रशंसा करते हुए कहते हैः मेरी फुफी ज़ैनब, कूफ़े से शाम तक अनिवार्य नमाज़ों के साथ - साथ ग़ैर अनिवार्य नमाज़ें भी पढ़ती थीं और कुछ स्थानों पर भूख और प्यास के कारण अपनी नमाज़े बैठ कर पढ़ा करती थीं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जो अपनी बहन हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के आध्यात्मिक स्थान से अवगत थे, जिस समय रणक्षेत्र में जाने के लिए अंतिम विदाई के लिए अपनी बहन से मिलने आए तो उनसे अनुरोध करते हुए यह कहा थाः मेरी बहन मध्यरात्रि की नमाज़ में मुझे न भूलिएगा।
हज़रत ज़ैनब के पति हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफ़र की गण्ना अपने काल के सज्जन व्यक्तियों में होती थी। उनके पास बहुत धन संपत्ति थी किन्तु हज़रत ज़ैनब बहुत ही सादा जीवन बिताती थीं भौतिक वस्तुओं से उन्हें तनिक भी लगाव नहीं था। यही कारण था कि जब उन्हें यह आभास हो गया कि ईश्वरीय धर्म में बहुत सी ग़लत बातों का समावेश कर दिया गया है और वह संकट में है तो सब कुछ छोड़ कर वे अपने प्राणप्रिय भाई हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ मक्का और फिर कर्बला गईं।
उन्होंने मदीना में एक आराम का जीवन व्यतित करने की तुलना में कर्बला की शौर्यगाथा में भाग लेने को प्राथमिकता दी। इस महान महिला ने अपने भाई इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के साथ उच्च मानवीय सिद्धांत को पेश किया किन्तु हज़रत ज़ैनब की वीरता कर्बला की त्रासदीपूर्ण घटना के पश्चात सामने आई। उन्होंने उस समय अपनी वीरता का प्रदर्शन किया जब अत्याचारी बनी उमैया शासन के आतंक से लोगों के मुंह बंद थे। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के पश्चात किसी में बनी उमैया शासन के विरुद्ध खुल कर बोलने का साहस तक नहीं था ऐसी स्थिति में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा ने अत्याचारी शासकों के भ्रष्टाचारों का पिटारा खोला। उन्होंने अत्याचारी व भ्रष्टाचारी उमवी शासक यज़ीद के सामने बड़ी वीरता से कहाः हे यज़ीद! सत्ता के नशे ने तेरे मन से मानवता को समाप्त कर दिया है। तू परलोक में दण्डित लोगों के साथ होगा। तुझ पर ईश्वर का प्रकोप हो । मेरी दृष्टि में तू बहुत ही तुच्छ व नीच है। तू ईश्वरीय दूत पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के धर्म को मिटाना चाहता, मगर याद रख तू अपने पूरे प्रयास के बाद भी हमारे धर्म को समाप्त न कर सकेगा वह सदैव रहेगा किन्तु तू मिट जाएगा।
हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की वीरता का स्रोत, ईश्वर पर उनका अटूट विश्वास था। क्योंकि मोमिन व्यक्ति सदैव ईश्वर पर भरोसा करता है और चूंकि वह ईश्वर को संसार में अपना सबसे बड़ा संरक्षक मानता है इसलिए निराश नहीं होता। जब ईश्वर पर विश्वास अटूट हो जाता है तो मनुष्य कठिनाइयों को हंसी ख़ुशी सहन करता है। ईश्वर पर विश्वास और धैर्य, हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के पास दो ऐसी मूल्यवान शक्तियां थीं जिनसे उन्हें कठिनाईयों में सहायता मिली। इसलिए उन्होंने उच्च - विचार और दृढ़ विश्वास के सहारे कर्बला - आंदोलन के संदेश को फैलाने का विकल्प चुना। कर्बला से लेकर शाम और फिर शाम से मदीना तक राजनैतिक मंचों पर हज़रत ज़ैनब की उपस्थिति, अपने भाइयों और प्रिय परिजनों को खोने का विलाप करने के लिए नहीं थी। हज़रत ज़ैनब की दृष्टि में उस समय इस्लाम के विरुद्ध कुफ़्र और ईमान के सामने मिथ्या ने सिर उठाया था। