
رضوی
इमामे अली (अ) क्यों इंसाने कामिल
शहीद मुतहरी इस बात की ताकीद करते हैं कि अली इब्ने अबी तालिब (अ) पैग़म्बरे अकरम (स0 के बाद इंसाने कामिल हैं आप बयान करते हैं कि : “इमामे अली (अ) इंसाने कामिल हैं इस लिये कि आप मे इंसानी कमालात व ख़ुसुसियात ने ब हद्दे आला और तनासुब व तवाज़ुन के साथ रुश्द पाया है। ” ।(1)
दूसरी जगह आपने फ़रमाया :
“इमामे अली (अ) क़ब्ल इसके कि दूसरे के लिये इमामे आदिल हों और दूसरों के साथ अदल से काम लें ख़ुद आप शख़्सन एक मुतआदिल और मुतवाज़िन इंसान थे आपने तमाम इंसानी कमालात को एक साथ जमा किया था आप के अंदर अमीक़ और गहरा फ़िक्र व अंदेशा भी था और लुत्फ़ नर्म इंसानी जज़्बात भी थे कमाले रूह व कमाले जिस्म दोनो आप के अंदर पाये जाते थे, रात को इबादते परवरदिगार में यूँ मशग़ूल हो जाते थे कि मा सिवल्लाह सबसे कट जाते थे और फिर दिन में समाज के अंदर रह कर मेहनत व मशक़्क़त किया करते थे दिन में लोगों कि निगाहें आपकी ख़िदमते ख़ल्क़, ईसार व फ़िदाकारी देखती थीं और उनके कान आपके मौएज़े, नसीहत और हकीमाना कलाम को सुनते थे रात को सितारे आपके आबिदाना आँसुओं का मुशाहिदा करते थे। और आसमान के कान आपके आशिक़ाना अंदाज़ के मुनाजात सुना करते थे। आप मुफ़्ती भी थे और हकीम भी, आरिफ़ भी थे और समाज के रहबर भी, ज़ाहिद भी थे और एक बेहतरीन सियासत मदार भी, क़ाज़ी भी थे और मज़दूर भी ख़तीब भी थे और मुसन्निफ़ भी ख़ुलासा ये कि आप पर एक जिहत से एक इंसाने कामिल थे अपनी तमाम ख़ूबसूरती और हुस्न के साथ।” (2)
आप ने इमामे अली (अ) के इंसाने कामिल होने पर बहुत सी जगहों पर बहस की है और मुतअद्दिद दलीलें पेश की हैं आप एक जगह पर लिखते हैं कि “हम लोग इमामे अली (अ) को इंसाने कामिल क्यों समझते हैं? इसलिये कि आप की “मैं” “हम” में बदल गयी थी इसलिये कि आप अपनी ज़ात में तमाम इंसानों को जज़ब करते थे आप एक ऐसी फ़र्दे इंसान नही थे जो दूसरे इंसानो से जुदा हो, नही! बल्कि आप अपने को एक बदन का एक जुज़, एक उँगली, एक उज़व की तरह महसूस करते थे कि जब बदन के किसी उज़्व में दर्द या कोई मुश्किल आती है तो ये उज़्व भी दर्द का एहसास करता है। (3)
“जब आप को ख़बर दी गयी कि आप के एक गवर्नर ने एक दावत और मेहमानी में शिरकत की तो आपने एक तेज़ ख़त उसके नाम लिखा ये गवर्नर किस क़िस्म की दावत में गया था ? क्या ऐसी मेहमानी में गया था जहाँ शराब थी? या जहाँ नाच गाना था? या वहाँ कोई हराम काम हो रहा थी नही तो फिर आपने उस गवर्नर को ख़त में क्यो इतनी मलामत की आप लिखते है (...................................)