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का आंदोलन बहुत व्यापक अर्थ लिए हुए था। उन्होंने भ्रष्टाचारी शासन को अपमानित करने तथा अंधकार और पथभ्रष्टता में फंसे इस्लामी जगत का मार्गदर्शन करने का संकल्प लिया था। इसलिए इस महान महिला ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत के पश्चात हुसैनी आंदोलन के संदेश को पहुंचाना अपना परम कर्तव्य समझा। उन्होंने अत्याचारी शासन के विरुद्ध अभूतपूर्व साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने जीवन के इस चरण में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के अधिकारों की रक्षा की तथा शत्रु को कर्बला की त्रासदीपूर्ण घटना से लाभ उठाने से रोक दिया। हज़रत ज़ैनब के भाषण में वाक्पटुता इतनी आकर्षक थी कि लोगों के मन में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की याद ताज़ा हो गई और लोगों के मन में उनके भाषणों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। कर्बला में हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथियों की शहादत के पश्चात हज़रत ज़ैनब ने जिस समय कूफ़े में लोगों की एक बड़ी भीड़ को संबोधित किया तो लोग उनके ज्ञान एवं भाषण शैली से हत्प्रभ हो गए। इतिहास में है कि लोगों के बीच एक व्यक्ति पर हज़रत ज़ैनब के भाषण का ऐसा प्रभाव हुआ कि वह फूट फूट कर रोने लगा और उसी स्थिति में उसने कहाः हमारे माता पिता आप पर न्योछावर हो जाएं, आपके वृद्ध सर्वश्रेष्ठ वृद्ध, आपके बच्चे सर्वश्रेष्ठ बच्चे और आपकी महिलाएं संसार में सर्वश्रेष्ठ और उनकी पीढ़ियां सभी पीढ़ियों से श्रेष्ठ हैं।
कर्बला की घटना के पश्चात हज़रत ज़ैनब ने हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को इतिहास की घटनाओं की भीड़ में खोने से बचाने के लिए निरंतर प्रयास किया। यद्यपि कर्बला की त्रासदीपूर्ण घटना के पश्चात हज़रत ज़ैनब अधिक जीवित नहीं रहीं किन्तु इस कम समय में उन्होंने इस्लामी जगत में जागरुकता की लहर दौड़ा दी थी। हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा ने अपनी उच्च- आत्मा और अटूट संकल्प के सहारे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के आंदोलन को अमर बना दिया ताकि मानव पीढ़ी, सदैव उससे प्रेरणा लेती रही। यह महान महिला कर्बला की घटना के पश्चात लगभग डेढ़ वर्ष तक जीवित रहीं और सत्य के मार्ग पर अथक प्रयास से भरा जीवन बिताने के पश्चात वर्ष 62 हिजरी क़मरी में इस नश्वर संसार से सिधार गईं।
पिछले राष्ट्रपतियों की नीति पर चले तो उनके जैसा ही अंजाम होगा, नए अमरीकी राष्ट्रपति को चेतावनी
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि ईरान की जनता अमरीका में सत्ता में आने वाली किसी भी सरकार की नीतियों पर भरोसा नहीं करेगी।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि अमरीका के राष्ट्रपति चुनावों के परिणामों से क्षेत्र के राष्ट्रों के बारे में वाशिंग्टन की विस्तारवादी नीतियों में कोई बदलाव नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि ईरानी जनता अमरीकी सरकार की मांगों के आगे झुकने वाली नहीं है।
तेहरान के इमाम जुमा ने अमरीका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ईरान के विरुद्ध धमकी और अतिक्रमण की नीति अपने की ओर से सचेत करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान इस प्रकार की नीतियों का डटकर मुक़ाबला करेगा। आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने दुनिया के लोग अमरीका की सैनिक हस्तक्षेप की नीतियों से थक चुके हैं। उन्होंने अमरीका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति को नसीहत की कि बेहतर होगा कि वह पुरानी नीतियों को जारी रखने के बजाए अपने देश की जनता की कठिनाइयां दूर करने पर ध्यान केन्द्रित करें।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि चुनावी बहसों में चुनावी उम्मीदवार ने ख़ुद कहा कि अमरीका पर तीन ट्रिलियन डालर का कर्ज़ा है और यह देश दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि अमरीका में अशांति फैली हुई है और हर साल बहुत से लोग इस हिंसा की भेंट चढ़ जाते हैं।
तेहरान के इमाम जुमा ने क्षेत्र के कुछ देशों के इस अनुरोध की आलोचना की कि अमरीका इस क्षेत्र की समस्याओं को हल करे। उन्होंने कहा कि जो देश ख़ुद अपनी सुरक्षा व आर्थिक मुशकिलें हल न कर पा रहा हो वह हमारे क्षेत्र की समस्या क्या हल करेगा।
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने कहा कि आतंकी संगठन दाइश अमरीका की आर्थिक और सामरिक मदद से अस्तित्व में आया और इसका ख़र्चा अमरीकी जनता से मिलने वाली टैक्स की रक़म से अदा किया गया।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि यदि अमरीका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति भी पिछले राष्ट्रपतियों की तरह साम्राज्यवादी नीतियों पर अमल करेंगे तो निश्चित रूप से विश्व की जनता की नज़र से गिर जाएंगें
आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातेमी ने मूसिल को दाइश से आज़ाद करवाने के आप्रेशन में इराक़ी बलों की सफलताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इराक़ी बलों को इस आप्रेशन में किसी और की सहायता की ज़रूरत नहीं है अमरीका तथा कुछ क्षेत्रीय देशों ने अनावश्यक ही अपनी सेनाएं भेजी हैं। उन्होंने कहा कि मूसिल इराक़ का हिस्सा है कोई भी अन्य देश इसे हड़प नहीं सकता।
क्षेत्र में हर प्रकार का टकराव ज़ायोनी शासन के हित में हैः सैयद हसन नसरुल्लाह
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध संगठन हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा है कि हिज़्बुल्लाह देश में नयी सरकार के गठन का समर्थन करता है।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को हिज़्बुल्लाह के कमान्डर हाज मुस्तफ़ा शहादा को श्रद्धांजलि पेश किए जाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यद्यपि हिज़्बुल्लाह ने प्रधानमंत्री पद के लिए साद हरीरी का समर्थन नहीं किया है किन्तु मंत्रीमंडल के गठन के लिए उनके साथ किसी भी प्रकार के सहयोग में संकोच नहीं करेगा।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने लेबनान के समस्त राजनैतिक दलों से कहा है कि वे नयी सरकार के गठन के लिए आवश्यक सहयोग करें।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बात की ओर संकेत करते हुए कि देश के नये राष्ट्रपति के चयन का मुख्य कारण सहृदयता थी, लेबनान जनता से मांग की है कि वह एकजुट रहकर अशांति और चुनौतियों का मुक़ाबला करें।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने लेबनान के नये राष्ट्रपति मिशल औन को हिज़्बुल्लाह का विश्वसनीय बताया और कहा कि हिज़्बुल्लाह ने मिशल औन के साथ कोई राजनैतिक समझौता नहीं किया है।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने इसी प्रकार देश के संसद सभापति नबीह बिर्री की संसद में राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए प्रशंसा की।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने क्षेत्र के संकट के बारे में कहा कि इस संकट का बेहतरीन विकल्प धैर्य है क्यों कि हर प्रकार का टकराव और झड़पें ज़ायोनी शासन के हित में हैं।
उन्होंने लेबनान के राष्ट्रपति के चयन में ईरान और सीरिया की भूमिका के बारे में कहा कि ईरान और सीरिया ने सदैव इस बात पर बल दिया कि लेबनान के राष्ट्रपति का चयन केवल लेबनानी जनता द्वारा ही हो।
मीशल औन के राष्ट्रपति बनने से इस्राइल की नींद उड़ी
लेबनान में मीशल औन के राष्ट्रपति बनने से इस्राईल की चिंता बढ़ गयी है।
ज़ायोनी शासन की सुरक्षा कैबिनेट के पूर्व सदस्य यईर लपीद ने मीशल औन के लेबनान के राष्ट्रपति बनने पर चिंता जताते हुए स्वीकार किया कि यह चीज़ हिज़्बुल्लाह की स्वाभाविक जीत और लेबनान के राजनैतिक मंच पर प्रतिरोध के प्रभाव को दर्शाती है।
नेतनयाहू के निकटवर्ती समझे जाने वाले ज़ायोनी अख़बार द डेली इस्राईल ने भी लेबनान के राष्ट्रपति के चयन की समीक्षा में लिखा है कि मीशल औन इस्राईल के मुक़ाबले में हैं।
ज्ञात रहे लेबनान की संसद ने 31 अक्तूबर 2016 को इस देश के ‘बदलाव व सुधार’ धड़े के अध्यक्ष मीशल औन को देश के नए राष्ट्रपति के रूप में चुना है।
मीशल औन लेबनान में लगभग ढाई साल तक राष्ट्रपति के पद के ख़ाली रहने के बाद इस देश के 13वें राष्ट्रपति चुने गए।