गवर्नर का गुनाह ये था कि उसने ऐसी दावत में शिरकत की थी जिसमे सिर्फ़ अमीर और मालदार लोगों को बुलाया गया था और फ़क़ीर व ग़रीब लोगों को महरूम रखा गया था (4)
शहीद मुतहरी मुख़्तलिफ़ इंहेराफ़ी और गुमराह फ़िरक़ों के ख़िलाफ़ जंग को भी आपके इंसाने कामिल होने का एक नमूना समझते हैं आप फ़रमाते हैं :
“इमामे अली (अ) की जामईयत और इंसाने कामिल होने के नमूनो में से एक आपका इल्मी मैदान में मुख़तलिफ़ फ़िरक़ो और इन्हिराफ़ात के मुक़ाबले में खड़ा होना और उनके ख़िलाफ़ बर सरे पैकार होना भी है हम कभी आपको माल परस्त दुनिया परस्त और अय्याश इंसानों के ख़िलाफ़ मैदान में देखते हैं और कभी उन सियासत मदारों के ख़िलाफ़ नबर्द आज़मा जिनके दसियों बल्कि सैकड़ों चेहरे थे और कभी आप जाहिल मुनहरिफ़ और मुक़द्दस मआब लोगों से जंग करते हुये नज़र आते है।” (5)
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हवाले
1 वही, सफ़ा 43
2 जाज़िबा व दाफ़िआ ए अली (अ) पेज 10
3 गुफ़्तारहा ए मानवी पेज 228
4 गुफ़्तारहा ए मानवी पेज 228
5 जाज़िबा व दाफ़िआ ए अली (अ) पेज 113
इमाम अली अ.स. एकता के महान प्रतीक
इमाम अली अ.स. ने यह जानते हुए कि पैग़म्बर स.अ. की वफ़ात के बाद ख़िलाफ़त, इमामत और रहबरी मेरा हक़ है और मुझ से मेरे इस हक़ के छीनने वाले ज़ुल्म कर रहे हैं (शरहे नहजुल-बलाग़ा, इब्ने अबिल हदीद, जिल्द 20, पेज 283, अल-शाफ़ी फ़िल-इमामह, जिल्द 3, पेज 110, बिहारुल अनवार, जिल्द 29, पेज 628)
लेकिन जैसे ही समझा कि अपने हक़ को वापस लेने का वह उचित समय नहीं है और ऐसा करने से मुसलमानों की एकता भंग हो सकती है और दुश्मन इस से फ़ायदा उठा सकता है आपने अपने हक़ को छोड़ दिया। (शरहे नहजुल-बलाग़ा, इब्ने अबिल हदीद, जिल्द 1, पेज 307, अल-इरशाद, शैख़ मुफ़ीद, जिल्द 1, पेज 245)
आप जब सबसे बड़े ज़ुल्म का शिकार हुए और वह आपके जीवन के सबसे कठिन दिनों में से एक था तो आपने उस पर भी धैर्य रखते हुए फ़रमाया, मैंने उस समय धैर्य रखा जब कांटा मेरी आंखों में और हड्डी मेरे गले में फंसी हुई थी, मैं केवल अपनी विरासत को लुटते हुए देख रहा था। (नहजुल-बलाग़ा, ख़ुतबा 3) इतना सब कुछ इमाम अली अ.स. जैसे बहादुर इंसान के साथ हो गया लेकिन वह केवल मुसलमानों की एकता और एकजुटता के बाक़ी रहने के लिए हर मुश्किल और कठिनाई पर धैर्य रखते हुए उसे सहन करते रहे।
जबकि इमाम अली अ.स. जिन लोगों ने आपके हक़ को आपसे छीना था उनको झूठा, मक्कार और ग़द्दार ही समझते थे, जैसा कि सही मुस्लिम में रिवायत मौजूद है कि उमर ने इमाम अली अ.स. और इब्ने अब्बास से कहा कि, पैग़म्बर स.अ. की वफ़ात के बाद अबू बकर ने तुम दोनों से कहा मैं पैग़म्बर स.अ. का ख़लीफ़ा हूं तुम लोगों ने उन्हें झूठा, मक्कार और ग़द्दार कहा, जब अबू बकर की वफ़ात के बाद मैंने यही कहा कि अब अबू बकर के बाद मैं पैग़म्बर स.अ. का ख़लीफ़ा हूं तो तुम दोनों ने मुझे भी झूठा, मक्कार और ग़द्दार कहा। (सही मुस्लिम, जिल्द 5, पेज 152, फ़त्हुल बारी, जिल्द 6, पेज 144, कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 7, पेज 241)
ध्यान देने की बात यह है कि यह क़िस्सा उमर की ज़िंदगी के आख़िरी दिनों का है, और इमाम अली अ.स. और इब्ने अब्बास उस समय भी अपनी कही हुई बात पर डटे रहे।
इन सब बातों के बाद कि आपका हक़ छीन लिया गया, आप उनसे नाराज़ थे लेकिन आपने उम्मत और मुसलमानों की एकता को बाक़ी रखने और मुसलमानों को आपसी मतभेद से बचाने के लिए आपने धैर्य से काम लिया, यही नहीं बल्कि जहां उन लोगों को आपकी ज़रूरत होती थी या आपसे कोई दीनी मसला पूछते थे आप उनकी मदद करते थे।
इमाम अली अ.स. इस बात में यक़ीन रखते थे कि जब दो विचार आपस में टकराएंगे तो उन में से एक का बातिल होना तय है, यानी हक़ हमेशा बातिल के मुक़ाबले पर रहेगा, और यह दोनों कभी एक साथ जमा नहीं हो सकते। (नहजुल-बलाग़ा, कलेमाते क़ेसार 183)