मीशल औन बने लेबनान के राष्ट्रपति, हिज़्बुल्लाह, सीरिया और ईरान ने दी बधाई
लेबनान के प्रतिरोधी आंदोलन हिज़्बुल्लाह और सीरियाई सरकार ने लेबनान का राष्ट्रपति चुने जाने पर मीशल औन को बधाई दी है।
सोमवार को हिज़्बुल्लाह की ओर से जारी होने वाले एक बयान में हिज़्बुल्लाह प्रमुख सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने मीशल ऑन को टेलीफ़ोन पर देश का राष्ट्रपति चुने जाने की मुबारकबाद दी।
हसन नसरुल्लाह ने औन के अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना की और आशा जताई कि वह अपनी राष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों को पूरा करेंगे।
पिछले हफ़्ते हिज़्बुल्लाह के प्रमुख ने राष्ट्रपति पद के लिए औन के नाम की पुष्टि करते हुए लेबनान की समस्त राजनीतिक पार्टियों से उनके समर्थन की अपील की थी।
सीरियाई राष्ट्रपति बशार असद ने भी अपने नए लेबनानी समकक्ष को बधाई दी और आशा जताई कि औन के चयन से लेबनान में शांति व्यवस्था मज़बूत होगी और देश प्रगति करेगा।
इससे पहले ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भी मीशल औन को राष्ट्रपति बनने पर बधाई देते हुए कहा था कि उनका देश लेबनानी सरकार, जनता और हिज़्बुल्लाह का समर्थन जारी रखेगा।
सोमवार को लेबनानी संसद में 4 चरण के मतदान के बाद कुल 127 में से 83 वोट प्राप्त करके मिशल औन ने जीत हासिल की, जबकि उन्हें बहुमत के लिए केवल 65 वोटों की ज़रूरत थी।
कनाडा में इस्राईली उत्पादों पर प्रतिबंध का लेवल
अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में निर्मित ज़ायोनी बस्तियों में तैयार किए जाने वाले इस्राईली उत्पादों पर प्रतिबंध का आंदोलन जारी है, इसी प्रक्रिया में कनाडा के एक शापिंग सेन्टर में इस्राईल निर्मित उत्पादों पर विशेष लेवल लगा दिया गया है।
इस्राईल की नेश्नल न्यूज़ साइट की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा में वेनीपिग शापिंग सेन्टर में इस्राईल में निर्मित उत्पादों पर इस्राईल विरोधी प्रतिबंध से संबंधित लेवल लगा दिया गया है।
इस विषय के बाद ज़ायोनी लाबी ने इस विषय की सूचना शापिंग सेन्टर के प्रबंधक को दी और इन लेवलों को उतारने की मांग की।
इस्राईल विरोधी लेवल उतारने वालों ने ख़रीदारों से मांग की है कि वे इन उत्पादों को न ख़रीदें क्योंकि यह इस्राईल निर्मित उत्पादन हें और यही कारण है कि यह उत्पादन मानवाधिकारों और जेनेवा के चौथे कन्वेन्शन का उल्लंघन करता है।
आज से तुर्की के 300 सिनेमाघरों में मोहम्मद रसूल अल्लाह फिल्म दिखाई जायेगी
मोहम्मद रसूल अल्लाह फिल्म का संबंध इस्लामी जगत से है
ईरानी फिल्म निर्माता मजीद मजीदी की बनाई गयी फिल्म मोहम्मद रसूल अल्लाह आज शुक्रवार से तुर्की के 300 सिनेमाघरों में दिखाई जायेगी।
बुधवार को इस फिल्म को इस्तांबोल नगर के एक सांस्कृतिक केन्द्र में विशेष रूप से दिखाया गया था जिसका तुर्की के सांस्कृतिक, धार्मिक और फिल्मी जगत के दसियों व्यक्तियों ने स्वागत किया था।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जब इस फिल्म को विशेष रूप से दिखाया गया तो बहुत से दर्शक दुःखदायी दृश्यों को देखकर अपने आंसूओं को न छिपा सके।
मोहम्मद रसूल अल्लाह फिल्म का तुर्की इस्तांबोली में अनुवाद किया गया है और नीचे अंग्रेजी में भी उसका अनुवाद लिखा रहेगा।
तुर्की के दसियों टीवी चैनलों ने ईरानी फिल्म मोहम्मद रसूल अल्लाह के उद्घाटन समारोह का कवरेज दिया।
पिछले साल इस फिल्म के निर्माता मजीद मजीदी ने प्रेस टीवी के साथ साक्षात्कार में कहा था कि इस फिल्म का संबंध इस्लामी जगत से है और इसे बनाने का उद्देश्य मुसलमानों के मध्य एकजुटता को मजबूत करना है।
ज्ञात रहे कि इस फिल्म के निर्माण पर साढ़े तीन करोड़ डॉलर खर्च आया था और यह ईरान के सिनेमा इतिहास की सबसे महंगी फिल्म है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेषकर विश्व के मुसलमानों के मध्य इसका व्यापक पैमाने पर स्वागत किया जा रहा है।