यही कारण है कि जब इमाम अली अ.स. से एक यहूदी ने इमामत और ख़िलाफ़त पर आपत्ति जताते हुए कटाक्ष किया कि तुम लोगों ने अपने पैग़म्बर स.अ. को दफ़्न करने से पहले ही उनके बारे में मतभेद शुरू कर दिए, तो आपने जवाब दिया कि, हमारा मतभेद पैग़म्बर स.अ. को लेकर बिल्कुल नहीं था, बल्कि हमारा मतभेद उनकी हदीस के मतलब को लेकर था, लेकिन तुम यहूदियों के पैर दरिया से निकल कर सूखे भी नहीं थे और तुम लोगों ने हज़रत मूसा अ.स. से कह दिया था कि बुत परस्तों की तरह हमारे लिए भी ख़ुदा का प्रबंध करो और फिर जवाब में हज़रत मूसा अ.स. ने तुम लोगों के बारे में कहा था कि तुम लोग कितने जाहिल और अनपढ़ हो। (नहजुल-बलाग़ा, सुब्ही सालेह, कलेमाते क़ेसार, 317)
इसी नहजुल-बलाग़ा में मौजूद इमाम अली अ.स. का फ़रमान आज भी कानों में गूंजता है कि, हमेशा इस्लामी समाज से जुड़े रहो, क्योंकि अल्लाह की मदद वहीं है जहां एकता हो, और ख़बरदार आपसी फूट से हमेशा बचो क्योंकि जब आपस में बट कर कम बचोगे तो शैतान का निवाला बन जाओगे, जैसे कम भेड़ों का झुंड भेड़िये का शिकार हो जाता है। एक और जगह आप ने एक ख़त में लिखा कि आपसी भाईचारे की कोशिश हमेशा जारी रखो, आपस में एक दूसरे पर ख़र्च करो, और एक दूसरे से कभी मुंह मत मोड़ो। (नहजुल-बलाग़ा, ख़त न. 47)
अमीरुल मोमिनीन अ. स. का जन्म
नाम व उपाधियाँ
आपका नाम अली व आपके अलक़ाब अमीरुल मोमेनीन, हैदर, कर्रार, कुल्ले ईमान, सिद्दीक़,फ़ारूक़, अत्यादि हैं।
माता पिता
आपके पिता हज़रतअबुतालिब पुत्र हज़रत अब्दुल मुत्तलिब व आपकी माता आदरनीय फ़तिमा पुत्री हज़रतअसद थीं।
जन्म तिथि व जन्म स्थान
आप का जन्म रजब मास की 13वी तारीख को हिजरत से 23वर्ष पूर्व मक्का शहर के विश्व विख्यात व अतिपवित्र स्थान काबे मे हुआ था। आप अपने माता पिता के चौथे पुत्र थे।
पालन पोषण
आप (6) वर्ष की आयु तक अपने माता पिता के साथ रहे। बाद मे आदरनीय पैगम्बर हज़रतअली को अपने घर ले गये।
हज़रत अली सर्वप्रथम मुसलमान के रूप मे
जब आदरनीय मुहम्मद (स0)ने अपने पैगमबर होने की घोषणा की तो हज़रतअली वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने आपके पैगम्बर होने को स्वीकार किया तथा आप पर ईमान लाए।
हज़रत अली पैगम्बर के उत्तराधिकारी के रूप मे
हज़रत पैगम्बर ने अपने स्वर्गवास से तीन मास पूर्व हज से लौटते समय ग़दीरे ख़ुम नामक स्थान पर अल्लाह के आदेश से सन् 10 हिजरी मे ज़िलहिज्जा मास की 18वी तिथि को हज़रतअली को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
अपने पाँच वर्षीय शासन काल मे विभिन्न युद्धों, विद्रोहों, षड़यन्त्रों, कठिनाईयों व समाज मे फैली विमुख्ताओं का सामना किया। इमाम अली राजकोष का विशेष ध्यान रखते थे, वह किसी को भी उसके हक़ से अधिक नही देते थे। वह राजकोष को सार्वजनिक सम्पत्ति मानते थे। एक बार आप रात्री के समय राजकोष के कार्यों मे वयस्त थे। उसी समय आपका एक मित्र भेंट के लिए आया जब वह बैठ गया और बातें करने लगा तो आपने जलते हुए चिराग़ (दिआ) को बुझा दिया। और अंधेरे मे बैठकर बाते करने लगे। आपके मित्र ने चिराग़ बुझाने का कारण पूछा तो आपने उत्तर दिया कि यह चिराग़ राजकोष का है।और आपसे बातचीत मेरा व्यक्तिगत कार्य है अतः इसको मैं अपने व्यक्तिगत कार्य के लिए प्रयोग नही कर सकता।
स्वर्गवास
हज़रत इमाम अली सन् 40 हिजरी के रमज़ान मास की 19वी तिथि को जब सुबह की नमाज़ पढ़ने के लिए गये तो सजदा करते समय अब्दुर्रहमान पुत्र मुलजिम ने आपके ऊपर तलवार से हमला किया जिससे आप का सर बहुत अधिक घायल हो गया तथा दो दिन पश्चात रमज़ान मास की 21वी रात्री मे नमाज़े सुबह से पूर्व आपने इस संसार को त्याग दिया।
समाधि
इमाम अली की समाधि नजफ़ नामक स्थान पर है।
इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम की विलादत
इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम का जन्म दस रजब सन 195 हिजरी को मदीना शहर में हुआ था। इल्म, शराफ़त (शालीनता), ख़िताबत (वाकपटुता) तथा अन्य मानवीय गुणों के कारण उनका व्यक्तित्व अन्य लोगों से भिन्न था.