हिज़्बुल्लाह ने लेबनान को राजनीतिक संकट से निकाल लिया
हिज़्बुल्लाह महासचिव सैय्यद हसन नसरुल्लाह द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए मीशल औन के समर्थन और सअद हीरी के प्रधान मंत्री बनने का विरोध न करने से लेबनान के राजनीतिक धर्मसंकट से निकलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
रविवार को हिज़्बुल्लाह प्रमुख ने बेरूत में एलान किया था कि हिज़्बुल्लाह राष्ट्रपति पद के लिए मिशेल औन के नाम का समर्थन करेगा और उसे सअद हरीरी के प्रधान मंत्री बनने पर भी कोई आपत्ति नहीं है।
उन्होंने उल्लेख किया कि संसद के अगले सदन में राष्ट्रपति के चुनाव में हिज़्बुल्लाह के सांसद भाग लेंगे और मीशल औन का समर्थन करेंगे। सूत्रों का कहना है कि हिज़्बुल्लाह के इस एलान के बाद, 31 अक्तूबर को राष्ट्रपति के रूप में मीशल औन का चयन लगभग तय है।
इससे पहले 20 अक्तूबर को सअद हरीरी ने मीशल औन से मुलाक़ात की थी। लेबनानियों की नज़र में यह मुलाक़ात ऐतिहासिक थी और लोगों को मानना था कि इससे देश के 13वां राष्ट्रपति के चुनाव के लिए रास्ता साफ़ हो गया है।
मीशल औन एक ईसाई हैं और हिज़्बुल्लाह से उनके अच्छे राजनीतिक संबंध रहे हैं। लेबनान में मई 2014 के बाद से राष्ट्रपति चयन का मुद्दा अधर में लटका हुआ था, क्योंकि 8 मार्च और 14 मार्च राजनीतिक धड़ों के बीच राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर मतभेद था। हिज़्बुल्लाह और उसके सहयोगी दलों ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर सऊदी अरब समेत कई देशों के दबाव के सामने घुटने नहीं टेके, जिसके कारण इन देशों की साज़िशों पर पानी फिर गया, ऐसी स्थिति में सअद हीरीरी के पास मीशल औन के नाम पर सहमति देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
हरीरी ने मीशल औन के समर्थन की घोषणा के बाद कहा था कि राष्ट्रपति की कुर्सी ख़ाली रहने के ख़तरनाक परिणाम हो सकते हैं, इसलिए राष्ट्र के हित में इसके लिए क़दम उठाना ज़रूरी है।
मीशल औन ने रविवार को ही हसन नसरुल्लाह से मुलाक़ात की और राष्ट्रपति के चुनाव में उनके सुझावों का स्वागत किया। हिज़्बुल्लाह ने एक बार फिर राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखते हुए क्षेत्रीय देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण पेश किया है।
हैती में तूफ़ान का क़हर जारी, 877 लोगों की मौत
कैरेबियाई सागर में पिछले पचास साल में आएं सबसे घातक समुद्री तूफान ‘मैथ्यू’ से हैती में अब तक 877 लोग मारे जा चुके हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राहत और बचाव अभियान में लगी सरकार, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधियों और आपातकालीन कर्मचारियों के बीच कई बैठकें हुईं।
इस शक्तिशाली तूफान के आने के बाद तटीय शहरों में बचाव दल के कर्मचारी पहुंच रहे है। तूफान के बाद अब तक लगभग 61 हज़ार लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया गया है। सरकार और संयुक्त राष्ट्र के बचाव कर्मचारियों ने बताया कि अभी भी लगभग साढ़े 3 लाख लोगों को तुरंत मदद की आवश्कयता है।
सडक़ों पर बाढ़ का पानी भर जाने से देश के कई भाग से संपर्क कटा हुआ है और तूफ़ान के कारण संचार व्यवस्था भी ठप्प है। कई क्षेत्रों में फसलों को भारी नुकसान हुआ है।
तूफ़ान में चार अमरीकी नागरिक भी मारे गये हैं जबकि हैती के पड़ोसी देश डोमनिका रिपब्लिक में भी इस तूफान की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई।
ईदे मुबाहेला: इस्लाम व अहलेबैत की जीत का दिन।
नजरान क्षेत्र के ईसाईयों के धार्मिक नेता एक चटान के ऊपर जाते हैं। बुढ़ापे के कारण उनके जबड़े और सफ़ेद दाढ़ी के बालों में कंपन है। वह कांपती हुई आवाज़ में कहते हैं कि मेरे विचार मेंमुबाहिला करना उचित नहीं होगा। यह पांच नूरानी चेहरे जिन्हें मैं देख रहा हूं अगर दुआ कर देंगे तो धरती में धंसे पहाड़ उखड़ जाएंगे। अगर मुबाहिला हुआ तो हमारी तबाही निश्चित है और यह भी आशंका है कि अल्लाह के अज़ाब समूचे दुनिया के ईसाई समुदाय को अपनी चपेट में ले ले।