ख़ुदाई दायित्व के उचित ढंग से निर्वाह के लिए पैग़म्बरे इस्लाम (स) के परिजनों में से प्रत्येक ने अपने काल में हर कार्य के लिए तार्किक और प्रशंसनीय नीति अपनाई थी ताकि ख़ुदाई मार्गदर्शन जैसे अपने दायित्व का निर्वाह उचित ढंग से किया जा सके।
इन महापुरूषों के जीवन में अल्लाह पर केन्द्रियता उनका मूल मंत्र रही। इस प्रकार इंसाफ़ को लागू करने, ख़ुदा के सिवा किसी अन्य की बंदगी से मनुष्यों को मुक्ति दिलाने और व्यक्तिगत एवं सामाजिक संबंधों में सुधार जैसे विषयों पर उनका विशेष ध्यान था।
यद्यपि यह महापुरूष बहुत छोटे और सीमित वक़्त में इमामत के कार्यकाल में सफ़ल रहे किंतु उनकी दृष्टि में इंसाफ़ को स्थापित करने, हक़ व अधिकारों को दिलवाने, अन्याय को समाप्त करने और ख़ुदा के धर्म को फैलाने जैसे कार्य के लिए सत्ता एक माध्यम है। क्योंकि यह महापुरूष अपनी करनी तथा कथनी में मानवता और नैतिक मूल्यों का उदाहरण थे अतः वे लोगों के दिलों पर राज किया करते थे। रजब जैसे बरकतों वाले महीने की दसवीं तारीख़, पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम की एक कड़ी के शुभ जन्मदिवस से सुसज्जित है।
आज के दिन पैग़म्बरे इस्लाम (स) के ऐसे परिजन का जन्म दिवस है जो दान-दक्षिणा के कारण जवाद के उपनाम से जाने जाते थे। जवाद का अर्थ होता है अतिदानी। इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम का जन्म दस रजब सन १९५ हिजरी को मदीना में हुआ था। ज्ञान, शालीनता, ख़िताबत तथा अन्य मानवीय गुणों के कारण उनका व्यक्तित्व अन्य लोगों से भिन्न था। वे बचपन से ही ज्ञान, राज़ व नियाज़, शालीनता और अन्य विशेषताओं में अद्वितीय थे।
इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम के इमामत के काल में अब्बासी शासन के दो शासक गुज़रे मामून और मोतसिम। क्योंकि अब्बासी शासक, इस्लामी शिक्षाओं को लागू करने में गंभीर नहीं थे और वे केवल "ज़वाहिर" को ही देखते थे अंतः यह शासक, धर्म के नियमों में परिवर्तन करने और उस में नई बातें डालने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। इस प्रकार के व्यवहार के मुक़ाबले में इमाम जवाद (अ) की प्रतिक्रियाओं और उनके विरोध के कारण व्यापक प्रतिक्रियाएं हुईं और यही विषय, अब्बासी शासन की ओर से इमाम और उनके अनुयाइयों को पीड़ित किये जाने का कारण बना।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) के अन्य परिजनों की ही भांति इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम अब्बासी शासकों के अत्याचारों और जनता को धोखा देने वाली उनकी कार्यवाहियों के मुक़ाबले में शांत नहीं बैठते और बहुत सख़्त परिस्थितियों में भी जनता के समक्ष वास्तविकताओं को स्पष्ट किया करते थे। अत्याचार के मुक़ाबले में इमाम जवाद अलैहिस्सलाम की दृढ़ता और बहादुरी, साथ ही उनकी बेहतरीन ख़िताबत कुछ इस प्रकार थी जिस को सहन करने की शक्ति अब्बासी शासकों में नहीं थी। यही कारण है कि इन दुष्टों ने मात्र 25 वर्ष की आयु में इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम को शहीद करवा दिया।
इमाम जवाद अलैहिस्सलाम के महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रयासों के आयामों में से एक, पैग़म्बरे इस्लाम (स) और उनके परिजनों के उन विश्वसनीय कथनों को प्रस्तुत करना और उन गूढ़ धार्मिक विषयों को पेश करना था जिनपर उन लोगों ने विभिन्न आयाम से प्रकाश डाला था।
इमाम तक़ी अल जवाद अलैहिस्सलाम एक ओर तो पैग़म्बरे इस्लाम (स) और उनके परिजनों के कथनों का वर्णन करते हुए समाज में धर्म की जीवनदाई संस्कृति और धार्मिक शिक्षाओं को प्रचलित कर रहे थे तो दूसरी ओर समय की आवश्यकता के अनुसार तथा जनता की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक क्षमता के अनुरूप विभिन्न विषयों पर भाषण दिया करते थे। ख़ुदाई आदेशों को लागू करने के लिए इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम का एक उपाय या कार्य, पवित्र क़ुरआन और लोगों के बीच संपर्क स्थापित करना था।
उनका मानना था कि क़ुरआन की आयतों को समाज में प्रचलित किया जाए और मुसलमानों को अपनी कथनी-करनी और व्यवहार में पवित्र क़ुरआन और उसकी शिक्षाओं से लाभान्वित होना चाहिए। इमाम तक़ी अल जवाद अलैहिस्सलाम ख़ुदाई इच्छा की प्राप्ति को लोक-परलोक में कल्याण की चाबी मानते थे। वे पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं के आधार पर इस बात पर बल दिया करते थे कि अल्लाह की प्रसन्नता हर वस्तु से सर्वोपरि है। ख़ुदावंदे करीम सूरए तौबा की ७२ वीं आयत में अपनी इच्छा को मोमिनों के लिए हर चीज़, यहां तक स्वर्ग से भी बड़ा बताता है। इसी आधार पर इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम लोगों से कहते थे कि वे केवल ख़ुदा की प्रसन्नता प्राप्त करने के बारे में सोच-विचार करें और इस संदर्भ में वे अपने मार्गदर्शन प्रस्तुत करते थे। अपने मूल्यवान कथन में एक स्थान पर इमाम तक़ी अल जवाद अलैहिस्सलाम कहते हैं: तीन चीज़े अल्लाह की प्रसन्नता का कारण बनती हैं। पहले, अल्लाह से अधिक से अधिक प्रायश्यित करना, दूसरे कृपालू होना और तीसरे अधिक दान देना। ख़ुदा की ओर से मनुष्य को प्रदान की गई नेअमतों में से एक नेअमत प्रायश्यित अर्थात अपने पापों के प्रति अल्लाह से क्षमा मांगना है।
प्रायश्चित, ख़ुदा के बंदों के लिए ख़ुदा की नेअमतों के द्वार में से एक है। ख़ुदा से पापों का प्रायश्चित करने से पिछले पाप मिट जाते हैं और इससे इंसान को इस बात का फिर से अवसर प्राप्त होता है कि वह विगत की क्षतिपूर्ति करते हुए उचित कार्य करे और अपनी आत्मा को पवित्र एवं कोमल बनाए। इसी तर्क के आधार पर मनुष्य को तौबा या प्रायश्चित करने में विलंब नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे पछतावा ही हाथ आता है।
इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम के अनुसार शराफ़त (शालीतना) उन अन्य उपायों में से है जिसके माध्यम से ख़ुदाई प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। उसके पश्चात दूसरे और तीसरे भाग में मनुष्य को लोगों के साथ संपर्क के ढंग से परिचित कराते हैं। दूसरे शब्दों में अल्लाह को प्रसन्न करने का मार्ग अल्लाह के बंदों और उनकी सेवा से गुज़रता है। इस संपर्क को विनम्रता और दयालुता के साथ होना चाहिए।
निश्चित रूप से विनम्र व्यवहार विनम्रता का कारण बनता है जो मानव को घमण्ड से दूर रखता है। घमण्ड, दूसरों पर अत्याचार का कारण होता है। इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम अपने ख़ुत्बे के अन्तिम भाग में अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के तीसरे कारण को दान-दक्षिणा के रूप में परिचित करवाते हैं। स्वयं वे इस मानवीय विशेषता के प्रतीक थे। इसी आधार पर उन्हें जवाद अर्थात अत्यधिक दानी के नाम से जाना जाता है। इमाम जवाद अलैहिस्सलाम लोगों को उस मार्ग का निमंत्रण देते थे जिसे उन्होंने स्वयं भी तय किया और उसके बहुत से प्रभावों को ख़ुदा की रहमत और कृपादृष्टि को आकृष्ट करने में अनुभव किया। दूसरों को सदक़ा या दान देने का उल्लेख पवित्र क़ुरआन में बहुत से स्थान पर नमाज़ के साथ किया गया है। इस प्रकार इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम यह समझाना चाहते हैं कि ख़ुदा की इबादत के दो प्रमुख पंख हैं। इनमें से एक ख़ुदा के साथ सहीह एवं विनम्रतापूर्ण संबंध और दूसरा लोगों के साथ मधुर एवं विनम्रतापूर्ण व्यवहार है। यह कार्य दान से ही संभव होता है जिससे व्यक्ति अल्लाह की इच्छा प्राप्त कर सकता है।