नजरान क्षेत्र के ईसाईयों के धार्मिक नेता एक चटान के ऊपर जाते हैं। बुढ़ापे के कारण उनके जबड़े और सफ़ेद दाढ़ी के बालों में कंपन है। वह कांपती हुई आवाज़ में कहते हैं कि मेरे विचार में मुबाहिला करना उचित नहीं होगा। यह पांच नूरानी चेहरे जिन्हें मैं देख रहा हूं अगर दुआ कर देंगे तो धरती में धंसे पहाड़ उखड़ जाएंगे। अगर मुबाहिला हुआ तो हमारी तबाही निश्चित है और यह भी आशंका है कि अल्लाह के अज़ाब समूचे दुनिया के ईसाई समुदाय को अपनी चपेट में ले ले।
अरबी ज़बान में मुबाहिला चीज़तः बहल शब्द से बना है जिसका मतलब होता है आज़ाद कर देना अथवा किसी चीज़ से हर तरह की शर्त हटा लेना लेकिन यहां पर मुबाहला का मतलब एक दूसरे के लिए अल्लाह के दंड की दुआ करना है। सूरज पूरी सृष्टि पर अपनी चकाचौंध कर देने वाली रौशनी बिखेरे हुए है। मदीना शहर के बाहर साठ ईसाई विद्वान खड़े हुए हैं और उनकी आखें मदीना शहर के प्रवेश द्वार पर टिकी हुई हैं। सब प्रतीक्षा में हैं कि हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेह व सल्लम अपने साथियों की फ़ौज लेकर मदीना शहर से बाहर आएं और मुबाहिला में हिस्सा लें। मुसलमानों की भी एक बड़ी संख्या रास्ते में, मदीना शहर के प्रवेश द्वार के आस पास और ईसाईयों के चारो ओर खड़ी हुई थी। सब बड़े उत्साह के साथ इस सभा की प्रतीक्षा कर रहे थे। लोग दम साधे खड़े थे। सबकी आखें मदीना शहर के द्वार पर टिकी हुई थीं। प्रतीक्षा की घड़ियां एक एक करके गुज़र रही थीं। अचनाक पैग़म्बरे इस्लाम का तेज में डूबा चेहरा दिखाई पड़ा। उनकी गोद में उनके नवासे हज़रत इमाम हुसैन थे और बड़े नवासे इमाम हसन ने उनकी उंगली पकड़ी हुई है। वह मदीने के दरवाज़े से बाहर निकले। उनके पीछे एक पुरूष और एक महिला को भी देखा जा सकता है। वह पुरुष हज़रत अली और महिला हज़रत फ़ातेमा ज़हरा थीं।ईसाइयों को यह देखकर बड़ा अचम्भा हुआ और सब विचलित हो गए। नजरान के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति शरहबील ने कहाः देखो तो सही, वे केवल अपनी बेटी, दामाद और दोनों नवासों के साथ आए हैं। नजरान के बूढ़े पादरी ने कांपती हुई आवाज़ में कहा कि यही उनकी सत्यता का प्रमाण है। वे मुबाहिला के लिए अपने साथ सेना लाने के बजाए केवल अपने निकटवर्ती और प्रियतम लोगों को साथ लाए हैं। इससे साफ़ पता चलता है कि उन्हें अपने संदेश और मिशन की सच्चाई का पूर्ण विश्वास है अतः उन्होंने अपने निकटतम लोगों को अपना सहारा बनाया है। शरहबील ने कहा कि कल हज़रत मोहम्मद ने कहा कि हम अपनी संतान, अपनी महिलाओं और अपनी जान से प्यारे लोगों के साथ आएं। इससे पता चलता है कि वे हज़रत अली को जान से अधिक प्रिय मानते हैं। बिल्कुल, हज़रत अली पैग़म्बरे इस्लाम के लिए जान से अधिक प्रिय हैं। हमारी प्राचीन पुस्तकों में उनका नाम पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधारी के रूप में आया है। चट्टान के ऊपर खड़े पादरी ने अपनी कांपती हुई आवाज़ में कहा कि मेरे विचार में मुबाहिला करना ठीक नहीं है। यह पांच नूरानी चेहरे जिन्हें मैं देख रहा हूं अगर दुआ कर देंगे तो धरती में धंसे पहाड़ उखड़ जाएंगे। अगर मुबाहिला हुआ तो हमारा विनाश निश्चित है और यह भी आशंका है कि अल्लाह के अज़ाब समूचे दुनिया के ईसाई समुदाय को अपनी चपेट में ले ले।मानव बृद्धि एक शक्तिशाली प्रकाश की भांति है जो सही मार्च की पहचान में मनुष्य की सहायता करती है लेकिन यही पर्याप्त नहीं है। मनुष्य को सौभाग्यपूर्ण जीवन के लिए कुछ एसी चीज़ओं की भी आवश्यकता है जो मानव विवेक की उड़ान से अधिक ऊंची हैं। यही कारण है कि पैग़म्बरे इस्लाम ने विभिन्न अवसरों पर विभिन्न शैलियों से अपने बाद के अल्लाह के मार्गदर्शकों का परिचय करवाया।पैग़म्बरे इस्लाम के परिजन एसे चमकते तारे हैं जो मनुष्य को कल्याण और सौभाग्य का मार्ग दिखाते हैं, जो क़ुरआन के रूप में अल्लाह के ज्ञान और शिक्षाओं के महासागर से ज्ञान के मोती निकालते और आम जनमानस के समक्ष पेश करते हैं। नजरान के ईसाइयों से मुबाहिला भी एसी ही एक विधि थी जिससे इस्लाम के संरक्षण तथा समाज के मार्गदर्शन के लिए पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की योग्यता को समझा जा सकता था।पैग़म्बरे इस्लाम ने अल्लाह के संदेश पहुंचाने का अपना अभियान आरंभ किया तो उन्होंने बहुत से देशों के शासकों को पत्र लिखे या वहां अपने दूत भेजे ताकि एकेश्वरवाद और सत्य का संदेश सब तक पहुंच जाए। नजरान नामक क्षेत्र हेजाज़ जहां इस समय सऊदी अरब स्थित है और यमन के बीच एक महत्वपूर्ण शहर था जिसके अंतर्गत सत्तर गांव आते थे। जब हेजाज़ में इस्लाम का उदय हुआ तो उस समय केवल यही क्षेत्र एसा था जहां के लोगों ने मूर्ति पूजा छोड़कर ईसाई धर्म गले लगाया था। सन दस हिजरी क़मरी में पैग़म्बरे इस्लाम ने इस क्षेत्र के लोगों को इस्लाम धर्म का नियंत्रण देने के लिए पत्र भेजा। उन्होंने नजरान के पादरी अबू हारेसा के नाम पत्र में अपने मिशन के बारे में लिखा था। पैग़म्बरे इस्लाम के दूत यह पत्र लेकर नजरान पहुंचे और उसे पादरी तक पहुंचाया। पादरी ने परामर्श के लिए विद्वानों की बैठक बुलाई। इन विद्वानों में से एक ने जो अपनी तेज़ बुद्धि के लिए प्रसिद्ध था कहा कि हमने अपने पेशवाओं से कई बार सुना है कि एक दिन पैग़म्बरी हज़रत इसहाक़ पैग़म्बर के वंश से स्थानान्तरित होकर हज़रत इस्माईल पैग़म्बर के वंश में चली जाएगी तो कुछ असंभव नहीं है कि हज़रत मोहम्मद जो हज़रत इस्माईल के वंश से हैं वही पैग़म्बर हों जिनके बारे में पहले शुभसूचना दी जा चुकी है। इस आधार पर बैठक में यह फ़ैसला किया गया नजरान से एक प्रतिनिधिमंडल मदीना शहर जाए और हज़रत मोहम्मद से आमने सामने बात करे तथा उनकी पैग़म्बरी के तर्कों और साक्ष्यों के बारे में उनसे प्रश्न करे।नजरान का प्रतिनिधिमंडल मदीना शहर पहुंचा और उसने पैग़म्बरे इस्लाम से विस्तार से बातचीत की। पैग़म्बरे इस्लाम ने अनन्य ईश्वर की बंदगी का निमंत्रण दिया लेकिन प्रतिनिधिमंडल के लोगों ने तीन पूज्यों की बात पर आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर भी आग्रह किया कि हज़रत ईसा ईश्वर के सुपुत्र हैं। उन्होंने हज़रत ईसा के ईश्वर होने के प्रमाण के रूप में बिना पिता के उनके जन्म का बिंदु पेश किया। इसी बीच ईश्वर की ओर से पैग़म्बरे इस्लाम के पास फ़रिश्ता यह कुरआनी आयत लेकर आया कि निश्चित रूप से ईश्वर के निकट हज़रत ईसा की स्थिति हज़रत आदम की भांति हैं जिन्हें ईश्वर ने मिट्टी से पैदा किया। क़ुरआन की इस आयत में हज़रत ईसा और हज़रत आदम के बीच जन्म की समानता का उल्लेख करके ईश्वर ने यह समझाया है कि उसने हज़रत आदम को अपनी असीम शक्ति से पैदा किया और वे बिना माता पिता के ही अस्तित्व में आ गए। अतः अगर यह तर्क मान लिया जाए कि हज़रत ईसा चूंकि बिना पिता के जन्मे अतः वे ईश्वर हैं तो फिर हज़रत आदम जो बिना पिता और बिना माता के जन्मे वे तो ईश्वर बनने के लिए और भी योग्य हैं। यह सारे तर्क सुनने के बावजूद ईसाई प्रतिनिधिमंडल संतुष्ट न हुआ तो पैग़म्बरे इस्लाम को ईश्वर से आदेश मिला कि मुबाहिला करो ताकि सच्चाई सामने आ जाए और झूठ बोलने वाले अपमानित हों। जब नजरान के ईसाई अपनी ज़िद पर अड़े रहे और सच्चाई को स्वीकार करने पर तैयार न हुए तो ईश्वर ने क़ुरआन के सूरए आले इमरान की 61वीं आयत पैग़म्बरे इस्लाम पर उतारीः
» فَمَنْ حَآجَّکَ فِیهِ مِن بَعْدِ مَا جَاءکَ مِنَ الْعِلْمِ فَقُلْ تَعَالَوْاْ نَدْعُ أَبْنَاءنَا وَأَبْنَاءکُمْ وَنِسَاءنَا وَنِسَاءکُمْ وَأَنفُسَنَا وأَنفُسَکُمْ ثُمَّ نَبْتَهِلْ فَنَجْعَل لَّعْنَةَ اللّهِ عَلَى الْکَاذِبِینَ «