मनुष्य अपनी संपत्ति में से जिस मात्रा में भी चाहे अल्लाह के मार्ग में वंचितों को दान कर सकता है। यहां पर यह बात उल्लेखनीय है कि दान-दक्षिणा में संतुलन होना चाहिए। ऐसा न हो कि यह मनुष्य के लिए निर्धन्ता का कारण बने। दान और परोपकार हर स्थिति में विशेषकर धन-दौलत का दान उन कार्यों में से एक है जो इंसान को ख़ुदा की प्रसन्नता की ओर बढ़ाता है। क्योंकि इंसान के पास जो कुछ है उसे वह अल्लाह के मार्ग में दान दे सकता है। इस प्रकार के लोग हर प्रकार के भौतिक लगाव को त्यागते हुए केवल अल्लाह की प्रशंसा की प्राप्ति चाहते हैं। इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम के एक कथन से इस लेख का अंत कर रहे हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि बहुत से लोग धन-दौलत, सत्ता, जातिवाद तथा इसी प्रकार की बातों को गर्व और महानता का कारण मानते हैं तथा जिन लोगों में यह चीज़ें नहीं पाई जातीं उन्हें वे तुच्छ समझते हैं किंतु इमाम तक़ी अल जवाद अलैहिस्सलाम सच्ची शालीनता का कारण उस ज्ञान को मानते हैं जो व्यक्ति के भीतर निखार का कारण बने। वे महानता को आध्यात्मिक विशेषताओं में से मानते हैं।
एक स्थान पर आप कहते हैं: वास्तविक सज्जन वह व्यक्ति है जो इल्म से आरास्तां (ज्ञान से सुसज्जित) हो और वास्तविक महानता उसी के लिए है जो ख़ुदाई भय और ख़ुदाई पहचान के मार्ग को अपनाए।
? *अल्लाह हुम्मा अज्जिल ले वलियेकल फ़रज...*
यमन में गैस स्टेशन पर विस्फोट में 15 की मौत, 67 घायल
यमन के केंद्रीय प्रांत अलबैदा में एक गैस स्टेशन पर हुए भीषण विस्फोट ने शुक्रवार सुबह तबाही मचा दी अलजज़ीरा नेटवर्क के संवाददाता ने बताया कि यह हादसा सुबह के व्यस्त समय में हुआ जब बड़ी संख्या में लोग गैस भरवाने के लिए स्टेशन पर मौजूद थे।
,एक रिपोर्ट के अनुसार ,यमन के केंद्रीय प्रांत अलबैदा में एक गैस स्टेशन पर हुए भीषण विस्फोट ने शुक्रवार सुबह तबाही मचा दी अलजज़ीरा नेटवर्क के संवाददाता ने बताया कि यह हादसा सुबह के व्यस्त समय में हुआ जब बड़ी संख्या में लोग गैस भरवाने के लिए स्टेशन पर मौजूद थे।
स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इसकी गूंज आसपास के इलाकों में सुनाई दी और आग की लपटें कई मीटर ऊंची उठीं। विस्फोट के कारण स्टेशन पर खड़े कई वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए और आग ने पास की इमारतों को भी नुकसान पहुंचाया।
यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि इस दुर्घटना में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है और 67 लोग घायल हुए हैं घायलों में कई की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
हालांकि, विस्फोट के सही कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है शुरुआती जांच में गैस रिसाव को इस हादसे का संभावित कारण माना जा रहा है लेकिन स्थानीय प्रशासन ने विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं।
पोलैंड नेतन्याहू को गिरफ्तार करे
फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने पोलैंड से अनुरोध किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह पालन करे और यदि इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पोलैंड का दौरा करें तो उन्हें युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किया जाए।
एक रिपोर्ट के अनुसार , संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बानीज़ ने पोलैंड से आग्रह किया है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह पालन करे और यदि इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पोलैंड का दौरा करें तो उन्हें युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किया जाए।
अल्बानीज़ ने कहा,अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के सदस्य देशों का कर्तव्य है कि वे उन व्यक्तियों को गिरफ्तार करें जिनके खिलाफ अदालत ने वारंट जारी किया है।
पोलैंड जिसने मंगोलिया की व्लादिमीर पुतिन को गिरफ्तार करने में असफलता पर आलोचना की थी वह नेतन्याहू को भी गिरफ्तार करे।
गुरुवार को पोलैंड की सरकार ने यह आश्वासन दिया कि यदि नेतन्याहू ऑशविट्ज़ जबरन श्रम शिविर की मुक्ति की 80वीं वर्षगांठ के समारोह में भाग लेते हैं तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। यह समारोह इस महीने के अंत में आयोजित होने वाला है।
गौरतलब है कि नवंबर 2024 में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने गाज़ा में युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे।
इज़राइल को गाज़ा में अपने अमानवीय अपराधों के कारण अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार के मुकदमे का भी सामना करना पड़ रहा है।
लॉस एंजेलिस में जहन्नुम की तरह धधकती आग
लॉस एंजेलिस काउंटी के उन हिस्सों में लगी आग जो मंगलवार से शुरू हुई थी, अब भी बेक़ाबू होकर जल रही है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि, पीड़ितों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,लॉस एंजेलिस काउंटी के उन हिस्सों में लगी आग जो मंगलवार से शुरू हुई थी, अब भी बेक़ाबू होकर जल रही है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि, पीड़ितों की संख्या बढ़ने की आशंका है और मौसम की स्थिति और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण आने वाले दिनों में इसे क़ाबू करने में और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
लॉस एंजेलिस काउंटी में करीब 1,54,000 लोगों को घर खाली करने का आदेश दिया गया था। इनमें से कई लोग अपने घरों को न्यूनतम सामान के साथ छोड़कर चले गए करीब 1,66,000 अन्य निवासियों पर भी आग का खतरा मंडरा रहा है, और वे भी जल्द ही घर छोड़ने के लिए मजबूर हो सकते हैं।
इस आग में 10,000 से अधिक इमारतें जलकर राख हो गईं, जिससे यह लॉस एंजेलिस के इतिहास की सबसे विनाशकारी आग बन गई है। 60,000 अन्य इमारतें भी खतरे में हैं, और अनुमान है कि बीमा से संबंधित नुकसान 8 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है। कैलिफोर्निया फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार क्षेत्र में कम से कम पांच स्थानों पर आग भड़क रही है।
दुश्मन के घमंड को तोड़ने के लिए जिहाद-ए-तबयीन ज़रूरी
शोधकर्ता और राजनीतिक मामलों के विश्लेषक ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि मीडिया के क्षेत्र में दुश्मन के सत्ता के घमंड को तोड़ने के लिए जिहाद-ए-तबयीन ज़रूरी है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,शोधकर्ता और राजनीतिक मामलों के विश्लेषक ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि मीडिया के क्षेत्र में दुश्मन के सत्ता के घमंड को तोड़ने के लिए जिहाद-ए-तबयीन ज़रूरी है।
प्रतिनिधि से बात करते हुए शोधकर्ता और राजनीतिक मामलों के विश्लेषक मोहम्मद सादिक खरसंद ने रहबर ए मुज़मैन इंकलाब के बयानों विशेष रूप से देश और युवा पीढ़ी के बीच भविष्य को लेकर उम्मीद को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा,आज के दौर में मीडिया और प्रचार के क्षेत्र में भूमिका की महत्ता को देखते हुए यह जरूरी है कि हम परंपराओं की जंग में चौकस और गंभीरता से कार्य करें और मौजूदा परिस्थितियों में दुश्मन के मीडिया के सत्ता के घमंड को तोड़ने की पूरी कोशिश करें।
उन्होंने आगे कहा,यकीनन जिहाद ए तबयीन के क्षेत्र में हमारी सुस्ती और लापरवाही दुश्मन को मीडिया की जंग में अपने उद्देश्य प्राप्त करने के लिए अधिक मौके देती है।
मोहम्मद सादिक खरसंद ने कहा,रहबर मुज़मैन का मीडिया की पारंपरिक जंग में योगदान और उसकी महत्ता यहां तक कि इसे सैन्य संसाधनों पर प्राथमिकता देना सभी सांस्कृतिक जिम्मेदारों, मीडिया प्रबंधकों और इस क्षेत्र में सक्रिय व्यक्तियों के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन है।
उन्होंने कहा,इंशा अल्लाह आने वाले बदलावों में हम सभी पहले से अधिक गंभीर और संकल्पित होकर दुश्मन के साथ मीडिया की जंग में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
गाज़ा युद्धविराम का समझौता ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले संभव