जब हज़रत ईसा मसीह के बारे में तुम्हारी ज्ञानपूर्ण बातों के बावजूद कुछ लोग तुमसे कठहुज्जती कर रहे हैं तो उनसे कह दो कि आइए हम अपने बेटों को बुलाएं आप अपने बेटों को बुलाएं हम अपनी महिलाओं को बुलाएं, आप अपनी महिलाओं को बुलाइए हम अपने प्राणप्रिय लोगों को बुलाएं और आप अपने प्राणप्रिय लोगों को बुलाइए फिर एक दूसरे से मुबाहिला करें और झूठों के लिए अल्लाह के अज़ाब की दुआ करें।पैग़म्बरे इस्लाम तथा नजरान के ईसाइयों के प्रतिनिधि मुबाहिला करने के लिए निर्धारित स्थान पर पहुंचे। सुन्नी समुदाय के धर्मगुरू मुबाहिला की घटना को इस तरह बयान करते हैः पैग़म्बरे इस्लाम मुबाहिले के लिए इस स्थिति में बाहर आए कि ऊन का काला कपड़ा उनके कंधे पर था, हुसैन उनकी गोद में थे और हसन उनकी उंगली पकड़े हुए थे। उनके पीछे हज़रत फ़ातेमा ज़हरा तथा इन सब के पीछे हज़रत अली चल रहे थे। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने साथ आए इन लोगों से कहा कि जब मैं दुआ करूं तो आप लोग आमानी कहें। यह कहकर पैग़म्बरे इस्लाम ने ऊन का काला कपड़ा ओढ़ लिया। हसन अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम के निकट जाकर खड़े हो गए और पैग़म्बरे इस्लाम ने उन्हें भी कपड़े के भीतर बुला लिया। इसके बाद हुसैन अलैहिस्सलाम और फिर हज़रत फ़ातेमा और हज़रत अली अलैहिस्सलाम उस कपड़े के अंदर चले गए। जब सब उस कपड़े में एकत्रित हो गए तो पैगम्बरे इस्लाम ने ततहीर के नाम से प्रसिद्ध क़ुरआन की आयत पढ़ीः
» إِنَّمَا یُرِیدُ اللَّهُ لِیُذْهِبَ عَنکُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَیْتِ وَیُطَهِّرَکُمْ تَطْهِیرًا «
ईश्वर चाहता है कि आप घर वालों से हर अपवित्रता को दूर रखे तथा आपको उस तरह पवित्र रखे जैसा पवित्र रखने का हक़ है। इस्लामी इतिहास में आया है कि आयते ततहीर आ जाने के बाद पैग़म्बरे इस्लाम बहुत दिनों तक सुबह की नमाज़ के समय हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के घर के द्वार पर खड़े हो जाते थे और दोनों हाथ किवाड़ पर रखकर कहते थे हे घर वालो आप पर सलाम हो। आप पर ईश्वर की कृपा और अनुकंपाएं उतरें। आप लोग नमाज़ के लिए उठ जाइए। जो आपसे युद्घ करे मैं उसके विरुद्ध युद्ध की स्थिति में हूं और जो आपसे मेल जोल रखे मैं उसके साथ मेल जोल की स्थिति में रहूंगा। नजरान के ईसाइयों ने जब पैग़म्बरे इस्लाम को अपने निकटतम लोगों के साथ मुबाहिला के लिए आते देखा तो वे समझ गए पैग़म्बरे इस्लाम का दावा पूर्णतः सत्य है। उन्होंने मुबाहिला का निर्णय बदल दिया और पैग़म्बरे इस्लाम से संधि कर ली। नजरान का ईसाई पादरी पैग़म्बरे इस्लाम के समक्ष सिर झुका कर खड़ा हो गया। पादरी ने कहा कि हमें मुबाहिला से क्षमा कर दीजिए आप जो कहेंगे हम स्वीकार करने को तैयार हैं। पैग़म्बरे इस्लाम ने बड़ी विनम्रता और शिष्टाचार का प्रदर्शन करते हुए उनकी बात मान ली। उन्होंने नजरान के ईसाइयों से कहा कि वे इस्लामी शासन में निश्चिंत होकर रह सकते हैं और कर अदा करके निःसंकोच जीवन व्यतीत कर सकते हैं तथा इस्लामी सेना शत्रुओं से उनकी रक्षा करेगी। यह घटना का समाचार जंगल की आग की भांति नजरान तथा अन्य क्षेत्रों के ईसाइयों में फैल गय। सत्य के खोजी बहुत से ईसाईयों ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया।क़ुरआन के विख्यात विवरणकर्ता अल्लामा तबातबाई सूरए आले इमरान की 61वीं आयत के विवरण में कहते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम ईश्वर के इस आदेश का पालन करने के लिए संतान के रूप में हज़रत इमाम हसन और हज़रत इमाम हुसैन को महिलाओं के रूप में हज़रत फ़ातेमा को और अपने प्राणप्रिय रूप में हज़रत अली अलैहिस्सलाम को लेखकर आए जिससे पता चल गया कि इन चारों के अतिरिक्त पैग़म्बरे इस्लाम की दृष्टि में कोई भी आयत का पात्र नहीं था तथा पैग़म्बरे इस्लमा के संतान, महिला और प्राणप्रिय यही लोग थे। इतिहास में कुछ स्थानों पर बताया गया है कि पैग़म्बरे इस्लाम ने इन लोगों के बारे में कहा कि हे ईश्वर यही लोग मेरे घरवाले हैं।पैग़म्बरे इस्लाम के घरवाले महानतम लोग हैं और इस्लामी विद्वानों ने विभिन्न मार्गों से लोगों को उनसे परिचित करवाने का प्रयास किया है क्योंकि उनसे परिचित होना मार्गदर्शित होने का सबसे विश्वसनीय मार्ग है।