व्हाइट हाउस ने शुक्रवार रात घोषणा की हैं गाज़ा संकट के समाधान और बंधकों की रिहाई का समझौता डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ से 10 दिन पहले संभव हो सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , व्हाइट हाउस ने शुक्रवार रात घोषणा की कि गाज़ा संकट के समाधान और बंधकों की रिहाई का समझौता डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ से 10 दिन पहले संभव है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने पत्रकारों को बताया,हम मानते हैं कि यह संभव है, लेकिन अभी बहुत काम बाकी है जैसा कि मैंने कहा मध्य पूर्व के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि, ब्रेट मैकगर्क, अभी भी दोहा में हैं और इस मुद्दे पर कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा,यह मामला ब्रेट मैकगर्क और राष्ट्रीय सुरक्षा टीम का प्राथमिक केंद्र है यह वह चीज़ है जिसे हम वास्तव में पूरा करना चाहते हैं।
पिछले शुक्रवार एक इसरायली प्रतिनिधिमंडल ने दोहा का दौरा किया ताकि क़तर और मिस्र की मध्यस्थता में हमास के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता फिर से शुरू की जा सके। इन वार्ताओं का उद्देश्य कैदियों के आदान-प्रदान को अंतिम रूप देना और युद्धविराम समझौता हासिल करना है मध्य पूर्व के मामलों में बाइडेन के प्रतिनिधि, ब्रेट मैकगर्क भी इन वार्ताओं में शामिल हैं।
ईरान की मानवीय करुणा का सामान्य प्रदर्शन
ईरानी रेड क्रिसेंट सोसाइटी के प्रमुख ने लॉस एंजिल्स में आग लगने की घटना के पीड़ितों के परिवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है और संयुक्त राज्य अमेरिका को मानवीय सहायता भेजने की इच्छा व्यक्त की है।
ईरानी रेड क्रिसेंट के प्रमुख पीर हुसैन कोलीवंद ने लॉस एंजिल्स में हुई भयानक आग के पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की और संयुक्त राज्य अमेरिका को मानवीय सहायता भेजने की इच्छा व्यक्त की। .
ईरान की मानवीय करुणा का सामान्य प्रदर्शन; अमेरिकी अग्नि पीड़ितों को सहायता भेजने के लिए तैयार
इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान रेड क्रिसेंट सोसाइटी के अध्यक्ष द्वारा अमेरिकन रेड क्रॉस के अध्यक्ष क्लिफ होल्ट्ज़ को भेजे गए संदेश का पाठ इस प्रकार है:
आपके देश के बड़े हिस्से में फैली आग की खबर सुनकर मन व्यथित है, इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल घरों को अपनी चपेट में ले लिया है, बल्कि हज़ारों लोगों की ज़िंदगी को भी ख़तरे में डाल दिया है और आपके देश के खूबसूरत नज़ारों को भी नष्ट कर दिया है। प्राकृतिक स्थल राख में तब्दील हो गए हैं, दुनिया भर के सभी जिम्मेदार लोगों को इस महान आपदा के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान रेड क्रिसेंट सोसाइटी की ओर से हम आपको आश्वस्त करते हैं कि इस कठिन समय में आप अकेले नहीं हैं। हाल ही में लगी आग ने यह दिखा दिया है कि इस संकट को नियंत्रित करना स्थानीय क्षमताओं से परे है और आग बुझाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है। लंबे समय तक चलने वाले अग्निशमन अभियानों के कारण आग की लपटों का तेजी से फैलना न केवल मानव जीवन के लिए खतरा है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी खतरा है। पृथ्वी और पर्यावरण का भविष्य.
इस्लामी गणराज्य ईरान की रेड क्रिसेंट सोसाइटी, प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने में अपने व्यापक अनुभव पर भरोसा करते हुए, प्रभावित क्षेत्रों में अपनी विशेष त्वरित प्रतिक्रिया टीमों, बचाव उपकरणों और प्रशिक्षित मानव संसाधनों को भेजने के लिए तैयार है।
मानवीय भावनाओं और उच्च इस्लामी और मानवीय मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के लिए हमें सीमाओं, संस्कृतियों और भाषाओं को पार करते हुए, इस संकट से उबरने में आपकी मदद करने की आवश्यकता है।
हमारा मानना है कि वैश्विक सहयोग, एकजुटता और आपसी समझ के माध्यम से हम इस संकट पर काबू पा सकते हैं और उन लोगों के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जो आज इस निर्मम आग की लपटों में घिरे हुए हैं।
इसलिए, महामहिम और इस संकट से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए, हम आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
पीर हुसैन कूलीवंद